Thursday, 18 December 2014

RTI

फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वाले अर्थात ज्योतिषीय अशिक्षित फिर भी ज्योतिष का कारोबार करने वाले लोग पैसे के द्वारा विज्ञापनों के बल पर विद्वान ज्योतिषी  होने का अपना प्रचार प्रसार करते रहते हैं और सरकार के द्वारा संचालित संस्कृत विश्व  विद्यालयों से प्रदान की जाने वाली सारी डिग्रियॉं अपने नाम के साथ लगाते हैं। ये सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों के प्रमाणित निर्धारित पाठ्यक्रम एवं डिग्रियों का सरासर अपमान है। मान्यवर,यदि यही सही है तो कोई वर्षों तक परिश्रम करके क्यों पढ़ेगा? सरकारी संस्कृत विश्वविद्यालयों के महत्त्व एवं उस पर किए जाने वाले आर्थिक व्यय का औचित्य क्या  रह जाता है?

    नियमतः उनके द्वारा किया जाने वाला यह आचरण अपराध की श्रेणी में आता है साथ ही चिकित्सा आदि क्षेत्रों की तरह फर्जी डिग्रियॉं अपने नाम के साथ  लिखना भी कानूनन अपराध मानकर कार्यवाही की जानी चाहिए किंतु ऐसा कुछ  देखने सुनने  को नहीं मिलता है।

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