क्या ग़रीबों के बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने को चलाए जा रहे हैं सरकारी स्कूल और रखे जाते हैं गैर जिम्मेदार सरकारी शिक्षक !शिक्षकों से क्यों नहीं कहा जाता कि वे अपने बच्चे भी सरकारीस्कूलों में ही पढ़ाएँ !
जब ये बात सबको पता है कि भारत के हर विभाग में भयंकर भ्रष्टाचार है तो शिक्षकों की नियुक्ति में क्या नहीं हुआ होगा भ्रष्टाचार !ये इतने विश्वास से कैसे कहा जा सकता है कि नौकरी पाने के लिए घूस नहीं ही देनी पड़ी होगी !घूस देकर नौकरी पाने वाले पढ़ा भी पाते होंगे क्या ?यदि नहीं तो ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कैसे किया जाए और कैसे उन्हें निकाल बाहर किया जाए !
जब ये बात सबको पता है कि भारत के हर विभाग में भयंकर भ्रष्टाचार है तो शिक्षकों की नियुक्ति में क्या नहीं हुआ होगा भ्रष्टाचार !ये इतने विश्वास से कैसे कहा जा सकता है कि नौकरी पाने के लिए घूस नहीं ही देनी पड़ी होगी !घूस देकर नौकरी पाने वाले पढ़ा भी पाते होंगे क्या ?यदि नहीं तो ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कैसे किया जाए और कैसे उन्हें निकाल बाहर किया जाए !
सरकारी स्कूलों में कुछ टीचर पढ़े नहीं होते कुछ टीचरों को पढ़ाना नहीं आता और कुछ पढ़ाते नहीं हैं कुछ का पढ़ाने में
मन नहीं लगता तो कुछ पढ़ाना जरूरी नहीं समझते! ऐसे लोगों का मनना होता है कि काम ही करना होता तो सरकारी नौकरी ही क्यों करते फिर तो प्राइवेट भी बहुत थीं ! ऐसे टीचरों के अपने बच्चे प्राईवेट स्कूलों में पढ़ते हैं
खुद गरीब बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने चले आते हैं सरकारी स्कूलों में !ऐसे सरकारी शिक्षकों का इरादा यदि बच्चों को पढ़ाना ही होता तो अपने बच्चे क्यों
नहीं पढ़ाते सरकारी स्कूलों में !सरकारें यदि ईमानदार होतीं तो इनसे कहतीं कि सरकारी नौकरी करनी है तो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना होगा किंतु उनका अपना डर है कि फिर हमें भी अपने बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने पड़ेंगे !उससे अच्छा है ग़रीबों के बच्चों की ही जिंदगी बर्बाद होने दो! कुल मिलाकर इस साजिश में सरकारें बुरी तरह से सम्मिलित हैं !
सरकारी स्कूल भी भ्रष्टाचार से अछूते
नहीं हैं जितनी सैलरी में प्राइवेट स्कूलों को चार चार टीचर आसानी से मिल
जाते हैं सरकारी स्कूल में एक एक शिक्षक को दी जा रही है वो सैलरी ! सरकारों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है !जब अच्छे अच्छे प्राइवेट स्कूलों को दस दस पंद्रह पंद्रह हजार में पढ़े लिखे और परिश्रमी शिक्षक मिल जाते हैं जो इतना अच्छा पढ़ाते हैं कि सरकारों में सम्मिलित बड़े बड़े लोग अफसर आदि अपने बच्चों को तो उन्हीं स्कूलों में पढ़ाते हैं जिनमें ऐसे परिश्रमी प्राइवेट शिक्षक पढ़ाते हैं और ग़रीबों के बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने को सरकारें चला रही हैं सरकारी स्कूल !जनता का पैसा है इसलिए बर्बाद करना जरूरी है क्या ?
कम सैलरी वाले प्राइवेट शिक्षक सरकारी स्कूलों को क्यों नहीं मिलते !अरे उतने ही पैसों में एक शिक्षक की सैलरी में चार शिक्षक रखो स्कूलों को अधिक शिक्षक मिल जाएँ वो भी जरूरतमंद जिन्हें नौकरी की कदर और शिक्षक होने का स्वाभिमान हो ,जो मेहनत और लगन से बच्चों को पढावें न धरना दें न प्रदर्शन करें न पेंसन देनी पड़े जब तक काम तब तक सैलरी इससे जनता की बेरोजगारी घटे स्कूलों का वातावरण सुधरे शिक्षा ग़रीबों को भी मिलने लगे !
शिक्षा प्रक्रिया की पोल न खुले इसलिए कक्षाओं में अभिभावकों को जाने से पहले तो चौकीदार रोक लेता है यदि उसने जाने दिया तो प्रेंसिपल रोक लेता है वस्तुतः इन लोगों को पता होता है कि हमारे शिक्षक पढ़ाने के अलावा सबकुछ कर रहे होंगे ये वहाँ जाएँगे तो चार तरह की बातें उठेंगी सच भी है कोई भी अपने बच्चों की जिंदगी बर्बाद होते देखकर कैसे सह पाएगा ! स्कूलों में न पढ़ाने के लिए शिक्षकों को सरकार ने इतने अधिक बहाने उपलब्ध करा रखे हैं कि बिना पढ़ाए सारा जीवन गुजार सकते हैं सरकारी शिक्षक !फिर भी सैलरी लेते रहेंगे पेंसन भी लेंगे !
मजे की बात शिक्षा के साथ हो रही इन साजिशों में सरकारें सम्मिलित हैं सरकारों में सम्मिलित लोग चाहते ही नहीं हैं कि ग़रीबों के बच्चे पढ़ लिख कर कुछ बनें !उसमें उनका स्वार्थ होता है कि बिना पढ़े लिखे लोग जैसा हमलोग कहेंगे वैसा करते जाएँगे पढ़े लिखे होंगे तो किंतु परंतु करके हमारे लिए रोज समस्याएँ खड़ी करते रहेंगे !गरीब लोग जितने पढ़ गए ये नेता लोग उन्हीं से तंग हैं इनका बस चलता तो ये उन्हें भी नहीं पढ़ने देते !