Saturday, 16 April 2016

'ऑड इवन' फार्मूला है या एक नौसिखिया मुख्यमंत्री की सनक !

'ऑड इवन'की जगह रोडों का अतिक्रमण हटाकर भी जाम घटाकर कम किया जा सकता था प्रदूषण !
   भूखों मरते रहे अन्ना जी और राजभोग रहे हैं केजरीवाल जी !ये है नैतिकता भ्रष्टाचार विरोध सत्ता से विरक्ति आमआदमियत्व आदि आदि !भारी भरकम सिक्योरिटी सैकड़ों करोड़  के विज्ञापन ,विधायकों की वेतन वृद्धि जैसे राजभोग भोग रहे हैं ऐसा व्यवहार केजरी वाल बाबू जी ही कर सकते हैं !क्योंकि वो सादगी और ईमानदारी पसंद विचित्र प्राणी हैं !
  जिनसे मिलते ही जिनकी ईमानदारी देश सेवा आदि की बातें सुनकर देश भक्त लोग भाव विभोर हो उठते हैं और चल पड़ते हैं इनके साथ !किंतु इनसे छूटते ही किसी लायक नहीं बचते हैं वे देश भक्त !वे अपनी व्यथा न किसी से कह सकते हैं और न ही सह सकते हैं केवल कराहते रहते हैं । इसीप्रकार से महाराज जी के डसे हुए हुए लोग अर्धमूर्च्छित रूप में जीवन ढोते रहते हैं उनके भूतपूर्व सेवक ,सहयोगी साथी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़े असंख्य लोग राजनैतिक तपस्वी साधू संत आदि !सुना है कि जिसे फाँसी दी जाती है उसकी भी अंतिम इच्छा पूछी जाती है किंतु आम आदमी पार्टी रूपी कारगार में कैदियों को नहीं  होता होगा इतना भी अधिकार !
    श्री केजरीवाल जी जैसे दिव्य प्राणी अन्ना जी जैसे किसी सीधे सादे व्यक्ति के शिष्य तो हो ही नहीं सकते वो तो जन्मजात गुरुरूप में ही पैदा हुए हैं !भूखों मरते रहे अन्ना और राजभोग रहे हैं गुरू जी !
    वैसे भी केजरीवाल जी खुद को आगे बढ़ाने के लिए दूसरों को बदनाम करते रहते हैं यही उनकी एनर्जी का सबसे बड़ा राज है साथ ही वो बड़ा आदमी बनने के लिए हमेंशा बड़ों को ही बदनाम करते हैं जैसे CM बनने के लिए CM को बदनाम करते रहते थे वैसे ही आज  PM बनने के लिए PM को बदनाम किया करते हैं इसके अलावा अपने को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी कर पाना उनके बश का भी नहीं है और अन्ना जैसे संत उनके लिए अपना बलिदान देने के लिए बार बार क्यों तैयार होंगे !वैसे भी उनका अब बुढ़ापा है । इसीलिए केजरीवाल जी को अब तो सहारा मात्र दूसरों को बदनाम करने का ही रह गया है उसी से जो कुछ मिले सो मिले ! और तो भगवान ही मालिक है । बंधुओ !इसीलिए आजकल यदि  केजरीवाल जी को जुकाम तक हो जाए तो सीधे मोदी जी को ठहरा देते हैं जिम्मेदार !
    ऐसे लोग खुद को ईमानदार दिखाने के लिए औरों को बेईमान सिद्ध करते रहते हैं अपने को शक्तिमान सिद्ध करने के लिए सही सरल सीधे गुणी ईमानदार एवं प्रतिक्रिया विहीन भले लोगों को धक्का देकर अपनी ताकत दिखाते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये हमारे विरुद्ध कुछ करेंगे ही नहीं या कुछ कर ही नहीं सकते क्योंकि ये ईमानदारी सिद्धांतवादिता आदि आचार व्यवहारों को अपना आदर्श मानते हैं ये उससे समझौता नहीं कर सकते !
     केजरीवाल अपनी सिधाई सादगी सदाचरण सेवाभावना आदि प्रदर्शित करके अपने साथ जुड़े लोगों के हृदयों में उतरते हैं और वो ठीक ठीक से समझते हैं कि सामने वाले ने अभी तक क्या किया है आज क्या कर रहा है  और आगे क्या करना चाहता है ये तीनों बातें जानकर जो कर चुका है उसकी प्रशंसा कर देते हैं जो कर रहा है  उसकी व्यक्तिगत योजना की वैचारिक सर्जरी करके अपनी ओर मोड़ लेते हैं और जो उसके भविष्य के सपने हैं उन्हें अपनी नैतिकता आदर्श जनसेवा एवं ईश्वरवादिता आदि की तपस्या की कृत्रिम अग्नि में पिघला लेते हैं कुलमिलाकर सामने वाले को महत्त्वाकाँक्षा की दृष्टि से पहले नपुंसक बना लेते हैं फिर धीरे धीरे उसके अंदर ईश्वरीय भावनाएँ भरते हैं जब वो महत्वाकाँक्षा विहीन और इस दुनियाँ से विरक्त होकर आदर्शवाद के पथ पर चलते हुए स्वामी श्री श्री 1008 केजरीवाल जी महाराज के प्रति समर्पित होकर कार्य करने लग जाता है!ऐसे लोगों के सहयोग और समर्पण से जब एक पार्टी खड़ी होती है तब वही स्वामी श्री श्री 1008 केजरीवाल जी महाराज  अचानक  वो नैतिकता वो वैराग्य वो सादगी वो आम आदमीपन मिटने लगता है और सेठों साहूकारों राजाओं महाराजाओं की तरह केंचुल बदलने लगते हैं मुख्यमंत्री केजरीवाल !
   अब इनकी सादगी की हवाइयाँ उड़ रही होती हैं अब इन्हें महँगी गाड़ी महँगा घर सुख सुविधापूर्ण जीवन सिक्योरिटी आदि सब कुछ चाहिए होता है विज्ञापनों के नाम पर अपना चेहरा दिखाने के लिए सैकड़ों करोड़ का बजट पास करते हैं जो उनके अपने एवं अपनों की  संपत्ति बर्धन के काम आता है !ये सब देख सुनकर कर वो भूतपूर्व महत्वाकाँक्षामुक्त कार्यकर्ता केजरीवाल जी की चतुराई समझने लगता है और अपने भी पूर्व में विसर्जित कर चुका सपने फिर से सँवारने लगता है और अंदर ही अंदर उनसे सादगी के लिए संग्राम करने लगता है आखिर वो समाज को कैसे मुख दिखावे ! जब उसकी कोई सुनवाई ही नहीं होती है तब वो भी अपने शुष्क सपने फिर से हरे करने लगता है और बेचने लगता है वो भी अपनी सादगी और आदर्शवाद कमाने लगता है पैसा उन्हीं माध्यमों से जिनकी कभी निंदा किया करता था यह सब देखकर जब उसे ऐसा करने से रोका  जाने लगता है तब वो न केवल प्रकट करने लगता है अपनी दबी कुचली सुषुप्त इच्छाएँ अपितु उनकी पूर्ति के लिए उनसे करने लगता है दो दो हाथ !और जब ऐसा करने वालों की संख्या अधिक हो जाती है तो उन्हें बगावत भय से डाँटने की अपेक्षा फुसलाया जाता है और उनकी भी बढ़ा दी जाती है सैलरी किंतु कहाँ विज्ञापन के नाम पर हथिआए गए सैकड़ों करोड़ और कहाँ लाख दो लाख की  सैलरी !आखिर कैसे संतोष हो !ऐसी परिस्थिति में वो अपना धंधा जारी रखते हैं और उतर जाते हैं बगावत पर तब उनका कराया जाता है स्टिंग और धक्का देकर कर दिया जाता है पार्टी से बाहर !अब वो हक्काबक्का कार्यकर्ता मीडिया के सामने क्या कहे क्या छिपाए !अब कुछ क्षणों में ही छीन जाता है उसका मंत्रिपद पार्टी साथी प्रतिष्ठा आदि सबकुछ !अब वो मीडिया के सामने न तो रो पा रहा होता है और हँसने के लायक छोड़ा नहीं गया होता है !वो महामुनि की सादगी की पोल तो खोलना चाहता है किंतु उनके अधिकारों का भय होता है और उनके पास दबे छिपे अपने सीक्रेट खुल जाने का भय होता है !
         अथ श्री आमआदमी पार्टी की अवतार कथा 

आमआदमीपार्टी ' के नाम से लेकर ओढ़ी गई बनावटी सादगी तक किसी की नक़ल तो नहीं है !जानिए किसकी ?    हमारे इस लेख से लिए गए आम आदमी पार्टी का नाम और रीति रिवाज सादगी साधुता आदि आदि !और चुनाव जीतने के बाद भाग गई सारी सादगी ! देखा देखी में ओढ़ी हुई चीजें बहुत समय तक नहीं चल पातीं !हाँ यदि ये सादगी उनके अपने वास्तविक स्वभाव में होती तो सादगी इतनी जल्दी बोझ नहीं बनती !
    दूसरों को बेईमान और चोर बताने वाले ये आपिए खुद कितने ईमानदार हैं? वे कितना सच बोलते हैं,उनका रहन सहन क्या वास्तव में इतना ही सादगी पूर्ण है या अतीत में भी ऐसा ही रहा है?मेरा अनुमानित आरोप है कि  मेरे लेख से चुराई हुई आम आदमी की रहन सहन शैली का  अभिनय और आडम्बर मात्र करते हुए वैसा ही बनने और  दिखने का प्रयास अचानक किया जाने लगा है !अन्यथा ये सुख सुविधापूर्ण जीवन जीने वाले ,गाड़ियों से चलने एवं अच्छे अच्छे भवनों में रहने और महँगे महँगे स्कूलों में अपने बच्चे पढ़ाने वाले केजरीवाल एवं उनके साथी लोग रातोंरात आम आदमीsee more.... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/07/blog-post_28.html

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