Monday, 16 March 2015

niraj

भूखपीड़ा में जो स्वत्व तजते नहीं ,
  बासनावेग में भोग भजते नहीं   ।
 कुछ नहीं चाहने की रखें चाह जो ,
  ऐसे बीमार बीमार लगते नहीं॥ 
           -डॉ.एस.एन.वाजपेयी 'शेष' 


दूधिया साइकिल ले के सम्मुख पड़ा कह रहा हो कि बाबू बचा लीजिए !
उत पड़ोसी पड़ा हो रुदन कर रहा कह रहा हो कि मुझको उठा दीजिए !!


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