Tuesday, 26 June 2018

कानूनों का भय

भ्रष्टाचार के अपराधीअधिकारियों पर अंकुश लगाए सरकार!
   अन्यथा अच्छी से अच्छी सरकारी योजनाएँ बेकार !
    जिन अधिकारियों की लापरवाही या घूसखोरी से अवैध निर्माण या अवध कब्जे हुए या अवध कामकाज चल रहे हैं उन्हें दण्डित करने की जगह सैलरी दे रही है सरकार !

कानूनों का भय दिखाकर जनता को लूटा जाता है क्या इसीलिए बनते  हैं कानून ?
    अपराधियों से तो खतरा कभी कभी रहता है वे तो डरते डरते कभी कभी लूटने का प्रयास करते हैं फिर भी उनसे बचा जा सकता है किंतु घूसखोर सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों का खौफ तो हर महीने हर सप्ताह बैठा रहता है वे कानून का भय देकर हमेंशा डंके की चोट पर लूटते हैं !see..... http://www.sudarshannews.com/category/jan-sansad/strong-reply-of-jansansd-to-anti-business-mans--13767?utm_campaign=pubshare&utm_source=facebook&utm_medium=321178294632897&utm_content=auto-link&utm_id=522


व्यापारी अपराधियों  को उतना खतरनाक नहीं मानते हैं जितना घूसखोर अधिकारियों को !see..... http://www.sudarshannews.com/category/jan-sansad/strong-reply-of-jansansd-to-anti-business-mans--13767?utm_campaign=pubshare&utm_source=facebook&utm_medium=321178294632897&utm_content=auto-link&utm_id=522

           रोड पर भीख माँगने वाले भिखारियों पर प्रतिबंध लगाने से पहले सरकारी दफ्तरों में बैठकर भीख माँगने वाले घूसखोर अधिकारियों पर लगाया जाए प्रतिबंध !see....... http://www.sudarshannews.com/category/jan-sansad/strong-reply-of-jansansd-to-anti-business-mans--13767?utm_campaign=pubshare&utm_source=facebook&utm_medium=321178294632897&utm_content=auto-link&utm_id=522

        अब सरकार और उसके घूसखोर अधिकारियों के विरुद्ध जनता लड़ेगी एक युद्ध !see..... http://www.sudarshannews.com/category/jan-sansad/strong-reply-of-jansansd-to-anti-business-mans--13767?utm_campaign=pubshare&utm_source=facebook&utm_medium=321178294632897&utm_content=auto-link&utm_id=522
     व्यापारियों डरा धमका कर लूटते हैं  सरकारी लुटेरे !सरकार मूक दर्शक बनी हुई है  या लुटेरों की कमाई में हिस्सा लेती है !see....... http://www.sudarshannews.com/category/jan-sansad/strong-reply-of-jansansd-to-anti-business-mans--13767?utm_campaign=pubshare&utm_source=facebook&utm_medium=321178294632897&utm_content=auto-link&utm_id=522             













Sunday, 24 June 2018

अपराध और भ्रष्टाचार समाप्त ही नहीं किया जा सकता !जानिए क्यों ?

लोकतंत्र की जड़ों भर दिया गया है भ्रष्टाचार का पानी !वो पानी हटाते ही सूख जाएगा लोकतंत्र !
  अन्यथा सरकार और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से जनता को सीधे लड़ना पड़ेगा भ्रष्टाचार विरोधी एक बड़ा युद्ध !
    सरकार की वर्तमान कार्य पद्धति में तो अपराधी दो प्रकार के होते हैं एक सरकारी अपराधी और दूसरे प्राइवेट अपराधी!सुना है कि सरकारी नौकरी करते हुए कोई दूसरा कारोबार नहीं किया जा सकता इसलिए घूस खोर सरकारी अधिकारी किसी अपराधी गिरोह या क्राइमकंपनी से टाईअप करके साझा अपराध उद्योग चलाते हैं और अंधाधुंध कमाई अपराधों से करते हैं सरकार से मिलाने वाली सैलरी की उन्हें परवाह ही नहीं होती है !ऐसे अपराधी जब पकड़े जाते हैं तब वही अधिकारी जाँच करने भेजे जाते हैं वे क्लीनचिट  दिए चले आते हैं !अपराध होने और जाँच होने के बीच यदि कोई सजीव और ईमानदार अधिकारी आ गया तब तो सारे मामले को तार तार कर देता है और बड़े बड़े लोग नप जाते हैं !ऐसे ईमानदार अधिकारियों की संख्या  है जो हैं भी उन्हें विधायक सांसद मंत्री मुंत्री आदि नेता लोग काम ही नहीं करने देते हैं उनके विरुद्ध षड्यंत्र किया करते हैं !ईमानदार अधिकारी कर्मचारी जिद भी नहीं करते  किया करते हैं वे किसी विवाद में फँसना  ही नहीं चाहते !
        सच्चाई ये है कि सरकार से सैलरी लेकर अपराध करने या कराने वाले लोगों को तो इस देश में अधिकारी कहा जाता है और सरकार से बिना सैलरी लिए ही अपराध के क्षेत्र में फ्री सेवाएँ देने वाले बेचारों को अपराधी कहा जाता है !
    वस्तुतः घूसखोर अधिकारी और अपराधी मिलकर योजना बनाते हैं किसी अपराध की !उसमें अपराधी अपराध करते हैं अधिकारी मदद करते हैं !अपराध से जो आमदनी होती है वो दोनों मिलकर बाँट लेते हैं !   अपराधउद्योग सरकार का अघोषित विभाग है जिसके विषय में चर्चाएँ खूब होती हैं इसकी बुराई खूब होती है इस उद्योग की कमाई खाने वाले राजनेता इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में नोक झोंक खूब चला करती है !विपक्ष के लोग सत्ता पक्ष पर बड़े बड़े घोटालों के आरोप लगाया करते हैं और जैसे ही वो सत्ता पा जाते हैं तो अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार की कमाई में से उनके हिस्से के कट्टे उनके यहाँ पहुँचाने लगते हैं माया देखते ही उन्हें साँप सूँघ जाता है फिर वो भ्रष्टाचार की बात करना सुनना बिल्कुल पसंद ही नहीं करते हैं अब बारी होती है विपक्ष वालों की वो बेचारे अपने पुराने दिनों की याद कर कर के सत्ता पक्ष के लोगों को कोसा करते हैं उन्हें लगता है नोटों के जो बोरे पहले हमारे यहाँ ले लेकर अधिकारी आया करते थे वही अधिकारी अब उनके यहाँ ले जाते होंगे !ऐसा सोच सोच कर वो सत्ता पक्ष पर घूस खोरी घपले घोटाले के आरोप लगाया करते हैं इसके बाद एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगते रहने वाले सत्तापक्ष हो या विपक्ष घूसखोर हैं ! 
     इस देश में भ्रष्टाचार को नष्ट करने का संकल्प लेकर काम करने वाली दृढ़ निश्चयी एक ईमानदार कर्मठ सरकार चाहिए जो बेकार के बकवास न करके काम करे !तो वो समाप्त कर सकती है भ्रष्टाचार !अपना निगरानी तंत्र विकसित करे !जिस अधिकारी या कर्मचारी की जिस दिन नौकरी लगी थी उस दिन से आज तक की उनकी सैलरी का मिलान करे !सैलरी के हिसाब यदि संपत्ति बढ़ी है तब तो ठीक अन्यथा ऐसे अधिकारियों को संदेहास्पद मानते हुए इनकी एवं इनके परिजनों की सम्पत्तियों की गहन जाँच की जाए और जो दोषी पाए जाएँ उन्हें तत्काल अपराधियों की श्रेणी में डाल कर उन पर भी अपराधियों जैसा ही सुलूक किया जाए !तो बंद हो जाएगा अपराध !
   सरकारों में बैठे लोग यदि भ्रष्टाचारी अधिकारियों से उनकी भ्रष्ट कमाई में से अपना हिस्सा न ले रहे होते तो सरकारों से अच्छे आचरण की उम्मींद कुछ की ही जा सकती थी !अब जब विधायकों और सांसदों का स्टाफ ही जनता  करवाने के लिए घूस माँगता हो और जो घूस दे उसका काम करवा दे और जो न दे उसे घूस देकर काम करवाने की सलाह देकर सारे सिस्टम को करप्ट बताकर सिस्टम की थोड़ी बहुत बुराइयाँ कर देते हैं बस!उधर उनकी पार्टी के सत्ताशीर्ष में बैठे PM,CM जैसे जनता की आँखों में धूल झोकने वाले लप्फाज और झूठे लोग     भ्रष्टाचार समाप्त कर देने की बड़ी बड़ी डींगें मारते बकवास किया करते हैं !
     सरकारों को सच्चाई पता होती  है कि हमारे अधिकाँश जनप्रतिनिधियों का स्टॉप ही घूस खोर है इसलिए अधिकारियों पर अंकुश लगाया तो वो हमारे जनप्रतिनिधियों के नाम कबूलने लगेंगे ! सरकारों को   यदि इस बात का डर न होता तो भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कोई तो कठोर कानून बनाया जाता और घूसखोर अधिकारियों को चिन्हित किया जाता उनकी सम्पत्तियां जप्त की जातीं और उन्हें कठोर दंड से दण्डित किया जाता दूसरी बार कोई अधिकारी भ्रष्टाचार करने की हिम्मत नहीं करता !
   


Sunday, 10 June 2018

vaidik

 आँधी तूफान की घटनाएँ इतनी अधिक क्यों हुईं इस वर्ष ?

     गर्मी तो प्रत्येकवर्ष आती थी और आँधी भी हर वर्ष आती थी किंतु सन 2018 के मई जून में आँधी तूफान की जितनी अधिक एवं भयावह घटनाएँ घटित हो रही हैं ऐसा पहले तो कभी नहीं देखा गया था इस वर्ष ही ऐसा क्यों हो रहा है और कब तक आते रहेंगे इस प्रकार के भयानक आँधी तूफान इसके विषय में कोई पूर्वानुमान मौसम विभाग के पास भी नहीं है !ऐसी घटनाओं के घटित होने का कारण क्या है इसके विषय में भी कोई संतोष जनक उत्तर उनके पास नहीं है !वैसे भी सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं  के घटित होने के कारण उनकी भाषा में दो तीन ही हो सकते हैं ! एक तो ग्लोबल वार्मिंग ,दूसरा पश्चिमी विक्षोभ और तीसरा वायु प्रदूषण बस !किंतु ये तो प्रत्येक वर्ष की ही न्यूनाधिक ऐसी प्राकृतिक परिस्थिति है फिर इस वर्ष ऐसा अलग क्या है आखिर क्यों घटित हो रही हैं इतनी अधिक भयावह आँधी तूफान की घटनाएँ !हमारे यहाँ हर बात में तो रिसर्च होती है किंतु 2016 की गर्मियों में आग लगने की इतनी अधिक घटनाएँ क्यों घटित हुईं इस पर कोई रिसर्च न हुआ और न ही उसके कोई परिणाम सामने ही आए !आए भी होंगे तो बस वही तीन ग्लोबल वार्मिंग ,दूसरा पश्चिमी विक्षोभ और तीसरा वायु प्रदूषण इससे आगे का अभी तक हमारी समझ में कोई रिसर्च मौसम पर हुआ नहीं और न ही इसकी कोई जरूरत ही समझी गई न जाने क्यों ?मीडिया से लेकर हर कोई जानना चाहता है कि इस वर्ष आँधी तूफान की इतनी अधिक भयावह दुर्घटनाएँ क्यों घटित हुईं किंतु संतोष जनक उत्तर देने वाला कोई नहीं है !
         बंधुओं !मैं भारत के प्राचीन समयविज्ञान के आधार पर मौसम की प्रत्येक गतिविधि का अध्ययन करता रहता हूँ ऐसा अनुसंधान करते हुए मुख्य कुछ दशक बीत गए जिसके अनुभव भी हमारे पास हैं !मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाने की हमारी पद्धति समय विज्ञान के द्वारा अनुसन्धान करके मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाना होता है !ये विशुद्ध गणित की प्रक्रिया है जिस गणित के आधार पर आकाश में घटित होने वाले सूर्य और चंद्र के ग्रहणों का पूर्वानुमान आगे से आगे लगा लिया जाता है उसके लिए मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है बशर्ते कहीं से तो प्रोत्साहन मिले !

Monday, 4 June 2018

भाजपा भी गाली देने वालों को ही गले लगाती रहेगी क्या ?बारे गालीप्रेम !

ऐसे गाली प्रेमी नेताओं के आचरणों को उनके चरित्र से जोड़कर देखा जाए या इसे देश और समाज के साथ मात्र एक मजाक समझकर भुला दिया जाए ?
     शायदकपिल मिश्रा जी को पहले से ही पता रहा होगा कि भाजपाइयों को क्या पसंद है तभी तो उन्होंने भाजपा से जुड़ने के लिए 23 जनवरी 2016 को कहा था कि -
         " केंद्र सरकार और मोदी सबसे बड़े नपुंसक हैं." - कपिल मिश्रा 
     इसके लिए वे केजरीवाल को भी दोषी नहीं ठहरा सकते !अब विजयगोयल जी कपिल जी के घर गए और कहा - "कपिल जी  के लिए भाजपा में  दरवाजे खुले हैं !" "हमें कपिलमिश्रा जैसे दोस्तों की जरूरत है" उधर कपिल मिश्रा ने कहा -  "केंद्र सरकार ने पिछले 4 वर्षों में बहुत विकास किया ""कौरव इकट्ठे हो रहे हैं तो पांडव भी इकट्ठे होंगे" 
     ऐसे बयानों में एक दूसरे के प्रति कितना प्रेम है आपस में कितना लगाव है कितनी उदारता झलकती है !वाह !!
      ऐसी परिस्थिति में चरित्रवान पांडवों से अपनी तुलना ठीक है क्या ?जिस देश के नेताओं ऐसा चरित्र हो उस देश में अपराध और बलात्कार जैसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है ?वस्तुतः नेताओं ने ही बिगाड़ा है देश और समाज आप  देखें - see more... https://aajtak.intoday.in/story/aap-leader-kapil-mishra-uses-derogatory-language-against-pm-modi-1-851689.html
    अब कपिल मिश्रा जी और विजय गोयल जी एक दूसरे को क्या कह रहे हैं अपने श्रा मुख से आप स्वयं देखिए -https://www.jansatta.com/rajya/new-delhi/union-minister-vijay-goel-meets-former-aap-minister-from-delhi-arvind-kejriwal-goovt-kapil-mishra-invites-him-to-join-bjp/676776/
        
 
       
     ऐसा लिखने के पीछे लेखक की मजबूरी -
       भाजपा मोदी और मूल्यों की राजनीति पर निष्ठा होने के कारण मोदी जी के लिए कपिल के द्वारा ऐसे अभद्र शब्दों का प्रयोग करने पर मुझे भी बहुत बुरा लगा था जिसकी आलोचना करने के लिए मैंने कई लेख भी लिखे थे !
    स्वयं मैं देश और समाज के हित  में कई महत्त्वपूर्ण जुझाव देने के लिए जिन भाजपा नेताओं मंत्रियों सांसदों से मिलने का समय माँगता रहा किंतु चार वर्षों में देश और समाज  हित की उन बातों को सुनने के लिए जिनके पास समय नहीं था वे कपिल मिश्रा जी की गालियों से इतना खुश  हो गए कि उनके घर पहुँच गए !
         बंधुओं !मेरे सुझाव हो सकता है कि अच्छे न हों किंतु एक प्रतिशत यदि वास्तव में  देश और समाज के  सुनना आवश्यक ही होता तो उनकी उपेक्षा करना एक जिम्मेदार सरकार के लिए कहाँ तक उचित है !