देश में सुरक्षा व्यवस्था ठीक हो तो नेताओं को अलग से सिक्योरिटी क्यों लेनी पड़े ?इसका मतलब ही यही है कि जनता मरे तो मरे नेताओं को कुछ न हो !
नेताओं की इतनी गंदी सोच होती है जनता के प्रति !जिस सिक्योरिटी से कई गाँवों जिलों आदि की सुरक्षा की जा सकती है उतने लोग एक एक नेता को और उसके घर वालों को रखने में लगा दिए जाए हैं जिनकी सैलरी जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से दी जाती है किंतु जनता के लिए सिक्योरिटी की जरूरत क्यों नहीं समझते हैं नेता लोग !
नेता चाहें तो अपराध घट भी सकते हैं किन्तु वे ऐसा चाहेंगे क्यों ?अपने पैरों में कुल्हाड़ी कोई क्यों मारेगा !
नेताओं की इतनी गंदी सोच होती है जनता के प्रति !जिस सिक्योरिटी से कई गाँवों जिलों आदि की सुरक्षा की जा सकती है उतने लोग एक एक नेता को और उसके घर वालों को रखने में लगा दिए जाए हैं जिनकी सैलरी जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से दी जाती है किंतु जनता के लिए सिक्योरिटी की जरूरत क्यों नहीं समझते हैं नेता लोग !
नेता चाहें तो अपराध घट भी सकते हैं किन्तु वे ऐसा चाहेंगे क्यों ?अपने पैरों में कुल्हाड़ी कोई क्यों मारेगा !
नेताओं और उनके परिवारों को मिलती है सिक्योरिटी वे सुरक्षित हैं जनता की सुरक्षा की चिंता किसे है ?
सिक्योरिटी वालों को सैलरी सारा देश दे और सुरक्षा केवल नेताओं और उनके परिवारों की ! Y+,Z+और भी न जाने क्या क्या लिए घूम रहे हैं जनता के खर्चे पर !निर्लज्जता की भी हद है !जनता मरे तो मरे .....! यही लोकतंत्र है क्या ?यदि हाँ तो कब तक चल पाएगी ये राजनैतिक आराजकता !
सिक्योरिटी वालों को सैलरी सारा देश दे और सुरक्षा केवल नेताओं और उनके परिवारों की ! Y+,Z+और भी न जाने क्या क्या लिए घूम रहे हैं जनता के खर्चे पर !निर्लज्जता की भी हद है !जनता मरे तो मरे .....! यही लोकतंत्र है क्या ?यदि हाँ तो कब तक चल पाएगी ये राजनैतिक आराजकता !
नेता लोग आम जनता की तरह रहना शुरू कर दें तो हत्या बलात्कार जैसे सभी प्रकार के अपराध समाप्त हो सकते हैं !फिर तो उन्हें अपनी और अपने परिवारों की भी चिंता होगी इसलिए उन्हें अधिकारियों से हफ़्ता महीना आदि माँगना बंद करना होगा !अधिकारियों पर भी फंड इकठ्ठा करने का जब दबाव नहीं रहेगा तो उन्हें भी अपराधियों से घूस का लालच नहीं रहेगा वे निर्भीक होकर उनके विरुद्ध कार्यवाही करेंगे !ऐसे तो भले आदमी घूस नहीं देते अतिरिक्त फंड मिलता ही अपराधियों से है !इसलिए अधिकारी कर्मचारी उन पर कार्यवाही कैसे करें !नेताओं और राजनैतिक दलों को मिलने वालेफंड का अधिकांश भाग अपराध अर्जित होता है इसीलिए उसके स्रोत बताए नहीं जाते !
नेताओं की बातें सादगी की आचरण राजों रजवाड़ों जैसे ! सुरक्षा हर नेता को
चाहिए किंतु सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा कौन करेगा ! वे अपने अपने घरों से
इफरात हैं क्या ?आजादी में उनके भी पूर्वजों का योगदान है !
नेता भी एक एकदिन के लिए निकलें बिना सिक्योरिटी के आम बाजारों में घूमें आम लोगों की तरह वे भी करें बाजार और घर के काम काज करते हुए अपनी तस्वीरें सोशल साईट पर शेयर करें !तब पता लगेगा कि कौन कितना VIP कल्चर के खिलाफ है !और तब उन्हें समझ में आएँगी जनता की परेशानियाँ !नेताओं ने यदि किसी का बुरा नहीं किया है तो वो मरने को इतना डरते क्यों हैं अपने नश्वर शरीर की सुरक्षा के लिए क्यों करोड़ों रूपए महीने फुँकवा डालते हैं देश के !जब तक आयु है तब तक कोई मार नहीं सकता इस बात पर भरोसा क्यों नहीं करते !किसान मजदूर गरीब ग्रामीण इसी भरोसे के सहारे जंगलों में जीवन काट देते हैं !नेता इससे डरते क्यों हैं !जब तक नेता लोग अपनी कुर्बानियां देने को नहीं तैयार होंगे जब तक अधिकारी आफिसों से बाहर निकलकर आम जनता के जीवन को सरल बनाने में मदद नहीं करेंगे तब तक डरपोक नेता केवल भाषणों में ही वीरता दिखाते रहेंगे कुर्बानी के नाम पर अपनी जगह मौत के मुख में सुरक्षा कर्मियों को ही झोंकते रहेंगे !ये सुरक्षाकर्मी भी तो अन्य VIP यों की तरह ही VIP हैं सुरक्षाकर्मियों के अपने जीवन से खिलवाड़ क्यों ?अपने बीबी बच्चों के लिए तो वो भी किसी VIP से कम नहीं होते हैं फिर रेवड़ियों की तरह क्यों बाँटी जा रही है सुरक्षा ! उनकी अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों को भी जान का खतरा होता है उसे सुरक्षा क्यों नहीं ?
आखिर VIP यों का जीवन इतना बहुमूल्य क्यों है उन्होंने देश और समाज के लिए ऐसा क्या योगदान किया है जिसके लिए देश उन्हें खतरों से बचाने के लिए अपने बहुमूल्य जवानों की जान जोखिम में डाल दे !देश ऐसे लोगों की सुरक्षा पर अपने खून पसीने की कमाई क्यों खर्च करे जिन्होंने देश को देने के नाम पर केवल मल मूत्र को छोड़कर कुछ दिया ही न हो !इसलिए किसी को सिक्योरिटी देते समय इस बात का मूल्यांकन जरूर किया जाना चाहिए कि किसी को कहीं झाम बनाने के लिए तो नहीं कुछ जीवंत लोगों के स्वाभिमान को दाँव पर लगाया जा रहा है या उन पर आर्थिक अत्याचार किया जा रहा है !इसे रोका जाना चाहिए सुरक्षा का वातावरण बनाना ही है तो सबकी चिंता करे सरकार !सुरक्षा जैसे गंभीर प्रश्न पर भी भेदभाव !किसकी सुरक्षा करनी है और किसकी नहीं ये भावना ही क्यों ?
नेता भी एक एकदिन के लिए निकलें बिना सिक्योरिटी के आम बाजारों में घूमें आम लोगों की तरह वे भी करें बाजार और घर के काम काज करते हुए अपनी तस्वीरें सोशल साईट पर शेयर करें !तब पता लगेगा कि कौन कितना VIP कल्चर के खिलाफ है !और तब उन्हें समझ में आएँगी जनता की परेशानियाँ !नेताओं ने यदि किसी का बुरा नहीं किया है तो वो मरने को इतना डरते क्यों हैं अपने नश्वर शरीर की सुरक्षा के लिए क्यों करोड़ों रूपए महीने फुँकवा डालते हैं देश के !जब तक आयु है तब तक कोई मार नहीं सकता इस बात पर भरोसा क्यों नहीं करते !किसान मजदूर गरीब ग्रामीण इसी भरोसे के सहारे जंगलों में जीवन काट देते हैं !नेता इससे डरते क्यों हैं !जब तक नेता लोग अपनी कुर्बानियां देने को नहीं तैयार होंगे जब तक अधिकारी आफिसों से बाहर निकलकर आम जनता के जीवन को सरल बनाने में मदद नहीं करेंगे तब तक डरपोक नेता केवल भाषणों में ही वीरता दिखाते रहेंगे कुर्बानी के नाम पर अपनी जगह मौत के मुख में सुरक्षा कर्मियों को ही झोंकते रहेंगे !ये सुरक्षाकर्मी भी तो अन्य VIP यों की तरह ही VIP हैं सुरक्षाकर्मियों के अपने जीवन से खिलवाड़ क्यों ?अपने बीबी बच्चों के लिए तो वो भी किसी VIP से कम नहीं होते हैं फिर रेवड़ियों की तरह क्यों बाँटी जा रही है सुरक्षा ! उनकी अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों को भी जान का खतरा होता है उसे सुरक्षा क्यों नहीं ?
आखिर VIP यों का जीवन इतना बहुमूल्य क्यों है उन्होंने देश और समाज के लिए ऐसा क्या योगदान किया है जिसके लिए देश उन्हें खतरों से बचाने के लिए अपने बहुमूल्य जवानों की जान जोखिम में डाल दे !देश ऐसे लोगों की सुरक्षा पर अपने खून पसीने की कमाई क्यों खर्च करे जिन्होंने देश को देने के नाम पर केवल मल मूत्र को छोड़कर कुछ दिया ही न हो !इसलिए किसी को सिक्योरिटी देते समय इस बात का मूल्यांकन जरूर किया जाना चाहिए कि किसी को कहीं झाम बनाने के लिए तो नहीं कुछ जीवंत लोगों के स्वाभिमान को दाँव पर लगाया जा रहा है या उन पर आर्थिक अत्याचार किया जा रहा है !इसे रोका जाना चाहिए सुरक्षा का वातावरण बनाना ही है तो सबकी चिंता करे सरकार !सुरक्षा जैसे गंभीर प्रश्न पर भी भेदभाव !किसकी सुरक्षा करनी है और किसकी नहीं ये भावना ही क्यों ?
VIP नेताओं की सुरक्षा में बंदूखें ताने खड़े लोग VIP यों की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा देंगे क्या ?
VIP लोगों की सुरक्षा ही क्यों ?जनता मरने को तैयार है तो नेता क्यों डरते
हैं मरने से !सुरक्षा में भी भेदभाव ! आश्चर्य !!डरपोक और ईश्वर पर भरोसा न
करने वाले नेता लोगों को सुरक्षा क्यों दी जाए !
जो लोग जनता को फूटी आँखों नहीं सोहाते उन्हें VIP क्यों और कैसे मान लिया
जाए !किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से ज्यादा परिश्रम देश के लिए
उन्होंने किया है क्या ?उन्होंने आखिर मलमूत्र छोड़कर देश को और ऐसा क्या दे
दिया है जिसे कि उन्हें VIP मान लिया जाए और उन्हें ज़िंदा रखने के लिए कुछ
अच्छे लोगों को उनकी सिक्योरिटी में लगाकर उन्हें नेता जी की मौत के बदले
मरने पर क्यों मजबूर कर दिया जाए !
वैसे तो अपने
अपने बीबी बच्चों के लिए हर कोई VIP ही होता है !अपनों के लिए हर किसी का जिंदा
रहना उतना ही जरूरी होता है जितना किसी VIP का |,इसलिए सुरक्षा तो सबकी सुनिश्चित की जानी चाहिए !सबकी
सुरक्षा के प्रयास किए जाएँ उसी में VIPलोग भी सुरक्षित अपने आप ही हो
जाएँगे !बड़े बड़े नेता लोग खुद तो सुरक्षा ले लेते हैं और बाक़ी सारे देश
वासियों को छोड़ देते हैं मरने के लिए !यही शासन है यही सरकार है इसीलिए
टैक्स लेते हैं बेचारे !
कुछ लोगों को सैलरी का लालच देकर नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी
जाती है क्यों ?क्या उनके पेट स्टील के लगे हुए हैं क्या ? आखिर मारे
जाने का खतरा जितना नेता जी को है उतना ही तो सुरक्षा में लगे लोगों को भी
है किंतु उन्हें अपने बच्चे पालने के लिए अपनी जान पर खेलना उनकी मजबूरी है
जबकि VIP लोगों के खाना पाखाना का सारा बोझ जनता उठाती है इसलिए न उन्हें
कमाने की चिंता और न कहीं जाने की चिंता !ऊपर से उनकी सुरक्षा की
जिम्मेदारी भी जनता के कन्धों पर आखिर क्यों ?
पढ़ने में लापरवाही करने वाले लोग जैसे परीक्षा देने से डरते हैं ऐसे ही
पाप और कपट पूर्ण जीवन जीने वाले लोग मौत से डरते हैं किंतु याद रखिए
सैकड़ों गायों के झुंड में घुस कर भी जैसे गाय का छोटा सा बछड़ा अपनी माँ को
खोज लेता है उसे भ्रमित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार से मौत जिस दिन आएगी
उस दिन कोई सिक्योरिटी वाला क्या कर लेगा दो चार दस लोग नेता जी के साथ
शहीद हो जाएँगे यही न !किंतु वे सुरक्षाकर्मी नेता जी की आई हुई मौत को
बंदूखें दिखाकर लौटा नहीं सकते !फिर काहे के VIP!मृत्यु तो कहीं से भी खोज
लेगी !मृत्यु जब जहाँ निश्चित हैं वहाँ होगी ही इसलिए नैतिक और ईश्वर पर
भरोसा रखने वाले VIPयों को चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा में लगे लोगों से कहें
कि मुझे तो हमारे कर्मों और आयु के सहारे जीने दो तुम देश और समाज की सेवा
करो !तुम उस जनता की सेवा करो जिसकी खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स
से तुम्हें सैलरी दी जाती है !तुम उसके सहारा बनो यही तुम्हारा नैतिक
कर्तव्य है |
सुरक्षा हो तो सबकी हो अन्यथा किसी की न हो !रही बात VIP की तो VIPकेवल
नेता ही क्यों होते हैं किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों में आजतक कोई
VIP हुआ ही नहीं क्या ?गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है क्यों ?जान से
मारने की धमकियाँ तो उन्हें भी दी जाती हैं बहुत लोग मार भी दिए जाते हैं
किन्तु उन्हें तो सिक्योरिटी नहीं दी जाती है उनकी जान की कीमत कम क्यों
आँकी जाती है ?और ये लोग किसी के जीवन की कीमत आँकने वाले होते कौन हैं या
फिर इनका मानना होता है कि जनता को तो कोई खतरा है नहीं इसलिए उसे सुरक्षा
क्यों
तो फिर इन्होंने अपने लिए खतरा तैयार किया ही क्यों ?ईमानदार और चरित्रबली
नेताओं को मरने से नहीं लगता है डर !वो चरित्र बलपर ही तो मृत्यु को
हमेंशा ललकारा करते हैं !
सरकारी काम काज में बढ़े भयंकर भ्रष्टाचार ने VIP नेताओं के शत्रु तैयार कर दिए हैं !देश में अयोग्य लोगों को योग्य बता दिया और योग्य को अयोग्य !सरकार के हर विभाग में व्याप्त है भ्रष्टाचार ! जिसकी कीमत चुकानी पड़ रही है जनता को !उदाहरण के लिए हमने
चार विषय से MA उसके बाद Ph.D.की किंतु हमने घूस नहीं दी तो नौकरी देने
वाले सरकारी ठेकेदारों ने हमें नौकरी नहीं दी !और उन्होंने जिन्हें नौकरी
दी है वो जिस विषय में जितने योग्य हैं उनसे खुली बहस करवाकर या उन्हें उन
परीक्षाओं में बैठा दिया जाए जिनकी योग्यता के बलपर उन्हें नौकरियाँ दी गई
हैं जितने प्रतिशत अधिकारी कर्मचारी पास हो जाएँ उतने प्रतिशत को दी जाने
वाली सैलरी सार्थक मानी जाए बाकी को दिया जा रहा है अनुदान !शिक्षक लोग
कक्षाओं में गाइड लेकर पढ़ा रहे हैं मोबाईल में देखकर शब्दों की मीनिंग बता
रहे हैं सरकार फिर भी उन पर मेहरबान है न जाने क्यों ?ये सब इन्हीं
VIPयों की कृपा से ही तो संभव हो पाया है !फिर भी वे VIP!
सारा देश नेताओं की दी हुई दुर्दशा ही तो भोग रहा है !नेता जब चुनाव लड़ते
हैं तब जिनकी जेब में किराए के पैसे तक नहीं होते चुनाव जीतते ही वो करोड़ो
अरबपति हो जाते हैं निगम पार्षद जैसा चुनाव जीतकर दिल्ली जैसी जगहों पर दो
चार मकान तो बना ही लेते हैं समझदार नेता लोग !विधायक सांसद मंत्री
मुख्यमंत्री जैसे लोगों की कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है !दो दो
चार चार गाड़ियाँ कोठियाँ जहाजों की यात्राएँ इसके बाद भी करोड़ों अरबों की
संपत्तियाँ आखिर हुईं कैसे ?व्यापार करते किसी ने देखा नहीं नौकरी किसी की
की नहीं !अपनी पैतृक संपत्तियाँ थीं नहीं !खर्चों में कंजूसी करते देखे
नहीं गए ये लोकतंत्र को लूट कर बनाई हुई संपत्तियाँ नहीं हैं तो इन नेताओं
की अनाप शनाप बढ़ी सम्पत्तियों के स्रोत आखिर हैं क्या ?इस देश को कभी कोई
ऐसा ईमानदार नेता मिलने की उमींद की जाए क्या कि जो इन नेताओं की
संपत्तियों के स्रोत सार्वजनिक करने का साहस कर सके !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की जब नौकरियाँ लगी थीं तब उनकी
सम्पत्तियाँ कितनी थीं और आज कितनी हैं बीच में बढ़ी संपत्तियों के स्रोत
सार्वजानिक किए जाएँ !
बाबा लोग जब बाबा बने तब से आजतक उन्होंने ऐसे कौन से प्रयास किए जिससे
संपत्तियाँ एकत्रित हुईं और यदि संपत्तियाँ ही इकट्ठी करनी थीं व्यापार ही
करने थे तो बाबा बने क्यों ?इन शंकाओं के समाधान यदि ईमानदारी से खोजे जाएँ
तो संभव है कि कई बड़े अपराधों और अपराधियों के संपर्क सूत्र यहाँ से जुड़े
मिलें जिनके द्वारा आश्रमों में लगाए जाते हैं सम्पत्तियों के अंबार और
बाबा लोग उन्हें अपने यहाँ शरण देकर अपने राजनैतिक संपर्कों के बल पर बचाते
रहते हैं !
परिश्रम के मामले में किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से कोई नेता अफसर
या बाबा बराबरी नहीं कर सकता फिर भी दिन रात परिश्रम करने वाले वे बेचारे
गरीब और कभी कुछ न करते देखे जाने वाले नेता बाबा और सरकारी अधिकारी
कर्मचारी लोग रईस !आखिर ये चमत्कार होता कैसे है भ्रष्टाचार नहीं है तो
!सरकार का हर विभाग जनता को रुला रहा है फिर भी बेतन आयोग उनकी सैलारियाँ
बढ़ावा रहा है आखिर क्यों ?सरकारी स्कूलों अस्पतालों को जिन्होंने बर्बाद
किया सैलरियाँ उनकी भी बढ़ा दी जाती हैं !अरे काम नहीं तो पैसे क्यों ?अपने
पिता जी की कमाई का पैसा खर्च हो रहा होता तो भी ऐसे लुटाने की हिम्मत की
जा सकती थी क्या ?
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