आस्था के नाम पर साईं को सनातन धर्म मंदिरों में कैसे घुसाया जा सकता है ?
मंदिर सनातन धर्म के हैं साईं का सनातन धर्म से कोई सबंध नहीं है तो फिर अपनी आस्था के नाम पर सनातन धर्म के मंदिरों में साईं को भगवान बनाकर कैसे घुसा दिया गया ! ऐसे किसी को प्रधान मंत्री बताकर प्रधानमंत्री निवास में और किसी को राष्ट्रपति बताकर राष्ट्रपति निवास में अपनी आस्था का हवाला देकर घुसाया जा सकता है क्या ?
अपनी आस्था अपने घर तक आप को जो ठीक लगे वो करो किन्तु मंदिरों नहीं क्योंकि वहाँ की परम्पराएँ सनातन धर्म के शास्त्रों के अनुशार चलती हैं उन्हें वैसा चलने देना चाहिए !
मंदिरों में मूर्तियाँ घुसा देने से साईं भगवान नहीं हो सकते !
यदि आपको अपने घर के किसी सदस्य को राष्ट्रपति कहना है तो कहिए किन्तु आप आस्था का हवाला देकर चाहोगे कि उसे भी राष्ट्रपति भवन में रख दिया जाए तो क्या ये संभव है और यदि चोरी से या जबर्दश्ती घुस कर राष्ट्रपति भवन की कोई थोड़ी जगह में कब्ज़ा कर भी ले और अपने कमरे के दरवाजे पर अपना नाम लिख दे और उसके साथ राष्ट्रपति लिख दे तो क्या उसे राष्ट्रपति मान लिया जाएगा ?
बंधुओं ! ऐसे किसी असंवैधानिक व्यक्ति को भारतीय कानून राष्ट्रपति तो नहीं ही मानेगा अपितु अपराधी मानकर उस पर कानूनी कार्यवाही करके उसे राष्ट्रपति भवन से बाहर निकालेगा !वही जिस प्रकार से जगद्गुरु शंकराचार्य जी सनातन धर्म के मंदिरों में जबर्दश्ती घुसाए गए साईं को बहार खदेड़ रहे हैं !
हमें याद रखना होगा कि केवल राष्ट्रपति भवन में रहने से कोई राष्ट्रपति नहीं बन जाता अपितु भारत के संविधान में वर्णित नियमानुशार कोई राष्ट्रपति बनता है और जब भारतीय संविधान किसी के राष्ट्रपतित्व को स्वीकार कर लेता है तो वो राष्ट्रपति भवन में रहने भी लगता है !
उस तो क्या उसे बाहर नहीं निकाला जाएगा घर में रख भी आए देंगे साईं की मूर्तियों की तरह
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