ब्राह्मणों सवर्णों के दुःख दर्द में भी ऐसा भेदभाव !
लवकेश मिश्रा ब्राह्मण है सवर्ण है ब्राह्मणों की संख्या कम है इसलिए किसी राजनैतिकदल के नेता के मुख से नहीं सुनाई पड़ रहा है लखनऊ के लवकेश मिश्रा का नाम और उसके परिवार की बेदना !मीडिया भी इसलिए उस तरह की भूमिका में नहीं उतरा है जैसा रोहितवेमुला के केस में हुआ था !क्योंकि उसे पता है कि इस मुद्दे में कोई दम नहीं है इसमें कोई नेता क्यों रूचि लेगा ! हैदराबाद के विषय में नेताओं की जो संवेदना दिखी थी क्यों नहीं है वह लवकेश मिश्रा के विषय में सवर्णों के साथ यदि इसी प्रकार का भेद भाव होता रहा तो कब तक सहा जा सकेगा कुछ सोचना तो पड़ेगा सरकार सोचे मीडिया सोचे प्रशासन सोचे नीतिनियामक लोग साथ ही सभी बुद्धिजीवियों को सोचना होगा कि सवर्णों के साथ यह जातिगत भेदभाव ठीक है क्या और स्थिति यदि यही रही तो सवर्णों को स्वयं सोचना होगा अपने विषय में !किंतु सब लोग यदि केवल अपने अपने विषय में ही सोचने लगेंगे तो ये स्वस्थ समाज की निशानी नहीं है-ऐसी संकीर्ण प्रवृत्ति पर पुनर्विचार होना चाहिए ये बात मैं इसलिए कह रहा हूँ कि सवर्णों का स्वभाव हमेंशा से देश और समाज के प्रति समर्पित रहा है अब वो त्याग बलिदान की प्रवृत्ति छोड़कर यदि स्वार्थ की बातें करने लगें या आरक्षण माँगने लगें तो पूर्वजों की त्याग तपस्या के साथ साथ समाज के लिए किया गया आजतक का सारा बलिदान ब्यर्थ लगने लगेगा -इसलिए पढ़ें यह हिला देने वाली खबर -
" बेसेंट कालेज के बीटेक छात्र ने अपने विभागाध्यक्ष से परेशान होकर की खुदकुशी-
सुसाइड नोट - "मैं लवकेश मिश्रा अपने
पूरे होशो हवाश में सुसाइड नोट लिख रहा हूं। मैं मरना नहीं चाहता। लेकिन मैं
यह बर्दास्त नहीं कर सकता। भैया मेरे सुसाइड करने की सिर्फ बजह मेरे
ब्रांच के एचओडी दीपक असरानी जो कम्प्यूटर साइंस के टीचर हैं। उनकी
प्रताड़ना से मैं आत्महत्या कर रहा हूं… आखिर में छात्र ने लिखा कि मेरी
मौत का जिम्मेदार सिर्फ एचओडी है। पापा मैं माफी चाहता हूं कि आप की
उम्मीदों को मैं पूरा नहीं कर सका। आईएम सारी लवकेश मिश्रा।"
मूलरूप से आजमगढ़ जिले का रहने वाला लवकेश मिश्रा (25) मडि़याव के श्री
नगर कालोनी में एसके दतवाल के किराये के मकान में रहकर बीटेक की पढ़ाई कर
रहा था।
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