सवर्णों ने किसी का शोषण कभी किया ही नहीं है किन्तु अपना शोषण सहा भी नहीं है और दलितों ने सहा है आज भी सहते जा रहे हैं फिर भी दोष सवर्णों को देते हैं आखिर आरक्षण की इच्छा ही क्यों अपनी भुजाओं के भरोसे स्वाभिमान पूर्वक क्यों नहीं जीना सीखते !
सवर्णों ने कभी किसी जाति का शोषण नहीं किया है हाँ अपना शोषण किसी को करने भी नहीं दिया है !सवर्ण लोग अपनी जाति वाले अपराधियों को भी क्षमा नहीं करते रावण को मारने
की माँग ब्राह्मणों ने ही उठाई थी इसी प्रकार से क्षत्रिय लोगों ने युद्ध
हमेंशा क्षत्रिय राजाओं के विरुद्ध लड़े हैं !
समाज के कुछ कामचोर,अकर्मण्य मक्कार लोग बिना किसी योग्यता के बिना कुछ किए धरे बहुत सारा धन इकठ्ठा करके सुख सुविधा पूर्ण का जीवन जीना चाहते हैं ऐसे सफेदपोश लोग जातिवाद क्षेत्रवाद संप्रदायवाद आदि के बलपर समाज को बरगलाकर अपना घर भरते हैं जबकि ऐसे लोग किसी जाति क्षेत्र या संप्रदाय से कोई ख़ास सम्बन्ध नहीं रखते इन्हें केवल अपना शरीर और अपने परिवार आदि का ही घर भरने के लिए जातिवाद क्षेत्रवाद संप्रदायवाद आदि का मुखौटा ओढ़ना पड़ता है और ये शोषण की प्रवृत्ति अनादि काल से चली आ रही है ये कुछ लालच देकर समाज के किसी एक वर्ग को अपना निशाना बनाते हैं उसे पहले अपने चंगुल में फँसाते हैं और फिर बेइज्जती तो उनकी कराते हैं और घर अपना भरते हैं ये लोग सवर्ण होने के बाद भी सवर्णों का और दलित होने के बाद भी दलितों का शोषण करने में हिचकते नहीं हैं । सवर्णों में भी गरीब लोग हैं उन्होंने गरीबत सह ली है किन्तु इन सामाजिक दलालों के हाथ अपना सम्मान स्वाभिमान बेचा नहीं है । जो लोग इनके दिए लालच में फँस गए वे आजतक आरक्षण के भिखारी बने हुए हैं वो दलाल आरक्षणार्थियों को बहुत कुछ दिला चुके हैं बहुत कुछ दिला रहे हैं और बहुत कुछ आगे दिलाने का आश्वासन दे रहे हैं फिर भी लेने वाले गरीब ही बने हैं और दलालों की मौज हो रही है अब उन दलालों की निगाहें जाति,क्षेत्र, संप्रदायवाद आदि के नाम पर सवर्णों की भी शान्ति भंग करने पर लगी हुई हैं जिससे सवर्णों या सम्पूर्ण समाज को सतर्क रहने की आवश्यकता है । मुझे ऐसे लोगों की सलाहें आजकल खूब आ रही हैं ।
बंधुओ ! ब्राह्मणवाद से ब्राह्मणों को कुछ नहीं मिलेगा आखिर संख्या कितनी है ब्राह्मणों की ! इस लोकतंत्र में सिर गिने जाते हैं इसलिए सारी समाज को साथ लिए बिना न ब्राह्मणों का भला हो सकता है और न ही समाज का ! ब्राह्मणवाद या सवर्णवाद पनपाने से राजनीति में ब्राह्मण और सवर्ण वाद के नाम पर दलितों की तरह ही ब्राह्मणों और सवर्णों में भी कुछ नए चौधरी तैयार होकर राजनीति में कुछ पद प्रतिष्ठा पा जाएँगे इसके अलावा और क्या होगा जो पार्टी या सरकार उनका और उनके सगे सम्बन्धियों का हित साधन नहीं करेगी तब सवर्णों में स्वाभिमान की हवा भरकर सवर्ण भीड़ें इकट्ठा करके सरकारों पर दबाव बनाया जाएगा और जैसे ही पार्टी और सरकारें दबाव में आ जाएँगी तो अपना निजी हित साधन होगा ! भिखारी बनाकर खड़े तो सारे सवर्ण किए जाएँगे किन्तु फायदा केवल सवर्णों के स्वयंभू चौधरी उठाएँगे !
दलितों के मसीहा लोगों ने सवर्णों को बदनाम कर करके केवल अपने घर भरे हैं दलितों को कुछ नहीं दिया है दलित जहाँ थे वहीँ हैं उन दलितों के चौधरियों की अकूत सम्पदा की आज जाँच होनी चाहिए कि वह आई कहाँ से ?जाँच का दायरा इस प्रकार का बने कि जिस दिन वो राजनीति में आए थे तब उनके पास कितनी संपत्ति थी और आज कितनी है जो संपत्ति बढ़ी है वह आई कहाँ से ! उचित तो ये है कि ऐसी जाँच सभी नेताओं की होनी चाहिए किन्तु दलित नेताओं की इसलिए जरूर होनी चाहिए क्योंकि उनकी गरीबत के लिए सवर्णों को कोसा जाता रहा है आखिर यह सच जनता के सामने आना तो चाहिए कि दलितों के नाम पर दी जा रही आरक्षण आदि सुविधाएँ आखिर जा कहाँ रही हैं !
दलितों से आरक्षण की भीख मँगवा मँगवा कर दलित नेताओं ने उन्हें तो सरकारी भिखारी सिद्ध करवा दिया और लाभ स्वयं लेते रहे दलित नेताओं को आप स्वयं देखिए आज खुद तो अनाप शनाप प्रॉपर्टियाँ बना रहे हैं बड़े बड़े उद्योग लगा रहे हैं और जहाजों पर चढ़े घूम रहे हैं किन्तु उन दलित बेचारों को क्या मिला जिनका मिस यूज हुआ !
मैं कभी नहीं चाहूँगा कि ब्राह्मणवाद या सवर्णवाद फैलाकर सवर्णों को इसप्रकार का बेचारा बनाकर कभी सरकार के सामने भीख का कटोरा पकड़ा कर खड़ा किया जाए !और जो लोग इस प्रकार के विचारों से हमें जोड़ने के लिए संपर्क भी कर रहे हैं मैं उनसे क्षमा माँगता हूँ क्योंकि मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि इतनी संकीर्ण सोच का हमें मित्र तो नहीं ही मिले किन्तु शत्रु भी न मिले जो जाति क्षेत्र और धर्म के नाम पर आरक्षण की भीख माँगकर समाज पर बोझ बन कर जिए और अपने पिछड़ेपन का दोष किसी और पर मढ़ता रहे आखिर जब उनके पूर्वजों का या उनका शोषण हुआ था तभी उन लोगों ने इसका विरोध करके अपने को बचाया क्यों नहीं था आज सवर्णों के पास कुछ हो या न हो सुखी हों या दुखी हों किन्तु आज भी कोई सरकार उनका मिसयूज कोई लालच देकर नहीं कर सकती! सरकारों और राजनैतिक दलों को भी पता है कि बेवकूफ किसे बनाया जा सकता है किसे नहीं ,जिसे बनाया जा सकता है वे उसे ही बनाते हैं सबको नहीं बना सकते !यही कारण है कि सरकारें और राजनैतिक दल एवं राजनेता सवर्णों को मान प्रतिष्ठा पूर्वक सम्मान स्वाभिमान की बातें बताकर पटाते हैं और असवर्णों (दलितों ) को रोटी अर्थात आरक्षण आदि सुविधाएँ दिखाकर पटाते हैं ! क्योंकि असवर्ण जाति क्षेत्र के नाम पर फिर उनसे जुड़ जाएगा किन्तु सवर्ण लोग अपनी जाति वाले अपराधियों को भी क्षमा नहीं करते रावण को मारने की माँग ब्राह्मणों ने ही की थी इसी प्रकार से क्षत्रिय लोगों ने युद्ध हमेंशा क्षत्रिय राजाओं के विरुद्ध ही लड़े हैं ये सवर्णों की जीवित मानसिकता का परिचय है इसी कारण सवर्णों को बेवकूप नहीं बनाया जा सकता क्योंकि उन्हें पता है कि सवर्ण लोग सवर्णों के अपराध को भी सह नहीं पाएँगे !
आखिर ये व्यवहार दलित लोग दलित नेताओं के साथ क्यों नहीं करते हैं उनसे क्यों नहीं पूछते हैं बिना कुछ किए धरे उनकी अकूत संपत्ति बढ़ने का राज !आखिर जब वो राजनीति में आए थे तब उनके पास इतनी या इससे आधी चौथाई संपत्ति भी थी क्या ?
इन सब उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए मैं कभी नहीं चाहूँगा कि कोई भी सवर्ण अपने सम्मान स्वाभिमान की लगाम किसी अन्य सवर्ण को दे जो उसका मिसयूज करता रहे ।
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