Tuesday, 26 April 2016

अन्ना का व्यक्तित्व !अब कन्हैया कुमार की पढ़ाई और PK की प्रतिष्ठा

   पिछले चुनावों में नेता बनने शौक पूरी करने के लिए धार पर लगाया गया था अन्ना का व्यक्तित्व !अब कन्हैया कुमार की पढ़ाई और PK की प्रतिष्ठा लगाया जा रहा है दाँव पर !अरे जिन्हें अपनी बुद्धिमत्ता पर शक है वो PK जैसे समझदारों की सेवाएँ लेकर चुनाव यदि जीत भी गए तो जनता की जिंदगी नर्क करेंगे !कन्हैया की जिंदगी बर्बाद करने के लिए हवा भरने वाले  नेताओं की सोच भी उसके अपने लिए हितकारी नहीं है केवल उसके कंधे पर बन्दूक रखी जा रही है जैसे किसी पशु शव को देखकर सुदूर आकाश में  उड़ते गिद्ध उस पर टूट पड़ते हैं इसका मतलब उस पशु के प्रति उनकी हमदर्दी नहीं है अपितु केवल उनकी मांस भावना है ठीक इसी प्रकार से अखलाक ,रोहित या  कन्हैया प्रकरण उठाया कितनी भी जोर शोर से किसी के भी द्वारा गया हो किंतु उन लोगों से अपनापन नहीं था केवल वोट भावना थी ये इतनी घातक है कि किसी के सुख दुःख को भी नहीं समझती किसी के ऊपर आई आपत्ति विपत्ति को भी कैस करते हैं ये लोग !शवों के पास खड़े होकर सरकारों को गरियाते हैं बेशर्म !उसके बाद भूल जाते हैं ये है हमदर्दी !मैं तो कहूंगा कि केवल सरकारों को गाली देने ही जाते हैं वहां !शायद जनता इसी बहाने सुन ले उन गिरे लोगों की बातें !
 जनता की नजरों से  गिर चुके नेताओं के हीरो  कन्हैेये ! दिल्ली का मुख़्यमंत्री बनने के लिए ऐसी वैसी हरकतें मत कर !गला वला मत दबवा क्या भरोस किसी दिन कोई जोर से न  दबा दे ! अरे पगले ! फैसले कभी अपनी सुविधानुसार नहीं आया करते !ये नक्सलियों की निजी पंचायतों में होता होगा कि जो अपने को पसंद न आवे उसे कह दो अस्वीकार्य है!अगर कोई ऐसे फैसलों से असहमत भी हो तो भी अपनी बात कहने के लिए कानून की शरण ले या बाया  लोकतंत्र चुनौती दे !ऊट पटांग बोल बोल कर JNU जैसे बड़े शिक्षण संस्थानों की प्रतिष्ठा के साथ क्यों खिलवाड़ करता जा रहा है यहाँ तुम अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहे अपितु अपने विश्व प्रसिद्ध  शिक्षण संस्थान के संस्कारों का इतना गंदा परिचय दे रहे हो तुम !राजनीति करने के लिए झुट्ठौ अपना गला दबवाते घूम रहा है !अपने ऊपर क्यों करवा रहा है कागजी हमले ! दिल्ली का मुख़्यमंत्री बनना चाह रहा है क्या ?अपने ऊपर जूते मत फेंकवा ! राजनीति करनी है तो विश्व विद्यालय की बेइज्जती भी मत करा सीधे राजनीति में आ !अन्यथा लोग पढ़ने लिखने वाले छात्रों को भी तुम्हारी दृष्टि से ही देखने लगेंगे !वहाँ के पढ़ने लिखने वाले छात्रों पर रहम कर !बक्स दे वहाँ पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य और बना रहने दे वहाँ के शिक्षकों का गौरव ! तेरे बहाने ही सही वहाँ के 'कंडोमों' तक की चर्चा तो हो गई और कितनी बेइज्जती करवाना चाह रहा है JNU की !ऐसे कैसे कोई माता पिता अपने बेटा बेटियों को ऐसे शिक्षण संस्थानों में भेजना पसंद करेगा !  
     जनता की नजरों से  गिर चुके राजनेताओं के हीरो हैं PK और कन्हैया! ऐ  कन्हैेये ! दिल्ली का मुख़्यमंत्री बनने के लिए ऐसी वैसी हरकतें मत कर !गला वला मत दबवा क्या भरोस किसी दिन कोई जोर से न  दबा दे अपने ऊपर जूता मत फेंकवा !बल्कि तुम मुख्यमंत्री बनोगे तो क्या करोगे दिल्ली वालों के साथ उसके लिए ये अपना एक अलग नारा दे दे - जैसे -"   "  'न ऑड न इवेन' रोड रहेंगे बिलकुल खाली ! न गाड़ियाँ  न एक्सीडेंट ! न ट्रेफिक न ट्रेफिक व्यवस्था !रोडों  पर न आदमी न औरतें !न अपराध न बलात्कार !घर घर सामान पहुँचाएगी दिल्ली सरकार !"
    अरे झुट्ठे कन्हैेये ! किसकी लड़ाई लड़ रहे हो तुम ! क्यों भ्रम फैला रहे हो समाज में !अचानक क्यों होने लगे तेरे ऊपर हमले पहले क्यों नहीं हुए !  दिल्ली के अगले चुनावों में मुख्यमंत्री बनने के लिए ये ऊट पटांग हरकतें कर रहे हो तो साफ साफ कहो उसके लिए जहाज में जाकर गला दबवाने की क्या जरूरत !
  अब कन्हैया भी दिल्ली के मुख़्यमंत्री पद का सशक्त दावेदार है मुख्यमंत्री बनने कला उसे भी आ गई जूतेचप्पल फेंकवा रहा है अपने ऊपर !जेल घूम आया !अपने ऊपर हमले करवा लेता है ,अपने को धमकी धुमकी दिलवा लेता है !मुख़्यमंत्री बनाने वाली ऐसी बहुत हरकतें सफलता पूर्वक कर चुका है वो !
   अगली शर्दियों से अपनी लीला मंडली के साथ रजाई लेकर जंतर मंतर की रोडों पर लेटेगा ,ग़रीबों का हमदर्द दिखने के लिए कुछ दिन रात  झुग्गियों में गुजारेगा !दलितों का हमदर्द दिखने के लिए अंबेडकर साहब की मूर्ति कुछ दिन साथ लेकर घूमेगा! चोरी चोरी व्यापारियों से चंदा लेगा ! सवर्णों और पैसे वालों के प्रति घृणा पैदा करेगा ! सरकारों और नेताओं को बेईमान बताएगा अपने को आम आदमी बताएगा ऐसा करते करते बन जाएगा अगले चुनावों में मुख़्यमंत्री !बारी दिल्ली बारे दिल्ली वाले कितनी जल्दी और कैसी कैसी बातों से खुश हो जाते हैं ! 
     मोदीद्रोहियों का हीरो है कन्हैया !दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने तक वो हर हरकत करेगा जो करते कर रहा जो इसके लिए इसलिए वो वैसी हर हरकत कर रहा है ! नेता बनने के लिए जूते चप्पल स्याही आदि अपने ऊपर फेंकवा कर विरोधियों का नाम लगा देना फैशन सा बनता जा रहा है ! नेता बनने वाले ऐसे राजनीति के शौकीनों पर कसी जाए नकेल !
     कितने गंदे होते हैं वे लोग जो देश समाज एवं देश के प्रतीकों के प्रति यह जानते हुए भी कि इससे उत्तेजना फैलेगी फिर भी  ऊटपटाँग बोलकर समाज को भड़का देते हैं और बाद में माँगते हैं सिक्योरिटी !ऐसे बड़बोले नेताओं को  सिक्योरिटी मिलनी बंद हो जाए तो ये डरपोक लोग ऊटपटाँग बोलना बंद कर देंगे !अन्यथा ऐसे सरकार कहाँ कहाँ किसको किसको रखाती घूमेंगी !वो भी जनता के पैसे पर ये जनधन का दुरूपयोग है !ये गलत है जनता के साथ सरासर अन्याय है । जनता पर तेंदुए हमला कर रहे हैं महिलाओं पर अपराध बढ़ते जा रहे हैं उन्हें सिक्योरिटी नहीं है नेताओं को रखाते घूम रहे हैं सुरक्षा कर्मी !
     आजकल नेता बनने के लिए कई लोग अपने हमदर्दों से या फिर ठेका या भाड़ा देकर अपने ऊपर जूते चप्पल स्याही आदि हलकी फुल्की चीजें फेंकवाने लगे हैं उन्हें लगने लगा है कि ऐसी ही हरकतें कर के इतने कम समय में यदि कोई मुख्यमंत्री बन सकता है तो मैं क्यों नहीं !
       ऐसे लोगों को चाहिए कि जूते चप्पल चाँटे आदि मार मार कर उन्हें नेता बनाने वाले अपने वालेंटियर्स को कभी नहीं भूलना चाहिए उचित तो ये है कि मंत्री आदि बन जाने के बाद किसी बड़े ग्राउंड में ऐसे अपने वालेंटियर्स के सम्मान के लिए भव्य समारोह करना चाहिए।आपको याद होगा कि अभी कुछ वर्ष पहले एक नेता ने ऐसा किया भी था !एक आम आदमी ने बकायदा अपने वालेंटियर से खुली सभा में चाँटा मरवाकर बाद में उसके घर इस बात के लिए धन्यवाद देने  गया था कि आपके कठिन प्रयास से मीडिया कवरेज बहुत मिली !
     इससे मीडिया कवरेज पूरा मिलता है और नुक्सान कुछ भी होता नहीं है !कुलमिलाकर  जूता और स्याही फेंकने वाले होते हैं नेताओं के अक्सर अपने हमदर्द लोग !आम जनता में इतनी हिम्मत कहाँ होती है वो तो दो चांटे सहकर आ जाते हैं अपने घर !
     कानपुर का एक संस्मरण मुझे याद है बात 1995 की है मेरे परिचित एक दीक्षित जी हैं जो जिला स्तरीय राजनीति में हाथ पैर मारते मारते थक चुके थे कोई जुगत काम नहीं कर रही थी बेचारे राजनीति में कुछ बन नहीं पाए थे !मैंने एक दिन उनसे पूछ दिया कहाँ तक पहुँच पाई आपकी राजनीति ? वो बोले पहुँची तो कहीं नहीं ठहरी हुई है तो हमने कहा क्यों हाथ पैर मारो संपर्क करो लोगों से !तो उन्होंने कहा कि ये सब जितना होना था वो चुका अब तो नेता बनने का डायरेक्ट जुगाड़ करना होगा ,तो मैंने कहा कि वो कैसे होगा तो उन्होंने कहा कि धन और सोर्स है नहीं न कोई खास काबिलियत ही है अब तो राजनीति में सफल होने के लिए लीक से हट कर ही कुछ करना होगा मैंने पूछा  वो क्या ? तो उन्होंने कुछ बिंदु सुझाए - 
  • पहली बात यदि मैं ब्राह्मण न होता तो ब्राह्मणों सवर्णों को गालियाँ दे दे कर नेता बनने की सबसे लोकप्रिय विधा है जिससे बहुत लोग ऊँचे ऊँचे पदों पर पहुँच गए ! 
  • दूसरी बात बड़े बड़े मंचों पर खड़े होकर मीडिया के सामने देश के मान्य महापुरुषों प्रतीकों को गालियाँ दी जाएँ, दूसरे बड़े नेताओं पर चोरी, छिनारा ,भ्रष्टाचार आदि के आरोप लगाए जाएँ ,गालियाँ दी जाएँ महापुरुषों की मूर्तियाँ या देश के प्रतीक तोड़े जाएँ जिससे बड़ी संख्या में लोग आंदोलित हों ! 
  • तीसरी बात किसी सभा में मंच पर अपने ऊपर स्याही या जूता चप्पल आदि कोई भी हलकी फुल्की चीजें फेंकवाई जाएँ जिससे चोट  लगने की  सम्भावना भी न  हो  और प्रसिद्धि भी पूरी मिले इससे एक ही नुक्सान हो सकता है कि सारा अरेंजमेंट मैं करूँ और फेंकने वाले का निशाना चूक गया तो बगल में बैठा कार्यकर्ता नेता बन जाएगा मैं फिर बंचित रह जाऊँगा इस सौभाग्य से ! 
  •  चौथी बात अपने घर में जान से मारने की धमकी जैसे पत्र किसी से लिखवाए भिजवाए जाएँ किंतु पोल खुल गई  तो फजीहत ! 
  •   पाँचवीं बात अपने आगे पीछे  कहीं बम  वम लगवाए जाएँ जो अपने निकलने के पहले या बाद में फूटें किंतु बम लगाने वाला इतना एक्सपर्ट हो तब न !अन्यथा थोड़ी भी टाइमिंग गड़बड़ाई तो क्या होगा पता नहीं ! 
  •  छठी बात किसी दरोगा सिपाही से मिला जाए और उससे टाइ अप किया जाए कि वो यदि किसी चौराहे पर मुझे बेइज्जती कर करके  गिरा गिराकर कर मारे इससे मैं नेता बन जाऊँगा और उसकी तरक्की हो जायेगी !इसी प्रकार से यदि मैं किसी किसी दरोगा को मारूँ तो मैं नेता बन जाऊँगा और उसका ट्राँसफर हो जाएगा ! 
  • सातवीं बात किसी जनप्रिय विंदु को मुद्दा बनाकर खुले आम आमरण अनशन या आत्म हत्या की घोषणा की जाए किंतु कोई मनाने क्यों आएगा मेरा कोई कद तो है नहीं !
  • किसी बड़े नेता पर बलात्कार का आरोप लगाकर प्रसिद्ध हो जाए और  प्रसिद्ध होने पर राजनीति में कद बढ़ ही जाता है किंतु मैं तो ये भी नहीं कर सकता!क्योंकि मैं महिला नहीं हूँ । 
  • यदि मैं अल्प संख्यक होता तो अपने धर्म स्थल की रात बिरात कोई दीवार तोड़वा देता बाद में बनती तो बन जाती नहीं बनती तो भी क्या किंतु मैं अपने धर्म का मसीह बन बैठता लोग हमें मनाते फिरते चुनाव  लिए किंतु मैं ब्राह्मण हूँ ये भी नहीं कर सकता !

No comments: