हे नितीश जी !आप जैसे आधे अधूरे सीएमों के बस का कहाँ है संघ मुक्त भारत
बनाना ! नितीश जी ! CM कुर्सी में मात्र पौने दो टाँगें ही आपकी हैं बाकी
लालू जी कब लौटा दें उनका मूड !
वैसे भी अपने बल पर जो एक प्रदेश का CM भी न बन पाया हो उसे शोभा देता है क्या पूर्णबहुमत बली PM की मातृ संस्था को इस तरह से ललकारना ! नितीश जी !अच्छा होता अपने राजनैतिक चेहरे को राष्ट्रीय बहुमत के दर्पण में देख लेते एक बार ! वैसे भी कभी समय मिले तो सोचना कि भाजपा के रूप में संघ ने जनता के विश्वास का जितना अंश जीता है उतने में आप जैसे आधे अधूरे तमाम मुख्यमंत्रियों का निर्माण कर सकता है संघ ! उस संघ को चुनौती देने चले हैं आप जिसके सामने कहीं ठहरते ही नहीं हैं ।
संघ का काम तो राष्ट्ररंजन है संघ के द्रोह का अर्थ क्या होता है पता है आपको !संघ राष्ट्र और राष्ट्र वादी लोगों के प्रति समर्पित है राष्ट्र ही उसका एक मात्र देवता है जो राष्ट्र का वो संघ का !संघ मुक्त भारत कहने का आपका अभिप्राय क्या है वो भी बड़े बड़े घपले घोटाले वाजों को गले लगाकर !
नितीश जी ने केजरीवाल जी ,लालू जी और राहुल जी से इतना तो सीख लिया है कि पार्टी पर पकड़ मजबूत रखने के लिए संघ और मोदी पर निशाना साधते रहो! अन्यथा पार्टी कब धक्का दे दे क्या भरोस !केजरीवाल जी ,लालू जी और राहुल जी के विरुद्ध जब जब इनकी पार्टी में कोई शोला सुलगना शुरू होता है तो ये लोग संघ मोदी - संघ मोदी करने लगते हैं जनता तुरंत समझ जाती है कि पार्टी के अंदर किसी ने गला पकड़ रखा है इनका तभी चिचिया रहे हैं अब इनके हाथों से खिसक रही पार्टी की वागडोर !सच्चाई तो ये है कि पार्टी के अंदर अपनी साख बनाए और बचाए रखने के लिए ये चौकड़ी संघमोदी और भाजपा का कीर्तनकिया करतीहै ।
लालूपुत्रों की दया पर टिके CM साहब कभी सोचना कि संघ की गलती क्या है लोकतंत्र में चुनावों के समय बादशाह जनता होती है उस समय हर कोई अपने अपने मुद्दे जनता जनार्दन की अदालत में लाकर डालता है जनता ने जिसके मुद्दे पर मोहर मार दी उसका मुद्दा सफल हो जाता है संघ हर चुनावों में जनता जजों को याद दिलाता है किंतु जजजनता अगले चुनाव की तारीख़ दे देती है और तारीख पर तो पहुँचना ही पड़ता है अपनी बात जनता की अदालत में पेश करने को !इसलिए नीतीश जी !ये लोकतंत्र राष्ट्र भक्तों का विषय है भीड़ें जुटाकर क्या कर लोगे !बलिहारी हो बिहार की जनता की कि आपकी ये बिना शिर पैर की बातें भी मीडिया में जगह पा रही हैं ।
वैसे भी अपने बल पर जो एक प्रदेश का CM भी न बन पाया हो उसे शोभा देता है क्या पूर्णबहुमत बली PM की मातृ संस्था को इस तरह से ललकारना ! नितीश जी !अच्छा होता अपने राजनैतिक चेहरे को राष्ट्रीय बहुमत के दर्पण में देख लेते एक बार ! वैसे भी कभी समय मिले तो सोचना कि भाजपा के रूप में संघ ने जनता के विश्वास का जितना अंश जीता है उतने में आप जैसे आधे अधूरे तमाम मुख्यमंत्रियों का निर्माण कर सकता है संघ ! उस संघ को चुनौती देने चले हैं आप जिसके सामने कहीं ठहरते ही नहीं हैं ।
संघ का काम तो राष्ट्ररंजन है संघ के द्रोह का अर्थ क्या होता है पता है आपको !संघ राष्ट्र और राष्ट्र वादी लोगों के प्रति समर्पित है राष्ट्र ही उसका एक मात्र देवता है जो राष्ट्र का वो संघ का !संघ मुक्त भारत कहने का आपका अभिप्राय क्या है वो भी बड़े बड़े घपले घोटाले वाजों को गले लगाकर !
नितीश जी ने केजरीवाल जी ,लालू जी और राहुल जी से इतना तो सीख लिया है कि पार्टी पर पकड़ मजबूत रखने के लिए संघ और मोदी पर निशाना साधते रहो! अन्यथा पार्टी कब धक्का दे दे क्या भरोस !केजरीवाल जी ,लालू जी और राहुल जी के विरुद्ध जब जब इनकी पार्टी में कोई शोला सुलगना शुरू होता है तो ये लोग संघ मोदी - संघ मोदी करने लगते हैं जनता तुरंत समझ जाती है कि पार्टी के अंदर किसी ने गला पकड़ रखा है इनका तभी चिचिया रहे हैं अब इनके हाथों से खिसक रही पार्टी की वागडोर !सच्चाई तो ये है कि पार्टी के अंदर अपनी साख बनाए और बचाए रखने के लिए ये चौकड़ी संघमोदी और भाजपा का कीर्तनकिया करतीहै ।
लालूपुत्रों की दया पर टिके CM साहब कभी सोचना कि संघ की गलती क्या है लोकतंत्र में चुनावों के समय बादशाह जनता होती है उस समय हर कोई अपने अपने मुद्दे जनता जनार्दन की अदालत में लाकर डालता है जनता ने जिसके मुद्दे पर मोहर मार दी उसका मुद्दा सफल हो जाता है संघ हर चुनावों में जनता जजों को याद दिलाता है किंतु जजजनता अगले चुनाव की तारीख़ दे देती है और तारीख पर तो पहुँचना ही पड़ता है अपनी बात जनता की अदालत में पेश करने को !इसलिए नीतीश जी !ये लोकतंत्र राष्ट्र भक्तों का विषय है भीड़ें जुटाकर क्या कर लोगे !बलिहारी हो बिहार की जनता की कि आपकी ये बिना शिर पैर की बातें भी मीडिया में जगह पा रही हैं ।
राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ भारतीय संस्कृति की अच्छाइयाँ बताना है संघ के प्रचारक स्वयं सेवकों ने अपना सारा जीवन देश और समाज के लिए समर्पित कर रखा है उनके सक्षम
संगठन के विभिन्न आयाम देश के कोने कोने में जनहित में विभिन्न प्रकार के
काम कर रहे हैं।गरीबों, बनबासियों, आदिवासियों, ग्रामों, नगरों, शहरों के
साथ साथ स्वदेश से लेकर विदेशों तक का उनका अपना अनुभव है।वो ग्रामों,
शहरों की संस्कृति से अपरिचित नहीं अपितु सुपरिचित हैं। ऐसी भी कल्पना नहीं
करनी चाहिए कि उन्हें देश के किसी पीड़ित की ब्यथा सुनकर पीड़ा नहीं अपितु
प्रसन्नता होती होगी।हो सकता है कि उनकी बात का अभिप्रायार्थ उस प्रकार से
समाज में न पहुँच सका हो जैसा कि वो पहुँचाना चाहते हों किंतु उनकी समाज
एवं देश निष्ठा पर किसी भी चरित्रवान, सात्विक एवं सज्जन व्यक्ति को संदेह नहीं होना चाहिए।विश्वास किया जाना चाहिए कि देश के प्रति स्वश्रृद्धा से समर्पित आर. एस. एस. के ये पवित्र प्रचारक हैं ये अपने दुलारे देश के विरुद्ध कुछ बोलने की बात तो दूर कुछ सोच भी नहीं
सकते, कुछ सह नहीं सकते।मैं इनकी राष्ट्र निष्ठा से निजी तौर से भी परिचित
हूँ ये अपने देश के विरुद्ध कुछ होते देखने के लिए जीना नहीं चाहेंगे ये
अत्यंत ऊँची सोच के धनी लोग हैं जो तुच्छ जिजीविषा कभी नहीं स्वीकार
करेंगे।देश और समाज के लिए जिन्होंने अपना जीवन ही दाँव पर लगा रखा है ऐसे सज्जनों की आवश्यकता देश को है।जिस किसी को न हो तो न रहे।जिस प्रकार से कुछ पद लोलुप लोग किसी पर भी विशेषकर राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ से सम्बंधित लोगों का नाम याद आते ही अकारण उनकी निंदा करने
की लत के शिकार होते जा रहे हैं इस तरह की आदत देश हित में नहीं मानी जा
सकती।
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