मोदी विरोधियों के संग्रहालय हैं केजरीवाल जी ! PM की निंदा करने में सर्वोपरि केजरीवाल जी को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी कि उनकी इसी काबिलियत के लिए उन्हें पाकिस्तान से बुलावा आया है !
कराँची के साहित्य सम्मेलन में बुलाए गए केजरीवाल जी क्या साहित्यकार हैं ?या गला बहुत सुरीला है !अगर मुख्यमंत्री समझ कर बुलाए गए होते तो इतने प्रदेशों के और भी तो मुख्यमंत्री थे किन्तु मोदी निंदा जैसी काबिलियत के बल पर ही तो जा रहे हैं पाकिस्तान !
बंधुओ !केजरीवाल जी भारत के राजनेताओं को पहले भ्रष्ट लुटेरे बेईमान गद्दार आदि और क्या क्या नहीं कहा करते थे किंतु जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से उन दोष दुर्गुणों की निंदा सुनी है किसी ने क्या ?अब वो सारे दोष ही गुण लगने लगें हैं क्योंकि कहावत है -"जहाँ अपना संतोष वहाँ गधा मारने से कौन दोष !" दुर्गुण भी यदि अपने हों तो कितने प्यारे लगते हैं केजरीवाल जी !
पहले जिस सिक्योरिटी ,राजनैतिक भ्रष्टाचार, सुख सुविधा पूर्ण बिलासी जीवन की यही केजरीवाल निंदा किया करते थे अब उन सारे दोष दुर्गुणों के भण्डार हैं दिल्लीनरेश !इसलिए अब गाली दें तो किसको दें सब अपने हैं !पहले जिन नेताओं की निंदा किया करते थे अब
उन नेताओं से स्तर ऊपर जा चुका है इसलिए अब केवल भारतीय PM की निंदा करते हैं बस !केजरीवाल
जी के मुख से किसी ने कभी पाकिस्तान या वहाँ के PM की निंदा सुनी है क्या ? ये केवल भारत के नेताओं की निंदा करते हैं उन्हें ही भ्रष्ट लुटेरे बेईमान गद्दार आदि सब कुछ कहते हैं !ऐसे लोगों को निमंत्रण क्या निमंत्रणपत्रों के बंडल भेज देगा पाकिस्तान !भारत में भी उसे कोई अपना तो दिखा !
दिल्ली सरकार में केजरीवाल जी मुख्यमंत्री जरूर
हैं किंतु उनके पास किसी मंत्रालय का कोई काम नहीं है और बिना काम की
सैलरी लेना भ्रष्टाचार नहीं है क्या ?उन्हें पार्टी ने PM की निंदा करने के
काम पर लगाया है CM शीला जी की निंदा करके CM बन गए तो पार्टी को लगता है
कि PM की निंदा करते करते PM भी बन सकते हैं । इस चक्कर में जहाँ जहाँ
मोदी विरोध की सम्भावनाएँ होती हैं वहाँ बिना बुलाए पहुँच जाते हैं
पाकिस्तान से तो बोलावा आया है वहाँ कम से कम अपने मन की बात तो कह लेंगे !
मोदी विरोधियों की
ठेकेदारी सँभाले केजरीवाल जी से ही नीतीश कुमार जी ने भी सीखे थे मोदी
विरोधी गुर ,अपनी मोदी विरोधी काबिलियत पर ही तो लालू प्रसाद के मंच पर भी
केजरीवाल को मिल सकी थी जगह !अन्यथा क्या केजरीवाल को मुख लगाते लालूप्रसाद
! न केवल इतना केजरीवाल जब लालू प्रसाद के मंच पर पहुँचे तो लालू प्रसाद
ने केजरीवाल को गले लगा लिया था अन्यथा और कौन सा ऐसा गुण था इनमें कि
लालू प्रसाद इन्हें घास डालते !
मोदी जी चैन से बैठते नहीं हैं कुछ न कुछ करते ही रहते हैं किंतु केजरीवाल कुछ करते नहीं जब खांसी ठीक होती है तो बस वही मोदी जी की निंदा किया करते हैं!
पहले
की सरकारों में आम जनता को तो पता ही नहीं लगता था कि मालिक लोग देश के
विषय में क्या फैसला ले रहे हैं !अब मोदी जी कहाँ जा रहे हैं किस काम के लिए जा रहे हैं किससे किससे मिलना
है क्या क्या बात करनी है इसके बाद किस किस से मिलकर क्या बात हुई उससे
क्या लाभ हानि होने की संभावना है आदि बातों का हिसाब किताब वो जनता तक
पहुँचाते हैं जनता की भावनाओं से इतना जुड़ते हैं कि जनता के सुख दुःख में
जनता के साथ इतना घुलमिलकर रहते हैं कि तुरंत न केवल जनभावनाओं के अनुशार
एक्टिव हो जाते हैं अपितु इतनी शीघ्र प्रतिक्रिया देकर समाज को बता देते
हैं देशवासियो ! तुम घबड़ाना नहीं हम तुम्हारे साथ हैं तुम्हारी पीड़ा हम तक
पहुँच चुकी है तुम जैसा चाह रहे हो वैसा ही होगा तुम्हारा मोदी वैसा ही कर
रहा है काम प्रारम्भ हो चुका है कश्मीर की बाढ़ हो या नेपाल का भूकंप या
बिहार
का तूफान या कुछ और देश को आश्वस्त कर देते हैं कि देश वासियों तुम चैन से
सो जाओ तुम्हारी भावनाओं का आदर करती हुई मोदी सरकार की सारी मशीनरी वैसा
करना प्रारम्भ कर चुकी है जैसा तुम लोग करवाना चाह रहे हो ! देश वासियों की
इच्छाओं का सम्मान इस सरकार की रगों में है अन्यथा इसके पहले किसी
प्रधानमंत्री ने जन भावनाओं का आदर करते हुए अपना कोट नीलाम नहीं किया है
किंतु मोदी जी ने किया है ऐसे समर्पणों का सम्मान करना हमें भी सीखना होगा
!जो अभी तक की सरकारों में होता नहीं देखा गया है ।
केजरीवाल को तो पुलिस के बहाने केंद्र सरकार को ही बदनाम
करने में मजा आता है और वही वो कर भी रहे हैं !जनता उनकी इस प्रवृत्ति से तंग
आ चुकी है उनके किसी भी आचार व्यवहार से आम आदमियत दूर दूर तक नहीं झलक
रही है और न ही कानून व्यवस्था में ही कोई बदलाव आया है ऑटो वाले तक मीटर
से जाने को तैयार नहीं होते हैं फिर भी केजरीवाल जी का नारा है "वो हमें परेशान करते रहे ,हम काम करते रहे
"किंतु पता ये नहीं चल पा रहा है कि केंद्र सरकार को बदनाम करने के अलावा
केजरीवाल जी
काम क्या करते रहे ! पानी शुद्ध नहीं हैं सरकारी आफिस हों या स्कूल पहले के
जैसे ही चल रहे हैं परिवर्तन आखिर हुआ कहाँ है अगर किसी एक आदमी की बचपन
से आने वाली खाँसी ठीक हो गई तो इसका मतलब ये तो कतई नहीं है कि दिल्ली ठीक
हो गई ! स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट कितना भी बढ़ा लिया गया हो किन्तु
खाँसी दिल्ली में नहीं ठीक हो सकी इसका मतलब दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएँ
विश्वसनीय नहीं थीं तब तो बहार जाकर कराया गया इलाज !
इसलिए उनका अब ये नारा होना चाहिए था कि देश विदेश में घूम घूम कर"मोदी जी काम करते रहे फिर भी हम उन्हें बदनाम करते रहे !"
केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिए बाकायदा बजट पास किया गया ! आखिर इससे
जनता का क्या लाभ हुआ क्या इससे जनहित के जरूरी काम नहीं किए जा सकते थे !
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