हत्या बलात्कार जैसे अपराध न रुकने का कारण क्या है ?अपराध रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों की अक्ल में कमी या अकर्मण्यता या फिर अपराधियों के साथ उनकी साँठगाँठ ?या फिर नेताओं का अपराधियों को संरक्षण ?
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए चाहिए भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियोंसे न डरने वाली ईमानदार सरकार !
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए चाहिए भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियोंसे न डरने वाली ईमानदार सरकार !
डरपोक सरकार में हिम्मत कहाँ होती है कि वो भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर शिकंजा कसे और भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी अपराधियों पर अंकुश किस मुख से लगा सकते हैं जिनसे हर सप्ताह भीख माँगने जाते रहते हों कर्मचारी !जिनसे भीख मिलना बंद हो जाता है उन्हें पकड़ कर करने लग जाते हैं प्रेस कांफ्रेंस !फिर ये समझ कर सो जाते हैं जैसे एक अपराधी को पकड़ने के बाद देश में रामराज्य आ गया हो !
भिखारी की औकात इतनी कहाँ होती है कि वो मालिक को आँख दिखा जाए !अपराधियों के हौसले इसीलिए तो बुलंद हैं क्योंकि सरकार जिन अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी देती है काम करने की वो सैलरी तो लेकर रख लेते हैं और घूस देने वालों का काम करते हैं!नोट बंदी में अधिकारियों कर्मचारियों ने ड्यूटी कितनी भी लम्बी की हो किन्तु जनता मरती रही रोडों पर और काले धन वालों के बोरे उनके गोदामों में जाकर बदलती रही सरकारी मशीनरी !पैसों के बिना जनता राशन के लिए त्रस्त थी वहाँ उनके बोरे बदल चुके थे !फिर भी सरकार ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर अंकुश नहीं लगा सकी ! सरकार उन्हें पकड़ने की उन पर कार्यवाही करने की आज तक तो हिम्मत जुटा नहीं पाई आगे का भगवान् मालिक !
अधिकारी कर्मचारी घूस लेते समय कहते हैं कि ये पैसा ऊपर तक जाता है किंतु ऊपर वाले इतने भ्रष्ट हैं क्या ? बातें तो ईमानदारी की करते हैं ?
सरकार ईमानदार होती तो सबसे पहले उन अधिकारियों कर्मचारियों को दण्डित करती जिनके क्षेत्रों में अवैध गैर कानूनी जन विरोधी राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ चलती देखी जाती हैं !महीनों वर्षों से ऐसे गैर क़ानूनी काम चलते रहें और अधिकारियों कर्मचारियों को पता न हो ऐसा संभव है क्या ?सब घूस लेकर करवाते हैं | कामचोर भ्रष्ट कर्मचारियों के विषय में सरकार को पता न हो ऐसा हो ही नहीं सकता घूस लेकर ऐसे लोगों को संरक्षण दिया करती हैं सरकारें !अन्यथा सरकार इनके विरुद्ध कार्यवाही करने का सरकार मन बनावे सूचना तो जनता उपलब्ध करवाती रहेगी !बशर्ते सरकार की नियत पर भरोसा तो हो कि सरकार वास्तव में घूसखोर नहीं है !क्योंकिजनता भी तो देखरही होती है सरकारी भिखारियों को हफ़्ता माँगने आते !इसीलिए तो सरकारी भिखारियों की आपराधिक साँठगाँठ से जनता डरी हुई है यही कारण है कि अपने आसपास हो रहे बड़े से बड़े अपराधों की सूचना ऐसे बिकाऊ अधिकारियों कर्मचारियों को देने में डरती है !सरकारी मशीनरी पर जनता को भरोसा हो तब न अपराधों के विषय में अपनी जानकारी उनसे शेयर करने की हिम्मत करे !
गैर कानूनी काम करने वाला कोई भी व्यक्ति अधिकारियों कर्मचारियोंका आर्थिक पूजन किए बिना कर ही नहीं सकता है ! इसीलिए सभी प्रकार के जन विरोधी राष्ट्र विरोधी एवं गैर कानूनी कामों के जन्मदाता इन्हें ही माना जाना चाहिए !सरकार भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही करने से डरती है कि ये पकड़े गए तो पोल अपनी भी खोल देंगे !कई विधायकों सांसदों मंत्रियों के नाम कबूलेंगे उन पर कार्यवाही करना मुश्किल होगा क्योंकि उससे तो स्वयं साक्षात हम भी हम नहीं रह पाएँगे !इसीलिए तो भ्रष्टाचारी नेताओं के सरदार ईमानदारी की बातें करके ही जनता का पेट भरते रहते हैं !
अपराधियों को पता होता है कौन सा अपराध करने के लिए किस अधिकारी को कितने पैसे देने पड़ेंगे !अधिकारियों को पता होता है कि भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर नौकरी बचाने के लिए किस मंत्री या मुख्य मंत्री को कितने पैसे देने पड़ेंगे !
ऐ ईमानदारी की बातें करने वाले ऊपर वालो !अभी तक इस बात का जवाब क्यों नहीं दे पाए आप ?आखिर ऊपर वाले इतने बेईमान क्यों हैं जो जनता से कुछ कहते हैं और करते कुछ और हैं |
राजनैतिक दल यदि भ्रष्ट न होते तो चुनाव लड़ने के लिए उच्च शिक्षा अनिवार्य कर दी जाती !शिक्षित और सदाचारी विधायक सांसद लगा सकते हैं भ्रष्टाचार और अपराध पर लगाम और करा सकते हैं कामचोर घूस खोर अधिकारियों कर्मचारियों से जनता के काम !किन्तु फिर नेताओं की अपनी आमदनी बंद हो जाएगी !राजनैतिक दलों में इसी लिए तो प्रायः शिक्षितों और सदाचारियों को टिकट नहीं दिए जाते !क्योंकि वो बेईमानी चलने नहीं देंगे और अपराधों पर अंकुश लगा देंगे !नेताओं की कमाई बंद हो जाएगी !
भ्रष्ट नेताओं को टिकट बेचने के कारण ही तो सदनों में हुल्लड़ अधिक काम कम होता है जो वहाँ बोल नहीं सकते समझ नहीं सकते ऐसे गूँगे बहरे नेताओं से पार्टियों का लोभ आखिर क्या है यदि वे भ्रष्टाचार पसंद और भाई भतीजावादी नहीं है तो सुशिक्षित सदाचारियों को क्यों नहीं देती हैं टिकट !भ्रष्टाचारी लोग तो प्रायः हर पार्टी में होते हैं जिनकी पापपूर्ण कमाई के लोभ में ही ऐसे नेताओं को चुनावी टिकट दिए जाते हैं |
ऐसी सभी समस्यायों से मुक्ति के लिए देश में ईमानदार नेतृत्व चाहिए !
अधिकारी कर्मचारी घूस लेते समय कहते हैं कि ये पैसा ऊपर तक जाता है किंतु ऊपर वाले इतने भ्रष्ट हैं क्या ? बातें तो ईमानदारी की करते हैं ?
सरकार ईमानदार होती तो सबसे पहले उन अधिकारियों कर्मचारियों को दण्डित करती जिनके क्षेत्रों में अवैध गैर कानूनी जन विरोधी राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ चलती देखी जाती हैं !महीनों वर्षों से ऐसे गैर क़ानूनी काम चलते रहें और अधिकारियों कर्मचारियों को पता न हो ऐसा संभव है क्या ?सब घूस लेकर करवाते हैं | कामचोर भ्रष्ट कर्मचारियों के विषय में सरकार को पता न हो ऐसा हो ही नहीं सकता घूस लेकर ऐसे लोगों को संरक्षण दिया करती हैं सरकारें !अन्यथा सरकार इनके विरुद्ध कार्यवाही करने का सरकार मन बनावे सूचना तो जनता उपलब्ध करवाती रहेगी !बशर्ते सरकार की नियत पर भरोसा तो हो कि सरकार वास्तव में घूसखोर नहीं है !क्योंकिजनता भी तो देखरही होती है सरकारी भिखारियों को हफ़्ता माँगने आते !इसीलिए तो सरकारी भिखारियों की आपराधिक साँठगाँठ से जनता डरी हुई है यही कारण है कि अपने आसपास हो रहे बड़े से बड़े अपराधों की सूचना ऐसे बिकाऊ अधिकारियों कर्मचारियों को देने में डरती है !सरकारी मशीनरी पर जनता को भरोसा हो तब न अपराधों के विषय में अपनी जानकारी उनसे शेयर करने की हिम्मत करे !
गैर कानूनी काम करने वाला कोई भी व्यक्ति अधिकारियों कर्मचारियोंका आर्थिक पूजन किए बिना कर ही नहीं सकता है ! इसीलिए सभी प्रकार के जन विरोधी राष्ट्र विरोधी एवं गैर कानूनी कामों के जन्मदाता इन्हें ही माना जाना चाहिए !सरकार भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही करने से डरती है कि ये पकड़े गए तो पोल अपनी भी खोल देंगे !कई विधायकों सांसदों मंत्रियों के नाम कबूलेंगे उन पर कार्यवाही करना मुश्किल होगा क्योंकि उससे तो स्वयं साक्षात हम भी हम नहीं रह पाएँगे !इसीलिए तो भ्रष्टाचारी नेताओं के सरदार ईमानदारी की बातें करके ही जनता का पेट भरते रहते हैं !
अपराधियों को पता होता है कौन सा अपराध करने के लिए किस अधिकारी को कितने पैसे देने पड़ेंगे !अधिकारियों को पता होता है कि भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर नौकरी बचाने के लिए किस मंत्री या मुख्य मंत्री को कितने पैसे देने पड़ेंगे !
ऐ ईमानदारी की बातें करने वाले ऊपर वालो !अभी तक इस बात का जवाब क्यों नहीं दे पाए आप ?आखिर ऊपर वाले इतने बेईमान क्यों हैं जो जनता से कुछ कहते हैं और करते कुछ और हैं |
राजनैतिक दल यदि भ्रष्ट न होते तो चुनाव लड़ने के लिए उच्च शिक्षा अनिवार्य कर दी जाती !शिक्षित और सदाचारी विधायक सांसद लगा सकते हैं भ्रष्टाचार और अपराध पर लगाम और करा सकते हैं कामचोर घूस खोर अधिकारियों कर्मचारियों से जनता के काम !किन्तु फिर नेताओं की अपनी आमदनी बंद हो जाएगी !राजनैतिक दलों में इसी लिए तो प्रायः शिक्षितों और सदाचारियों को टिकट नहीं दिए जाते !क्योंकि वो बेईमानी चलने नहीं देंगे और अपराधों पर अंकुश लगा देंगे !नेताओं की कमाई बंद हो जाएगी !
भ्रष्ट नेताओं को टिकट बेचने के कारण ही तो सदनों में हुल्लड़ अधिक काम कम होता है जो वहाँ बोल नहीं सकते समझ नहीं सकते ऐसे गूँगे बहरे नेताओं से पार्टियों का लोभ आखिर क्या है यदि वे भ्रष्टाचार पसंद और भाई भतीजावादी नहीं है तो सुशिक्षित सदाचारियों को क्यों नहीं देती हैं टिकट !भ्रष्टाचारी लोग तो प्रायः हर पार्टी में होते हैं जिनकी पापपूर्ण कमाई के लोभ में ही ऐसे नेताओं को चुनावी टिकट दिए जाते हैं |
ऐसी सभी समस्यायों से मुक्ति के लिए देश में ईमानदार नेतृत्व चाहिए !
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