Wednesday, 14 February 2018

वेलेंटाइन डे - मित्रता या मूत्रता का पर्व?

     'लट्ठपूजनपर्व' पर बजरंग दलवालों को बहुत बहुत बधाई  !
        14 फरवरी को यह पर्व  इस समाज में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है इसमें कलियुगीकरवाचौथ मनाने वाले मजनुओं का 'पीठपूजन' इस पर्व की मुख्यविशेषता है !इसमें प्रेमी जोड़ों को लाठी दिखा दिखाकर खोलवाया जाता है उनका 'वेलेंटाइन डे'व्रत !इस प्रकार से इस संगठन में यह पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ प्रतिवर्ष बड़े धूमधाम से मनाया जाता है !
   इसी 'लट्ठपूजनपर्व' को किसी किसी संस्कृति के लोग 'वेलेंटाइन डे' भी कहते हैं उस समाज के सेक्सालु लोग इसे प्रेमपर्व या मित्रतापर्व कहते हैं किसी किसी समाज में इसकी पहचान मूत्रतापर्व के रूप में भी बनी  हुई  है !बहन बेटियों के गौरव रक्षा के लिए एवं अपनी समाज में नारी सम्मान के सतर्क प्रहरी अपनी भूमिका निभाने के लिए उस दिन बड़े जोश खरोश से अपने हाथों में लट्ठ उठा लेते हैं और इस प्रेमपर्व को मूत्रतापर्व के रूप में मानाने वालों की 'पीठपूजन' की रस्म निभाई जाती है फिर कुछ पुलिस के लोग बुला लिए जाते हैं वे हाथ पैर जोड़ते देखे जाते हैं इसी समय ऐसी सेक्सुअल खबरों की तलाश में भटकता मीडिया चीखने चिल्लाने लगता है पीठ पूजने का दर्द जबतक होता है तब तक वो चिल्लाते हैं फिर उन बेचारों की आवाज साल भरके लिए खामोश हो जाती है !उन्हें ये भी पता होता है कि प्रेम पर्व का विरोध कोई क्यों करेगा !ये विरोध तो इसदिन पार्कों पार्किंगों झाड़ों होटलों बाजारों में चल रहे चिपको आंदोलन का होता है फिर भी मीडिया जगत से जुड़े जो लोग इस चिपको आंदोलन में सहभागी हो चुके होते हैं उन्हें पीठपूजन की पीड़ा तो होती ही है फिर भी सहते हैं !
       इसदिन अत्याधुनिक लैला मजनुओं के आचार व्यवहार से प्रमाणित भी हो जाता है कि इस पर्व का उद्देश्य क्या हो सकता है !इस दिन प्रेमी जोड़ों को एकांतिक जगह मुहैया करने वालों के रेट काफी बढ़े होते हैं !इसलिए जो जोड़े इतना खर्च बहन करने की स्थिति में नहीं होते हैं वो पार्कों पार्किंगों झाड़ी जंगलों की ओट में समा जाते हैं !पार्कों जैसी सार्वजनिक जगहों पर भी बहुत कुछ निपटा रहे होते हैं बेशर्म संस्कृति के लोग !
    प्रेमी जोड़े नाम के फोर्थजेंडर वाले लड़के लड़कियों में इस दिन अद्भुत उत्साह होता है इन सबों में एक दूसरे से आगे निकलजाने की होड़ होती है ।इसे देखने वालों का नजरिया भी अलग होता है ऐसे ही कुछ भूतपूर्व फोर्थजेंडरी  लोग  जो विभिन्न क्षेत्रों में जाकर पैसा वैसा कमाकर  बड़े आदमी बन गए हैं वो टी.वी.पर आकर इन फोर्थजेंडरियों  का समर्थन करते देखे जाते हैं कई कई लड़के लड़कियों की होनहार जिंदगियाँ अपनी अपनी बासना की भेंट चढ़ा चुके भूतपूर्व फोर्थजेंडरी लोग  इस नोचा घसोटी को पवित्र प्रेम सिद्ध करने के लिए हमेंशा  आमादा रहते हैं किन्तु इस बात का जवाब इनके पास भी नहीं होता है कि यह   प्रेम यदि वास्तव में पवित्र है तो साल में एक ही दिन क्यों दूसरी बात लड़के और लड़कियों के  ही आपसी संबंधों में क्यों  माता पिता भाई बहनों आदि के साथ क्यों नहीं !और यदि उनके  साथ भी हो तो चौदह फरवरी ही क्यों ये तो प्रतिदिन करना चाहिए !ऐसी शिक्षा अनंतकाल से दी जा रही है फिर आदर्श वेलेंटाइन डे ही क्यों ? 
        बंधुओ !आप सबको याद होगा कि पहले अपने यहाँ ' वेलेंटाइन डे ' नहीं मनाया जाता था साथ ही यह भी सुना होगा कि तब अपने यहाँ इतने बलात्कार भी नहीं होते थे और जैसे जैसे 'वेलेंटाइन डे 'को मानने वाले लोग बढ़ते जा रहे हैं वैसे वैसे बलात्कार बढ़ते जा रहे हैं । इस अवसर पर एक बात और ध्यान रखनी होगी और कोई वेलेंटाइन डे  को मनाता हो या न मनाता हो किन्तु बलात्कार में संलिप्त लगभग हर सदस्य 'वेलेंटाइन डे'जरूर मनाता होगा !इससे ये तो सिद्ध हो ही जाता है कि 'वेलेंटाइन डे'से बलात्कारियों का कुछ संबंध तो है ! प्रेमी नाम के जोड़े इस इस तथाकथित पर्व को बड़े धूम धाम से मनाते  हैं आज के दिन पागल हो उठते हैं ऐसे लोग !
    अपनी अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुशार प्रेमी लोग आपस में कुछ न कुछ लेते देते जरूर हैं खैर लेना देना तो बहाना होता है बाकी शारीरिक अंगों के आनंद का आदान प्रदान अवश्य होता है । मुझे नहीं पता है कि इस धंधे को कितना गन्दा कहूँ किंतु कई प्रेमी प्रेमिकाओं को एक दूसरे के शरीरों की दुर्दशा या हत्या करते देखो उस दिन वेलेंटाइन डे जैसी कुसंस्कृतियों से घृणा जरूर होती है क्योंकि उन हत्यारों ने भी कभी न कभी 'वेलेंटाइन डे'! समाज के ऐसे ही प्रेम प्रकटीकरण को वेलेंटाइन डे का विरोधी कहकर उसकी निंदा की जातीको जरूर मनाया होगा !इसलिए ऐसी पृथाओं से घृणा होनी स्वाभाविक ही है !

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