Sunday, 18 October 2020

विज्ञान भी अंधविश्वास ही है क्या ?

 विज्ञान भी अंधविश्वास ही है क्या ?

    विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से प्राप्त अनुभव ही विज्ञान है किसी विषय के स्वभाव या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। या प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के क्रमबध्द अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करने को ही विज्ञान कहते हैं। या किसी भी वस्तु के बारे में विस्तृत ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं ।

     विज्ञान के बिषय में माना जाता है कि जो चीज प्रमाणित हो सकती है वही सत्य है और जो चीज प्रमाणित नहीं हो सकती है वह सत्य भी नहीं है |किसी वस्तु या बात बिचार आदि को प्रमाणित करने के लिए अक्सर किसी न किसी यंत्र को निर्णायक माना जाता है | कई बार यंत्रों से भी गलत जानकारियाँ मिलती हैं इसके बाद भी उन जानकारियों को विज्ञान सम्मत मान लिया जाता है |   

        दूसरी बात मान्यताओं की है जिनका परीक्षण यंत्रों से नहीं हो सकता है उनका परीक्षण केवल अनुभवों के आधार पर ही किया जा सकता है | 

        व्यवहार में यंत्रों की अपेक्षा अनुभवों को अधिक महत्त्व दिया जाता है क्योंकि यंत्रों से प्राप्त जानकारी गलत होने की संभावना अधिक रहती है जबकि अनुभवों से परीक्षित जानकारी अक्सर सही होते देखी जाती है बशर्ते अनुभव का स्तर अच्छा हो |

   कोरोना जैसी महामारी की जाँच मशीनों से की जाती थी अलग अलग मशीनों से प्राप्त परिणाम भी अक्सर भिन्न भिन्न होते देखे जाते थे | प्रायः सभी रोगों की जाँच रिपोर्ट अलग अलग मशीनों की अलग अलग  ही  होती हैं | कोरोना के बिषय में  भी यही हुआ !

 

संभव न होने के कारण भले न किया जा सकता हो किंतु किए जाने योग्य प्रत्यक्ष प्रमाण   इसके विरुद्ध वे मान्यताएँ हैं जो प्रूफ भले न हों किंतु लोग मानते वही हैं जो अनुभव करते हैं !

मान्यताएँ दो प्रकार की होती हैं - सत्य बदलने वाली मान्यताएँ \ दूसरे  सच में बदलाव होते रहते हैं !

जो बात विज्ञान से सिद्ध हो सकती है वही सत्य है | 

  जो साइंस कर रहा है वही सत्य है | 

अदृश्य सत्ता को मान्यता मिली है 

विज्ञान में शक की गुंजाइश है किंतु भगवान में नहीं है | 

  विज्ञान बहुत बातों की व्याख्या नहीं  कर सकता है

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