'फीलगुड' अटल सरकार पर भारी पड़ा था और अब 'गुडफील' मोदी सरकार पर !2019 क्या केवल मोदी मोदी करके ही जीतने की तैयारी है या पराजय के असली कारणों के निराकरण पर भी विचार किया जाएगा !
मोदी जी !उपचुनावों में पराजय 2019 चुनावों के लिए कुछ कह रही है !इन अपशकुनों को नजरंदाज करना ठीक नहीं है !
मोदी जी !उपचुनावों में पराजय 2019 चुनावों के लिए कुछ कह रही है !इन अपशकुनों को नजरंदाज करना ठीक नहीं है !
मोदी जी ईमानदारी से निष्ठापूर्वक भयंकर परिश्रम करते हुए देश के विकास के लिए अपनेपन से लगे हुए हैं !किंतु उनके सांसदों विधायकों पार्षदों के एक बड़े वर्ग ने उनकी साख गिराने में कोई कमी नहीं छोड़ी है वो केवल मोदी मोदी करता है मोदी जी के साथ फोटो खींचकर दिखाता है मोदी जी के साथ मीटिंग की गप्पें मारता है मोदी जी के विदेशी दौरों उनके साथ होने वाले करारों की बातें करता है किंतु खुद कुछ नहीं करता है जनता का सामना ऐसे ही अकर्मण्य लोगों से पड़ता है उन
जनप्रतिनिधियों को काम करने का न अभ्यास है न नियत है और न नीति है न
निष्ठा है न सेवा भावना है वे सत्ता भोगने में मदहोश हैं जब वो होश में आते
हैं तब मोदी मोदी करने लगते हैं !ऐसे लोग अपनी ड्यूटी केवल इतनी समझते हैं !
जनता का सामना मोदी जी से तो होता नहीं है जनता मोदी जी के भाषणों में दिखाए जा रहे राम राज्य के सपने को सच मानकर अपनी भी जरूरतों की पूर्ति के लिए पहले सरकारी बाबुओं के पास जाती है जब वे निराश करते हैं तब जनप्रतिनिधियों के यहाँ जाती है वे भी निराश करते हैं तब जनता प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री के भाषणों को मजाक समझने लगती है !उसे लगने लगता है कि शायद ये योजनाएँ किन्हीं अन्य लोकों के लिए बनाई जाती होंगी हमें केवल बताया जा रहा है काम तो उन्हीं लोकों में हो रहा होगा !
सरकारी विभागों में परिस्थितियाँ इतनी अधिक बिगड़ी हैं कि घूस नहीं नहीं !जहाँ बिना घूस लिए काम करना तो दूर कोई सलाह भी नहीं देता !उनसे क्या उम्मींद !फिर भी उनमें भी कुछ जो ईमानदार चरित्रवान माता पिता की संतान हैं वे लोग अच्छा काम कर रहे हैं इसलिए उन्हें इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता !उनके विषय में ऐसा कहना ठीक नहीं होगा किन्तु सरकारी विभागों में बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जिस कारण वे भी बदनाम होते हैं !
लापरवाह भ्रष्ट कर्मचारियों से तंग होकर जनता जनप्रतिनिधियों के पास मदद के लिए जाती है किन्तु वे केवल चार प्रकार के लोगों से मिलना पसंद करते हैं !जो उन्हें टिकट दिलाने-कटाने या चुनावों में जिताने-हराने की क्षमता रखता हो या ऐसा गुंडा हो जिसका क्षेत्र में दबदबा हो और या फिर मुख माँगा धन देने में सक्षम हो !ऐसे चार प्रकार के अलावा बाक़ी लोगों को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी उनके स्टाप की होती है !जनता को उनका स्टाप ही डील करता है !जो अखवारों में पढ़पढ़कर मोदी जी के विदेशी दौरों की कहानियाँ जनता को सुनाया करता है जिसमें जनता की कोई विशेष रूचि नहीं होती है !उन बड़ी बातों में रूचि रखने वाले जनता में सभी लोग नहीं होते हैं !सिफारिस के लिए उनके पास पहुँचने वाला समाज का अधिकाँश वर्ग की निजी जीवन जरूरतों मजबूरियों एवं परिवार चलाने की जिम्मेदारी निभाते निभाते सुबह से कब शाम हो गई पता ही नहीं चलता है !
ऐसे लोग कोई सरकारी कर्मचारी तो होते हैं नहीं जिन्हें कोई काम ही न करना हो या बहुत कम काम करना हो और जिम्मेदारी निभाने के नाम पर तो उनके पास कुछ भी नहीं होता हो !ऐसे कर्मचारी कोई सैनिक तो हैं नहीं कि अपने देश की सीमाएं सुरक्षित करना जैसा उनका कोई बड़ा लक्ष्य हो!इसलिए समय पास करने के लिए वे बेचारे सरकारी लोग ऐसी बातों चर्चाओं का सहारा ले लिया करते हैं!
यद्यपि बहुत सरकारी कर्मचारी भी परिश्रम पूर्वक अर्जित किए गए धन से ही अपने परिवार पालते हैं उन्हें इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है !इसी प्रकार से किसानों गरीबों ग्रामीणों मेहनत करके रोटियाँ खाने वाले एवं अपने मेहनत की कमाई से अपने परिवार पालने वाले ईमानदार लोगों के पास इतना समय ही कहाँ होता है !
सच्चाई तो ये है कि किसी भी पार्टी के जनप्रतिनिधियों का स्टॉप जनता के साथ अपनेपन का वर्ताव नहीं कर रहा है वो जनता को बेवकूफ बनाने की फिराक में निरंतर लगा हुआ है !उसे पता है गुडबिल बनेगी तो नेता जी की उससे हमें क्या मिलेगा !इसलिए वो अपने रुतबे का इस्तेमाल अपने और अपने नाते रिश्तेदारों को लाभ पहुँचाने के लिए करता जा रहा है !जनता से ये छिपा नहीं है !झूठे सिफारिसी पत्र लिखकर देना झूठे सिफारिशी फोन करने की धोखाधड़ी जनता भी समझ रही है !
जनता का सामना मोदी जी से तो होता नहीं है जनता मोदी जी के भाषणों में दिखाए जा रहे राम राज्य के सपने को सच मानकर अपनी भी जरूरतों की पूर्ति के लिए पहले सरकारी बाबुओं के पास जाती है जब वे निराश करते हैं तब जनप्रतिनिधियों के यहाँ जाती है वे भी निराश करते हैं तब जनता प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री के भाषणों को मजाक समझने लगती है !उसे लगने लगता है कि शायद ये योजनाएँ किन्हीं अन्य लोकों के लिए बनाई जाती होंगी हमें केवल बताया जा रहा है काम तो उन्हीं लोकों में हो रहा होगा !
सरकारी विभागों में परिस्थितियाँ इतनी अधिक बिगड़ी हैं कि घूस नहीं नहीं !जहाँ बिना घूस लिए काम करना तो दूर कोई सलाह भी नहीं देता !उनसे क्या उम्मींद !फिर भी उनमें भी कुछ जो ईमानदार चरित्रवान माता पिता की संतान हैं वे लोग अच्छा काम कर रहे हैं इसलिए उन्हें इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता !उनके विषय में ऐसा कहना ठीक नहीं होगा किन्तु सरकारी विभागों में बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जिस कारण वे भी बदनाम होते हैं !
लापरवाह भ्रष्ट कर्मचारियों से तंग होकर जनता जनप्रतिनिधियों के पास मदद के लिए जाती है किन्तु वे केवल चार प्रकार के लोगों से मिलना पसंद करते हैं !जो उन्हें टिकट दिलाने-कटाने या चुनावों में जिताने-हराने की क्षमता रखता हो या ऐसा गुंडा हो जिसका क्षेत्र में दबदबा हो और या फिर मुख माँगा धन देने में सक्षम हो !ऐसे चार प्रकार के अलावा बाक़ी लोगों को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी उनके स्टाप की होती है !जनता को उनका स्टाप ही डील करता है !जो अखवारों में पढ़पढ़कर मोदी जी के विदेशी दौरों की कहानियाँ जनता को सुनाया करता है जिसमें जनता की कोई विशेष रूचि नहीं होती है !उन बड़ी बातों में रूचि रखने वाले जनता में सभी लोग नहीं होते हैं !सिफारिस के लिए उनके पास पहुँचने वाला समाज का अधिकाँश वर्ग की निजी जीवन जरूरतों मजबूरियों एवं परिवार चलाने की जिम्मेदारी निभाते निभाते सुबह से कब शाम हो गई पता ही नहीं चलता है !
ऐसे लोग कोई सरकारी कर्मचारी तो होते हैं नहीं जिन्हें कोई काम ही न करना हो या बहुत कम काम करना हो और जिम्मेदारी निभाने के नाम पर तो उनके पास कुछ भी नहीं होता हो !ऐसे कर्मचारी कोई सैनिक तो हैं नहीं कि अपने देश की सीमाएं सुरक्षित करना जैसा उनका कोई बड़ा लक्ष्य हो!इसलिए समय पास करने के लिए वे बेचारे सरकारी लोग ऐसी बातों चर्चाओं का सहारा ले लिया करते हैं!
यद्यपि बहुत सरकारी कर्मचारी भी परिश्रम पूर्वक अर्जित किए गए धन से ही अपने परिवार पालते हैं उन्हें इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है !इसी प्रकार से किसानों गरीबों ग्रामीणों मेहनत करके रोटियाँ खाने वाले एवं अपने मेहनत की कमाई से अपने परिवार पालने वाले ईमानदार लोगों के पास इतना समय ही कहाँ होता है !
सच्चाई तो ये है कि किसी भी पार्टी के जनप्रतिनिधियों का स्टॉप जनता के साथ अपनेपन का वर्ताव नहीं कर रहा है वो जनता को बेवकूफ बनाने की फिराक में निरंतर लगा हुआ है !उसे पता है गुडबिल बनेगी तो नेता जी की उससे हमें क्या मिलेगा !इसलिए वो अपने रुतबे का इस्तेमाल अपने और अपने नाते रिश्तेदारों को लाभ पहुँचाने के लिए करता जा रहा है !जनता से ये छिपा नहीं है !झूठे सिफारिसी पत्र लिखकर देना झूठे सिफारिशी फोन करने की धोखाधड़ी जनता भी समझ रही है !
निडर होकर जनता से उगाही करने वाले भ्रष्टाचारी अधिकारियों कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की शिकायतें लेकर जनता जिन जनप्रतिनिधियों के यहाँ जाती है वो या उनका स्टाफ उस समय एक ही आँख से देखते हैं कि किसका पक्ष लेने से मुझे कितना मिलेगा !इसी कसौटी पर कसकर कभी जनता के कुछ गणमान्य लोगों का साथ दे देते हैं और कभी भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों का !
इसी नियत से भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की बड़ी बड़ी बीर रस की बातें करना और बाद में दुम दबाकर चुप बैठ जाना और उन्हीं भ्रष्टाचारियों की भाषा बोलने लग जाने का मतलब जनता भी समझ चुकी है कि अब उन भ्रष्टाचारियों ने इनका हिस्सा इनके पास तक पहुँचा दिया है ! इसीलिए इन भ्रष्टाचारियों के मुख से अब भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध अब आवाज नहीं निकल रही है !भ्रष्टाचार की कमाई में हिस्सा पाते ही जनप्रतिनिधियों का स्टाफ सिस्टम को दोषी ठहराने लग जाता है !
जनप्रतिनिधियोंकी छवि धीरे धीरे ये बनती जा रही है कि अधिकारी कर्मचारी यदि अपने भ्रष्टाचार में जनप्रतिनिधियों का हिस्सा समय से पहुँचाते रहेंगे तो ये उनका साथ देंगे अन्यथा जनता में से जो लोग इनका आर्थिक पूजन करेंगे ये उनका साथ देंगे !इन्हें धन वही देगा जिसे गलत काम करके दो के चार बनाने होंगे !ऐसी परिस्थिति में कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री वहाँ ऊपर बैठकर कितने भी कड़े कानून क्यों न बना ले किंतु उनका पालन न होने के कारण अपराध बढ़ते चले जा रहे हैं अपराधी उन कानूनों का मजाक उड़ा रहे हैं !
अधिकारियों कर्मचारियों की जिम्मेदारी है कानूनों का कड़ाई से पालन करने की और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है सरकार की नीतियाँ शक्ति से लागू करवाने की किंतु दुर्भाग्य से दोनों ही हिले हुए हैं !इसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जैसे पदों पर बैठे ईमानदार और कर्मठ लोग अपने को असहाय महसूस करते हैं क्योंकि ईमानदार प्रशासन देने में जनप्रतिनिधि उनका साथ बिलकुल नहीं दे रहे होते हैं !इसका दंड सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को भुगतना पड़ता है !
ईमानदार और कर्मठ जनप्रतिनिधि को ये करना चाहिए कि उसके क्षेत्र के किसी भी सरकारी विभाग से अपना कानून सम्मत काम लेकर जाने वाला कोई भी व्यक्ति वहाँ से निराश करके न लौटाया जाए !यदि ऐसा होता है तो उन विभागों और उन अधिकारीयों कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही करवाई जाए तो वे जनता के काम स्वतः करने लगेंगे !सिफारिशी फोन और सिफारिशी लेटरों की आवश्यकता ही क्यों पड़े !किंतु इसके लिए जनप्रतिनिधियों को ईमानदार और कर्मठ होना पड़ेगा !किंतु नेताओं के भ्रष्टाचार के आगे जनता लाचार है !
अधिकारियों कर्मचारियों की जिम्मेदारी है कानूनों का कड़ाई से पालन करने की और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है सरकार की नीतियाँ शक्ति से लागू करवाने की किंतु दुर्भाग्य से दोनों ही हिले हुए हैं !इसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जैसे पदों पर बैठे ईमानदार और कर्मठ लोग अपने को असहाय महसूस करते हैं क्योंकि ईमानदार प्रशासन देने में जनप्रतिनिधि उनका साथ बिलकुल नहीं दे रहे होते हैं !इसका दंड सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को भुगतना पड़ता है !
ईमानदार और कर्मठ जनप्रतिनिधि को ये करना चाहिए कि उसके क्षेत्र के किसी भी सरकारी विभाग से अपना कानून सम्मत काम लेकर जाने वाला कोई भी व्यक्ति वहाँ से निराश करके न लौटाया जाए !यदि ऐसा होता है तो उन विभागों और उन अधिकारीयों कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही करवाई जाए तो वे जनता के काम स्वतः करने लगेंगे !सिफारिशी फोन और सिफारिशी लेटरों की आवश्यकता ही क्यों पड़े !किंतु इसके लिए जनप्रतिनिधियों को ईमानदार और कर्मठ होना पड़ेगा !किंतु नेताओं के भ्रष्टाचार के आगे जनता लाचार है !