Thursday, 29 January 2015

भाजपा

    भाजपा के अपने कार्यकर्ता सक्षम हैं चुनाव जीतने में !   
बशर्ते उन पर शक न किया जाए !उन्हें शीर्षनेतृत्व का अपनापन  मिले ! भाजपा कार्यकर्ता की दुविधा कि आज किरणवेदी कल कोई और भी तो लाया जा सकता है !  इसलिए किसपर विशवास किया जाए और किसपर न किया जाए !

अकेले केजरी वाल पर भाजपा की इतनी भारी भरकम फौज क्यों ?भाजपा में इतनी हड़बड़ाहट क्यों !
केंद्र सरकार के मंत्रियों और सांसदों की इतनी बड़ी फौज को दिल्ली चुनावों में उतारने के फैसले को क्या माना जाए ये  दिल्ली में चुनावी प्रचार है या वैचारिक द्वंद्व की  तैयारी है !

 भाजपा और केजरीवाल !
 एक ओर अकेले केजरी वाल और उनकी साल दो साल पुरानी पार्टी तो दूसरी ओर इतनी पुरानी पार्टी भाजपा ,फिर उसकी केंद्र में सरकार ,फिर पार्टी कार्यकर्ताओं की भारी भरकम फौज इतने सबके बाद भी इतनी हड़बड़ाहट !अाश्चर्य !! किसी गलती के शुद्धिकरण का ये ठीक ढंग नहीं है !

दिल्ली भाजपा का अपना कार्यकर्ता यदि अपने काम आ जाए तो विजय पक्की !
  अन्यथा सांसदों एवं मंत्रियों का मजमा लगाने से कुछ नहीं होगा भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता का अपना विश्वास टूटा हुआ है वो दिल्ली के मतदाता को पार्टी पर विश्वास करने के लिए कैसे किस मुख से प्रेरित करे !और किस पर भरोसा करे जब उसके अपने प्रांतीय नेता अपने को अपमानित महसूस कर रहे हों !


       भाजपा अपने जमीनी कार्यकर्ता  विश्वास में लेने के लिए कुछ करे !
       भाजपा के जमीनी कार्यकर्त्ता को विश्वास में लिए बिना भाजपा में किरणवेदी जी के मुख्यमंत्री प्रत्याशी के रूप में अवतरण को भाजपा का जमीनी कार्यकर्त्ता पचा नहीं पा रहा है इसके लिए पार्टी को जल्दी कुछ करना चाहिए  ताकि  उसका अपना कार्यकर्ता अपने काम आ सके !

       किरण वेदी जी का कृष्णा नगर प्रचार !
   वो किसी को जानती नहीं हैं उन्हें इस क्षेत्र के विषय में कुछ पता नहीं है कार्यकर्ता उनकी पहचान जनता में बनाने की अपेक्षा उन्हें अपने बीच ही घेरे रहते हैं और अपने साथ ही फोटो खिंचवाया करते हैं औरअपने बीच ही घुमाते रहते हैं समय से उन्हें विदा कर देते हैं ! कभी कदा  वो किसी आम आदमी को   पकड़ कर कहीं  खड़ी होकर बात करने लगें तो बात और है बाक़ी सब  कुछ हवा हवाई है उन्हें तो गलियाँ  घुमा दी जाती हैं हा हेलो हो जाता है और अपने अपरिचत  कार्यकर्ताओं से मिलकर वो लौट आती हैं जबकि वो समझती हैं कि वो वोटर से मिल रही हैं  !सच्चाई ये है कि उनके समय का योजनाबद्ध ढंग से उपयोग हो ही नहीं पा रहा है कार्यकर्त्ता उन्हें घेरे घूमा करते हैं !इसमें सुधर होना चाहिए यद्यपि विजय तो उनकी होनी ही  है किन्तु अच्छी विजय लायक प्रयास किए जाने चाहिए !



 दिल्ली चुनावों के लिए भाजपा की तैयारी !
  •   जिस पेन का निप खराब हो ऐसे पेन में स्याही भरने का क्या लाभ ! क्या ये पेन लिखने लायक हो सकेगा !किन्तु भाजपा निप बदलने की जगह स्याही भरने में लगी हुई है !
  • किसी पंचर गाड़ी के न चलने पर उसकी टंकी में  पेट्रोल भरती जा रही है भाजपा !किन्तु पंचर नहीं ठीक कर रही है !
भाजपा चुनाव प्रचार में अपने जमीनी कार्यकर्ता को आत्मीयता देने के बजाए मंत्रियों और सांसदों की फौज उतारती जा रही है दिल्ली में !क्या ये फौज आ सकेगी जनता के काम और जनता कर सकेगी इसका भरोसा !कार्यकर्ता से तो जनता इसलिए जुड़ जाती है कि ये कार्यकर्ता लोग हमें मिला करते हैं और जरूरत में काम भी आएँगे !


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