Friday, 30 January 2015

dilli chunaav 2015


 क्या दिल्ली के भाग्य में राजनैतिक पहलवानी ही लिखी है !
 किरणवेदी और केजरी वाल के बीच समिटता जा रहा है चुनाव ! 
 अपने अपने मुख से अपने अपने को दूध का धुला  सिद्ध करने के प्रयास हो रहे हैं एवं दूसरे को अवसर वादी सिद्धांत विहीन आदि बताने के लिए तर्क पर तर्क दिए जा रहे हैं ! इन दोनों के झगड़ों में  दिल्ली वाले कहीं नहीं हैं और न ही दिल्ली वालों की कोई बात ही करता है वो तो बेचारे उस गाय की तरह हैं जो किसी भी खूँटे से बाँध दिए जाएँगे और पांच वर्ष तक ठोकेंगे अपने करम !और भगवान ने चाहा तो किसी दल को बहुमत नहीं मिलेगा और होगा फिर से चुनाव !

चुनाव लड़ने या लड़वाने के लिए बड़े बड़े बीर बुलाए जा रहे हैं दिल्ली में ! 
       वो लोग दिल्ली वालों को आकर  ये समझाएँगे कि आप बुद्धू हो ,आप नासमझ हो, आप  अभी बच्चे हो आपको पता नहीं है कि आपके फायदे के लिए सत्ता में आना किसका कितना ज्यादा जरूरी है इसलिए ये बात हम आपको समझाने आए हैं हम विधायक सांसद मंत्री हैं या रह  चुके हैं !हमें अनुभव है तुम बुद्धू हो ! तुम वोट अपने मन से मत देना हमारे मन से देना क्योंकि हमारे पुरखे तुम्हारे पुरखों को राशन देते रहे थे उसका तुम पर एहसान है इसलिए तुम मेरी बात मानना ! इतनी बात बताने समझाने के लिए राजनैतिक दल बेताब हैं !आखिर क्यों न  इन्हें सबक सिखाया जाए किन्तु कैसे ! लोकतंत्र पर निष्ठा रखने के कारण वोट तो हमें  पड़ेंगे !


अब जनता पूछेगी प्रश्न और तुम्हें देना होगा जवाब !
 ऐ राजनेताओ ! हिम्मत है तो दिल्ली के मतदाता से आँखें मिलाकर बात करो ! रैली रैला क्यों और काहे का चुनाव प्रचार ! जनता जानना चाहती है कि हमें उन आफिसों में धक्के खाने पड़ते हैं जो हमें कुछ समझते ही नहीं हैं वो सबकुछ सरकारों को ही समझते हैं चूँकि सरकारें उन्हें सैलरी देती  हैं !सरकारें चुनाव प्रचार में हुए भारी भरकम खर्च को चुनाव बाद सरकारी कर्मचारियों के सहयोग से जनता से वसूलते हैं जिन्हें अबकी नहीं उन्हें अगले चुनावों में मौका मिलेगा !तब वो वसूलेंगे !सफाई कर्मचारियों को ही लें अपने आकाओं का  आर्थिक पूजनकरके निर्भय विचरते हैं काम करने के लिए स्वच्छता अभियान का हवाला देते हैं ऐसा ही हर विभाग में हो रहा है !



अब कसम केजरीवाल की !
किसी ने सत्ता के लिए बच्चों की कसम खाई किसी ने सत्ता के लिए श्रीराम मंदिर बनाने की पर हुआ क्या  सत्ता तो मिल गई किन्तु मंदिर बन गया क्या !इसलिए सत्ता पाने के लिए कसम खाना तो मजबूरी होती है नहीं जनता विश्वास कहाँ करती है किन्तु राजनीति  में यदि  महत्त्व ही होता तो क्यों होते घोटाले और भ्रष्टाचार !कैसे दी जाती झूठी गवाहियाँ !घूस का धंधा कैसे फलता फूलता !


दो.नाक पोछते फिर रहे वोट माँगते लोग। 
कर्मों पर विश्वास नहीं चहिए सत्ता भोग ॥  

Thursday, 29 January 2015

भाजपा

    भाजपा के अपने कार्यकर्ता सक्षम हैं चुनाव जीतने में !   
बशर्ते उन पर शक न किया जाए !उन्हें शीर्षनेतृत्व का अपनापन  मिले ! भाजपा कार्यकर्ता की दुविधा कि आज किरणवेदी कल कोई और भी तो लाया जा सकता है !  इसलिए किसपर विशवास किया जाए और किसपर न किया जाए !

अकेले केजरी वाल पर भाजपा की इतनी भारी भरकम फौज क्यों ?भाजपा में इतनी हड़बड़ाहट क्यों !
केंद्र सरकार के मंत्रियों और सांसदों की इतनी बड़ी फौज को दिल्ली चुनावों में उतारने के फैसले को क्या माना जाए ये  दिल्ली में चुनावी प्रचार है या वैचारिक द्वंद्व की  तैयारी है !

 भाजपा और केजरीवाल !
 एक ओर अकेले केजरी वाल और उनकी साल दो साल पुरानी पार्टी तो दूसरी ओर इतनी पुरानी पार्टी भाजपा ,फिर उसकी केंद्र में सरकार ,फिर पार्टी कार्यकर्ताओं की भारी भरकम फौज इतने सबके बाद भी इतनी हड़बड़ाहट !अाश्चर्य !! किसी गलती के शुद्धिकरण का ये ठीक ढंग नहीं है !

दिल्ली भाजपा का अपना कार्यकर्ता यदि अपने काम आ जाए तो विजय पक्की !
  अन्यथा सांसदों एवं मंत्रियों का मजमा लगाने से कुछ नहीं होगा भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता का अपना विश्वास टूटा हुआ है वो दिल्ली के मतदाता को पार्टी पर विश्वास करने के लिए कैसे किस मुख से प्रेरित करे !और किस पर भरोसा करे जब उसके अपने प्रांतीय नेता अपने को अपमानित महसूस कर रहे हों !


       भाजपा अपने जमीनी कार्यकर्ता  विश्वास में लेने के लिए कुछ करे !
       भाजपा के जमीनी कार्यकर्त्ता को विश्वास में लिए बिना भाजपा में किरणवेदी जी के मुख्यमंत्री प्रत्याशी के रूप में अवतरण को भाजपा का जमीनी कार्यकर्त्ता पचा नहीं पा रहा है इसके लिए पार्टी को जल्दी कुछ करना चाहिए  ताकि  उसका अपना कार्यकर्ता अपने काम आ सके !

       किरण वेदी जी का कृष्णा नगर प्रचार !
   वो किसी को जानती नहीं हैं उन्हें इस क्षेत्र के विषय में कुछ पता नहीं है कार्यकर्ता उनकी पहचान जनता में बनाने की अपेक्षा उन्हें अपने बीच ही घेरे रहते हैं और अपने साथ ही फोटो खिंचवाया करते हैं औरअपने बीच ही घुमाते रहते हैं समय से उन्हें विदा कर देते हैं ! कभी कदा  वो किसी आम आदमी को   पकड़ कर कहीं  खड़ी होकर बात करने लगें तो बात और है बाक़ी सब  कुछ हवा हवाई है उन्हें तो गलियाँ  घुमा दी जाती हैं हा हेलो हो जाता है और अपने अपरिचत  कार्यकर्ताओं से मिलकर वो लौट आती हैं जबकि वो समझती हैं कि वो वोटर से मिल रही हैं  !सच्चाई ये है कि उनके समय का योजनाबद्ध ढंग से उपयोग हो ही नहीं पा रहा है कार्यकर्त्ता उन्हें घेरे घूमा करते हैं !इसमें सुधर होना चाहिए यद्यपि विजय तो उनकी होनी ही  है किन्तु अच्छी विजय लायक प्रयास किए जाने चाहिए !



 दिल्ली चुनावों के लिए भाजपा की तैयारी !
  •   जिस पेन का निप खराब हो ऐसे पेन में स्याही भरने का क्या लाभ ! क्या ये पेन लिखने लायक हो सकेगा !किन्तु भाजपा निप बदलने की जगह स्याही भरने में लगी हुई है !
  • किसी पंचर गाड़ी के न चलने पर उसकी टंकी में  पेट्रोल भरती जा रही है भाजपा !किन्तु पंचर नहीं ठीक कर रही है !
भाजपा चुनाव प्रचार में अपने जमीनी कार्यकर्ता को आत्मीयता देने के बजाए मंत्रियों और सांसदों की फौज उतारती जा रही है दिल्ली में !क्या ये फौज आ सकेगी जनता के काम और जनता कर सकेगी इसका भरोसा !कार्यकर्ता से तो जनता इसलिए जुड़ जाती है कि ये कार्यकर्ता लोग हमें मिला करते हैं और जरूरत में काम भी आएँगे !


Wednesday, 28 January 2015

भाजपा का कर्णधार उधार का क्यों ?उसकी अपनी चमक फीकी क्यों पड़ी !

        भाजपा की नैया का खेवैया भाजपा में तैयार हुआ नहीं या होने नहीं दिया गया !
ईश्वर ने मुख दिया है तो बातें कितनी भी बड़ी बड़ी कर ली जाएँ  किन्तु क्या ये सच्चाई नहीं है कि -
  • विगत 15 वर्षों से दिल्ली  भाजपा के पास सत्ता न होने के कारण सरकारी काम काज था नहीं !
  • शीला सरकार के अलोकप्रियआचरणों के विरुद्ध दिल्ली भाजपा ने कोई प्रभावी आंदोलन किया नहीं !
  •  भाजपा को कार्यकर्ता निर्माण का अवसर 15 वर्षों का मिला किन्तु उसमें भी उस तरह सफल नहीं हो पाई जैसा होना चाहिए था !
  • दिल्ली भाजपा अपना कोई ऐसा नेतृत्व नहीं खड़ा कर सकी जिसके पीछे खड़े होकर दिल्ली में हो रहे चुनावों का सामना कर पाती !
  • संघ से लेकर भाजपा तक के विभिन्न आयामों के स्वसंस्कारों  से सुपोषित कार्यकर्ताओं की अतिविशाल संख्या में  ऐसे एक चेहरे  का चयन नहीं किया जा सका जो अपना या अपने विशाल संगठन का चुनावों में चेहरा बनने के लायक होता और बचा पाता अपने सांगठनिक संस्कारों  बचा पाता  स्वाभिमान !
  • किरणवेदी जी में ऐसी कौन कौन सी अच्छाइयाँ दिखीं जो भाजपाइयों या आनुषंगिक संगठनों में नहीं दिखीं ईमानदारी के अलावा संघ कर पाना इनके अनेकों  आयामों में एवं इनके अपना कोई से सबसे बड़ा प्रश्न !

भाजपा को यदि भाजपा को भाजपा में नहीं दिखे अन्ना की पाठशाला के
तक  

Monday, 26 January 2015

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ !!

 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ !!
      नारी सम्मान के प्रति समर्पित माननीय प्रधानमंत्री जी का यह सन्देश कितना मनमोहक है कितना सम्मोहक है ! कितना  प्रेरक  है !!
      यह सब देख सुनकर आखिर क्या सोचती होंगी आदरणीया यशोदावेन जी ! और क्या सोचती होगी उनके पिता की पवित्र आत्मा !!
      जिसका पति या दामाद सफलता की इतनी ऊँचाई पर पहुँच चुका हो जहाँ पहुँचकर कानून कुछ सकने की स्थिति में ही न रह जाता हो और स्वयं बचाव मुद्रा में होता हो या यूँ कह लें कि कानून स्वयं अनुगमन करने लगता हो वहाँ नैतिकता एवं ईश्वरी कृपा का सहारा छोड़कर दूसरा और क्या विकल्प बच जाता है!!ईश्वर कृपा करे हमारी तो यही प्रार्थना है !                                

Wednesday, 21 January 2015

हमारा परिचय -

हमारा परिचय                

आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

पिता : श्री श्याम सुन्दर वाजपेयी

जन्मतिथि: 09-10-1965

स्थाई पता : के 71, छाछी बिल्डिंग चौक,

          कृष्णा नगर, दिल्ली- 51

पैतृक निवास: ग्राम : इंदलपुर,  पोस्ट: संभल पुर, जिला: कानपुर , उत्तर प्रदेश   

मोबाइल नंबर: 09811226973, 09968657732

टेलीफोन नंबर: 01122002689,01122096548

ईमेल: vajpayeesn@gmail.com

  शिक्षा - व्याकरणाचार्य,(एम.ए.) सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी।

 ज्योतिषाचार्य,(एम.ए.), सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी।

  एम. ए.- हिंदी, कानपुर  विश्वविद्यालय, कानपुर।

  पीजी डिप्लोमा-पत्रकारिता एवं जनसंचार, यूपी कालेज, वाराणसी।

         पी.एच.डी.-हिंदी (ज्योतिष), बी.एच. यू. वाराणसी

  (शोध का विषय: तुलसी साहित्य का ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से अनुशीलन)

वर्तमान नियोजन: प्रबंध संपादक, इंडियन पीस टाइम्स, स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्यपुस्तकें ,

इत्येतर गतिविधि:

 वेद,पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत सहित समस्त प्राचीन   वाङ्मय एवं साहित्य का अनुशीलन,अध्ययन ,परिचर्चा व लेखन। समसामयिक एवं आध्यात्मिक व धार्मिक विषयों पर विभिन्न पत्र  पत्रिकाओं में स्तम्भ लेखन।

दैनिक जागरण, पाञ्चजन्य, अमर उजाला , हिंदुस्तान जैसे दैनिक पत्रों  में  लेख प्रकाशित।

          कुछ पत्रों और  पत्रिकाओं में सह संपादन।

          कई ब्लॉगों  का संचालन  संपादन जिनमें 

 (ब्लॉग:स्वस्थ समाज,भारत जागरण,समयविज्ञान,विचारमंथन , भविष्यविज्ञान एवं परिवर्तन की ओर)

          35 से भी ज्यादा ग्रंथों और  काव्यों का  लेखन।

कुछ प्रकाशित प्रमुख ग्रंथों के नाम:

          कारगिल विजय(काव्य), श्री राम रावण संवाद (काव्य),

          श्री दुर्गा  सप्तशती( अवधी भाषा काव्य),

          श्री नवदुर्गा पाठ(काव्य), श्री नवदुर्गा स्तुति (काव्य),

          श्रीपरशुराम की एक झलक (काव्य), श्री राम एवं रामसेतु

साक्षात्कार:

 साहित्य के प्रकाशन व पत्रकारिता के क्रम में कई महान विभूतियों  का साक्षात्कार,

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी, पूर्व प्रधानमंत्री,  भारत सरकार।

         श्री लालकृष्ण आडवाणीजी, पूर्व उप प्रधानमंत्री, भारत सरकार।

   श्री नरेंद्र मोदीजी,डॉ.मुरली मनोहर जोशी, वरिष्ठ भाजपा नेता।

आंदोलन:

         राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय सहभागिता,

         आंदोलन की अवधि में 1992 में 2 बार गिरफ़्तारी,

         पूर्वांचल के वाराणसी,बलिया,ग़ाज़ीपुर,जौनपुर सहित कई

         स्थानों  पर आंदोलन और प्रदर्शन का नेतृत्व।

         अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर प्रदर्शन का नेतृत्व

         राम सेतु मुद्दे पर आंदोलन।

भाजपा से जुड़ाव

  छात्र जीवन में 1990 श्री राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय सहभागिता और श्री राम मंदिर आंदोलन पर मेरे द्वारा लिखित काव्य 

  वाराणसी में विद्यार्थी जीवन से ही संगठन के विविध आयामों से जुड़कर सक्रीय सहभागिता का निर्वाह एवं वर्तमान में पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से भाजपा के सदस्य

   अन्य अभिरुचियाँ एवं संलग्नताएँ :

मंच सञ्चालन, भाषण, प्रवचन, काव्य पाठ, शास्त्रीय विषयों पर शोध व       

        लेखन, राष्ट्रीय संगठनों के साथ जुड़कर देश हित के कार्य, शैक्षणिक

        सुधारों के लिए संबद्ध विभागों व अधिकारियों को सुझाव व सहयोग,

        सोशल साइट जैसे फेसबुक पर प्रतिदिन कई कई घंटे तक लगातार सक्रिय।

     ब्लॉग के माध्यम से प्राचीन संस्कृति एवं सम सामयिक विभिन्न विषयों पर 4000 से अधिक लेख !

                                    हस्ताक्षर-

                              डॉ.शेष नारायण वाजपेयी