Friday, 28 November 2014

राहुल गाँधी जी !अब आप ऐसा कौन सा विकास करना चाहते हैं जो पिछले 15 वर्षों में नहीं कर पाए ! आखिर क्यों ?

राहुल गाँधी जी ! केवल चुनावों के समय आपको आम जनता की जरूरत पड़ती है बाकी कहाँ रहते हैं आप !आम जनता का दुःख दर्द सुनने के लिए कभी क्यों नहीं आए जनता के सामने !क्यों नहीं दिया कोई संपर्क सूत्र !

      राहुल गाँधी जी! अभी तक इतने लम्बे समय तक सत्ता में रहकर जो कार्य आप नहीं कर पाए तो अब इस बात को मान लेने में या बुराई है कि काम करना आपके बश का नहीं है !अब मोदी सरकार को करने दीजिए जनता ने इसीलिए आपको शांत किया है इसलिए कुछ दिन तो शांत रहिए !राहुल जी आप भी देश के लिए अत्यंत प्रिय एवं बहुत दुलारे हो किन्तु जो काम करना आपको नहीं आता है वो काम करने के लिए आपको कैसे सौंप दिया जाए !अभी तक केंद्र से दिल्ली प्रदेश तक की सरकारें आपके अँगुली के इशारे पर नाचती रहीं किन्तु तब भी न आप कुछ कर पाए और न ही अपनी सरकारों से करवा पाए !यहाँ तक कि सोनियाँ जी को इलाज कराने विदेश जाना पड़ता रहा यहाँ कोई अच्छा अस्पताल नहीं बनवा पाए आप !

        आपकी पार्टी के पराजित होने  का मतलब ये कतई नहीं है कि देश आपसे गुस्सा है ! हाँ यदि आपको सरकार चलाना नहीं आता है तो देश की बागडोर आपको कैसे सौंप दी जाती भला तुम्हीं बताओ ! देश वासियों के लिए विकास कार्य हुए हों या न हुए हों अब हो जाएँगे किन्तु हमें इस बात का दुःख है कि देश की आदरणीया सोनियाँ जी देश की सम्मानित बहू हैं उनकी देख रेख में कहीं कोई कमी न रह जाए इसलिए देश ने सबसे लम्बे समय तक आपकी पार्टी को सत्ता सौंपी किंतु उनके इलाज लायक आज तक देश में एक अस्पताल नहीं बनाया जा सका !जब अखवारों में खबर छपती है की सोनियाँ जी इलाज के लिए विदेश गईं यह खबर पढ़कर क्या बीतती है समस्त देश वासियों पर ! और स्वाभिमानी गरीबों ग्रामीणों पर !जो गलत काम नहीं करेंगे केवल इस व्रत का पालन करने के लिए सारी  जिंदगी गरीबत  में गुजार देते हैं !

      राहुल गाँधी जी ! इस देश के बहुत लोग भाग्य वश धन से गरीब होने के कारण भले चार रोटियों की जगह दो रोटियाँ  ही खाने को मिल पाती हों किन्तु किसी और को भूखादेख कर उन दो रोटियों में से एक रोटी उस भूखे को देने के लिए उनका हाथ उठ जाता है उनके इस सांस्कृतिक संस्कार को  भाग्य भी नहीं रोक सकता !

       बंधुओ ! किन्तु राहुल गाँधी ऐसा चाहते क्यों हैं मोदी सरकार हर काम उनसे पूछ पूछ कर करे !और क्यों करे ?पूछे भी तो तब जब पता हो कि सामने वाला हमसे अधिक समझदार है,या सामने वाला पिछले दस वर्षों में बहुत अच्छे काम करके गया है जो मोदी सरकार बिगड़ रही है इसलिए उसे हमदर्दी हो रही है किन्तु ऐसा कुछ तो हुआ नहीं यदि ऐसा ही था तो उन झुग्गियों को पहले ही नियमित कर देते आखिर अभी तक तो सरकार में राहुल गाँधी जी आप ही थे !

    

बिना वैराग्य वाले बाबालोग जब अपने नहीं हुए, अपनों के नहीं हुए तो आपके क्या होंगे ?

 बाबाओं के भटकाव का कारण  है संपत्ति से लगाव और वैराग्य भावना से अलगाव !

      कई लोग संत बन कर साधना करने का सपना लेकर वैराग्य लेते हैं किंतु पूर्व जन्म के पापों के प्रभाव से पूजापाठ में मन नहीं लगता  फिर साधना पथ से   भटके हुए ऐसे लोग  सेवाकार्यों के बहाने अपना जीवनबोझ  ढोना प्रारम्भ कर  देते हैं और बड़े बड़े स्कूल, अस्पताल आदि चलाने का नारा देकर जुटाने लगते हैं चंदा और करने लगते हैं व्यवस्था परिवर्तन के लिए सेवाकार्य,स्वदेशी कार्य,शुद्ध कार्य ,स्वाभिमानीकार्य,और सरकार सहयोगीकार्य इसके बाद सरकार कार्य और इन सबके बाद धीरे धीरे निपट आती  है जिंदगी !जीवन के अंतिम पड़ाव पर उन्हें स्वामी जी मानाने वाले लोग सेठ जी मानने लगते हैं, नेता जी मानने लगते हैं किन्तु सधुअई ठगी सी निहार रहीं होती है इनकी विरक्त वेष  भूषा !ऐसे लोग जब अपनी ओर देखते हैं तो याद आते हैं वो सब बेकार कार्य जिनमें जीवन भटका दिया! तब पता लगा कि उन कार्यों के लिए तो ईश्वर ने औरों को बनाया था जिनमें  आप उलझे गए आपने तो वैराग्य लेकर ईश्वर आराधना का बचन भगवान को दिया था जो केवल तुम्हें ही पूरा करना था किन्तु उसे तुम पूरा नहीं कर सके, आपके उन  बचनों  को कोई और पूरा नहीं कर सकता !अब उनके लिए एक और जन्म लेना पड़ेगा ! 

यदि अमर सिंह जी भाजपा की ओर बढ़ते हैं तो निभेगी कब तक ?- ज्योतिष


   अमर सिंह जी  के डगमगाते डग क्या अब बढ़ेंगे भाजपा की ओर ! किंतु वहाँ  निभ जाएगी क्या ?- ज्योतिष 
 मर सिंह जी मित शाह जी की भाजपा में कब तक रह पाएँगे ? '' तो वहाँ भी है ईश्वर करे अच्छा ही हो !!
    किन्हीं दो लोगों का नाम ज्योतिष में एक अक्षर से प्रारम्भ नहीं होना चाहिए यदि ऐसा होता है तो उनके सम्बन्ध प्रारम्भ में तो बहुत अच्छे होते हैं और बाद में अचानक बिलकुल टूट जाते हैं जिनके फिर जुड़ने की कोई गुंजाइस नहीं रह जाती !मर सिंह जी ज्योतिष का यह भाग्यदंश  वर्षों से झेल रहे हैं ! उनकी यह यात्रा समाजवादी पार्टी से ही प्रारम्भ हो चुकी थी  !आप भी देखिए -
        समाजवादी पार्टी में जब तक मुलायम सिंह जी का बर्चस्व रहा तब तक मर सिंह जी की झुमाई  झूमती रही किन्तु अक्षर वाले जम खान से पटरी नहीं खाई तो उन्हें बाहर जाना पड़ा ! ये दोनों 'अ' इकट्ठे नहीं रह सके इसके बाद समाजवादी पार्टी में अखिलेश का बर्चस्व बढ़ा तो अखिलेश के 'अ' से टकराकर  मर सिंह  पार्टी से बाहर हो गए मर सिंह जी इसके बाद यही 'अ'मिताभबच्चन  निलअंबानी  भिषेक बच्चन आदि से टकराया और सब छूट गए फिर यही '' अजीतसिंह से टकराते समय मैंने की थी यह ज्योतिषीय भविष्यवाणी देखें आप भी और पढ़ें जरूर -see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/03/blog-post_2579.html

Friday, 21 November 2014

स्वच्छता अभियान !

                            स्वच्छता अभियान में तीन बड़ी पार्टियाँ शामिल !
       आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह झाड़ू को काँग्रेस के चुनाव चिन्ह हाथ से पकड़कर भाजपा स्वच्छता अभियान चला रही है !
      लगता है कि अब नेता बनने के लिए झाड़ू पकड़े हुए फोटो खिंचाकर फेस बुक पर डालना या पत्र पत्रिकाओं में छापना स्टेटस सिम्बल सा बन गया है और है भी ! क्या पता किसी दिन ऐसे चेहरों पर भी प्रधानमंत्री जी की दृष्टि पड़ ही जाए और हो जाए उद्धार !see more .... http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/10/blog-post.html




         प्रधान मंत्री जी का स्वच्छता अभियान !  इसमें बाकी सारे गुण हैं दोष केवल एक ही है !
     दोष केवल एक यही है कि अगर नेताओं अभिनेताओं या इस स्वच्छता अभियान में सम्मिलित बड़े बड़े प्रसिद्ध पुरुषों के झाड़ू पकड़ने के ढंग की नक़ल करने की शौक कहीं उन सफाई कर्मचारियों में आ  गई जिनके ऊपर सफाई करने की वास्तविक जिम्मेदारी है ! सैलीब्रेटियों की नक़ल तो लोग वैसे भी  अक्सर करते हैं इसलिए जिन्हें झाड़ू पकड़ना भी न आता हो स्वच्छता अभियान के नाम पर ऐसे सैलीब्रेटियों की नक़ल करना ठीक नहीं होगा !see more .... http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/10/blog-post.html




              स्वच्छता अभियान  के बहाने जानिए  झाड़ूविज्ञान का महत्त्व !
      स्वच्छता अभियान एक अच्छी पहल है किन्तु केवल देश से बाहरी कूड़ा ही नहीं अपितु कुसंस्कारों का कूड़ा तो  दिमागों से भी निकाला ही जाना चाहिए लोगों को झाड़ू पकड़ने में आखिर शर्म क्यों लगती है ?
      ये लोग झाड़ू जैसी महत्वपूर्ण चीज श्रद्धा से पकड़ते भी नहीं हैं हम लोगों को तो बचपन से ही  सिखाया गया है कि यदि झाड़ू में पैर लग जाए तो उसके पैर छूना होता है इसलिए झाड़ू विज्ञान पर मेरी निजी आस्था तो है ये आस्था ही है कि मुझे यह लिखने के लिए बाध्य करती कि बड़े लोग झाड़ू लगावें या न   लगावें किन्तु पकड़ें तो श्रद्धा से क्योंकि इस काम को हम किसान और ग्रामीण लोग गलत नहीं मानते और बहुत श्रद्धा से करते हैं हम लोगों का तो शुभ प्रभात ही झाड़ू बुहारू से ही प्रारम्भ  हुआ करता है दोपहर तक जिसने अपने दरवाजे और घर में झाड़ू न लगाई हो उसे लोग अच्छी दृष्टि से नहीं देखते हैं । घर के लोग जब घर से बाहर तक साफ सफाई कर लेतें हैं तब उनके चहरे पर कृतकार्यता का अद्भुत उत्साह होता है इसलिए झाड़ू बुहारू के काम को हलके से नहीं लेना चाहिए ! और न ही अपने को इससे छोटा ही समझना चाहिए !see more .... http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/10/blog-post.html





हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी तो झाड़ू भी अच्छे ढंग से लगा लेते हैं !

     आजकल चार चार पैसे कमाने वाले लोग झाड़ू लगाने जैसे काम करने में शर्म समझते हैं कई लोग तो झाड़ू लगा लेते हैं किन्तु उन्हें यह स्वीकार करने में शर्म लगती है कि कहीं कोई उन्हें छोटा न समझ ले उन्हें मोदी जी के झाड़ू पकड़ने एवं झाड़ू लगाने के वास्तविक ढंग से बहुत कुछ सीखना चाहिए । 
     मोदी जी ने झाड़ू पकड़ा भी ठीक से था और लगाया भी ठीक से था वो फार्मिलिटी नहीं कर रहे थे कई अन्य लोगों ने  भी ऐसा किया होगा जिसे मैं देख नहीं पाया या यहाँ पर उन सबके नाम गिना पाना भी संभव नहीं है किन्तु कई लोग श्री कलराज मिश्र जी की तरह से भी झाड़ू लगा रहे थे जिनके पीछे खड़े उनके सहयोगी दो लोग  हँस रहे थे  जब श्री मिश्र जी झाड़ू लगानेकी जगह हिला रहे थे संभवतः उनके झाड़ू लगाने पर ही वो हँसते होंगें या फिर और भी कोई कारण  रहा हो ! झाड़ू लगाने की रीति पर इसका मुझे  ठीक ठीक अंदाजा नहीं है किन्तु लग बिलकुल ऐसा रहा था जैसे कोई विवाहआदि  काम काज की कोई रस्म झाड़ू पकड़ कर निभाई जा रही हो !यद्यपि केवल मिश्र जी ही ऐसे नहीं होंगें और भी होंगे किन्तु हमारी जानकारी इतनी ही है कुछ लोग तो A C वाले कमरे में कूड़ा फैलवा कर भी झाड़ू लगवा रहे थे क्या कहा जाए किसी को !आखिर इसे स्वच्छता अभियान  क्यों न माना जाए !see more .... http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/10/blog-post.html









स्वच्छ भारत या पवित्र भारत या स्वच्छ और पवित्र दोनों ?पवित्रता की आज बहुत आवश्यकता है ! 

    इसलिए केवल स्वच्छता ही क्यों पवित्रता भी तो चाहिए !

     पहले से फैली हुई गन्दगी को साफ करना स्वच्छता एवं गंदगी को फैलाने से ही बचने की भावना पवित्रता है गंदगी से अभिप्राय सभी प्रकार की गंदगी से है भले  वो भ्रष्टाचार की ही गन्दगी क्यों न हो !उसे भी पैदा ही न होने देना पवित्रता की भावना है !see more .... http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/10/blog-post.html

     


Thursday, 20 November 2014

बाबाओं को मुख मत लगाओ केवल संतों की शरण में जाओ !

बाबा बर्बाद करते हैं संत सुधार करते हैं ! see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/11/blog-post_16.html

    घर के व्यस्त प्रपंचों से अलग हटकर उपासनामय  जीवन व्यतीत करने के लिए लोग  संत बनते हैं जबकि बाहर की बासनामय  इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए लोग बाबा बनते हैं  जबकि  see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/05/blog-post_27.html

          संतों और बाबाओं में अंतर क्या है ?  
अपनी संपत्ति लुटाकर लोग संत बनते हैं जबकि दूसरों की संपत्ति लूटने के लिए लोग बाबा बनते हैं ! जो सब कुछ छोड़कर संत  बनें हों उनका वैराग्य विश्वास करने योग्य है और जो तरह तरह के सेवा कार्यों के बहाने समाज को लूट रहे हों उन पर भरोसा भी कैसे किया जाए ! see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/05/blog-post_25.html

बिना  वैराग्य वाले बाबालोग  जब अपने नहीं हुए, अपनों के नहीं हुए तो आपके क्या होंगे ?
      कई लोग संत बन कर साधना करने का सपना लेकर वैराग्य लेते हैं किंतु पूर्व जन्म के पापों के प्रभाव से पूजापाठ में मन नहीं लगता  फिर साधना पथ से   भटके हुए ऐसे लोग  सेवाकार्यों के बहाने अपना जीवनबोझ  ढोना प्रारम्भ कर  देते हैं और बड़े बड़े स्कूल, अस्पताल आदि चलाने का नारा देकर जुटाने लगते हैं चंदा और करने लगते हैं व्यवस्था परिवर्तन के लिए सेवाकार्य,स्वदेशी कार्य,शुद्ध कार्य ,स्वाभिमानीकार्य,और सरकार सहयोगीकार्य इसके बाद सरकार कार्य और इन सबके बाद धीरे धीरे निपट आती  है जिंदगी !जीवन के अंतिम पड़ाव पर उन्हें स्वामी जी मानाने वाले लोग सेठ जी मानने लगते हैं, नेता जी मानने लगते हैं किन्तु सधुअई ठगी सी निहार रहीं होती है इनकी विरक्त वेष  भूषा !ऐसे लोग जब अपनी ओर देखते हैं तो याद आते हैं वो सब बेकार कार्य जिनमें जीवन भटका दिया! तब पता लगा कि उन कार्यों के लिए तो ईश्वर ने औरों को बनाया था जिनमें  आप उलझे गए आपने तो वैराग्य लेकर ईश्वर आराधना का बचन भगवान को दिया था जो केवल तुम्हें ही पूरा करना था किन्तु उसे तुम पूरा नहीं कर सके, आपके उन  बचनों  को कोई और पूरा नहीं कर सकता !अब उनके लिए एक और जन्म लेना पड़ेगा ! 

                                    ढोंगी, भोगी और योगी की पहचान कैसे हो !
   साधू  बनकर जो संपत्ति बढ़ाने के लिए अनेकों प्रपंचों में व्यस्त हों वो ढोंगी  इनसे बचो ! जो संपत्ति के द्वारा राजसी भोग भोग रहे हों तो  भोगी  इनसे बचो ! किन्तु  जो संपत्ति और भोगभावना दोनों से मुक्त होकर साधना का  पवित्र अभ्यास करते हुए दिव्यता की ओर बढ़ रहे हों वही योगी होते हैं ऐसे अवतारी पुरुषों की चरण रज कई पीढ़ियाँ पवित्र कर देती है उन्हें खोजो !

जहाँ बैठकर लोग त्याग वैराग्य साधना संयम आदि का  करते हुए तपस्या करें वो योग पीठ और जहाँ बैठकर बाबा केवल अपना व्यापार बढ़ाने  विषय में सोचें  दिनभर राजनीति   करें वो कहने की योग पीठ वस्तुतः तो भोग पीठ ही है

जो अपने योग बल के द्वारा अपनी एवं  औरों की भी सुरक्षा करे वो योगी जो अपने किए हुए भोगों से भयभीत होकर अपनी सुरक्षा के लिए औरों से गिड़गिड़ाए वो कैसा योगी ?

 मीडिया  -
       पाखंडी बाबाओं ,पाखंडी ज्योतिषियों और पाखंडी तांत्रिकों से मोटे मोटे पैसे लेकर उनके विषय में झूठ मूठ की कल्पित कहानियाँ गढ़कर पहले उनकी प्रशंसा किया करते हैं और जब ऐसे बाबा,ज्योतिषी,तांत्रिक आदि खूब प्रचारित हो जाते हैं तो मीडिया को घास डालना बंद कर देते हैं  ऐसे पाखंडियों के साथ मिलजुल कर धर्म के नाम पर जनता को लूटने का सपना भांग होते ही कुंठित मीडिया पागल हो उठता है और गला फाड़ फाड़कर चिल्लाते हुए धर्म कर्म ,ज्योतिष एवं तंत्र आदि जैसे गंभीर शास्त्रीय विषयों को बताने लगता है अंध विश्वास ! उस समय मीडिया को यह होश भी नहीं रहता है कि  भारत सरकार के द्वारा संचालित संस्कृत विश्व विद्यालयों में ज्योतिष एवं तंत्र आदि विषयों को पढ़ाने के लिए  डिपार्टमेंट हैं और जहाँ सब्जेक्ट के रूप में ये विषय पढ़ाए जाते हैं तो क्या भारत सरकार अंधविश्वास को पढ़वाती होगी ऐसी कल्पना ही नहीं  की जानी चाहिए !मीडिया यदि अपना लोभ रोक सके और कानून शक्ति से इसके विरुद्ध नियम बनावे और इसे रोकने के लिए अभियान चलावे   और इन विषयों से जुड़े विज्ञापन देने से पहले उनकी डिग्रियाँ चेक करे कि ज्योतिष और तंत्र आदि विषयों में काम करने के शौकीन एवं अपना प्रचार प्रसार करवाने के इच्छुक लोग डिग्री होल्डर हैं या झोला छाप हैं और यदि डिग्री होल्डर हैं तो उन्हें अंध विश्वास फैलाने वाला कैसे माना जा सकता है और जो अधिकारी नहीं हैं उन्हें जिसे जो मन आवे सो समझे उनके साथ कानून जैसे चाहे वैसे निपटे !किन्तु इतना   सच है कि यदि मीडिमीडिया चाहे तो ये पाप बंद किया जा सकता है !

     घर परिवार व्यवहार एवं सभी प्रकार के व्यापारों का परित्याग करके साधू संत बनने वाले लोग फिर प्रेमिकाएँ पालें, भोग सामग्रियाँ जुटावें,व्यापार या राजनीति करने लगें आखिर यदि यही करना था तो पहले घरद्वार छोड़कर निकलने की जरूरत क्या थी और यदि अपने वैराग्य लेने के व्रत को बीच में छोड़कर भाग खड़े हुए लोगों के द्वारा आज कही जा रही बातों पर भरोसा कैसे किया जाए !ऐसे लोग आज अपने खाने पीने के विषय में सफाई देते क्यों घूमते हैं कि वो दिनभर में केवल एक ग्लास दूध या एक फल या एक रोटी खाते हैं आखिर वो क्यों बताते घूमते हैं ये उनका व्रत है जो उनके और ईश्वर के बीच का बंधन है वो समाज में ये बातें समाज को बताते क्यों घूमते हैं ये लोग और कितने विश्वसनीय होते हैं ये ?




 

व्यापार और राजनीति करने हेतु धनसंग्रह के लिए बाबा बनने का रिवाज ठीक नहीं !

    धार्मिक वेष भूषा धारण करके समाज सेवा के नाम पर धन इकठ्ठा करके भोग विलास की सामग्रियों को जुटाने वाले बाबाओं पर विश्वास करना बंद किया जाए !,

   सुख सुविधाओं के आदी बिलासी बाबाओं के अविश्वसनीय वैराग्य पर भरोसा करने वाले स्त्री पुरुष धर्म को जिम्मेदार न ठहराएँ हमारे धार्मिक महापुरुष बिलासी नहीं हो सकते !

    हमारे धर्म के पूज्य साधू संत एक बार घर परिवार व्यापार आदि सारे  प्रपंचों का त्याग कर घर से निकल जाते हैं तो दुबारा उसमें नहीं फँसते हैं और जो फँसते  हैं उनमें वैराग्य ही नहीं है और जब वैराग्य नहीं तो साधू संत कैसे ?आखिर कोई संत अपने द्वारा की गई उलटी(वोमिटिंग) दोबारा कैसे  ग्रहण कर सकता है !

     

 जो बाबा अपने खाने पीने के संयम का ढिंढोरा पीटते हैं वे सबसे अधिक खतरनाक होते हैं जो कहते हैं हम एक ग्लास दूध पीकर रहते हैं एक फल कहते हैं कि हम केवल एक जूस

संदिग्ध के पीछे छिपी बिलासिता की भावना का बारीकी से अध्ययन किया जाए को पढ़ा जाए धर्म बाबाओं के द्वारा की जा रही ऐय्याशी बंद करने के उपाय सोचे सरकार !





                    अब ठहरे कलियुगी बाबा उन्हें शहरों कस्बों में डर लगता है !
     पहले  चरित्रवान  योगी और संत लोग होते थे वे योग और तपस्या के द्वारा अपने शरीर को बज्र बना लेते थे उनका जंगलों में भी  कोई बालबाँका नहीं कर पाता था भरद्वाज ,अगस्त ,अत्रि जैसे तपस्वी ऋषि जंगल में पड़े रहे थे रावण आदि राक्षस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सके थे !


पहले बड़े बड़े राजा लोग अपनी सुरक्षा का आशीर्वाद संतों से माँगने जाया करते थे किन्तु अब कलियुग का पाप प्रभाव ही है कि अपने को संत और योगी कहने वाले लोग अपने लिए सुरक्षा सरकारों से  माँगा करते हैं !

                          आश्रम या ऐय्यासाश्रम  

       जहाँ अत्याधुनिक सुख  सुविधाओं से रहित त्याग वैराग्य आदि तपोमय जीवन जीया  जाए वो तो आश्रम और जहाँ भोग विलास सभी वस्तुओं  जुटाने  भोगने की होड़ लगी हो उसे ऐय्यासाश्रम  कहते हैं 

Saturday, 15 November 2014

कानपुर के जनप्रतिनिधियों , सामाजिक कार्यकर्ताओं , अधिकारियों एवं कर्मचारियों से नैतिक निवेदन -

                    बात अब कानपुर की -

  कानपुर में कोई चलता हुआ अत्यंत उपयोगी रास्ता यदि कोई अपने सोर्स और घूस के बल पर बंद कर देना चाहे तो क्या ईमानदार नेताओं और अफसरों को ऐसा होने देना चाहिए ! इस विषय में हमारी ओर से सभी जिम्मेदार महानुभावों से नैतिक एवं विनम्र निवेदन !-

  
     बात  कानपुर के कल्याणपुर कला क्षेत्र की है यहाँ पनकी रोड से पुराने शिवली रोड के बीच या आसपास की काफी बड़ी बस्ती के दिन रात आवागमन के लिए एक ही सीधा  रास्ता है जो जवाहर लाल स्कूल के सामने पनकी रोड से प्रारंभ होकर गैस गोदाम के पास से होते हुए फूलेश्वर शिवमंदिर परिषर के बाउंडरी वाल के साथ साथ  निकलकर यही रोड पुराने शिवली रोड में मिलता है इसमें अधिसंख्य लोगों की आवाजाही दिनरात लगी रहती है अभी तक ये रास्ता पूरी तरह से निरवरोध चल रहा है ।
      पिछले वर्ष यह रोड  सीमेंटेड किया गया था जिसमें बीच का करीब करीब बीस फिट रास्ता किसलिए छोड़ दिया गया है निश्चित तौर पर कुछ कह पाना हमारे लिए कठिन है किन्तु यह पता है कि इतना रास्ता सीमेंटेड नहीं किया गया है ,बाद में पता लगा कि रोड की यह जगह निजी उपयोग के लिए छोड़वा ली गई है यहाँ सीमेंटेड रोड इसीलिए नहीं बनाया जाएगा और इस रास्ते को  यहीं से बंद कर दिया जाएगा  !
     महोदय ! इस आम रास्ते का निजी तौर पर उपयोग करने के लिए छोड़वाना या छोड़ा जाना कितना न्यायोचित है क्या ऐसा किया जाना चाहिए या होने देना चाहिए !वह भी तब जबकि यह जगह विशुद्ध रूप से सरकारी और सार्वजनिक है । इससे जिसका रास्ता रुकेगा उस आम जनता का इसमें दोष आखिर क्या है !उस आवागमन को बाधित करने का समाजहित में उद्देश्य क्या है ?
     अतएव आप से हमारा विनम्र निवेदन है कि जनहित को ध्यान में रखते हुए इस रास्ते को अतिक्रमण मुक्त एवं अनवरत चालू रखने के लिए इस  छोड़े गए रास्ते को भी अविलम्ब सीमेंटेड करवा दिया जाना चाहिए इस काम में विलंब करने का अर्थ अप्रत्यक्ष रूप से अतिक्रमण को प्रोत्साहित करना ही होगा जो आज रास्ता बाधित करने के रूप में समाज के लिए कष्टकारी होगा और आगे चलकर कुछ और लोग भी ऐसे लोगों से  प्रेरित होकर यदि ऐसा करेंगे तो उन्हें कैसे और क्यों रोका जाएगा इसलिए ऐसे संभावित अतिक्रमणों को रोकने के लिए यहाँ यथा संभव शीघ्रातिशीघ्र सीमेंटेड रोड बना दिया जाना चाहिए !                                                    

                                   सम्बंधित जगह का मैप 


    
  

  इस मैप में  संबंधित जगह का संकेत काले रंग से किया गया है!