Sunday, 24 June 2018

अपराध और भ्रष्टाचार समाप्त ही नहीं किया जा सकता !जानिए क्यों ?

लोकतंत्र की जड़ों भर दिया गया है भ्रष्टाचार का पानी !वो पानी हटाते ही सूख जाएगा लोकतंत्र !
  अन्यथा सरकार और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से जनता को सीधे लड़ना पड़ेगा भ्रष्टाचार विरोधी एक बड़ा युद्ध !
    सरकार की वर्तमान कार्य पद्धति में तो अपराधी दो प्रकार के होते हैं एक सरकारी अपराधी और दूसरे प्राइवेट अपराधी!सुना है कि सरकारी नौकरी करते हुए कोई दूसरा कारोबार नहीं किया जा सकता इसलिए घूस खोर सरकारी अधिकारी किसी अपराधी गिरोह या क्राइमकंपनी से टाईअप करके साझा अपराध उद्योग चलाते हैं और अंधाधुंध कमाई अपराधों से करते हैं सरकार से मिलाने वाली सैलरी की उन्हें परवाह ही नहीं होती है !ऐसे अपराधी जब पकड़े जाते हैं तब वही अधिकारी जाँच करने भेजे जाते हैं वे क्लीनचिट  दिए चले आते हैं !अपराध होने और जाँच होने के बीच यदि कोई सजीव और ईमानदार अधिकारी आ गया तब तो सारे मामले को तार तार कर देता है और बड़े बड़े लोग नप जाते हैं !ऐसे ईमानदार अधिकारियों की संख्या  है जो हैं भी उन्हें विधायक सांसद मंत्री मुंत्री आदि नेता लोग काम ही नहीं करने देते हैं उनके विरुद्ध षड्यंत्र किया करते हैं !ईमानदार अधिकारी कर्मचारी जिद भी नहीं करते  किया करते हैं वे किसी विवाद में फँसना  ही नहीं चाहते !
        सच्चाई ये है कि सरकार से सैलरी लेकर अपराध करने या कराने वाले लोगों को तो इस देश में अधिकारी कहा जाता है और सरकार से बिना सैलरी लिए ही अपराध के क्षेत्र में फ्री सेवाएँ देने वाले बेचारों को अपराधी कहा जाता है !
    वस्तुतः घूसखोर अधिकारी और अपराधी मिलकर योजना बनाते हैं किसी अपराध की !उसमें अपराधी अपराध करते हैं अधिकारी मदद करते हैं !अपराध से जो आमदनी होती है वो दोनों मिलकर बाँट लेते हैं !   अपराधउद्योग सरकार का अघोषित विभाग है जिसके विषय में चर्चाएँ खूब होती हैं इसकी बुराई खूब होती है इस उद्योग की कमाई खाने वाले राजनेता इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में नोक झोंक खूब चला करती है !विपक्ष के लोग सत्ता पक्ष पर बड़े बड़े घोटालों के आरोप लगाया करते हैं और जैसे ही वो सत्ता पा जाते हैं तो अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार की कमाई में से उनके हिस्से के कट्टे उनके यहाँ पहुँचाने लगते हैं माया देखते ही उन्हें साँप सूँघ जाता है फिर वो भ्रष्टाचार की बात करना सुनना बिल्कुल पसंद ही नहीं करते हैं अब बारी होती है विपक्ष वालों की वो बेचारे अपने पुराने दिनों की याद कर कर के सत्ता पक्ष के लोगों को कोसा करते हैं उन्हें लगता है नोटों के जो बोरे पहले हमारे यहाँ ले लेकर अधिकारी आया करते थे वही अधिकारी अब उनके यहाँ ले जाते होंगे !ऐसा सोच सोच कर वो सत्ता पक्ष पर घूस खोरी घपले घोटाले के आरोप लगाया करते हैं इसके बाद एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगते रहने वाले सत्तापक्ष हो या विपक्ष घूसखोर हैं ! 
     इस देश में भ्रष्टाचार को नष्ट करने का संकल्प लेकर काम करने वाली दृढ़ निश्चयी एक ईमानदार कर्मठ सरकार चाहिए जो बेकार के बकवास न करके काम करे !तो वो समाप्त कर सकती है भ्रष्टाचार !अपना निगरानी तंत्र विकसित करे !जिस अधिकारी या कर्मचारी की जिस दिन नौकरी लगी थी उस दिन से आज तक की उनकी सैलरी का मिलान करे !सैलरी के हिसाब यदि संपत्ति बढ़ी है तब तो ठीक अन्यथा ऐसे अधिकारियों को संदेहास्पद मानते हुए इनकी एवं इनके परिजनों की सम्पत्तियों की गहन जाँच की जाए और जो दोषी पाए जाएँ उन्हें तत्काल अपराधियों की श्रेणी में डाल कर उन पर भी अपराधियों जैसा ही सुलूक किया जाए !तो बंद हो जाएगा अपराध !
   सरकारों में बैठे लोग यदि भ्रष्टाचारी अधिकारियों से उनकी भ्रष्ट कमाई में से अपना हिस्सा न ले रहे होते तो सरकारों से अच्छे आचरण की उम्मींद कुछ की ही जा सकती थी !अब जब विधायकों और सांसदों का स्टाफ ही जनता  करवाने के लिए घूस माँगता हो और जो घूस दे उसका काम करवा दे और जो न दे उसे घूस देकर काम करवाने की सलाह देकर सारे सिस्टम को करप्ट बताकर सिस्टम की थोड़ी बहुत बुराइयाँ कर देते हैं बस!उधर उनकी पार्टी के सत्ताशीर्ष में बैठे PM,CM जैसे जनता की आँखों में धूल झोकने वाले लप्फाज और झूठे लोग     भ्रष्टाचार समाप्त कर देने की बड़ी बड़ी डींगें मारते बकवास किया करते हैं !
     सरकारों को सच्चाई पता होती  है कि हमारे अधिकाँश जनप्रतिनिधियों का स्टॉप ही घूस खोर है इसलिए अधिकारियों पर अंकुश लगाया तो वो हमारे जनप्रतिनिधियों के नाम कबूलने लगेंगे ! सरकारों को   यदि इस बात का डर न होता तो भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कोई तो कठोर कानून बनाया जाता और घूसखोर अधिकारियों को चिन्हित किया जाता उनकी सम्पत्तियां जप्त की जातीं और उन्हें कठोर दंड से दण्डित किया जाता दूसरी बार कोई अधिकारी भ्रष्टाचार करने की हिम्मत नहीं करता !
   


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