Friday, 26 February 2016

रोहितवेमुला की आत्महत्या हो या लखनऊ के इंजीनियरिंग छात्र लवकेश मिश्रा की आत्महत्या संवेदनाओं में इतना अंतर !

ब्राह्मणों सवर्णों के दुःख दर्द में भी ऐसा भेदभाव !
   लवकेश मिश्रा ब्राह्मण है सवर्ण है ब्राह्मणों की संख्या कम है इसलिए किसी राजनैतिकदल के नेता के मुख से नहीं सुनाई पड़ रहा है लखनऊ के लवकेश मिश्रा का नाम और उसके परिवार की बेदना !मीडिया भी इसलिए उस तरह की भूमिका में नहीं उतरा है जैसा रोहितवेमुला के केस में हुआ था !क्योंकि उसे पता है कि इस मुद्दे में कोई दम नहीं है इसमें कोई नेता क्यों रूचि लेगा ! हैदराबाद के विषय में नेताओं की जो संवेदना दिखी थी क्यों नहीं है वह लवकेश मिश्रा के विषय में सवर्णों के साथ यदि इसी प्रकार का भेद भाव होता रहा तो कब तक सहा जा सकेगा कुछ सोचना तो पड़ेगा सरकार सोचे मीडिया सोचे प्रशासन सोचे नीतिनियामक लोग साथ ही सभी बुद्धिजीवियों को सोचना होगा कि सवर्णों के साथ यह जातिगत भेदभाव ठीक है क्या और स्थिति यदि यही रही तो सवर्णों को स्वयं सोचना होगा अपने विषय में !किंतु सब लोग यदि केवल अपने अपने विषय में ही सोचने लगेंगे तो ये स्वस्थ समाज की निशानी नहीं है-ऐसी संकीर्ण प्रवृत्ति पर पुनर्विचार होना चाहिए ये बात मैं इसलिए कह रहा हूँ कि सवर्णों का स्वभाव हमेंशा से देश और समाज के प्रति समर्पित रहा है अब वो त्याग बलिदान की प्रवृत्ति छोड़कर यदि स्वार्थ की बातें करने लगें या आरक्षण माँगने लगें तो पूर्वजों की त्याग तपस्या के साथ साथ समाज के लिए किया गया आजतक का सारा बलिदान ब्यर्थ लगने लगेगा -इसलिए पढ़ें यह हिला देने वाली खबर -
 "   बेसेंट कालेज के बीटेक छात्र ने अपने विभागाध्यक्ष से परेशान होकर की खुदकुशी-
 सुसाइड नोट - "मैं लवकेश मिश्रा अपने पूरे होशो हवाश में सुसाइड नोट लिख रहा हूं। मैं मरना नहीं चाहता। लेकिन मैं यह बर्दास्त नहीं कर सकता। भैया मेरे सुसाइड करने की सिर्फ बजह मेरे ब्रांच के एचओडी दीपक असरानी जो कम्प्यूटर साइंस के टीचर हैं। उनकी प्रताड़ना से मैं आत्महत्या कर रहा हूं… आखिर में छात्र ने लिखा कि मेरी मौत का जिम्मेदार सिर्फ एचओडी है। पापा मैं माफी चाहता हूं कि आप की उम्मीदों को मैं पूरा नहीं कर सका। आईएम सारी लवकेश मिश्रा।" मूलरूप से आजमगढ़ जिले का रहने वाला लवकेश मिश्रा (25) मडि़याव के श्री नगर कालोनी में एसके दतवाल के किराये के मकान में रहकर बीटेक की पढ़ाई कर रहा था। 
 see more.... http://www.news24today.com/?p=38032

आरक्षण माँगने वाले इन बलात्कारियों की आरक्षण माँग को क्यों न ठुकरा दिया जाए !

     कर्म अपने खोटे हों फिर भी तरक्की के लिए चाहिए आरक्षण !ऐसे कर्मों के कारण पिछड़ने पर शोषण का आरोप सवर्णों पर !बारी सोच !! आंदोलन का हिस्सा होने के कारण अबकी तो इनके अत्याचार पता लग गए वैसे क्या कुछ नहीं करते होंगे ये !कौन देखने जाता है इन्हें !
ABP New 
    " इसे आरक्षण माँग रहे हरियाणा के क़रीब 30 दंगाई जाटों ने अंज़ाम दिया. ये राज्य में दस दिन चली बदहवास हिंसा, उपद्रव और आगजनी की सैकड़ों वारदातों का हिस्सा थी. सामूहिक बलात्कार का ‘शौर्य’ दिखाना उन दंगाई जाटों के लिए कितनी मामूली बात रही होगी जिन्होंने अपने ही शहर के शहर फूँक डाले हों! उन्हें मेरी बहन-बेटी तो माँस का लोथड़ा ही लगी होंगी!"ABP News
   जिनके कर्म इतने गंदे होंगे उनकी तरक्की न अभी तक हुई है और न कभी भी होगी !इससे एक बात स्पष्ट होती है ऐसी ही गुंडागर्दी में अपने समय को बर्बाद करने वाले लोग जब विकास के पथ पर पिछड़ जाते हैं तब कहने लगते हैं कि सवर्णों ने हमारे साथ अत्याचार किया है उनके शोषण के कारण हम पिछड़ गए जबकि इसमें सच्चाई नहीं होती !अपनी अच्छाई बुराई के लिए कोई कितनी भी बदमाशी करता रहे किंतु सजीव सोच वाले लोगों को उनके लक्ष्य से हर कोई स्वयं भी जिम्मेदार होता है । जिनकी ऐसी आदतें होंगी उन्हें सैकड़ों वर्ष तक भी अारक्षण मिलता रहे तो भी उनकी तरक्की नहीं हो सकती और यदि तरक्की हो भी जाए तो जब करना ही बलात्कार होगा तो वह तरक्की देश और समाज के हित  में कैसे मानी जा सकती है !ऐसे लोगों को आरक्षण सम्बन्धी दिए गए आश्वासनों पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए!
    जाट दंगाईयों ने मुरथल के पास हमारी कारों से सबको उतारकर उसे आग के हवाले कर दिया. मर्दों को एक ओर खदेड़कर औरतों को हसनपुर और कुरद गाँवों के खेतों में घसीट लिया गया. महिलाओं के कपड़े फाड़ डाले गये, उन्हें बर्बरता से मारा-पीटा गया और फिर दंगाईयों ने उनके साथ अपना मुँह काला किया. सारा क़हर झेलने के बाद आधी रात को महिलाओं ने हिम्मत करके पड़ोस के गाँवों में पनाह ली. गाँव वालों ने उन्हें लाज़ ढ़कने के लिए कपड़े दिये.
       पूरी खबर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -http://abpnews.abplive.in/blog/blog-on-10-women-dragged-from-cars-and-gangraped-in-murthal/

Thursday, 18 February 2016

आपकी आम आदमी वाली बातें सुन सुन कर कुछ लोग आपकी बातों पर भरोसा भी करने लगे थे इसी विश्वास पर उत्पीड़न के कई पत्र आपको मैंने भी लिखे किंतु न उनका उत्तर आया और न ही उन पर कार्यवाही हुई !ऐसे में पंजाब के लोग भरोसा करके अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ क्यों करें !जब आपको कुछ करना ही नहीं है केवल चुनाव जीतना है !

Wednesday, 17 February 2016

JNU प्रकरण हो या कोई अन्य मुद्दा काँग्रेस समेत सभी राजनैतिक पार्टियाँ कानून पर भरोसा क्यों न रखें !

   काँग्रेस को देश ने इतने वर्षों तक सहा है काँग्रेस को   क्यों नहीं सहना चाहिए मोदी जी का कार्यकाल !
    हर विषय पर विवाद हर काम पर आपत्ति हर बयान  पर शंका !संसद से लेकर शिक्षण संस्थानों तक हर जगह हुड़दंग करवाने का कारण क्या है !लंबे समय तक सत्ता में रही काँग्रेस बहुत लोगों ने आवश्यकतानुशार काँग्रेसी सत्ता का फायदा उठाया है वो शिक्षक साहित्यकार अधिकारी कर्मचारी  आदि कोई भी क्यों न हो !मोदी सरकार के विरुद्ध काँग्रेस के एक आह्वान पर वो लोग हुड़दंग काटने लगते हैं ?फिर ये होता है कि मोदी सरकार से साहित्यकार रूठ गए या शिक्षक रूठ गए या छात्र रूठ गए जबकि ऐसा नहीं है वास्तविकता ये है कि साहित्यकारों ,शिक्षकों, छात्रों व्यापारियों आदि में मोदी सरकार से रूठे लोग विरोधी पार्टियों से किसी न किसी प्रकार से उपकृत होते रहे हैं या उन पार्टियों से जुड़े हैं । 
    बहुमत से बनी मोदी सरकार को हर समय शक से देखना कहाँ तक उचित है !इसे देश की जनता का निर्णय समझ कर सहने की आदत डालनी चाहिए !राहुल जी को मोदी जी के कोट से लेकर उनकी हर बात और हर कार्य शैली पर आपत्ति है उन्हें !संसद में मोदी जी कोई बिल लाना चाहें तो टाँग फँसाकर खड़े हो जाती है काँग्रेस और वो रास्ता बताते हैं कि अमुक अमुक संशोधन करके बिल पास करो !किंतु मोदी सरकार यदि उनकी बात मानले फिर तो ये कांग्रेस की पसंद का बिल होगा !ये तो उसी का बिल हो जाएगा जिस पार्टी की नीतियों से तंग होकर जनता ने मोदी सरकार को बहुमत दिया है अब मोदी सरकार को भी कुछ तो ऐसा करने दिया जाए जो कांग्रेस को पसंद आवे या न आवे किंतु जनता को पसंद आना चाहिए क्योंकि सरकार कांग्रेस ने नहीं जनता ने चुनी है किसी भी लोकतांत्रिक  सरकार का दायित्व है कि वो जनता की रूचि के अनुशार काम करे !
  इसी प्रकार से अखलाक की हत्या से दुखी वास्तव में वे नेता लोग थे  जिनके स्वार्थ कुछ और थे  !आखिर जाति  संप्रदायवाद की विदाई कब होगी इस देश से !   बंधुओ !आम आदमी पार्टी की एक रैली में एक किसान ने आत्महत्या की थी उस समय जो केजरीवाल जी अपने समस्त  ग़णों के साथ न केवल मंच पर सुशोभित होते रहे अपितु भाषण भी चलते रहे किंतु वो दस कदम दूर उस फड़फड़ाते किसान के पास उस समय नहीं पहुँच सके वे भी दादरी न केवल पहुँच गए अपितु मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने जितना कुछ बोला उसमें देश के एक नागरिक की हुई हत्या जैसे जघन्य अपराधों की  निंदा कम थी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए भविष्य में क्या कुछ सावधानियाँ बरती जाएँ उधर उतना ध्यान नहीं था जितना हिंदू मुस्लिम पर टिका था आखिर क्यों ? 'अखलाक' हम सब लोगों की तरह ही देश के नागरिक थे !किंतु जितने भी नेता वहाँ पहुँच रहे हैं उन्हें केवल उनका मुस्लिमत्व आकर्षित कर रहा है आखिर क्यों ?अन्य बहुत नेताओं के बयान भी लगभग ऐसी ही भावना से भावित सुनाई पड़ते हैं । आज उस परिवार पर मुशीबत है इन नेताओं ने हाजिरी लगाने के चक्कर में उस पीड़ित परिवार को इतना  तंग कर दिया कि अंत में उन्हें इन कृत्रिम हमदर्दों के हाथ जोड़ देने पड़े कि इससे अधिक आपकी हमदर्दी अब हम  नहीं सह सकते !बंधुओ ! जिसे जाना था वो तो चला गया किंतु इस देश से जाति  संप्रदायवाद की विदाई नहीं हो सकी ! उसके लिए सामूहिक प्रयास होने चाहिए जो स्वर अभी तक सुनाई देना बाक़ी है ।
हिन्दू मुस्लिम क्यों ?देश के एक नागरिक की हत्या हुई है !
"दादरी मर्डर :PM मोदी अपने कार्यकर्ताओं को सँभालें - आजम -NBT "
किंतु आजम साहब ! घटना ग्रेटर नोएडा की है सरकार यू.पी.में आपकी है इसलिए कानून व्यवस्था बनाकर रखने की जिम्मेदारी आपकी है जिसमें आपकी सरकार नाकाम रही है । इसमें मोदी जी का नाम घसीट कर आप घटना की गंभीरता को कम कर रहे हैं जो ठीक नहीं है । आपको केजरीवाल की तरह लगता है कि मोदी जी की आलोचना करने से हमारी भी नेतागिरी चमक उठेगी और हमारी भी गणना बड़े नेताओं में होने लगेगी ।किंतु हे नेताजी ! ऐसे लोमहर्षक कांडों का राजनीति करण करने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है आप राजनीति कहीं और कर लेना ! यहाँ तो देश के उस सम्मानित नागरिक के विषय में संवेदना पूर्वक व्यवहार करने का समय है जिसकी हत्या हुई है जिसके परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है जिन्हें रोते बिलखते देखकर मानवता दहल उठती है उन्हें हिन्दू मुस्लिम की दृष्टि से मत देखिए !उन्हें उस दृष्टि से देखिए कि अपने अपने काम से थका हारा पूरा परिवार सायंकाल घर पर इकठ्ठा हुआ होगा दिन भर के अपने अपने अनुभव एक दूसरे से कह सुन रहा होगा तभी अचानक अपने परिवार के सदस्यों के सामने मौत का सामना करना पड़ा होगा उसे ,बेबस परिवारवाले बेचारे देखकर रह गए होंगे !
आजम साहब ! आज आप मोदी जी की ओर इशारा कर रहे हैं कि वे अपने कार्यकर्ताओं को रोकें !अरे !आप कहना क्या चाहते हैं !क्या मोदी जी आपसे कहने आए कि आप अपने प्रदेश की कानून व्यवस्था न ठीक करें दोषियों पर कार्यवाही न करें !इसलिए यू.पी.सरकार निष्पक्ष रूप से राजधर्म का पालन करे !उसे जनता ने बिजयी बनाया है वो जनता को जवाब दे कि आपके प्रदेश में किसी परिवार को ऐसे दर्दनाक अत्याचार का सामना क्यों करना पड़ा !क्या करती रही आपकी सरकार और आप जैसे सरकार के सूरमा मंत्री !



Tuesday, 16 February 2016

JNU जैसे शिक्षण संस्थानों का गौरव बचाने के लिए जनता आगे आए और देश द्रोहियों पर लगाम लगाए !

 पार्टी के एक नेता का खून क्या बहा युवराज साहब कहने लगे कि राष्ट्रभक्ति हमारे खून में है किंतु ये भी तो उचित नहीं है कि राष्ट्र भक्ति बहती फिरे !
     काँग्रेसी नेता के द्वारा अफजल'गुरूजी' यदि धोखे से कहा हुआ मान भी लिया जाए तो हाफिजसईद को 'साहब' और ओसामा 'जी' जैसे शब्द भी तो इसी पार्टी के बड़े नेताओं के वक्तव्य का हिस्सा रहे हैं । यदि इन वक्तव्यों को भी धोखे से कहा हुआ मान भी लिया जाए तो इधर कुछ दिनों से कांग्रेसियों की बाँछें क्यों खिली हुई हैं JNU की गणेश परिक्रमा में लगी हुई है संपूर्ण पार्टी ही !अचानक पार्टी का शीर्ष नेतृत्व JNUकी धूल फाँक रहा है आखिर क्यों ?ऐसा नया क्या हुआ है JNU में !
     पार्टी के शीर्ष सरगना लोग आज JNU की गणेश परिक्रमा करने में लगे हैं आखिर क्यों ? ऐसा हुआ क्या है JNU में केवल यही न कि राष्ट्र विरोधी विचार धारा से सम्बंधित नारे लगाए गए हैं और ऐसा दुस्साहस करने वालों पर सरकार कार्यवाही कर रही है जिस भी पार्टी के जो नेता सरकारी कार्यवाही का विरोध करने के लिए JNU जाते हैं इसका मतलब तो सीधा है कि वो राष्ट्रविरोधी विचारधारा के समर्थक हैं और यदि ऐसा है तो केवल भाजपा और नरेन्द्रमोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए  उन्होंने देश द्रोहियों का साथ देना भू शुरू कर दिया क्या ये माना जाए !यदि ऐसा है तो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है !

Sunday, 7 February 2016

केजरीवाल जूते पहन लेते तो शायद बच जाती इज्जत !

 नेताओं के जूतों चप्पलों के बल पर खुद को इज्जतदार महसूस कर रहे हैं कुछ लोग !
अरे ! केजरीवाल के जूतों सैंडिलों से इज्जत बेइज्जत होने वालो !
  कभी नंगे पैर काटों और कंकरों में चलने वाले गरीबों को भी देखा है कोई ड्राफ्ट क्या उन्हें जूते पहना पाए !शर्दियों में ठिठुरते गरीबों को देखा है क्या उन्हें व्यवस्था दे पाए , भूख से बिलबिलाते गरीबों के बच्चों को देखा है क्या उन्हें दे पाए भोजन !आखिर उनके  भूखे नंगेपन से क्यों नहीं होती है तुम्हारी बेइज्जती !केवल नेताओं के चरणों में नजर गड़ाए रहने वालो !अरे नेताओं के चरणों के चंचरीको  ! केजरीवाल की सैंडलों पर तो अंगुली बाद में उठाना पहले अपनी आत्मा की ओर झाँकिए और और नेताओं के जूतों में चिपकी अपनी इज्जत को देखिए !तुम्हारी बेइज्जती केजरीवाल की सैंडलों से कैसे हो गई देश के लाखों करोड़ों लोग भूखों मरें ,नंगे पैर घूमते रहें उसमें बेइज्जती क्यों नहीं होती !आखिर क्यों तुम्हें नहीं दिखते नंगे पैर वाले गरीबऔर उनके बच्चे !जिन्हे खेतों  पर काम करना होता है जंगल में काम करना होता है !जहाँ साँप बिच्छु कीड़े मकोड़े काटने का भय बना रहता है ।

Friday, 5 February 2016

'दिल्लीनरेश' का चर्चित 'सैंडिलकांड' सादगी की सादगी कमाई की कमाई !मीडिया कवरेज अलग से बिना किसी खर्च के !! 364 रुपए से हुई बोहनी !

  "होत न खाए बरत ना तापेवाहूकोजनमअकारथजाय !"
" धन होने पर भी जो लोग अच्छा खा और पहन न सकें शर्दी भगाने के लिए जलती आग देखकर भी जो
हाथ न सेक सकें ऐसे लोगों के जन्म को धिक्कार है !"
    हे अन्ना जी !कमाल की है आपकी रास लीलामंडली ! आप कहाँ से खोजकर लाए थे ये राजनैतिक हीरे !प्रभु वास्तव में धन्य हैं आप !! 
   अन्ना जी !इसमें झलकते हैं अन्ना जी के संस्कार !! जिस घड़ी में रामलीला मैदान में आप अपनी  शिष्य श्रंखला के साथ बैठे थे अद्भुत समय रहा होगा वो जब आपने ऐसे नेतृत्व का निर्माण किया होगा जिसे समझ में ही नहीं आ रहा है कि उसे करना क्या है अभी कुछ दिन पहले आपके चेलों ने प्रदूषण घटाने के लिए दिल्ली वालों का जीना  दूभर कर दिया था अब प्रदूषण बढ़ाने में लगे हैं आपके चेला लोग !बारे अन्ना जी धन्य  हैं आप और आपका सादगी पसंद ईमानदार परिवार !
  बंधुओ !जो मुख्यमंत्री त्याग वैराग्य पूर्वक जनता की सेवा की बड़ी बड़ी बातें करके सत्ता में आया हो फिर सबसे पहले अपने कुनबे सहित सबकी सैलरी बढ़ाने पर टूट पड़ा हो !डेंगू जैसी बीमारी पर रोकथाम के लिए जनता के टैक्स से मिले फंड को अपने विज्ञापन के लिए पास करा लिया हो जिससे डेंगू ने तोड़ा हो 19 वर्षों का रिकार्ड किंतु इसके बाद भी मुख्यमंत्री को दिल्लीवासियों पर दया न आई हो और उस विज्ञापन वाला पैसा दिल्ली वासियों की जान बचाने के काम न आ सका हो क्या विज्ञापन दिल्ली वासियों की जान से ज्यादा प्यारा था आखिर ऐसा किया क्या था जिसके लिए  विज्ञापन इतना जरूरी था !इतना सब होने के बाद जो मुख्य मंत्री खुद तो सारी सुख सुविधाएँ भोगने में संलिप्त हो किंतु जब विदेशी मेहमान के सामने खड़ा होने का समय आया तो ऐसी वेषभूषा बनाकर पहुँचे कि दिल्ली वालों की नाक धार पर लग गई  अभी तो आँध्र प्रदेश वालों ने चेक भेजने शुरू किए हैं हो न हो विदेश वालों को भी दया आ जाए इनकी दशा देखकर !

     नेता बनने की प्रचलित विधियों में 'स्याहीसंस्कार' सबसे लोकप्रिय ब्यवहार है क्योंकि ये हानि रहित विधा है और इससे लाभ भी पूरे होते हैं और कोई नुक्सान भी नहीं होता !चुनावों के  समय नेता लोग अक्सर ऐसे शो अरेंज किया करते हैं जिनसे उन्हें हानिरहित प्रसिद्धि की प्राप्ति हो । सरकारों में सम्मिलित नेता लोग तो ये स्याही संस्कार  भी सरकारी बजट के पैसे से ही करवाते  होंगे आखिर ये भी तो सरकारी काम का ही अंग होता है और विज्ञापन का अंग भी !वैसे भी राजनीति में सफल होने की इच्छा रखने वाला कोई व्यक्ति यदि अपने ऊपर स्याही फेंकवाने का भी छोटा सा इंतजाम नहीं कर सका तो वो नेतागिरी में फेल ही माना  जाना चाहिए !
       कानपुर का एक संस्मरण मुझे याद है बात 1995 की है मेरे परिचित एक दीक्षित जी हैं जो जिला स्तरीय राजनीति में हाथ पैर मारते मारते थक चुके थे कोई जुगत काम नहीं कर रही थी बेचारे राजनीति में कुछ बन नहीं पाए थे !मैंने एक दिन उनसे पूछ दिया कहाँ तक पहुँच पाई आपकी राजनीति ? वो बोले पहुँची तो कहीं नहीं ठहरी हुई है तो हमने कहा क्यों हाथ पैर मारो संपर्क करो लोगों से !तो उन्होंने कहा कि ये सब जितना होना था वो चुका अब तो नेता बनने का डायरेक्ट जुगाड़ करना होगा ,तो मैंने कहा कि वो कैसे होगा तो उन्होंने कहा कि धन और सोर्स है नहीं न कोई खास काबिलियत ही है अब तो राजनीति में सफल होने के लिए लीक से हट कर ही कुछ करना होगा मैंने पूछा  वो क्या ? तो उन्होंने कुछ बिंदु सुझाए - 
  • पहली बात यदि मैं ब्राह्मण न होता तो ब्राह्मणों सवर्णों को गालियाँ दे दे कर नेता बनने की सबसे लोकप्रिय विधा है जिससे बहुत लोग ऊँचे ऊँचे पदों पर पहुँच गए ! 
  • दूसरी बात बड़े बड़े मंचों पर खड़े होकर मीडिया के सामने देश के मान्य महापुरुषों प्रतीकों को गालियाँ दी जाएँ, दूसरे बड़े नेताओं पर चोरी, छिनारा ,भ्रष्टाचार आदि के आरोप लगाए जाएँ ,गालियाँ दी जाएँ महापुरुषों की मूर्तियाँ या देश के प्रतीक तोड़े जाएँ जिससे बड़ी संख्या में लोग आंदोलित हों ! 
  • तीसरी बात किसी सभा में मंच पर अपने ऊपर स्याही या जूता चप्पल आदि कोई भी हलकी फुल्की चीजें फेंकवाई जाएँ जिससे चोट  लगने की  सम्भावना भी न  हो  और प्रसिद्धि भी पूरी मिले इससे एक ही नुक्सान हो सकता है कि सारा अरेंजमेंट मैं करूँ और फेंकने वाले का निशाना चूक गया तो बगल में बैठा कार्यकर्ता नेता बन जाएगा मैं फिर बंचित रह जाऊँगा इस सौभाग्य से ! 
  •  चौथी बात अपने घर में जान से मारने की धमकी जैसे पत्र किसी से लिखवाए भिजवाए जाएँ किंतु पोल खुल गई  तो फजीहत ! 
  •   पाँचवीं बात अपने आगे पीछे  कहीं बम  वम लगवाए जाएँ जो अपने निकलने के पहले या बाद में फूटें किंतु बम लगाने वाला इतना एक्सपर्ट हो तब न !अन्यथा थोड़ी भी टाइमिंग गड़बड़ाई तो क्या होगा पता नहीं ! 
  •  छठी बात किसी दरोगा सिपाही से मिला जाए और उससे टाइ अप किया जाए कि वो यदि किसी चौराहे पर मुझे बेइज्जती कर करके  गिरा गिराकर कर मारे इससे मैं नेता बन जाऊँगा और उसकी तरक्की हो जायेगी !इसी प्रकार से यदि मैं किसी किसी दरोगा को मारूँ तो मैं नेता बन जाऊँगा और उसका ट्राँसफर हो जाएगा ! 
  • सातवीं बात किसी जनप्रिय विंदु को मुद्दा बनाकर खुले आम आमरण अनशन या आत्म हत्या की घोषणा की जाए किंतु कोई मनाने क्यों आएगा मेरा कोई कद तो है नहीं !
     कुल मिलाकर सभी  चुनावों के  समय नेता लोग अक्सर ऐसे आइटम अरेंज किया करते हैं इनसे समाज को भयभीत नहीं होना चाहिए और मैं ऐसे ड्रामे कर नहीं पा रहा हूँ इसलिए मुझे तो नेता बनने के ख़्वाब छोड़ ही देने चाहिए ! 

Tuesday, 2 February 2016

delhi

 तृप्ति देशाई ने शुरू किया धर्म की आड़ लेकर राजनैतिक धंधा निंदनीय !जानिए क्यों ?
धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में जब भी कोई परंपरा पड़ती है तब उसका कोई न कोई कारण जरूर होता है जरूरी नहीं वो तर्कों से सिद्ध किया ही जा सके !धर्म तो आस्था का विषय है और कानून तर्क का विषय है तर्कों से आस्था को नहीं जीता जा सकता !दूसरी बात किसी परंपरा को बनाने में स्त्री पुरुष सब सम्मिलित रहते हैं कुछ न कुछ कारण तो रहते होंगे अन्यथा महिलाएँ तभी क्यों मान लेतीं !लोगों का जैसा कि विश्वास होता है कि परंपराएँ टूटने से हमारा और हमारे देश तथा समाज का नुक्सान हो सकता है इस लिए वे अपनी परम्पराओं का पालन करते रहना चाहते हैं!ऐसी परिस्थिति में कुछ वो लोग परंपराएँ तोड़ने की बात  तृप्ति देशाई जैसे वो लोग करने लगते हैं जिनका धर्म कर्म से दूर दूर तक कोई लेना देना ही नहीं होता और न ही उनके पास इस बात के ही कोई जवाब होते हैं कि आस्थावान लोगों की आशंका के अनुसार ही परंपरा टूटने से यदि कोई नुक्सान होने लगा तो उसे सँभालेगा कौन ? जैसे शनि शिंगणापुर में जिस दिन से परंपरा टूटी उसी दिन से शनिदेव उगल रहे हैं आग और हिला रहे हैं धरती ! शुक्रवार को टूटी परंपरा शनिवार की रात को केरल में लगी भीषण आग और रविवार को आया भूकंप !तब से अभी तक लगातार आग लगने की घटनाएँ भी खूब सुनाई दे रहीं हैं और बाढ़ ,भूकंप,भूस्खलन जैसी बड़ी घटनाएँ भारी मात्रा में देखी सुनी जा रही हैं । ये है शनि देव के प्रकोप का असर ! हे ईश्वर ! रक्षा करो !!
बंधुओ !केवल इतना ही नहीं है शनिदेव के कोप के कारण निकट भविष्य में दिखाई सुनाई पड़ सकती हैं और भी ऐसी ही दुर्घटनाएँ !इस see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/04/blog-post_61.html


 दिल्ली में इस वर्ष का तीसरा "कूड़ाफेस्टिवल " उधर बैंगलोर वर्कशॉप में चल रही है दिल्ली सरकार की ओवरहॉलिंग !
  आड इवेन फार्मूले से दिल्ली के प्रदूषण का लेवल इतना अधिक घट गया कि दिल्ली सरकार को सारी दिल्ली में अचानक कूड़ा फैलवाना पड़ा !सफाईकर्मियों ने इस काम में दिल्ली सरकार की बढ़ चढ़ कर मदद की ! दिल्ली के अधिकाँश लोगों का मनना है कि दिल्लीनरेश जब झूठ बोलने की लिमिट क्रास कर जाते हैं तो उनका अलार्म (खाँसी)बजने लगता है फिर उन्हें ओवरहॉलिंग के लिए बैंगलोर वर्कशॉप ले जाना पड़ता हैं जहाँ दिल्ली सरकार की साफ सफाई एवं सविधिमरम्मत की जाती है इस ओबर हालिंग से दिल्ली सरकार का इंजन इतना बोल्ड हो जाता है कि पिछलीबार उसी बोलडनेस के शिकार हो गए थे प्रशांत भूषण जी और योगेंद्र यादव जी जैसे और भी पार्टी के तमाम लोग !अबकी बार इस बोलडनेस का शिकार न हो जाए कोई आपिया !हे भगवान आपियों की रक्षा करो - see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2016/02/blog-post.html


 दिल्लीसरकार धूमधाम से मना रही है "कूड़ाफेस्टिवल " उधर केजरीवाल जी खाँसी सेलिब्रेट करने गए हैं बैंगलोर !
दिल्ली नरेश जी जिस महीने ज्यादा झूठ बोल जाते हैं उसी महीने खाँसी जोर पकड़ जाती है उनकी खाँसी !
बंधुओ ! दिल्ली का काम प्रदूषण के बिना चल ही नहीं सकता !आड इवेन फार्मूले से प्रदूषण का लेवल इतना अधिक घट गया कि अचानक बढ़ाना आवश्यक हो गया और दिल्ली की गली गली में कूड़ा फैलवाना पड़ा !बारी शुभ चिंतक दिल्लीसरकार !उधर दिल्ली सरकार की खाँसी अचानक जोर पकड़ गई और सरकार कीआत्मा को अचानक जाना पड़ा बैंगलोर !बैंगलोर जाना कोई बुरी बात नहीं है किंतु पिछली बार केजरीवाल जी जब खाँसी ठीक करवाकर आए थे बैंगलोर से तभी हुआ था "योगेंद्रकांड" अबकी किसपर बीतेगी ये बैंगलोर यात्रा भगवान ही see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2016/02/blog-post_1.html

आड इवेन फार्मूले से दिल्ली के प्रदूषण का लेवल इतना अधिक घट गया था कि अचानक कूड़ा फैलवाना पड़ा !दिल्ली सरकार बहुत दयालू है!!
"कूड़ाफेस्टिवल " भाई !बड़ा प्रभावी है आड इवेन फार्मूला ! देखिए प्रदूषण बढ़ने पर दिल्ली सरकार ने आड इवेन फार्मूला चलाया था और अब प्रदूषण घटते ही मनाया जा रहा है "कूड़ाफेस्टिवल "!
विरोधी कहते हैं सरकार कुछ करती नहीं है अरे !अभी तो कूड़ा फैलाने का बजट पास कराया जायेगा फिर कूड़ा हटाने का बजट पास होगा फिर कूड़ा फैलाने और हटाने का जश्न मनाया जाएगा तभी तो किया जाता है स्याही संस्कार बारी दिल्ली सरकार !
इस "कूड़ाफेस्टिवल " में सफाईकर्मियों ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है जगह जगह सजाए गए हैं कूड़े के अंबार ! 'आप' के वालेंटियरों से लेकर मंत्रियों तक को लगाया गया है कूड़े के काम में !मीडिया तो कूड़ा कूड़ा कर रहा है !
दिल्लीसरकार धूमधाम से मना रही है "कूड़ाफेस्टिवल " उधर केजरीवाल जी खाँसी सेलिब्रेट करने गए हैं बैंगलोर ! केजरीवाल जी जिस महीने ज्यादा झूठ बोल जाते हैं उसी महीने खाँसी जोर पकड़ जाती है उनकी खाँसी !
बंधुओ ! दिल्ली का काम प्रदूषण के बिना चल ही नहीं सकता !आड इवेन फार्मूले से प्रदूषण काsee more....http://samayvigyan.blogspot.in/2016/02/blog-post.html

बैंगलोर में किया जा रहा है दिल्ली सरकार का शुद्धीकरण !
सारी दुनियाँ दारी से दूर दिल्लीनरेश बैंगलोर में ले रहे हैं खाँसी का आनंद !
उधर बैंगलोर में दिल्ली नरेश को नहाना धोना उठना बैठना बोलना चालना सिखाया जा रहा होगा !लोगों पर झूठे आरोप लगाने के दोष गिनाए जा रहे होंगे दिल्ली की जनता के धन का विधायकों की सैलरी और विज्ञापनों में दुरूपयोग करने को रोका जा रहा होगा !खाना पीना सोना जागना आदि सब कुछ करने के लिए संयम से लेकर सात्विकता तक के उन्हें गंभीर पाठ पढ़ाए जा रहे होंगे !इस प्रकार से सारा आचार व्यवहार संस्कार शिष्टाचार आदि सिखाया जा रहा होगा !ऐसी ही योगिक क्रियाओं से उनकी मन वाणी आत्मा आदि का शुद्धीकरण होते ही पापों का प्रायश्चित्त हो जाता है इस प्रकार से दिल्ली नरेश जी का शरीर पापमुक्त होते ही स्वतः भाग जाती हैं खाँसी जैसी सारी आधियाँ ब्याधियाँ !
"कूड़ाफेस्टिवल " भाई !बड़ा प्रभावी है आड इवेन फार्मूला ! देखिए प्रदूषण बढ़ने पर दिल्ली सरकार ने आड इवेन फार्मूला चलाया था और अब प्रदूषण घटते हीsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2016/02/blog-post.html


दिल्लीसरकार धूमधाम से मना रही है "कूड़ाफेस्टिवल " उधर केजरीवाल जी खाँसी सेलिब्रेट करने गए हैं बैंगलोर !

दिल्ली नरेश जी जिस महीने ज्यादा झूठ बोल जाते हैं उसी महीने खाँसी जोर पकड़ जाती है !
     बंधुओ ! दिल्ली का काम प्रदूषण के बिना चल ही नहीं सकता !आड  इवेन फार्मूले से प्रदूषण का लेवल इतना अधिक घट गया कि अचानक बढ़ाना आवश्यक हो गया और दिल्ली की गली गली में कूड़ा फैलवाना पड़ा !बारी  शुभ चिंतक दिल्लीसरकार !उधर दिल्ली सरकार की खाँसी अचानक जोर पकड़ गई और  सरकार  कीआत्मा को अचानक जाना पड़ा बैंगलोर !बैंगलोर जाना कोई बुरी बात नहीं है किंतु पिछली बार केजरीवाल जी जब खाँसी ठीक करवाकर आए थे बैंगलोर से तभी हुआ था "योगेंद्रकांड" अबकी किसपर बीतेगी ये बैंगलोर यात्रा भगवान ही जाने !
"कूड़ाफेस्टिवल "  -
   इधर दिल्लीवालों के लिए मनाया जा रहा है "कूड़ाफेस्टिवल " भाई !बड़ा प्रभावी है आड  इवेन फार्मूला ! देखिए प्रदूषण बढ़ने पर दिल्ली सरकार ने आड  इवेन फार्मूला चलाया था और अब प्रदूषण घटते ही मनाया जा रहा है "कूड़ाफेस्टिवल "विरोधी कहते हैं सरकार कुछ करती नहीं है अरे !अभी तो कूड़ा फैलाने का बजट पास कराया जायेगा फिर कूड़ा हटाने का बजट पास होगा फिर कूड़ा फैलाने और हटाने का जश्न मनाया जाएगा तभी तो किया जाता है स्याही संस्कार बारी दिल्ली सरकार !
   इस "कूड़ाफेस्टिवल " में सफाईकर्मियों ने भी  पूरी ताकत झोंक रखी है जगह जगह सजाए गए हैं कूड़े के अंबार ! 'आप' के वालेंटियरों से लेकर मंत्रियों तक  को लगाया गया है कूड़े के काम में !मीडिया तो कूड़ा कूड़ा कर रहा है !
     इस सारी दुनियाँ दारी से दूर दिल्लीनरेश बैंगलोर  में ले रहे हैं खाँसी का आनंद !उधर बैंगलोर में दिल्ली नरेश को नहाना धोना उठना बैठना बोलना चालना सिखाया जा रहा होगा !लोगों पर झूठे आरोप लगाने के दोष गिनाए जा रहे होंगे दिल्ली की जनता के धन का विधायकों की सैलरी और विज्ञापनों में दुरूपयोग करने को रोका जा रहा होगा !खाना पीना सोना जागना आदि सब कुछ करने के लिए संयम से लेकर सात्विकता तक के उन्हें गंभीर  पाठ पढ़ाए जा रहे होंगे !इस प्रकार से सारा आचार व्यवहार संस्कार शिष्टाचार आदि सिखाया जा रहा होगा !ऐसी ही योगिक क्रियाओं से उनकी मन वाणी आत्मा आदि का शुद्धीकरण होते ही पापों का प्रायश्चित्त हो जाता है इस प्रकार से दिल्ली नरेश जी का शरीर पापमुक्त होते ही  स्वतः भाग  जाती हैं खाँसी जैसी सारी आधियाँ ब्याधियाँ !        
    बंधुओ ! कभी आपने सोचा है कि सारे देश के लोग इलाज कराने दिल्ली आते हैं किंतु दिल्ली के मुख्यमंत्री खाँसी ठीक करवाने बैंगलोर
क्यों जाते हैं !क्या वहाँ इलाज की व्यवस्था दिल्ली से अधिक अच्छी है और यदि ये सच है तो चिकित्सा की वैसी व्यवस्था दिल्ली में क्यों नहीं की जा सकती जैसी बैंगलोर में है यही प्रश्न तब उठता था जब सोनियाँ जी इलाज कराने विदेश जाया करती थीं किंतु न जाने क्यों सत्ता और सरकार मिलने के बाद बीमारियाँ बढ़ती भी हैं !
   पिछली बार जब केजरीवाल जी खाँसी ठीक करवाकर आए थे तभी हुआ था "योगेंद्रकांड" अबकी किसपर बीतेगी ये बैंगलोर यात्रा भगवान ही जाने ! 

भारतीय ज्योतिष कुंडली मैच बनाने के समाधान विशेषज्ञ

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आजकल किसी को एक बड़ा मुद्दा नहीं है डेटिंग लेकिन तुम ओ एक दूसरे को तो भारतीय ज्योतिष मैच बनाने के समाधान को अपनाने के लिए विभिन्न कारणों से देखते हैं इस जीवन खर्च करके अपने संबंध बहुत मजबूत बनाना चाहते हैं, जहां आप दोनों अपने संबंध के उस बिंदु पर किया है। शादी विवाह के पहले और बाद में संबंध एक बड़ा अंतर है। एक-दूसरे के परिवारों पर विचार जब शादी से पहले तुम दोनों को किसी भी सीमा नहीं है। दोनों कहीं भी जा सकते हैं और एक undependable जीवन जी सकता है। लेकिन शादी के दृश्य के बाद पूरी तरह से बदल गया है और अब आप जिम्मेदारियों के अनगिनत संख्या में हो गया है।

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इन सभी परिवर्तनों के साथ अपने साथी का प्रबंधन करने में सक्षम हो जाएगा और आप दोनों अनियंत्रित स्थिति में समझने में सक्षम हो जाएगा? भारतीय ज्योतिष मैच बनाने के समाधान इसलिए आप इन सब सवालों के जवाब देने के लिए निर्माण कर रहे हैं। मैच बनाने ज्योतिषी नक्षत्र मिलान करने के लिए एक साथ दोनों व्यक्ति की कुण्डली में पढ़ा, जिसमें इस तरह की तकनीक है। इस मैच बनाने की प्रक्रिया गुना के मिलान पर आधारित है इसका मतलब ज्योतिष मान्यताओं के विवाह संबंध के अनुसार साथी के साथ मैच के लिए 36 बंदूक है। दोनों बदतर स्थितियों में एक दूसरे के लिए संगत कर रहे हैं और एक दूसरे का प्रबंधन करेगा तो दूल्हे और दुल्हन की बंदूक मैच होगा।

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