Sunday, 7 February 2016

केजरीवाल जूते पहन लेते तो शायद बच जाती इज्जत !

 नेताओं के जूतों चप्पलों के बल पर खुद को इज्जतदार महसूस कर रहे हैं कुछ लोग !
अरे ! केजरीवाल के जूतों सैंडिलों से इज्जत बेइज्जत होने वालो !
  कभी नंगे पैर काटों और कंकरों में चलने वाले गरीबों को भी देखा है कोई ड्राफ्ट क्या उन्हें जूते पहना पाए !शर्दियों में ठिठुरते गरीबों को देखा है क्या उन्हें व्यवस्था दे पाए , भूख से बिलबिलाते गरीबों के बच्चों को देखा है क्या उन्हें दे पाए भोजन !आखिर उनके  भूखे नंगेपन से क्यों नहीं होती है तुम्हारी बेइज्जती !केवल नेताओं के चरणों में नजर गड़ाए रहने वालो !अरे नेताओं के चरणों के चंचरीको  ! केजरीवाल की सैंडलों पर तो अंगुली बाद में उठाना पहले अपनी आत्मा की ओर झाँकिए और और नेताओं के जूतों में चिपकी अपनी इज्जत को देखिए !तुम्हारी बेइज्जती केजरीवाल की सैंडलों से कैसे हो गई देश के लाखों करोड़ों लोग भूखों मरें ,नंगे पैर घूमते रहें उसमें बेइज्जती क्यों नहीं होती !आखिर क्यों तुम्हें नहीं दिखते नंगे पैर वाले गरीबऔर उनके बच्चे !जिन्हे खेतों  पर काम करना होता है जंगल में काम करना होता है !जहाँ साँप बिच्छु कीड़े मकोड़े काटने का भय बना रहता है ।

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