Sunday, 25 October 2020

कोरोना को समझने में असफल रहे वैज्ञानिक अनुसंधान ! सफल हुआ वेदविज्ञान ?

 आदरणीय सांसद श्री गौतम गंभीर जी !

                                                           सादर नमस्कार 

बिषय :मेरे द्वारा किए जा रहे कोरोना महामारी से संबंधित अनुसंधान कार्य में सरकार से मदद हेतु !

    महोदय,

        जिस कोरोना महामारी से संपूर्ण विश्व पीड़ित है किंतु किसी वैज्ञानिक अनुसंधान के द्वारा इस महामारी के प्रारंभ होने या समाप्त होने के बिषय में अभीतक कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका है | इसी प्रकार से यह महामारी मनुष्यकृत है या प्राकृतिक है !इसका विस्तार क्षेत्र कितना है ?इसका प्रसार माध्यम क्या है !इस महामारी की व्याप्ति हवा में है या नहीं तथा इसके संक्रमण घटने बढ़ने पर सर्दी गर्मी वर्षा आदि अलग अलग मौसमसंबंधी गतिविधियों का कोई असर पड़ता भी है या नहीं आदि बातों के  बिषय में मेरी जानकारी के अनुशार किसी वैज्ञानिक अनुसंधान को अभी तक ऐसी कोई सफलता नहीं मिली है जो कल्पनाओं आशंकाओं अंदाजों से अलग हटकर वैज्ञानिक तर्कों के आधार पर प्रमाणित मानने योग्य हो |ऐसी परिस्थिति में सभी की तरह महामारी के बिषय में मेरा भी चिंतित होना स्वाभाविक ही है !

     ऐसी परिस्थिति आयुर्वेद के शीर्षग्रंथ 'चरकसंहिता' में वर्णित प्रक्रिया के आधार पर में मैंने महामारी के बिषय में अनुसंधान प्रारंभ किया था उसके आधार पर महामारी के बिषय में जो सच्चाई पता लगी वो मैनें प्रधानमंत्री जी की मेल पर 19 मार्च 2020 को भेज दी थी | जिसमें लिखा था  "महामारी प्राकृतिक है ,हवा में व्याप्त है,इसके लक्षण खोज पाना असंभव होगा एवं इसकी औषधि नहीं बनाई जा सकेगी !प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने से बचाव हो सकेगा और 6 मई से इस महामारी का प्रथम चरण समाप्त हो जाएगा !"

     महामारी के दूसरे चरण के बिषय में प्रधानमंत्री जी को दूसरी मेल मैंने 16 जून 2020 को भेजी थी !उसमें लिखा था कि यह कोरोना महामारी 8 अगस्त 2020 से पुनः बढ़ना प्रारंभ होगी जो क्रमशः बढ़ते बढ़ते 24 सितंबर 2020 तक शिखर पर पहुँचेगी और बिना किसी दवा या वैक्सीन के ही 25 सितंबर 2020 से यह महामारी स्वतः समाप्त होना प्रारंभ होगी जो 16 नवंबर तक क्रमशः हमेंशा हमेंशा के लिए समाप्त होती चली जाएगी | " ऐसा होते भी देखा जा रहा है | 

     मान्यवर !इसके अतिरिक्त भी महामारी के अनुसंधान के लिए उपयोगी कुछ और महत्वपूर्ण तथ्य मुझे मिले हैं उनमें से कुछ और भी मेल के माध्यम से मैंने प्रधान मंत्री जी को भेजे हैं किंतु इनमें से किसी भी मेल का अभी तक मुझे कोई उत्तर नहीं मिल पाया है !

    महोदय !मेरी अनुसंधान प्रक्रिया आयुर्वैदिक एवं खगोलीय विज्ञान पर आधारित है भारतीय प्राचीन विज्ञान की दृष्टि से यही विधा ऐसे अनुसंधानों एवं पूर्वानुमानों के लिए प्रमाणित मानी जाती थी उसी प्रक्रिया के आधार पर सूर्य चंद्र आदि ग्रहणों के बिषय में सैकड़ों वर्ष पहले लगाया गया पूर्वानुमान सच होते देखा जाता है | 

      इसी से संबंधित बिषय में मैंने काशी हिंदू विश्व विद्यालय से पीएचडी भी की है और ऐसे ही प्राकृतिक बिषयों में पिछले 25 वर्षों से मैं अनुसंधान करता आ रहा हूँ |जिसमें कई बिषयों में महत्त्वपूर्ण सफलता मिली है !

      अतएव सांसद जी !आपसे विनम्र निवेदन है कि मेरे द्वारा किए जा रहे इस अनुसंधान कार्य में सरकार से हमारा  सहयोग करवाने हेतु हमारी मदद करें !

                                                                                    निवेदक :

                                                                  डॉ. शेष नारायण वाजपेयी



 

कोरोना को समझने में असफल रहे वैज्ञानिक अनुसंधान ! सफल हुआ वेदविज्ञान ?

     जैसा कि आपको भी पता है कि वैज्ञानिक अनुसंधानों में खर्च किया जाने वाला धन जनता का ही होता है उसका उद्देश्य ऐसे अनुसंधानों के लिए करना होता है जो महामारी के समय समाज की मदद कर सकें !किंतु कोरोना महामारी में किसी भी रूप से वैज्ञानिक अनुसंधानों का कोई विशेष योगदान नहीं रहा है  वैज्ञानिक अनुसंधानों के नाम पर कुछ काल्पनिक किस्से कहानियाँ आशंकाएँ अंदाजे अफवाहें मात्र ही जनता को सुनने को मिलपाई हैं | सरकारें मास्क सैनिटाइजर एकांतबास लॉकडाउन या  संक्रमितों की जॉंच कराने पर ऐसे जोर देती रहीं जैसे ये कोरोना की चिकित्सा या बचाव के वास्तविक उपाय हों !जबकि वैज्ञानिक अनुसंधानों के आधार पर इसके बिषय में भी सरकार विश्वास पूर्वक कुछ कहने की स्थिति में कभी नहीं रही कि ऐसी सावधानियाँ बरतने से कुछ लाभ होता भी है या नहीं | अब कहा जा रहा है कि सर्दी में कोरोना संक्रमण और बढ़ेगा !मेरे अनुसंधान के अनुशार ऐसी बातें जनता को भयभीत करने वाली अफवाहों से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं | महामारी के बिषय में मेरे द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान अभी तक सही एवं सटीक हुए हैं मेरा विश्वास है कि आगे भी सही होंगे !दुर्भाग्य से ऐसे सही एवं सटीक वेदवैज्ञानिक पूर्वानुमानों को न सरकार महत्त्व दे रही है और न मीडिया जबकि दोनों अपने अपने को कोरोना योद्धा के रूप में प्रचारित करते देखे जाते हैं | मेरी अपेक्षा है कि सरकार एवं मीडिया जनहित में इस सच को भी स्वीकार करे !

        मैंने 19 मार्च को प्रधानमंत्री जी की मेल पर कोरोना के बिषय में जो पत्र भेजा था मेरे द्वारा उसमें 5 बातें साफ साफ लिखी गई हैं -

     1. कोरोना संक्रमण हवा में विद्यमान है (जिसे वैज्ञानिकों ने भी बाद में स्वीकार कर लिया है)

     2. कोरोना संक्रमितों के लक्षण नहीं पहचाने जा सकेंगे (अब वैज्ञानिक भी मान रहे हैं कि कोरोना स्वरूप बदल रहा है)

     3. कोरोना की दवा या वैक्सीन नहीं बनाई जा सकेगी !(आज तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है और बिना वैक्सीन के ही रिकवरी 90  प्रतिशत से अधिक हो गई है ) 

     4. आहार बिहार संयम आदि से शरीरों में निर्मित प्रतिरोधक क्षमता ही कोरोना संक्रमण से बचाव का एकमात्र उपाय होगा (अब वैज्ञानिक भी यही मानने लगे हैं ) 

     5 . पहले चरण का कोरोना संक्रमण 6 मई से समाप्त होने लगेगा !(ऐसा हुआ भी है )

    इसके बाद महामारी के दूसरे चरण के बिषय में मैनें 16 जून को प्रधानमंत्री जी की मेल पर पत्र भेजकर कहा कि 9 अगस्त से 24 सितंबर तक कोरोना संक्रमितों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती चली जाएगी !इसके बाद 25 सितंबर से 16 नवंबर तक कोरोना संक्रमण दिनोंदिन स्वयं समाप्त होता चला जाएगा !(आज 26 अक्टूबर है कोरोना संक्रमितों की संख्या दिनों दिन कम होती जा रही है और बिना किसी वैक्सीन के रिकवरी बढ़ती जा रही है |)

     इसके बाद वैक्सीन के विषय में मैंने7सितंबर को प्रधानमंत्री जी की मेल पर तीसरा पत्र भेजकर यह निवेदन किया था कि 25 सितंबर के बाद कोरोना संक्रमण स्वतः समाप्त होने लगेगा और धीरे धीरे हमेंशा हमेंशा के लिए समाप्त होता चला जाएगा |

      इसलिए 25 सितंबर के बाद कोरोना संक्रमण की समाप्ति स्थाई तौर पर प्रारंभ हो जाने के बाद यदि कोई वैद्य डॉक्टर योगी तांत्रिक वैज्ञानिक या कंपनी आदि के द्वारा कोरोना से मुक्ति दिलाने वाली औषधि ,वैक्सीन या टीका आदि बना लेने का दावा किया जाता है तो उसकी सच्चाई पर विश्वास कर लेना न्यायसंगत नहीं होगा |कोरोना जब स्वतः समाप्त होने ही लगेगा तब कोरोना संक्रमितों पर किसी दवा वैक्सीन आदि का परीक्षण ही कैसे संभव हो सकेगा |इसलिए ऐसा कोई दावा सत्यपर आधारित कैसे माना जा सकता है | 

      ऐसी महामारियों के समय अक्सर देखा जाता रहा है कि बहुत चतुर लोग परिस्थिति पर गिद्ध दृष्टि लगाए इस ताक में चुपचाप बैठे रहते हैं कि जैसे ही महामारी समाप्त होने लगती है वैसे ही महामारी से मुक्ति दिलाने वाली औषधि ,वैक्सीन या टीका आदि बना लेने का दावा ठोंकने  लगते हैं इसी बहाने झूठ बोलकर अपना कोई नकारा प्रोडक्ट महँगे दामों में बेच लिया करते हैं महामारी से डरा सहमा समाज मजबूरी में उसे खरीदता खाता है |

     ऐसे झूठे दावों से समाज को बचाने के लिए मैंने जो तीन मेलें प्रधानमंत्री जी को भेजी हैं उन तीनों को यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ | हमें याद रखना चाहिए कि मेल में  एडीटिंग होती नहीं है| फिर भी किसी मीडिया कर्मी या किसी अन्य व्यक्ति को ये मेलें यदि अपनी मेल पर फारवर्ड करवाना हो या इससे संबंधित बिषय में कोई चर्चा करनी हो तो हमें अपनी मेल आईडी  सकते हैं या फोन  सकते हैं -9811226983 

     ये हैं वे तीनों मेलें -


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