संसद में केवल एक व्यक्ति की बात सुनी जा रही है- राहुल गांधी
किन्तु राहुल जी ! वो एक व्यक्ति अपनी बात बोलता है इसलिए उसकी सुनी जा रही है और उसकी सरकार है इसलिए उसकी सुनी जा रही है आपको बुरा क्यों लग रहा है जो बोलेगा उसी की तो सुनी जाएगी आप तो किसी और के द्वारा लिखा लिखाया पढ़ते हो कहाँ तक सुने जाएँ वही पुराने धुराने आरोप वही घिसे पिटे भाषण ! एक बार केवल कलावती की कथा सुनाई थी आपने जिसमें कोई विशेष बात नहीं थी, सुना है संसद का समय बहुमूल्य होता है जनता का धन खर्च होता है इस पर तो वहाँ जनता के कामों के लिए ही चर्चा हो तो वही अच्छा होगा कलावती की कथा सुनाने के लिए तो नहीं ही होगा वो तो कहीं भी सुनाई जा सकती है ।
संसद में केवल एक व्यक्ति की बात सुनी जा रही है- राहुल गांधी
वैसे भी राहुल जी ! जो सरकार आपके द्वारा कलावती की कथा सुनती रही उसका तो मोक्ष हो गया ! ये सरकार अभी नई बनी है ये अपना मोक्ष क्यों चाहेगी !इसलिए आपकी कथा नहीं सुन रही है !
संसद में केवल एक व्यक्ति की बात सुनी जा रही है-राहुल गांधी
राहुल जी ! जनता बातें करने वाले को नहीं अपितु काम करने वाले को पसंद करती है और उसी की सुनती है ! आपको जनता ने काम करने को दस वर्ष समय दिया तब आप काम करने की जगह कलावती की कहानियाँ सुनाते रहे और आपकी सरकार बेकार निकल गई अब आपकी बात आखिर क्यों सुनी जाए नया क्या बताओगे अगर कुछ करना आपके बश का ही होता तो तब करके दिखा देते जब आपकी सरकार थी अन्यथा आज बताने की क्या जरूरत !
संसद में केवल एक व्यक्ति की बात सुनी जा रही है-राहुल गांधी
किन्तु राहुल जी !लोकतंत्र में तो जनता ही सर्वोपरि होती है जिसकी जनता सुनती है उसी की सब सुनते हैं लेकिन अबकी चुनावों में आपकी बात जनता ने ही नहीं सुनी तो कोई क्यों सुने !जब तक जनता ने आपकी सुनी तो लोग भी आपकी कथा कहानियां सुन सुन कर मेजें थपथपाते रहे किन्तु आज वही आपकी आलोचना कर रहे हैं क्योंकि आज जनता जनार्दन ने आपसे मुख फेर लिया है !
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