Tuesday 12 September 2017

नेता खुद तो ले लेते हैं सिक्योरिटी और जनता को झोंक रहे हैं हत्या बलात्कार जैसे अपराधों की आग में !

   देश में सुरक्षा व्यवस्था ठीक हो तो नेताओं को अलग से सिक्योरिटी क्यों लेनी पड़े ?इसका मतलब ही यही है कि जनता मरे तो मरे नेताओं को कुछ न हो !
   नेताओं की इतनी गंदी सोच होती है जनता के प्रति !जिस सिक्योरिटी से कई गाँवों जिलों आदि की सुरक्षा की जा सकती है उतने लोग एक एक नेता को और उसके घर वालों को रखने में लगा दिए जाए हैं जिनकी सैलरी जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से दी जाती है किंतु जनता के लिए सिक्योरिटी  की जरूरत क्यों नहीं समझते हैं नेता लोग !
नेता चाहें तो अपराध घट भी सकते हैं किन्तु वे ऐसा चाहेंगे क्यों ?अपने पैरों में कुल्हाड़ी कोई क्यों मारेगा !
  नेताओं और उनके परिवारों को मिलती है सिक्योरिटी वे सुरक्षित हैं जनता की सुरक्षा की चिंता किसे है ?
  सिक्योरिटी वालों को सैलरी सारा देश दे और सुरक्षा केवल नेताओं और उनके परिवारों की ! Y+,Z+और भी न जाने क्या क्या लिए घूम रहे हैं जनता के खर्चे पर !निर्लज्जता की भी हद है !जनता मरे तो मरे .....! यही लोकतंत्र है क्या ?यदि हाँ तो कब तक चल पाएगी ये राजनैतिक आराजकता !
   नेता लोग आम जनता की तरह रहना शुरू कर दें तो हत्या बलात्कार जैसे सभी प्रकार के अपराध समाप्त हो सकते हैं !फिर तो उन्हें अपनी और अपने परिवारों की भी चिंता होगी इसलिए उन्हें अधिकारियों से हफ़्ता महीना आदि माँगना बंद करना होगा !अधिकारियों पर भी फंड इकठ्ठा करने का जब दबाव नहीं रहेगा तो उन्हें भी अपराधियों से घूस का लालच नहीं रहेगा वे निर्भीक होकर उनके विरुद्ध कार्यवाही करेंगे !ऐसे तो भले आदमी घूस नहीं देते अतिरिक्त फंड मिलता ही अपराधियों से है !इसलिए अधिकारी कर्मचारी उन पर कार्यवाही कैसे करें !नेताओं और राजनैतिक दलों को मिलने वालेफंड का अधिकांश भाग अपराध अर्जित होता है इसीलिए उसके स्रोत बताए नहीं जाते !
    नेताओं की बातें सादगी की आचरण राजों रजवाड़ों जैसे ! सुरक्षा हर नेता को चाहिए किंतु  सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा कौन करेगा ! वे अपने अपने घरों से इफरात हैं क्या ?आजादी में उनके भी पूर्वजों का योगदान है !  
    नेता भी एक एकदिन के लिए निकलें बिना सिक्योरिटी के आम बाजारों में घूमें आम लोगों की तरह वे भी करें बाजार और घर के काम काज करते हुए अपनी तस्वीरें सोशल साईट पर शेयर करें !तब पता लगेगा कि कौन कितना VIP कल्चर के खिलाफ है !और तब उन्हें समझ में  आएँगी जनता की परेशानियाँ !नेताओं ने यदि किसी का बुरा नहीं किया है तो वो मरने को इतना डरते क्यों हैं अपने नश्वर शरीर की सुरक्षा के लिए क्यों करोड़ों रूपए महीने फुँकवा डालते हैं देश के !जब तक आयु है तब तक कोई मार नहीं सकता इस बात पर भरोसा क्यों नहीं करते !किसान मजदूर गरीब ग्रामीण इसी भरोसे के सहारे जंगलों में जीवन काट देते हैं !नेता इससे डरते क्यों हैं !जब तक नेता लोग अपनी कुर्बानियां देने को नहीं तैयार होंगे जब तक अधिकारी आफिसों से बाहर निकलकर आम जनता के जीवन को सरल बनाने में मदद नहीं करेंगे तब तक डरपोक नेता केवल भाषणों में ही वीरता दिखाते रहेंगे कुर्बानी के  नाम पर अपनी जगह मौत के मुख में सुरक्षा कर्मियों को ही झोंकते रहेंगे !ये सुरक्षाकर्मी भी तो अन्य VIP यों की तरह ही VIP हैं  सुरक्षाकर्मियों के अपने जीवन से खिलवाड़ क्यों ?अपने बीबी बच्चों के लिए तो वो भी किसी  VIP से कम नहीं होते हैं फिर रेवड़ियों की तरह क्यों बाँटी जा रही है सुरक्षा ! उनकी अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों को भी जान का खतरा होता है उसे सुरक्षा क्यों नहीं ?       
आखिर VIP यों का जीवन इतना बहुमूल्य क्यों है उन्होंने देश और समाज के लिए ऐसा क्या योगदान किया है जिसके लिए देश उन्हें खतरों से बचाने के लिए अपने बहुमूल्य जवानों की जान जोखिम में डाल दे  !देश ऐसे लोगों की सुरक्षा पर अपने खून पसीने की कमाई क्यों खर्च करे जिन्होंने देश को देने के नाम पर केवल मल मूत्र को छोड़कर कुछ दिया ही न हो !इसलिए किसी को सिक्योरिटी देते समय इस बात का मूल्यांकन जरूर किया जाना चाहिए कि किसी को कहीं झाम बनाने के लिए तो नहीं कुछ जीवंत लोगों के स्वाभिमान को दाँव पर लगाया जा रहा है या उन पर आर्थिक अत्याचार किया जा रहा है !इसे रोका जाना चाहिए सुरक्षा का वातावरण बनाना ही है तो सबकी चिंता करे सरकार !सुरक्षा जैसे गंभीर प्रश्न पर भी भेदभाव !किसकी सुरक्षा करनी है और किसकी नहीं ये भावना ही क्यों ?
    

VIP नेताओं की सुरक्षा में बंदूखें ताने खड़े लोग VIP यों की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा देंगे क्या ?



       VIP लोगों की सुरक्षा ही क्यों ?जनता मरने को तैयार है तो नेता क्यों डरते हैं मरने से !सुरक्षा में भी भेदभाव ! आश्चर्य !!डरपोक और ईश्वर पर भरोसा न करने वाले नेता लोगों को सुरक्षा क्यों दी जाए ! 
     जो लोग जनता को फूटी आँखों नहीं सोहाते उन्हें VIP क्यों और कैसे मान लिया जाए !किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से ज्यादा परिश्रम देश के लिए उन्होंने किया है क्या ?उन्होंने आखिर मलमूत्र छोड़कर देश को और ऐसा क्या दे दिया है जिसे कि उन्हें VIP मान लिया जाए और उन्हें ज़िंदा रखने के लिए कुछ अच्छे लोगों को उनकी सिक्योरिटी में लगाकर उन्हें नेता जी की मौत के बदले मरने पर क्यों मजबूर कर  दिया जाए !
     वैसे तो अपने अपने बीबी बच्चों के लिए हर कोई VIP ही होता है !अपनों के लिए हर किसी का जिंदा रहना उतना ही जरूरी होता है जितना किसी VIP का |,इसलिए सुरक्षा तो सबकी सुनिश्चित की जानी चाहिए !सबकी सुरक्षा के प्रयास किए जाएँ उसी में VIPलोग भी सुरक्षित अपने आप ही हो जाएँगे !बड़े बड़े नेता लोग खुद तो सुरक्षा ले लेते हैं और बाक़ी सारे देश वासियों को छोड़ देते हैं मरने के लिए !यही शासन है यही सरकार है इसीलिए टैक्स लेते हैं बेचारे !
     कुछ लोगों को सैलरी का लालच देकर नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाती है क्यों ?क्या उनके पेट स्टील के लगे हुए हैं क्या ? आखिर मारे जाने का खतरा जितना नेता जी को है उतना ही तो सुरक्षा में लगे लोगों को भी है किंतु उन्हें अपने बच्चे पालने के लिए अपनी जान पर खेलना उनकी मजबूरी है जबकि VIP लोगों के खाना पाखाना का सारा बोझ जनता उठाती है इसलिए न उन्हें कमाने की चिंता और न कहीं जाने की चिंता !ऊपर से उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी जनता के कन्धों पर आखिर क्यों ?
      पढ़ने में लापरवाही करने वाले लोग जैसे परीक्षा देने से डरते हैं ऐसे ही पाप और कपट पूर्ण जीवन जीने वाले लोग मौत से डरते हैं किंतु याद रखिए सैकड़ों गायों के झुंड में घुस कर भी जैसे गाय का छोटा सा बछड़ा अपनी माँ को खोज लेता है उसे भ्रमित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार से मौत जिस दिन आएगी उस दिन कोई सिक्योरिटी वाला क्या कर लेगा दो चार दस लोग नेता जी के साथ शहीद हो जाएँगे यही न !किंतु वे सुरक्षाकर्मी नेता जी की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा नहीं सकते !फिर काहे के VIP!मृत्यु तो कहीं से भी खोज लेगी !मृत्यु जब जहाँ निश्चित हैं वहाँ होगी ही इसलिए नैतिक और ईश्वर पर भरोसा रखने वाले VIPयों को चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा में लगे लोगों से कहें कि मुझे तो हमारे कर्मों और आयु के सहारे जीने दो तुम देश और समाज की सेवा करो !तुम उस जनता की सेवा करो जिसकी खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स से तुम्हें सैलरी दी जाती है !तुम उसके सहारा बनो यही तुम्हारा नैतिक कर्तव्य है | 
       सुरक्षा हो तो सबकी हो अन्यथा किसी की न हो !रही बात VIP की तो VIPकेवल नेता ही क्यों होते हैं किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों में आजतक कोई VIP हुआ ही नहीं क्या ?गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है क्यों ?जान से मारने की धमकियाँ तो उन्हें भी दी जाती हैं बहुत लोग मार भी दिए जाते हैं किन्तु उन्हें तो सिक्योरिटी नहीं दी जाती है उनकी जान की कीमत कम क्यों आँकी जाती है ?और ये लोग किसी के जीवन की कीमत आँकने वाले होते कौन हैं या फिर इनका मानना होता है कि जनता को तो कोई खतरा है नहीं इसलिए उसे सुरक्षा क्यों तो फिर इन्होंने अपने लिए खतरा तैयार किया ही क्यों ?ईमानदार और चरित्रबली नेताओं को मरने से नहीं लगता है डर !वो चरित्र बलपर ही तो मृत्यु को हमेंशा ललकारा करते हैं !
         सरकारी काम काज में बढ़े भयंकर भ्रष्टाचार ने VIP नेताओं के शत्रु तैयार कर दिए हैं !देश में अयोग्य लोगों को योग्य बता दिया और योग्य को अयोग्य !सरकार के हर विभाग में व्याप्त है भ्रष्टाचार ! जिसकी कीमत चुकानी पड़ रही है जनता को !उदाहरण के लिए हमने चार विषय से MA उसके बाद Ph.D.की किंतु हमने घूस नहीं दी तो  नौकरी देने वाले सरकारी ठेकेदारों ने हमें नौकरी नहीं दी !और उन्होंने जिन्हें नौकरी दी है वो जिस विषय में जितने योग्य हैं उनसे खुली बहस करवाकर या उन्हें उन परीक्षाओं में बैठा दिया जाए जिनकी योग्यता के बलपर उन्हें नौकरियाँ दी गई हैं जितने प्रतिशत अधिकारी कर्मचारी पास हो जाएँ उतने प्रतिशत को दी जाने वाली सैलरी सार्थक मानी जाए बाकी को दिया जा रहा है अनुदान !शिक्षक लोग कक्षाओं में गाइड लेकर पढ़ा रहे हैं  मोबाईल में देखकर शब्दों की मीनिंग बता रहे हैं सरकार फिर भी उन पर मेहरबान है न जाने क्यों ?ये सब इन्हीं VIPयों की कृपा से ही तो संभव हो पाया है !फिर भी वे VIP!
       सारा देश नेताओं की दी हुई दुर्दशा ही तो भोग रहा है !नेता जब चुनाव लड़ते हैं तब जिनकी जेब में किराए के पैसे तक नहीं होते चुनाव जीतते ही वो करोड़ो अरबपति हो जाते हैं निगम पार्षद जैसा चुनाव जीतकर दिल्ली जैसी जगहों पर दो चार मकान तो बना ही लेते हैं समझदार नेता लोग !विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री जैसे लोगों की कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है !दो दो चार चार गाड़ियाँ कोठियाँ जहाजों की यात्राएँ इसके बाद भी करोड़ों अरबों की संपत्तियाँ आखिर हुईं कैसे ?व्यापार करते किसी ने देखा नहीं नौकरी किसी की की नहीं !अपनी पैतृक संपत्तियाँ थीं नहीं !खर्चों में कंजूसी करते देखे नहीं गए ये लोकतंत्र को लूट कर बनाई हुई संपत्तियाँ नहीं हैं तो इन नेताओं की अनाप शनाप बढ़ी सम्पत्तियों के स्रोत आखिर हैं क्या ?इस देश को कभी कोई ऐसा ईमानदार नेता मिलने की उमींद की जाए क्या कि जो इन नेताओं की संपत्तियों के स्रोत सार्वजनिक करने का साहस कर सके !
        सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की जब नौकरियाँ लगी थीं तब उनकी सम्पत्तियाँ कितनी थीं और आज कितनी हैं बीच में बढ़ी संपत्तियों के स्रोत सार्वजानिक किए जाएँ !
    बाबा लोग जब बाबा बने तब से आजतक उन्होंने ऐसे कौन से प्रयास किए जिससे संपत्तियाँ एकत्रित हुईं और यदि संपत्तियाँ ही इकट्ठी करनी थीं व्यापार ही करने थे तो बाबा बने क्यों ?इन शंकाओं के समाधान यदि ईमानदारी से खोजे जाएँ तो संभव है कि कई बड़े अपराधों और अपराधियों के संपर्क सूत्र यहाँ से जुड़े मिलें जिनके द्वारा आश्रमों में लगाए जाते हैं सम्पत्तियों के अंबार और बाबा लोग उन्हें अपने यहाँ शरण देकर अपने राजनैतिक संपर्कों के बल पर बचाते रहते हैं !
    परिश्रम के मामले में किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से कोई नेता अफसर या बाबा बराबरी नहीं कर सकता फिर भी दिन रात परिश्रम करने वाले वे बेचारे गरीब और कभी कुछ न करते देखे जाने वाले नेता बाबा और सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग रईस !आखिर ये चमत्कार होता कैसे है भ्रष्टाचार नहीं है तो !सरकार का हर विभाग जनता को रुला रहा है फिर भी बेतन आयोग उनकी सैलारियाँ बढ़ावा रहा है आखिर क्यों ?सरकारी स्कूलों अस्पतालों को जिन्होंने बर्बाद किया सैलरियाँ  उनकी भी बढ़ा दी जाती हैं !अरे काम नहीं तो पैसे क्यों ?अपने पिता जी की कमाई का पैसा खर्च हो रहा होता तो भी ऐसे लुटाने की हिम्मत की जा सकती थी क्या ?
      

Sunday 10 September 2017

षड्दर्शन !

अद्वैत ,द्वैत ,विशिष्ठ अद्वैत ,द्वैत -अद्वैत ,विशुद्ध अद्वैत और अचिन्त्य भेदाभेद वाद में ?
   हिंदुत्व दर्शन की यह विभिन्न धाराएं हैं जिनका प्रतिपादन अलग अलग आचार्यों ने किया है। वेदान्त दर्शन  जिसे ब्रह्म सूत्र भी कहा गया है एक मशहूर वैदिक ग्रन्थ है। इसमें आध्यात्मिक गुरूओं ने अपने अपने सूत्रों की विस्तार से व्याख्या लिखी है। इनमें आत्मा ,परमात्मा और माया के परस्पर सम्बन्ध पर गुरुओं ने अपने अपने दर्शन और साधनाओं का निचोड़ रखा  है।
    अद्वैतवाद :के सूत्रधार जगदगुरु आदि शंकराचार्य रहें हैं जिन्हें भगवान् शंकर का अवतार समझा गया है। इस मत के अनुसार केवल एक ही सत्ता है :ब्रह्म।
आत्मा ब्रह्म से अलग नहीं है। ब्रह्म ही आत्मा है  अपने मूल रूप में लेकिन अज्ञान इन्हें दो बनाए रहता है। ज्ञान प्राप्त होने पर आत्मा अपने मूल स्वरूप ब्रह्म को प्राप्त कर लेती है। शंकराचार्य माया के अस्तित्व को नहीं मानते हैं।इनके दर्शन में माया मिथ्या है इल्यूज़न है। अज्ञान के कारण ही हमें इसका बोध होता है। ज्ञान प्राप्त करने पर इसका लोप हो जाता है। 
क्योंकि आप एक ही सत्ता ब्रह्म की  बात करते हैं इसीलिए इनके दर्शन को अ-द्वैत -वाद कहा गया है,
     विशिष्ठ अद्वैतवाद :इसके प्रवर्तक जगदगुरु रामानुजाचार्य सत्ता तो एक ब्रह्म की ही मानते हैं लेकिन जैसे  वृक्ष की शाखाएं ,पत्ते और फल और फूल उसी के अलग अलग अंग   हैं एक ही वृक्ष में विविधता है  वैसे ही जीव (आत्मा )और माया ,परमात्मा के विशेषण हैं। विशिष्ठ गुण हैं। इसीलिए इस दर्शन को नाम दिया गया विशिष्ठ अ-द्वैत  वाद !
       माया यहाँ मिथ्या नहीं है ब्रह्म भी सत्य है माया भी। 
  द्वैत -अद्वैतवाद :जगद गुरु माधवाचार्य पांच किस्म के द्वैत की बात करते हैं। (Five Dualities )
   यहाँ दो आत्माएं भी यकसां नहीं हैं एक  मुक्त  को हो गई   दूसरी  अभी बंधन में ही पड़ी है। हर आत्मा का स्वभाव संस्कार (शख्शियत )यहाँ अलग है।
      माया और आत्मा  में भी फर्क है।माया जड़ है भौतिक ऊर्जा है आत्मा (जीव )चैतन्य है। 
     यहाँ माया और माया में भी फर्क है। हम कुछ चीज़ें खाद्य के रूप में ग्रहण करते हैं कुछ को अखाद्य कह देते हैं। हैं दोनों भौतिक ऊर्जा के ही रूप फिर भी फर्क लिए हुए हैं। वरना आदमी मिट्टी खा के पेट भर लेता। 
     माया और ब्रह्म के बीच भी द्वैधभाव  (द्वैत )है। परमात्मा सर्व शक्तिमान रचता है। माया उसकी शक्ति है। परमात्मा सनातन सत्य है ज्ञान और आनंदका सागर है.माया को शक्ति परमात्मा से प्राप्त होती है वह उसकी आश्रिता है। 
    आत्मा और परमात्मा भी अलग अलग हैं दो हैं एक नहीं आत्मा अलग परमात्मा अलग। आत्मा माया से आबद्ध है। जबकी परमात्मा माया पर शासन करता है। माया उसकी चेरी है। आत्मा ज्ञान स्वरूप तो है लेकिन उसका ज्ञान सीमित है। आत्मा तो सर्वज्ञ (सर्वज्ञाता )है। आत्मा की चेतना (चेतन तत्व )एक ही काया में व्याप्त रहती है जबकि परमात्मा सर्वत्र सारी सृष्टि में व्याप्त है।आत्मा आनंद ढूंढ रही है परमात्मा तो स्वयं आनंद है। आनंद परमात्मा का ही एक नाम है। जहां आनंद है वहां परमात्मा है यह आनंद हद का नहीं बे -हद का है। इस संसार का नहीं है उस संसार का है।इसीलिए गीता में भगवान् कहते हैं जहां आनंद है वहां भी मैं ही हूँ।  
     द्वैताद्वैतवाद (द्वैत -अद्वैतवाद ):इसके प्रतिपादक जगदगुरु निम्बकाचार्य अ-द्वैत और द्वैत दोनों को ही सही मानते हैं। समुन्द्र और उसकी बूँद अलग अलग भी हैं एक भी माने जा सकते हैं। इसीप्रकार आत्मा परमात्मा का ही अंश है। अंश को अंशी से अलग भी कह सकते हैं ,यूं भी कह सकते हैं  शक्ति ,शक्तिमान से अलग नहीं होती है। शक्तिमान की ही होती है।
      विशुद्ध अद्वैत वाद इसके प्रतिपादक जगद -गुरु वल्लभाचार्य माया के अस्तित्व को मानते हैं शंकराचार्य की तरह नकारते नहीं हैं वहां तो माया इल्यूज़न है मिथ्या है। वहां तो आत्मा का भी अलग अस्तित्व नहीं माना गया है। आत्मा सो परमात्मा कह दिया गया है। 
इस स्कूल में दोनों का अस्तित्व है लेकिन परमात्मा के संग में वह एक ही हैं। यानी माया तो परमात्मा की शक्ति है ही आत्मा का भी परमात्मा में विलय हो सकता है आत्मा परमात्मा को प्राप्त हो सकती है। 
     अचिन्त्य भेदाभेद वाद :इसके  प्रतिपादक चैतन्य महाप्रभु कहते हैं जिस प्रकार गर्मी और प्रकाश आग (अग्नि )की ही शक्ति  हैं ,ताप और प्रकाश ऊर्जा के दो अलग लग रूप हैं लेकिन हैं दोनों एक साथ हैं  उसी एक अग्नि के रूप यानी उससे अलग भी उन्हें नहीं कहा जा सकता है। इसीप्रकार आत्मा और माया परमात्मा की ही शक्ति से कार्य करतीं हैं। दोनों हैं उसी की शक्तियां फिर भी उससे  अलग अलग भी हैं और उसके साथ साथ भी। इन्हें साधारण बुद्धि से इस रूप में पूरा ठीक से नहीं समझा जा सकता। प्रज्ञा चक्षु चाहिए इन्हें बूझने के लिए। इसीलिए इस दर्शन को आपने नाम दिया अचिन्त्य भेदाभेद  वाद। 

भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों को पकड़ने से डरती है सरकार !वे भी तो सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोल सकते हैं !

   हत्या बलात्कार जैसे अपराध न रुकने का कारण क्या है ?अपराध रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों की अक्ल में कमी या अकर्मण्यता या फिर अपराधियों के साथ उनकी साँठगाँठ ?या फिर नेताओं का अपराधियों को संरक्षण ?
 भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए चाहिए भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियोंसे न डरने वाली ईमानदार सरकार !
      डरपोक सरकार में हिम्मत कहाँ होती है कि वो भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर शिकंजा कसे और भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी अपराधियों पर अंकुश किस मुख से लगा सकते हैं जिनसे हर सप्ताह भीख माँगने जाते रहते हों कर्मचारी !जिनसे भीख मिलना बंद हो जाता है उन्हें पकड़ कर करने लग जाते हैं प्रेस कांफ्रेंस !फिर ये समझ कर सो जाते हैं जैसे एक अपराधी को पकड़ने के बाद देश में रामराज्य आ गया हो !
  भिखारी की औकात इतनी कहाँ होती है कि वो मालिक को आँख दिखा जाए !अपराधियों के हौसले इसीलिए तो बुलंद हैं क्योंकि सरकार जिन अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी देती है काम करने की वो सैलरी तो लेकर रख लेते हैं और घूस देने वालों का काम करते हैं!नोट बंदी में अधिकारियों कर्मचारियों ने ड्यूटी कितनी भी लम्बी की हो किन्तु जनता मरती रही रोडों पर और काले धन वालों के बोरे उनके गोदामों में जाकर बदलती रही सरकारी मशीनरी !पैसों के बिना जनता राशन के लिए त्रस्त थी वहाँ उनके बोरे बदल चुके थे !फिर भी सरकार ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर अंकुश नहीं लगा सकी ! सरकार उन्हें पकड़ने की उन पर कार्यवाही करने की आज तक तो हिम्मत जुटा नहीं पाई आगे का भगवान् मालिक !
    अधिकारी कर्मचारी घूस लेते समय कहते हैं कि ये पैसा ऊपर तक जाता है किंतु  ऊपर वाले इतने भ्रष्ट हैं क्या ? बातें तो ईमानदारी की करते हैं ?
सरकार ईमानदार होती तो सबसे पहले उन अधिकारियों कर्मचारियों को दण्डित करती जिनके क्षेत्रों में अवैध गैर कानूनी जन विरोधी राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ चलती देखी जाती हैं !महीनों वर्षों से ऐसे गैर क़ानूनी काम चलते रहें और अधिकारियों कर्मचारियों को पता न हो ऐसा संभव है क्या ?सब घूस लेकर करवाते हैं | कामचोर भ्रष्ट कर्मचारियों के विषय में सरकार को पता न हो ऐसा हो ही नहीं सकता घूस लेकर ऐसे लोगों को संरक्षण दिया करती हैं सरकारें !अन्यथा सरकार इनके विरुद्ध कार्यवाही करने का सरकार मन बनावे सूचना तो जनता उपलब्ध करवाती रहेगी !बशर्ते सरकार की नियत पर भरोसा तो हो कि सरकार वास्तव में घूसखोर नहीं है !क्योंकिजनता भी तो देखरही होती है सरकारी भिखारियों को हफ़्ता माँगने आते !इसीलिए तो सरकारी भिखारियों की आपराधिक साँठगाँठ से जनता डरी हुई है यही कारण है कि अपने आसपास हो रहे बड़े से बड़े अपराधों की सूचना ऐसे बिकाऊ अधिकारियों कर्मचारियों को देने में डरती है !सरकारी मशीनरी पर जनता को भरोसा हो तब न अपराधों के विषय में अपनी जानकारी उनसे शेयर करने की हिम्मत करे !
गैर कानूनी काम करने वाला कोई भी व्यक्ति अधिकारियों कर्मचारियोंका आर्थिक पूजन किए बिना कर ही नहीं सकता है ! इसीलिए सभी प्रकार के जन विरोधी राष्ट्र विरोधी एवं गैर कानूनी कामों के जन्मदाता इन्हें ही माना जाना चाहिए !सरकार भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही करने से डरती है कि ये पकड़े गए तो पोल अपनी भी खोल देंगे !कई विधायकों सांसदों मंत्रियों के नाम कबूलेंगे उन पर कार्यवाही करना मुश्किल होगा क्योंकि उससे तो स्वयं साक्षात हम भी हम नहीं रह पाएँगे !इसीलिए तो भ्रष्टाचारी नेताओं के सरदार ईमानदारी की बातें करके ही जनता का पेट भरते रहते हैं !
 अपराधियों को पता होता है कौन सा अपराध करने के लिए किस अधिकारी को कितने पैसे देने पड़ेंगे !अधिकारियों को पता होता है कि भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर नौकरी बचाने के लिए किस मंत्री या मुख्य मंत्री को कितने पैसे देने पड़ेंगे !
ऐ ईमानदारी की बातें करने वाले ऊपर वालो !अभी तक इस बात का जवाब क्यों नहीं दे पाए आप ?आखिर ऊपर वाले इतने बेईमान क्यों हैं जो जनता से कुछ कहते हैं और करते कुछ और हैं |
राजनैतिक दल यदि भ्रष्ट न होते तो चुनाव लड़ने के लिए उच्च शिक्षा अनिवार्य कर दी जाती !शिक्षित और सदाचारी विधायक सांसद लगा सकते हैं भ्रष्टाचार और अपराध पर लगाम और करा सकते हैं कामचोर घूस खोर अधिकारियों कर्मचारियों से जनता के काम !किन्तु फिर नेताओं की अपनी आमदनी बंद हो जाएगी !राजनैतिक दलों में इसी लिए तो प्रायः शिक्षितों और सदाचारियों को टिकट नहीं दिए जाते !क्योंकि वो बेईमानी चलने नहीं देंगे और अपराधों पर अंकुश लगा देंगे !नेताओं की कमाई बंद हो जाएगी !
भ्रष्ट नेताओं को टिकट बेचने के कारण ही तो सदनों में हुल्लड़ अधिक काम कम होता है जो वहाँ बोल नहीं सकते समझ नहीं सकते ऐसे गूँगे बहरे नेताओं से पार्टियों का लोभ आखिर क्या है यदि वे भ्रष्टाचार पसंद और भाई भतीजावादी नहीं है तो सुशिक्षित सदाचारियों को क्यों नहीं देती हैं टिकट !भ्रष्टाचारी लोग तो प्रायः हर पार्टी में होते हैं जिनकी पापपूर्ण कमाई के लोभ में ही ऐसे नेताओं को चुनावी टिकट दिए जाते हैं |
ऐसी सभी समस्यायों से मुक्ति के लिए देश में ईमानदार नेतृत्व चाहिए !

Thursday 7 September 2017

सरकार ईमानदार है तो नेताओं की संपत्तियों की जाँच करके सच्चाई सार्वजानिक करे सरकार !

प्रधानमंत्री जी !जब हर चीज ऑनलाइन तो नेताओं की संपत्तियों का ब्यौरा ऑनलाइन क्यों नहीं ?
  नेताओं की बेतहाशा बढ़ती संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाबsee more...  http://navbharattimes.indiatimes.com/india/as-political-leaders-get-mega-rich-in-5-years-sc-seeks-report/articleshow/60400966.cms

    नेताओं को विरासत में क्या मिला !उनमें शैक्षणिक योग्यता कितनी है वो व्यापार क्या  करते रहे या कब करते रहे कहाँ  करते रहे अथवा  अपनी किस योग्यता से कमाते रहे !प्रायः सामान्य ग्रामीण जीवन जीने वाले नेता लोग जो बचपन में किसी प्रकार से दालरोटी का जुगाड़ कर पाते थे आज वो करोड़ों  अरबों की संपत्तियों के मालिक  बने बैठे हैं कैसे ?
    राजनीति स्वयं में कोई उद्योग नहीं अपितु जन सेवा व्रत है किंतु सेवाकार्यों के नाम पर इकट्ठी की गई संपत्तियाँ सेवाकार्यों में ही क्यों नहीं लगाई गईं !भ्रष्ट अफसरों से भ्रष्टाचार की कमाई में हिस्सा क्यों लिया गया !अपराधियों को संरक्षण देकर उनसे दिहाड़ी पर अपराध करवाकर क्यों लूटा गया देश वासियों का धन !अपहरण उद्योग को संरक्षण क्यों देते रहे नेता लोग !हत्या बलात्कारों में संलिप्त क्यों पाए जाते हैं कुछ नेता लोग  !अपनी खाल बचाने के लिए 'कुछ' तो लिखना पड़ता है !बाक़ी अधिकाँश नेतालोग अकूत  संपत्ति  इकठ्ठा किए हुए हैं जिसे वो प्रूफ नहीं कर सकते कि उन्होंने ये ईमानदारी और पारदर्शी स्रोतों से कमाई है और वो ईश्वर की कसम खाकर ये नहीं कह सकते हैं कि उनकी अधिकाँश संपत्तियों के स्रोत आपराधिक नहीं हैं !चोरी लूट हत्या बलात्कार अपहरण जैसी घटनाओं की जड़ में नेताओं के द्वारा बिना कुछ किए धरे अपनी सम्पत्तियों को बढ़ाने की चाहत है !
    इसलिए हर नेता और और उसके परिजनों की सम्पत्तियों का सर्वे किया जाए संपत्ति स्रोतों की गहन जाँच हो और वो लोग  जिसके स्रोत बता न सकें या पवित्र न हों ऐसी संपत्तियां न केवल जप्त की जाएं अपितु ऐसे नेताओं को कैद करके समाज को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए जाएँ !
      ऐसे भ्रष्ट नेता प्रायः हर पार्टी में होते हैं जिनकी पापपूर्ण कमाई के लोभ में ही ऐसे नेताओं को चुनावी टिकट   दिए जाते हैं और पार्टियों के बड़े बड़े पदों से नवाजा जाता है उन्हें ! भ्रष्टाचारी और सम्पत्तिवान होने के अलावा उनमें कोई भी दूसरा गुण नहीं होता है फिर भी राजनैतिक पार्टियों में वे प्रमुख पदों पर विराजते हैं !ये आपराधिक प्रवृत्ति  के नेता लोग ही सरकारों के द्वारा अपराधों और भ्रष्टाचारों के विरुद्ध बनाई जाने वाली   योजनाओं की हवा निकाला करते हैं इसीलिए अपराध को प्रमोट करने वाले नेताओं का धंधा आराम से चलता रहता है !सरकार अवैध सम्पत्तियों के विरुद्ध कार्यवाही की बात करती किन्तु कार्यवाही करती नहीं है क्योंकि उसे पता होता है कि सबसे अधिक अवैध संपत्तियाँ नेताओं और अधिकारियों कर्मचारियों के पास ही होती हैं इसलिए अवैध सम्पत्तियों पर कार्यवाही का  मतलब है अपनी  सरकार की भद्द पिटवानी  !इसलिए सरकार अवैध सम्पत्तियों पर कोई कार्यवाही करेगी ऐसी आसा भी नहीं की जानी चाहिए !