Saturday, 30 April 2016

सरकारी स्कूलों में शिक्षक पढ़ाने के अलावा और सबकुछ कर लेते हैं कभी किसी को पढ़ाते मिले हों तो बताओ !

    क्या ग़रीबों के बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने को चलाए जा रहे हैं सरकारी स्कूल और रखे जाते हैं गैर जिम्मेदार सरकारी शिक्षक !शिक्षकों से क्यों नहीं कहा जाता कि वे अपने बच्चे भी सरकारीस्कूलों में ही पढ़ाएँ !
     जब ये बात सबको पता है कि भारत के हर विभाग में भयंकर भ्रष्टाचार है तो शिक्षकों की नियुक्ति में क्या नहीं हुआ होगा भ्रष्टाचार !ये इतने विश्वास से कैसे कहा जा सकता है कि नौकरी पाने के लिए घूस नहीं ही देनी पड़ी होगी !घूस देकर नौकरी पाने वाले पढ़ा भी पाते होंगे क्या ?यदि नहीं तो ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कैसे किया जाए और कैसे उन्हें निकाल बाहर किया जाए !
     सरकारी स्कूलों में कुछ टीचर पढ़े नहीं होते कुछ टीचरों को पढ़ाना नहीं आता और कुछ पढ़ाते नहीं हैं कुछ का पढ़ाने में मन नहीं लगता तो कुछ पढ़ाना जरूरी नहीं समझते! ऐसे लोगों का मनना होता है कि काम ही करना होता तो सरकारी नौकरी ही क्यों करते फिर तो प्राइवेट भी बहुत थीं ! ऐसे टीचरों के अपने बच्चे प्राईवेट स्कूलों में पढ़ते हैं खुद गरीब बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने चले आते हैं सरकारी स्कूलों में !ऐसे  सरकारी शिक्षकों का इरादा यदि बच्चों को पढ़ाना ही होता तो अपने बच्चे क्यों नहीं पढ़ाते सरकारी स्कूलों में !सरकारें यदि ईमानदार होतीं तो इनसे कहतीं कि सरकारी नौकरी करनी है तो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना होगा किंतु उनका अपना डर है कि फिर हमें भी अपने बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने पड़ेंगे !उससे अच्छा है ग़रीबों के बच्चों की ही जिंदगी बर्बाद होने दो! कुल मिलाकर इस साजिश में सरकारें बुरी तरह से सम्मिलित हैं !
      सरकारी स्कूल भी भ्रष्टाचार से अछूते नहीं हैं जितनी सैलरी में प्राइवेट स्कूलों को चार चार टीचर आसानी से मिल जाते हैं सरकारी स्कूल में एक एक शिक्षक को दी जा रही है वो सैलरी ! सरकारों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है !जब अच्छे अच्छे प्राइवेट स्कूलों को दस दस पंद्रह पंद्रह हजार में पढ़े लिखे और परिश्रमी शिक्षक मिल जाते हैं जो इतना अच्छा पढ़ाते हैं कि सरकारों में सम्मिलित बड़े बड़े लोग अफसर आदि अपने बच्चों को तो उन्हीं स्कूलों में पढ़ाते हैं जिनमें ऐसे परिश्रमी प्राइवेट शिक्षक पढ़ाते हैं और ग़रीबों के बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने को सरकारें चला रही हैं सरकारी स्कूल !जनता का पैसा है इसलिए बर्बाद करना जरूरी है क्या ?
     कम सैलरी वाले प्राइवेट शिक्षक सरकारी स्कूलों को क्यों नहीं मिलते !अरे उतने ही पैसों में एक शिक्षक की सैलरी में चार शिक्षक रखो स्कूलों को अधिक शिक्षक  मिल जाएँ वो भी जरूरतमंद जिन्हें नौकरी की कदर और शिक्षक होने का स्वाभिमान हो ,जो मेहनत और लगन से बच्चों को पढावें न धरना दें न प्रदर्शन करें न पेंसन देनी पड़े जब तक काम तब तक सैलरी इससे जनता की बेरोजगारी घटे  स्कूलों का वातावरण सुधरे शिक्षा ग़रीबों को भी मिलने लगे !
       शिक्षा प्रक्रिया की पोल न खुले इसलिए कक्षाओं में अभिभावकों को  जाने से पहले तो चौकीदार रोक लेता है यदि उसने जाने दिया तो प्रेंसिपल रोक लेता है वस्तुतः इन लोगों को पता होता है कि हमारे शिक्षक पढ़ाने के अलावा सबकुछ कर रहे होंगे ये वहाँ जाएँगे तो चार तरह की बातें उठेंगी सच भी है कोई भी अपने बच्चों की जिंदगी बर्बाद होते देखकर कैसे सह पाएगा ! स्कूलों में न पढ़ाने के लिए शिक्षकों को सरकार ने इतने  अधिक बहाने उपलब्ध करा रखे हैं कि बिना पढ़ाए सारा जीवन गुजार सकते हैं सरकारी शिक्षक !फिर भी सैलरी लेते रहेंगे पेंसन भी लेंगे !  
      मजे की बात शिक्षा के साथ हो रही इन साजिशों में सरकारें सम्मिलित हैं सरकारों में सम्मिलित लोग चाहते ही नहीं हैं कि ग़रीबों के बच्चे पढ़ लिख कर कुछ बनें !उसमें उनका स्वार्थ होता है कि बिना पढ़े लिखे लोग जैसा हमलोग कहेंगे वैसा करते जाएँगे पढ़े लिखे होंगे तो किंतु परंतु करके हमारे लिए रोज समस्याएँ खड़ी करते रहेंगे !गरीब लोग जितने पढ़ गए ये नेता लोग उन्हीं से तंग हैं इनका बस  चलता तो ये उन्हें भी नहीं पढ़ने देते !
  

Tuesday, 26 April 2016

अन्ना का व्यक्तित्व !अब कन्हैया कुमार की पढ़ाई और PK की प्रतिष्ठा

   पिछले चुनावों में नेता बनने शौक पूरी करने के लिए धार पर लगाया गया था अन्ना का व्यक्तित्व !अब कन्हैया कुमार की पढ़ाई और PK की प्रतिष्ठा लगाया जा रहा है दाँव पर !अरे जिन्हें अपनी बुद्धिमत्ता पर शक है वो PK जैसे समझदारों की सेवाएँ लेकर चुनाव यदि जीत भी गए तो जनता की जिंदगी नर्क करेंगे !कन्हैया की जिंदगी बर्बाद करने के लिए हवा भरने वाले  नेताओं की सोच भी उसके अपने लिए हितकारी नहीं है केवल उसके कंधे पर बन्दूक रखी जा रही है जैसे किसी पशु शव को देखकर सुदूर आकाश में  उड़ते गिद्ध उस पर टूट पड़ते हैं इसका मतलब उस पशु के प्रति उनकी हमदर्दी नहीं है अपितु केवल उनकी मांस भावना है ठीक इसी प्रकार से अखलाक ,रोहित या  कन्हैया प्रकरण उठाया कितनी भी जोर शोर से किसी के भी द्वारा गया हो किंतु उन लोगों से अपनापन नहीं था केवल वोट भावना थी ये इतनी घातक है कि किसी के सुख दुःख को भी नहीं समझती किसी के ऊपर आई आपत्ति विपत्ति को भी कैस करते हैं ये लोग !शवों के पास खड़े होकर सरकारों को गरियाते हैं बेशर्म !उसके बाद भूल जाते हैं ये है हमदर्दी !मैं तो कहूंगा कि केवल सरकारों को गाली देने ही जाते हैं वहां !शायद जनता इसी बहाने सुन ले उन गिरे लोगों की बातें !
 जनता की नजरों से  गिर चुके नेताओं के हीरो  कन्हैेये ! दिल्ली का मुख़्यमंत्री बनने के लिए ऐसी वैसी हरकतें मत कर !गला वला मत दबवा क्या भरोस किसी दिन कोई जोर से न  दबा दे ! अरे पगले ! फैसले कभी अपनी सुविधानुसार नहीं आया करते !ये नक्सलियों की निजी पंचायतों में होता होगा कि जो अपने को पसंद न आवे उसे कह दो अस्वीकार्य है!अगर कोई ऐसे फैसलों से असहमत भी हो तो भी अपनी बात कहने के लिए कानून की शरण ले या बाया  लोकतंत्र चुनौती दे !ऊट पटांग बोल बोल कर JNU जैसे बड़े शिक्षण संस्थानों की प्रतिष्ठा के साथ क्यों खिलवाड़ करता जा रहा है यहाँ तुम अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहे अपितु अपने विश्व प्रसिद्ध  शिक्षण संस्थान के संस्कारों का इतना गंदा परिचय दे रहे हो तुम !राजनीति करने के लिए झुट्ठौ अपना गला दबवाते घूम रहा है !अपने ऊपर क्यों करवा रहा है कागजी हमले ! दिल्ली का मुख़्यमंत्री बनना चाह रहा है क्या ?अपने ऊपर जूते मत फेंकवा ! राजनीति करनी है तो विश्व विद्यालय की बेइज्जती भी मत करा सीधे राजनीति में आ !अन्यथा लोग पढ़ने लिखने वाले छात्रों को भी तुम्हारी दृष्टि से ही देखने लगेंगे !वहाँ के पढ़ने लिखने वाले छात्रों पर रहम कर !बक्स दे वहाँ पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य और बना रहने दे वहाँ के शिक्षकों का गौरव ! तेरे बहाने ही सही वहाँ के 'कंडोमों' तक की चर्चा तो हो गई और कितनी बेइज्जती करवाना चाह रहा है JNU की !ऐसे कैसे कोई माता पिता अपने बेटा बेटियों को ऐसे शिक्षण संस्थानों में भेजना पसंद करेगा !  
     जनता की नजरों से  गिर चुके राजनेताओं के हीरो हैं PK और कन्हैया! ऐ  कन्हैेये ! दिल्ली का मुख़्यमंत्री बनने के लिए ऐसी वैसी हरकतें मत कर !गला वला मत दबवा क्या भरोस किसी दिन कोई जोर से न  दबा दे अपने ऊपर जूता मत फेंकवा !बल्कि तुम मुख्यमंत्री बनोगे तो क्या करोगे दिल्ली वालों के साथ उसके लिए ये अपना एक अलग नारा दे दे - जैसे -"   "  'न ऑड न इवेन' रोड रहेंगे बिलकुल खाली ! न गाड़ियाँ  न एक्सीडेंट ! न ट्रेफिक न ट्रेफिक व्यवस्था !रोडों  पर न आदमी न औरतें !न अपराध न बलात्कार !घर घर सामान पहुँचाएगी दिल्ली सरकार !"
    अरे झुट्ठे कन्हैेये ! किसकी लड़ाई लड़ रहे हो तुम ! क्यों भ्रम फैला रहे हो समाज में !अचानक क्यों होने लगे तेरे ऊपर हमले पहले क्यों नहीं हुए !  दिल्ली के अगले चुनावों में मुख्यमंत्री बनने के लिए ये ऊट पटांग हरकतें कर रहे हो तो साफ साफ कहो उसके लिए जहाज में जाकर गला दबवाने की क्या जरूरत !
  अब कन्हैया भी दिल्ली के मुख़्यमंत्री पद का सशक्त दावेदार है मुख्यमंत्री बनने कला उसे भी आ गई जूतेचप्पल फेंकवा रहा है अपने ऊपर !जेल घूम आया !अपने ऊपर हमले करवा लेता है ,अपने को धमकी धुमकी दिलवा लेता है !मुख़्यमंत्री बनाने वाली ऐसी बहुत हरकतें सफलता पूर्वक कर चुका है वो !
   अगली शर्दियों से अपनी लीला मंडली के साथ रजाई लेकर जंतर मंतर की रोडों पर लेटेगा ,ग़रीबों का हमदर्द दिखने के लिए कुछ दिन रात  झुग्गियों में गुजारेगा !दलितों का हमदर्द दिखने के लिए अंबेडकर साहब की मूर्ति कुछ दिन साथ लेकर घूमेगा! चोरी चोरी व्यापारियों से चंदा लेगा ! सवर्णों और पैसे वालों के प्रति घृणा पैदा करेगा ! सरकारों और नेताओं को बेईमान बताएगा अपने को आम आदमी बताएगा ऐसा करते करते बन जाएगा अगले चुनावों में मुख़्यमंत्री !बारी दिल्ली बारे दिल्ली वाले कितनी जल्दी और कैसी कैसी बातों से खुश हो जाते हैं ! 
     मोदीद्रोहियों का हीरो है कन्हैया !दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने तक वो हर हरकत करेगा जो करते कर रहा जो इसके लिए इसलिए वो वैसी हर हरकत कर रहा है ! नेता बनने के लिए जूते चप्पल स्याही आदि अपने ऊपर फेंकवा कर विरोधियों का नाम लगा देना फैशन सा बनता जा रहा है ! नेता बनने वाले ऐसे राजनीति के शौकीनों पर कसी जाए नकेल !
     कितने गंदे होते हैं वे लोग जो देश समाज एवं देश के प्रतीकों के प्रति यह जानते हुए भी कि इससे उत्तेजना फैलेगी फिर भी  ऊटपटाँग बोलकर समाज को भड़का देते हैं और बाद में माँगते हैं सिक्योरिटी !ऐसे बड़बोले नेताओं को  सिक्योरिटी मिलनी बंद हो जाए तो ये डरपोक लोग ऊटपटाँग बोलना बंद कर देंगे !अन्यथा ऐसे सरकार कहाँ कहाँ किसको किसको रखाती घूमेंगी !वो भी जनता के पैसे पर ये जनधन का दुरूपयोग है !ये गलत है जनता के साथ सरासर अन्याय है । जनता पर तेंदुए हमला कर रहे हैं महिलाओं पर अपराध बढ़ते जा रहे हैं उन्हें सिक्योरिटी नहीं है नेताओं को रखाते घूम रहे हैं सुरक्षा कर्मी !
     आजकल नेता बनने के लिए कई लोग अपने हमदर्दों से या फिर ठेका या भाड़ा देकर अपने ऊपर जूते चप्पल स्याही आदि हलकी फुल्की चीजें फेंकवाने लगे हैं उन्हें लगने लगा है कि ऐसी ही हरकतें कर के इतने कम समय में यदि कोई मुख्यमंत्री बन सकता है तो मैं क्यों नहीं !
       ऐसे लोगों को चाहिए कि जूते चप्पल चाँटे आदि मार मार कर उन्हें नेता बनाने वाले अपने वालेंटियर्स को कभी नहीं भूलना चाहिए उचित तो ये है कि मंत्री आदि बन जाने के बाद किसी बड़े ग्राउंड में ऐसे अपने वालेंटियर्स के सम्मान के लिए भव्य समारोह करना चाहिए।आपको याद होगा कि अभी कुछ वर्ष पहले एक नेता ने ऐसा किया भी था !एक आम आदमी ने बकायदा अपने वालेंटियर से खुली सभा में चाँटा मरवाकर बाद में उसके घर इस बात के लिए धन्यवाद देने  गया था कि आपके कठिन प्रयास से मीडिया कवरेज बहुत मिली !
     इससे मीडिया कवरेज पूरा मिलता है और नुक्सान कुछ भी होता नहीं है !कुलमिलाकर  जूता और स्याही फेंकने वाले होते हैं नेताओं के अक्सर अपने हमदर्द लोग !आम जनता में इतनी हिम्मत कहाँ होती है वो तो दो चांटे सहकर आ जाते हैं अपने घर !
     कानपुर का एक संस्मरण मुझे याद है बात 1995 की है मेरे परिचित एक दीक्षित जी हैं जो जिला स्तरीय राजनीति में हाथ पैर मारते मारते थक चुके थे कोई जुगत काम नहीं कर रही थी बेचारे राजनीति में कुछ बन नहीं पाए थे !मैंने एक दिन उनसे पूछ दिया कहाँ तक पहुँच पाई आपकी राजनीति ? वो बोले पहुँची तो कहीं नहीं ठहरी हुई है तो हमने कहा क्यों हाथ पैर मारो संपर्क करो लोगों से !तो उन्होंने कहा कि ये सब जितना होना था वो चुका अब तो नेता बनने का डायरेक्ट जुगाड़ करना होगा ,तो मैंने कहा कि वो कैसे होगा तो उन्होंने कहा कि धन और सोर्स है नहीं न कोई खास काबिलियत ही है अब तो राजनीति में सफल होने के लिए लीक से हट कर ही कुछ करना होगा मैंने पूछा  वो क्या ? तो उन्होंने कुछ बिंदु सुझाए - 
  • पहली बात यदि मैं ब्राह्मण न होता तो ब्राह्मणों सवर्णों को गालियाँ दे दे कर नेता बनने की सबसे लोकप्रिय विधा है जिससे बहुत लोग ऊँचे ऊँचे पदों पर पहुँच गए ! 
  • दूसरी बात बड़े बड़े मंचों पर खड़े होकर मीडिया के सामने देश के मान्य महापुरुषों प्रतीकों को गालियाँ दी जाएँ, दूसरे बड़े नेताओं पर चोरी, छिनारा ,भ्रष्टाचार आदि के आरोप लगाए जाएँ ,गालियाँ दी जाएँ महापुरुषों की मूर्तियाँ या देश के प्रतीक तोड़े जाएँ जिससे बड़ी संख्या में लोग आंदोलित हों ! 
  • तीसरी बात किसी सभा में मंच पर अपने ऊपर स्याही या जूता चप्पल आदि कोई भी हलकी फुल्की चीजें फेंकवाई जाएँ जिससे चोट  लगने की  सम्भावना भी न  हो  और प्रसिद्धि भी पूरी मिले इससे एक ही नुक्सान हो सकता है कि सारा अरेंजमेंट मैं करूँ और फेंकने वाले का निशाना चूक गया तो बगल में बैठा कार्यकर्ता नेता बन जाएगा मैं फिर बंचित रह जाऊँगा इस सौभाग्य से ! 
  •  चौथी बात अपने घर में जान से मारने की धमकी जैसे पत्र किसी से लिखवाए भिजवाए जाएँ किंतु पोल खुल गई  तो फजीहत ! 
  •   पाँचवीं बात अपने आगे पीछे  कहीं बम  वम लगवाए जाएँ जो अपने निकलने के पहले या बाद में फूटें किंतु बम लगाने वाला इतना एक्सपर्ट हो तब न !अन्यथा थोड़ी भी टाइमिंग गड़बड़ाई तो क्या होगा पता नहीं ! 
  •  छठी बात किसी दरोगा सिपाही से मिला जाए और उससे टाइ अप किया जाए कि वो यदि किसी चौराहे पर मुझे बेइज्जती कर करके  गिरा गिराकर कर मारे इससे मैं नेता बन जाऊँगा और उसकी तरक्की हो जायेगी !इसी प्रकार से यदि मैं किसी किसी दरोगा को मारूँ तो मैं नेता बन जाऊँगा और उसका ट्राँसफर हो जाएगा ! 
  • सातवीं बात किसी जनप्रिय विंदु को मुद्दा बनाकर खुले आम आमरण अनशन या आत्म हत्या की घोषणा की जाए किंतु कोई मनाने क्यों आएगा मेरा कोई कद तो है नहीं !
  • किसी बड़े नेता पर बलात्कार का आरोप लगाकर प्रसिद्ध हो जाए और  प्रसिद्ध होने पर राजनीति में कद बढ़ ही जाता है किंतु मैं तो ये भी नहीं कर सकता!क्योंकि मैं महिला नहीं हूँ । 
  • यदि मैं अल्प संख्यक होता तो अपने धर्म स्थल की रात बिरात कोई दीवार तोड़वा देता बाद में बनती तो बन जाती नहीं बनती तो भी क्या किंतु मैं अपने धर्म का मसीह बन बैठता लोग हमें मनाते फिरते चुनाव  लिए किंतु मैं ब्राह्मण हूँ ये भी नहीं कर सकता !

Friday, 22 April 2016

कुल मिलाकर दिल्ली सरकार में बैठे नेता नौसिखिए हैं इन्हें केवल निंदा करना आता है इसलिए इनकी बौद्धिक मदद करने के लिए विपक्षी दलों के अनुभवी नेताओं को आगे आना चाहिए अन्यथा ये पाँच साल ऐसे ही पार कर देंगे ! विपक्ष के वो अनुभवी लोग सरकार को प्रचार प्रसार के लिए 'ऑडइवन'जैसी बहु बहुखर्चीली निरर्थक योजनाओं को रोकने के लिए बाध्य करें !जिससे 'ऑडइवन'जैसी योजनाओं के प्रचार प्रसार पर जनता के विकास के लिए जनता के द्वारा टैक्स रूप में प्राप्त धन का दुरूपयोग रोका जा सके ! जनता के धन का सदुपयोग तथा जनता के हितों की रक्षा करना और जनहित के काम करने के लिए सरकारों को बाध्य करना ये विपक्ष की अपनी भी जिम्मेदारी है !
    'ऑडइवन'में दिल्लीसरकार ने प्रशासन और जनता से लेकर मीडिया तक को उलझा रखा है इस योजना के न कोई तर्क है न कोई परिणाम !केवल ऐसी योजनाओं के प्रचार में पैसा फूँका जा रहा है !टीवी चैनलों से लेकर बैनरों पोस्टरों तक हर जगह 'ऑडइवन'का केवल प्रचार है इसमें पैसे क्या नहीं लग रहे होंगे!आखिर वो पैसे हैं तो  दिल्ली की जनता के जो दिल्ली के विकास के लिए देती है जनता !वही जनता परेशान है तो लानत है ऐसी  योजनाओं को !
   दिल्ली सरकार में बैठे नेता यदि नौसिखिए हैं तो ऐसे नेताओं की बौद्धिक मदद करने के लिए विपक्षी दलों के अनुभवी नेताओं को आगे आना चाहिए और इन्हें समझाना चाहिए कि जनहितकारी योजनाओं को लागू करने का मजा ही तभी है जब जनता तंग न हो ! इतनी बड़ी मेट्रो बनी जनता दुखी नहीं हुई किंतु 'ऑडइवन'से दुखी है ऊपर से चार लफोडे टीवी चैनलों के सामने आकर बोल जाते हैं कि 'ऑडइवन'से दिल्ली की जनता तो खुश है पता नहीं इस ख़ुशी के सैम्पल कहाँ से उठाते हैं ये लोग या फिर झूठ बोलते हैं । 
    'ऑडइवन' से धनी लोगों को तो कोई ख़ास दिक्कत नहीं वो गाड़ियाँ बढ़ा लेते हैं किंतु मध्यमवर्गीय लोग जिन्होंने लोन पर गाड़ियाँ ली हुई हैं जिसका ब्याज आज भी भर रहे हैं वे उन्हें बिना गाड़ी वाला बना रही गई दिल्ली सरकार   !
      विपक्ष को चाहिए कि वो सरकार को बाध्य करे कि आम आदमी पार्टी के नेता अपने प्रचार प्रसार के लिए ऐसी निरर्थक बहु बहुखर्चीली योजनाएँ रोकें !'ऑडइवन'जैसी योजनाओं के प्रचार प्रसार पर जनता के विकास के लिए जनता के द्वारा टैक्स रूप में प्राप्त धन का दुरूपयोग रोका जा सके !
      जनता के धन का सदुपयोग तथा जनता के हितों की रक्षा करना और जनहित के काम करने के लिए सरकारों को बाध्य करना ये विपक्ष की अपनी भी जिम्मेदारी है !     दिल्ली को जाम मुक्त बनाने के लिए रोडों पर से अतिक्रमण हटाना बहुत आवश्यक है कई जगह तो जितनी चौड़ी रोडें कागजों में हैं मौके पर उसकी आधी चौथाई ही बची हैं बाक़ी पर लोगों ने कब्ज़ा कर रखा  है कई जगह रोडें टूटी पड़ी हैं पूर्वी दिल्ली की कुछ बस्तियां नक्सा पास होने के बाद भी अतिक्रमण के कारण ऐसी हैं कि किसी को अचानक किसी बड़े अस्पताल की जरूरत पड़े तो समय से पहुँच पाना असम्भव होगा !इसमें उनका क्या दोष है ये तो सरकारों की लापरवाही है । 
       कई जगह चौराहों पर जाम लगता जाएगा भीड़ बढ़ती जाएगी किंतु वहाँ या तो पुलिस होती नहीं या उसे मतलब नहीं होता है  देखा करती है कई बार तो बहुत बड़े बड़े जाम के इतने छोटे छोटे कारण होते हैं कि कोई जरा से इशारा कर दे तो जाम खुल जाए किंतु इतना करने वाले लोग भी उपलब्ध नहीं हैं !पुलिस वाले सामने खड़े होते हैं । 
    ऐसी जगहों पर 'ऑडइवन' के समय जाम नहीं लगने पाता क्योंकि इन दिनों में प्रशासन सतर्क रहता है वालेंटियर अपनी सेवाएँ देते हैं मीडिया भी सतर्क रहता है इसलिए जाम लगाने वाले लोग भी चौकन्ने रहते हैं ऐसे  कारणों से यदि थोड़ा  प्रदूषण घट भी जाए तो सरकार अपनी पीठ थपथपाने लगती है जबकि 'ऑडइवन' के बिना भी रोडों पर यदि ऐसी  सतर्कता बरती जाए तो बिना 'ऑडइवन' के भी जाम एवं प्रदूषण पर 'ऑडइवन'जैसा नियंत्रण तो किया ही जा सकता है ।
    'ऑडइवन' जैसी सरकारी लीलाओं से आज हर वर्ग परेशान है जिनका संबंध प्रदूषण घटाने से कम अपनी पार्टी नेताओं के चेहरे चमकाने से ज्यादा है । दिल्ली के लोगों की व्यस्ततम जिंदगी में 'ऑडइवन'नामक एक नया बखेड़ा खड़ा कर रही है दिल्ली सरकार जिससे दिल्ली की जनता का कोई विशेष भला होते नहीं दिखता !

Sunday, 17 April 2016

नितीश जी ! चूहे इकट्ठे होकर भी बिल्ली के गले में घंटी नहीं बाँध सकते ! संघ मुक्त भारत की बात करने से पहले संघ को समझो CM साहब !

 हे नितीश जी !आप जैसे आधे अधूरे सीएमों के बस का कहाँ है संघ मुक्त भारत बनाना ! नितीश जी ! CM कुर्सी  में मात्र पौने दो टाँगें ही आपकी हैं बाकी लालू जी कब लौटा दें उनका मूड !
         वैसे भी अपने बल पर जो एक प्रदेश का CM भी न बन पाया हो उसे शोभा देता है क्या पूर्णबहुमत बली PM की मातृ संस्था को इस तरह से ललकारना ! नितीश जी !अच्छा होता अपने राजनैतिक चेहरे को राष्ट्रीय बहुमत के दर्पण में देख लेते एक बार ! वैसे भी कभी समय मिले तो सोचना कि भाजपा के रूप में संघ ने जनता के विश्वास का जितना अंश जीता है उतने में आप जैसे आधे अधूरे तमाम मुख्यमंत्रियों का निर्माण कर सकता है संघ ! उस संघ को चुनौती देने चले हैं आप जिसके सामने कहीं ठहरते ही नहीं हैं । 
     संघ का काम तो राष्ट्ररंजन है संघ के द्रोह का अर्थ क्या होता है पता है आपको !संघ राष्ट्र और राष्ट्र वादी लोगों के प्रति समर्पित है राष्ट्र ही उसका एक मात्र देवता है जो राष्ट्र का वो संघ का !संघ मुक्त भारत कहने का आपका अभिप्राय क्या है वो भी बड़े बड़े घपले घोटाले वाजों को गले लगाकर !
    नितीश जी ने केजरीवाल जी ,लालू जी और राहुल जी से इतना तो सीख लिया है कि पार्टी पर पकड़ मजबूत रखने के लिए संघ और मोदी पर निशाना साधते रहो! अन्यथा पार्टी कब धक्का दे दे क्या भरोस !केजरीवाल जी ,लालू जी और राहुल जी के विरुद्ध जब जब इनकी पार्टी में कोई शोला सुलगना शुरू होता है तो ये लोग संघ मोदी - संघ मोदी करने लगते हैं जनता तुरंत समझ जाती है कि पार्टी के अंदर किसी ने गला पकड़ रखा है इनका तभी चिचिया रहे हैं अब इनके हाथों से खिसक रही पार्टी की वागडोर !सच्चाई तो ये है कि पार्टी के अंदर अपनी साख बनाए और बचाए रखने के लिए ये चौकड़ी संघमोदी और भाजपा का कीर्तनकिया करतीहै ।
     लालूपुत्रों की दया पर टिके CM साहब कभी सोचना कि  संघ की गलती क्या है लोकतंत्र में चुनावों के समय बादशाह जनता होती है उस समय हर कोई अपने अपने मुद्दे जनता जनार्दन की अदालत में लाकर डालता है जनता ने जिसके मुद्दे पर मोहर मार दी उसका  मुद्दा सफल हो जाता है संघ हर चुनावों में जनता जजों को याद दिलाता है किंतु जजजनता अगले चुनाव की तारीख़ दे देती है और तारीख पर तो पहुँचना ही पड़ता है अपनी बात जनता की अदालत में पेश करने को !इसलिए नीतीश जी !ये लोकतंत्र राष्ट्र भक्तों का विषय है भीड़ें जुटाकर क्या कर लोगे !बलिहारी हो बिहार की जनता की कि आपकी ये बिना शिर पैर की बातें भी मीडिया में जगह पा  रही हैं ।
      राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय संस्कृति की अच्छाइयाँ बताना है संघ के प्रचारक स्वयं सेवकों ने अपना  सारा जीवन देश  और समाज के लिए समर्पित कर रखा है उनके सक्षम संगठन के विभिन्न आयाम देश के कोने कोने में जनहित में विभिन्न प्रकार के काम कर रहे हैं।गरीबों, बनबासियों, आदिवासियों, ग्रामों, नगरों, शहरों के साथ साथ स्वदेश  से लेकर विदेशों  तक का उनका अपना अनुभव है।वो ग्रामों, शहरों की संस्कृति से अपरिचित नहीं अपितु सुपरिचित हैं। ऐसी भी कल्पना नहीं करनी चाहिए कि उन्हें देश के किसी पीड़ित की ब्यथा सुनकर पीड़ा नहीं अपितु प्रसन्नता होती होगी।हो सकता है कि उनकी बात का अभिप्रायार्थ उस प्रकार से समाज में न पहुँच सका हो जैसा कि वो पहुँचाना चाहते हों किंतु उनकी समाज एवं देश निष्ठा पर किसी भी चरित्रवान, सात्विक एवं सज्जन व्यक्ति को संदेह नहीं होना चाहिए।विश्वास किया जाना चाहिए कि देश के प्रति स्वश्रृद्धा  से  समर्पित  आर. एस. एस. के  ये  पवित्र   प्रचारक हैं ये अपने दुलारे देश के विरुद्ध कुछ बोलने की बात तो दूर कुछ सोच भी नहीं सकते, कुछ सह नहीं सकते।मैं इनकी राष्ट्र निष्ठा से निजी तौर से भी परिचित हूँ ये अपने देश के विरुद्ध कुछ होते देखने के लिए जीना नहीं चाहेंगे ये अत्यंत ऊँची सोच के धनी लोग हैं जो तुच्छ जिजीविषा कभी नहीं स्वीकार करेंगे।देश और समाज के लिए जिन्होंने अपना  जीवन ही दाँव पर लगा रखा है ऐसे सज्जनों की आवश्यकता देश को है।जिस किसी को न हो तो न रहे।जिस प्रकार से कुछ पद लोलुप लोग किसी पर भी विशेषकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बंधित लोगों का नाम याद आते ही अकारण उनकी निंदा करने की लत के शिकार होते जा रहे हैं इस तरह की आदत देश हित में नहीं मानी जा सकती।

        राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों की पवित्र एवं विरक्त जीवन शैली होती है उनका वाणी एवं आचरण पर अद्भुत संयम देखा जाता है भारतीय समाज एवं संस्कृति के प्रति समर्पित उनका आचार व्यवहार है देश ही उनका परिवार है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ साथ उसके अतिरिक्त भी समाज के ऐसे सभी सज्जन एवं साधु चरित्र लोगों पर एवं देश की रक्षा में समर्पित बंदनीय सैनिकों के ऊपर कोई भी टिप्पणी सात्विक शब्दों में अत्यंत सावधानी पूर्वक की जानी चाहिए।मैं मानता हूँ कि संत वही है  जिसका आचरण सदाचारी और विरक्त हो। जाति,क्षेत्र,समुदाय,संप्रदाय वाद से ऊपर उठकर ऐसे लोगों के प्रति सम्मान भावना का संस्कार नौजवानों में डालना ही चाहिए ।  

    

Saturday, 16 April 2016

'ऑड इवन' के बाद "कूड़ाफेस्टिवल " मनाया गया था पिछली बार !महीनों सड़ती रही थी दिल्ली तब प्रदूषण की चिंता नहीं हुई थी इन्हें !!

  'ऑड इवन' से  प्रदूषण  का लेवल पिछली बार इतना ज्यादा गिर गया था कि उसे रिकवर करने के लिए मनाया गया था  "कूड़ाफेस्टिवल "गली गली में लगे थे कूड़े के अम्बार !हे केजरीवाल जी ! कितना तंग करोगे दिल्ली वालों को !तुम्हें सरकार चलानी नहीं आती है तो हाथ जोड़ लो दिल्ली वालों से वो दयालु हैं तुम्हें अब भी माफ कर देंगे ! कभी सोच कर  देखो यदि आपकी रासलीला मंडली ने ऐसे ही पाँच वर्ष बिता दिए तो दिल्ली बाले अगले चुनावों में दिल्ली में घुसने देंगे तुम्हें ! साफ साफ कह देंगे कि तुम जाओ बैंगलोर अपना वहीँ जाकर खाँसी सेलिब्रेट करो !
दिल्ली नरेश जी जिस महीने ज्यादा झूठ बोल जाते हैं उसी महीने खाँसी जोर पकड़ जाती है !
     बंधुओ ! दिल्ली का काम प्रदूषण के बिना चल ही नहीं सकता !आड  इवेन फार्मूले से प्रदूषण का लेवल इतना अधिक घट गया था कि अचानक बढ़ाना आवश्यक हो गया था और दिल्ली की गली गली में कूड़ा फैलवाना पड़ा !बारी  शुभ चिंतक दिल्लीसरकार !उधर दिल्ली सरकार की खाँसी अचानक जोर पकड़ गई और  सरकार  कीआत्मा को अचानक जाना पड़ा बैंगलोर !बैंगलोर जाना कोई बुरी बात नहीं है किंतु पिछली बार केजरीवाल जी जब खाँसी ठीक करवाकर आए थे बैंगलोर से तभी हुआ था "योगेंद्रकांड" अबकी किसपर बीतेगी ये बैंगलोर यात्रा भगवान ही जाने !
"कूड़ाफेस्टिवल "  -
   इधर दिल्लीवालों के लिए मनाया जा रहा था "कूड़ाफेस्टिवल " भाई !बड़ा प्रभावी है आड  इवेन फार्मूला ! देखिए प्रदूषण बढ़ने पर दिल्ली सरकार ने आड  इवेन फार्मूला चलाया था और अब प्रदूषण घटते ही मनाया जा रहा था "कूड़ाफेस्टिवल "विरोधी कहते थे सरकार कुछ करती नहीं है अरे !अभी तो कूड़ा फैलाने का बजट पास कराया जायेगा फिर कूड़ा हटाने का बजट पास होगा फिर कूड़ा फैलाने और हटाने का जश्न मनाया जाएगा तभी तो किया जाता है स्याही संस्कार बारी दिल्ली सरकार !
   इस "कूड़ाफेस्टिवल " में सफाईकर्मियों ने भी  पूरी ताकत झोंक रखी थी  जगह जगह सजाए गए थे कूड़े के अंबार ! 'आप' के वालेंटियरों से लेकर मंत्रियों तक  को लगाया गया था कूड़े के काम में !मीडिया तो कूड़ा कूड़ा कर ही रहा था !
     इस सारी दुनियाँ दारी से दूर दिल्लीनरेश बैंगलोर  में ले रहे थे खाँसी का आनंद !उधर बैंगलोर में दिल्ली नरेश को नहाने  धोने  उठने  बैठने  बोलने  चालने की सभ्यता सिखाई जा रही थी !लोगों पर झूठे आरोप लगाने के दोष गिनाए जा रहे थे दिल्ली की जनता के धन का विधायकों की सैलरी और विज्ञापनों में दुरूपयोग करने को रोका जा रहा होगा !खाना पीना सोना जागना आदि सब कुछ करने के लिए संयम से लेकर सात्विकता तक के उन्हें गंभीर  पाठ पढ़ाए जा रहे होंगे !इस प्रकार से सारा आचार व्यवहार संस्कार शिष्टाचार आदि सिखाया जा रहा होगा !ऐसी ही योगिक क्रियाओं से उनकी मन वाणी आत्मा आदि का शुद्धीकरण होते ही पापों का प्रायश्चित्त हो जाता है इस प्रकार से दिल्ली नरेश जी का शरीर पापमुक्त होते ही  स्वतः भाग  जाती हैं खाँसी जैसी सारी आधियाँ ब्याधियाँ !        
    बंधुओ ! कभी आपने सोचा है कि सारे देश के लोग इलाज कराने दिल्ली आते हैं किंतु दिल्ली के मुख्यमंत्री खाँसी ठीक करवाने बैंगलोर
क्यों जाते हैं !क्या वहाँ इलाज की व्यवस्था दिल्ली से अधिक अच्छी है और यदि ये सच है तो चिकित्सा की वैसी व्यवस्था दिल्ली में क्यों नहीं की जा सकती जैसी बैंगलोर में है यही प्रश्न तब उठता था जब सोनियाँ जी इलाज कराने विदेश जाया करती थीं किंतु न जाने क्यों सत्ता और सरकार मिलने के बाद बीमारियाँ बढ़ती भी हैं !
   पिछली बार जब केजरीवाल जी खाँसी ठीक करवाकर आए थे तभी हुआ था "योगेंद्रकांड" अबकी किसपर बीतेगी ये बैंगलोर यात्रा भगवान ही जाने !

'ऑड इवन' फार्मूला है या एक नौसिखिया मुख्यमंत्री की सनक !

'ऑड इवन'की जगह रोडों का अतिक्रमण हटाकर भी जाम घटाकर कम किया जा सकता था प्रदूषण !
   भूखों मरते रहे अन्ना जी और राजभोग रहे हैं केजरीवाल जी !ये है नैतिकता भ्रष्टाचार विरोध सत्ता से विरक्ति आमआदमियत्व आदि आदि !भारी भरकम सिक्योरिटी सैकड़ों करोड़  के विज्ञापन ,विधायकों की वेतन वृद्धि जैसे राजभोग भोग रहे हैं ऐसा व्यवहार केजरी वाल बाबू जी ही कर सकते हैं !क्योंकि वो सादगी और ईमानदारी पसंद विचित्र प्राणी हैं !
  जिनसे मिलते ही जिनकी ईमानदारी देश सेवा आदि की बातें सुनकर देश भक्त लोग भाव विभोर हो उठते हैं और चल पड़ते हैं इनके साथ !किंतु इनसे छूटते ही किसी लायक नहीं बचते हैं वे देश भक्त !वे अपनी व्यथा न किसी से कह सकते हैं और न ही सह सकते हैं केवल कराहते रहते हैं । इसीप्रकार से महाराज जी के डसे हुए हुए लोग अर्धमूर्च्छित रूप में जीवन ढोते रहते हैं उनके भूतपूर्व सेवक ,सहयोगी साथी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़े असंख्य लोग राजनैतिक तपस्वी साधू संत आदि !सुना है कि जिसे फाँसी दी जाती है उसकी भी अंतिम इच्छा पूछी जाती है किंतु आम आदमी पार्टी रूपी कारगार में कैदियों को नहीं  होता होगा इतना भी अधिकार !
    श्री केजरीवाल जी जैसे दिव्य प्राणी अन्ना जी जैसे किसी सीधे सादे व्यक्ति के शिष्य तो हो ही नहीं सकते वो तो जन्मजात गुरुरूप में ही पैदा हुए हैं !भूखों मरते रहे अन्ना और राजभोग रहे हैं गुरू जी !
    वैसे भी केजरीवाल जी खुद को आगे बढ़ाने के लिए दूसरों को बदनाम करते रहते हैं यही उनकी एनर्जी का सबसे बड़ा राज है साथ ही वो बड़ा आदमी बनने के लिए हमेंशा बड़ों को ही बदनाम करते हैं जैसे CM बनने के लिए CM को बदनाम करते रहते थे वैसे ही आज  PM बनने के लिए PM को बदनाम किया करते हैं इसके अलावा अपने को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी कर पाना उनके बश का भी नहीं है और अन्ना जैसे संत उनके लिए अपना बलिदान देने के लिए बार बार क्यों तैयार होंगे !वैसे भी उनका अब बुढ़ापा है । इसीलिए केजरीवाल जी को अब तो सहारा मात्र दूसरों को बदनाम करने का ही रह गया है उसी से जो कुछ मिले सो मिले ! और तो भगवान ही मालिक है । बंधुओ !इसीलिए आजकल यदि  केजरीवाल जी को जुकाम तक हो जाए तो सीधे मोदी जी को ठहरा देते हैं जिम्मेदार !
    ऐसे लोग खुद को ईमानदार दिखाने के लिए औरों को बेईमान सिद्ध करते रहते हैं अपने को शक्तिमान सिद्ध करने के लिए सही सरल सीधे गुणी ईमानदार एवं प्रतिक्रिया विहीन भले लोगों को धक्का देकर अपनी ताकत दिखाते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये हमारे विरुद्ध कुछ करेंगे ही नहीं या कुछ कर ही नहीं सकते क्योंकि ये ईमानदारी सिद्धांतवादिता आदि आचार व्यवहारों को अपना आदर्श मानते हैं ये उससे समझौता नहीं कर सकते !
     केजरीवाल अपनी सिधाई सादगी सदाचरण सेवाभावना आदि प्रदर्शित करके अपने साथ जुड़े लोगों के हृदयों में उतरते हैं और वो ठीक ठीक से समझते हैं कि सामने वाले ने अभी तक क्या किया है आज क्या कर रहा है  और आगे क्या करना चाहता है ये तीनों बातें जानकर जो कर चुका है उसकी प्रशंसा कर देते हैं जो कर रहा है  उसकी व्यक्तिगत योजना की वैचारिक सर्जरी करके अपनी ओर मोड़ लेते हैं और जो उसके भविष्य के सपने हैं उन्हें अपनी नैतिकता आदर्श जनसेवा एवं ईश्वरवादिता आदि की तपस्या की कृत्रिम अग्नि में पिघला लेते हैं कुलमिलाकर सामने वाले को महत्त्वाकाँक्षा की दृष्टि से पहले नपुंसक बना लेते हैं फिर धीरे धीरे उसके अंदर ईश्वरीय भावनाएँ भरते हैं जब वो महत्वाकाँक्षा विहीन और इस दुनियाँ से विरक्त होकर आदर्शवाद के पथ पर चलते हुए स्वामी श्री श्री 1008 केजरीवाल जी महाराज के प्रति समर्पित होकर कार्य करने लग जाता है!ऐसे लोगों के सहयोग और समर्पण से जब एक पार्टी खड़ी होती है तब वही स्वामी श्री श्री 1008 केजरीवाल जी महाराज  अचानक  वो नैतिकता वो वैराग्य वो सादगी वो आम आदमीपन मिटने लगता है और सेठों साहूकारों राजाओं महाराजाओं की तरह केंचुल बदलने लगते हैं मुख्यमंत्री केजरीवाल !
   अब इनकी सादगी की हवाइयाँ उड़ रही होती हैं अब इन्हें महँगी गाड़ी महँगा घर सुख सुविधापूर्ण जीवन सिक्योरिटी आदि सब कुछ चाहिए होता है विज्ञापनों के नाम पर अपना चेहरा दिखाने के लिए सैकड़ों करोड़ का बजट पास करते हैं जो उनके अपने एवं अपनों की  संपत्ति बर्धन के काम आता है !ये सब देख सुनकर कर वो भूतपूर्व महत्वाकाँक्षामुक्त कार्यकर्ता केजरीवाल जी की चतुराई समझने लगता है और अपने भी पूर्व में विसर्जित कर चुका सपने फिर से सँवारने लगता है और अंदर ही अंदर उनसे सादगी के लिए संग्राम करने लगता है आखिर वो समाज को कैसे मुख दिखावे ! जब उसकी कोई सुनवाई ही नहीं होती है तब वो भी अपने शुष्क सपने फिर से हरे करने लगता है और बेचने लगता है वो भी अपनी सादगी और आदर्शवाद कमाने लगता है पैसा उन्हीं माध्यमों से जिनकी कभी निंदा किया करता था यह सब देखकर जब उसे ऐसा करने से रोका  जाने लगता है तब वो न केवल प्रकट करने लगता है अपनी दबी कुचली सुषुप्त इच्छाएँ अपितु उनकी पूर्ति के लिए उनसे करने लगता है दो दो हाथ !और जब ऐसा करने वालों की संख्या अधिक हो जाती है तो उन्हें बगावत भय से डाँटने की अपेक्षा फुसलाया जाता है और उनकी भी बढ़ा दी जाती है सैलरी किंतु कहाँ विज्ञापन के नाम पर हथिआए गए सैकड़ों करोड़ और कहाँ लाख दो लाख की  सैलरी !आखिर कैसे संतोष हो !ऐसी परिस्थिति में वो अपना धंधा जारी रखते हैं और उतर जाते हैं बगावत पर तब उनका कराया जाता है स्टिंग और धक्का देकर कर दिया जाता है पार्टी से बाहर !अब वो हक्काबक्का कार्यकर्ता मीडिया के सामने क्या कहे क्या छिपाए !अब कुछ क्षणों में ही छीन जाता है उसका मंत्रिपद पार्टी साथी प्रतिष्ठा आदि सबकुछ !अब वो मीडिया के सामने न तो रो पा रहा होता है और हँसने के लायक छोड़ा नहीं गया होता है !वो महामुनि की सादगी की पोल तो खोलना चाहता है किंतु उनके अधिकारों का भय होता है और उनके पास दबे छिपे अपने सीक्रेट खुल जाने का भय होता है !
         अथ श्री आमआदमी पार्टी की अवतार कथा 

आमआदमीपार्टी ' के नाम से लेकर ओढ़ी गई बनावटी सादगी तक किसी की नक़ल तो नहीं है !जानिए किसकी ?    हमारे इस लेख से लिए गए आम आदमी पार्टी का नाम और रीति रिवाज सादगी साधुता आदि आदि !और चुनाव जीतने के बाद भाग गई सारी सादगी ! देखा देखी में ओढ़ी हुई चीजें बहुत समय तक नहीं चल पातीं !हाँ यदि ये सादगी उनके अपने वास्तविक स्वभाव में होती तो सादगी इतनी जल्दी बोझ नहीं बनती !
    दूसरों को बेईमान और चोर बताने वाले ये आपिए खुद कितने ईमानदार हैं? वे कितना सच बोलते हैं,उनका रहन सहन क्या वास्तव में इतना ही सादगी पूर्ण है या अतीत में भी ऐसा ही रहा है?मेरा अनुमानित आरोप है कि  मेरे लेख से चुराई हुई आम आदमी की रहन सहन शैली का  अभिनय और आडम्बर मात्र करते हुए वैसा ही बनने और  दिखने का प्रयास अचानक किया जाने लगा है !अन्यथा ये सुख सुविधापूर्ण जीवन जीने वाले ,गाड़ियों से चलने एवं अच्छे अच्छे भवनों में रहने और महँगे महँगे स्कूलों में अपने बच्चे पढ़ाने वाले केजरीवाल एवं उनके साथी लोग रातोंरात आम आदमीsee more.... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/07/blog-post_28.html