अंध विश्वास
1. सरकार के प्रमाणित
विश्व विद्यालयों से ज्योतिष सब्जेक्ट में एम.ए.पी.एच.डी.जैसी डिग्रियाँ हासिल
करने वाले लोगों से अंध विश्वास फैलता ही नहीं है क्योंकि वे शास्त्र प्रमाणित बातें ही बोलते हैं फिर भी सरकार को यदि ऐसा लगता है तो इन विषयों को सरकारी विश्व विद्यालयों में पढ़ाया क्यों जाता है ?ज्योतिष जैसे विषयों से जुड़े फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वाले लोग या
और भी सभी प्रकार से अयोग्य लोग ज्योतिष से संबंधित प्रेक्टिस करते हैं जिन्हें ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान
तो होता नहीं है इसलिए ज्योतिष के विषय में वे जो कुछ भी बोलते हैं उसे ज्योतिष शास्त्र के किसी नियम से प्रमाणित नहीं किया जा सकता है किंतु ऐसी काल्पनिक डरावनी बातें बोलकर ये समाज को डरवाकर उसका भाग्य बदलने के नाम पर उससे धन लेते हैं यही अशास्त्रीय बातें अंध विश्वास की श्रेणी में आती हैं इन्हीं से फैलता है अंध विश्वास है इसलिए अंधविश्वास को मिटाने हेतु ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए क्या कोई प्रावधान है और है तो क्या ?
2. ज्योतिष को कुछ लोग विज्ञान एवं कुछ लोग अंध विश्वास मानते हैं किन्तु सरकार ज्योतिष को क्या मानती है विज्ञान या अंध विश्वास ?
3. सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय वाराणसी से मैंने एम.ए. के समकक्ष परीक्षा पाठ्यक्रम के निर्धारित नियमानुशार ज्योतिषाचार्य अर्थात आधुनिक भाषा में ज्योतिष सब्जेक्ट लेकर एम.ए. की डिग्री हासिल की है !इसके बाद हिन्दी विषय में ज्योतिष से सम्बंधित विषय पर शोध प्रबंध लिखकर पी.एच.डी. की है किन्तु जैसे ज्योतिषाचार्य ( एम.ए.) की डिग्री हम जैसे लोग पढ़ लिखकर लिख सकते हैं वैसे ही वे लोग भी लिखते हैं जिन्होंने ज्योतिष की कोई डिग्री ही नहीं ली है न कोई पढ़ाई ही की है और ज्योतिष की प्रेक्टिस जैसे हम लोग करते हैं वैसे ही वो लोग भी करते हैं जिन्होंने ज्योतिष की कोई डिग्री ही नहीं ली है न कोई पढ़ाई ही की है ऐसी परिस्थिति में सरकारी विश्व विद्यालयों में सरकारी पाठ्यक्रम का अनुशरण करते हुए ज्योतिष का अध्ययन करने और ज्योतिषाचार्य ( एम.ए.)की डिग्री लेने का लाभ ही क्या है ?
4. लाल किताब और काल सर्प योग
लाल किताब और काल सर्प योग जैसी किसी किताब का ज्योतिष के ग्रंथों एवं पाठ्यक्रम में कहीं कोई जिक्र ही नहीं मिलता है और यदि है तो विश्व विद्यालयीय ज्योतिष पाठ्यक्रम में उसे सम्मिलित
क्यों नहीं किया गया है ? और यदि नहीं है तो ऐसी मन गढ़ंत किताबों पर
प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाया जाता है ?और न ही सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों में ऐसा कोई विषय पढ़ाया ही जाता है किन्तु अंध विश्वास फैलाने वाले कुछ लोग ज्योतिष के नाम पर 'लालकिताब' और 'काल सर्प योग ' जैसे दोनों ही शब्दों का प्रयोग अंध विश्वास फैलाकर लोगों से धन ऐंठने के लिए किया करते हैं जिसका ज्योतिष ग्रंथों में कहीं कोई प्रमाण ही नहीं मिलता है ऐसी परिस्थिति में 'लालकिताब' और 'काल सर्प योग ' जैसे नामों पर फैलाए जा रहे अंधविश्वास को रोकने के लिए सरकार क्या कुछ कदम उठाएगी ?
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
संस्थापक -राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान
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