तलाक होने का कारण है तनाव !तनाव न हो तो 'तलाक' क्या कोई संबंध नहीं बिगड़ेगा !जानिए कैसे ?
किसी को तनाव होता है उसके अपने समय के कारण !आपका जब जैसा समय चल रहा होता है तब तैसा स्वभाव सोच बात व्यवहार आदि बनता है !समय का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो तो तनाव को रोका जा सकता है !यदि आपको भी कोई तनाव है तो उसे समाप्त करने के लिए जरूर पढ़ें यह लेख !
आपका मानसिक तनाव बढ़ने से केवल आप ही नहीं अपितु आपके आसपास के सभी लोग प्रभावित होने लगते हैं आपका स्वभाव बदलजाता है आपका बात व्यवहार बदल जाता है जिसका आपको अहसास भी नहीं होता है और आपके आसपास के लोग घुट घुटकर आपके साथ जीने को मजबूर होते हैं आप संबंधों की दुहाई दे दे कर कब तक किसी को अपमानित करते रहेंगे और कोई क्यों सहेगा !आपके संपर्क में जो जितना अधिक निकट होता है आपसे वो उतना अधिक परेशान होता है चूँकि जीवन साथी(पति और पत्नी ) एक दूसरे के सबसे निकटतम सहयोगी होते हैं इसलिए एक दूसरे के तनाव से सबसे अधिक परेशान भी वही होते हैं !इसलिए वही परेशान होकर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं !ऐसे ही अन्य सभी संबंध भी बिगड़ जाते हैं नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं !
किसी का समय अच्छा बुरा दो प्रकार का होता है समय के अनुशार सोच बदलती जाती है !अच्छे समय में हम जिन लोगों को उनके बात व्यवहार को अच्छा समझकर जुड़ते हैं अपना बुरा समय आते वे सब वही रहते हैं किंतु वही लोग वही बात व्यवहार हमें बुरा लगने लगता है !समय के कारण सोच में इतना बड़ा बदलाव आ जाता है !
ऐसी परिस्थिति में हम समय का बदलना तो नहीं रोक सकते हैं किंतु यदि हमें इस बात का पूर्वानुमान पता हो कि कब कैसा समय बदल रहा है तो बुरा समय आने पर हम अपने सोच और बात व्यवहार को अधिक नहीं बदलने देंगे और समय के प्रभाव को समझते हुए कुछ अपनी भी सहने की आदत डालेंगे !ऐसे सकारात्मक प्रयासों से बुरा समय भी निकल जाता है और संबंध भी सुरक्षित बने रहते हैं !
बुरा समय किसके जीवन में कब आएगा इसका पूर्वानुमान समय विज्ञान के द्वारा ही लगाया जा सकता है जिसके लिए आप अपना डेट ऑफ बर्थ हमारे जीमेल पर भेज सकते हैं उस डेट ऑफ़ बर्थ पर रिसर्च करके आपको फोन द्वारा सूचित कर दिया जाता है कि निकट भविष्य में आपका अच्छा समय कब आएगा और बुरा समय कब आएगा और कितने समय के लिए !
बुरे समय के प्रभाव से आपके सारे संबंध बिगड़ने लग जाते हैं जो जितने करीब होते हैं वही उतने दूर होने लगते हैं !आपके तनाव का असर सबसे अधिक उन्हीं पर पड़ता है !उन्हें ये पता ही नहीं होता है कि आप जो चिड़चिड़े हो रहे हैं उसका कारण आपकी कोई समस्या है या आपका घमंड ?एकबार आपकी समस्या के विषय में किसी को बताया जाए तो वो साथ दे भी देगा किंतु घमंड को कोई क्यों सहेगा !हर कोई अपने अपने जीवन का राजा होता है इसलिए ये आपको ही अपनों को समझाना होता है कि आपको तनाव हो रहा है किंतु आप तभी समझा सकते हैं जब आपको स्वयं पता हो जब आपको ही नहीं पता होता है कि आपको तनाव क्यों हो रहा है और कब तक रहेगा तो आप औरों से सहयोग की मदद कैसे माँग सकते हैं !यदि आप ऐसा करेंगे भी तो लोग कहेंगे कि आप नाटक कर रहे हैं !इसलिए ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए आपको अपने तनाव का कारण और निवारण पता होना चाहिए किसी से मदद भी आप तभी माँग पाएँगे अन्यथा आपकी मानसिक परिस्थितियों पर कोई क्यों विश्वास कर लेगा !आप किसी पर क्रोध करेंगे तो वो आपको गले क्यों लगाएगा ?आप ही अकेले जूझते रहेंगे !
बंधुओ !मानसिक तनाव बढ़ना अत्यंत चिंता का विषय है वो भी तब जबकि एक से एक शिक्षित समझदार बड़े बड़े पदों पर प्रतिष्ठित लोग भी तनाव का शिकार हो रहे हैं !गरीब लोग तो हैं ही किंतु सभी साधनों से संपन्न लोग भी तनाव का शिकार हैं दूसरों को तनाव से मुक्ति का पाठ पढ़ने वाले डॉक्टर भी तनाव का शिकार हैं !इसी तनाव के कारण कई डॉक्टरों इंजीनियरों व्यापारियों अफसरों को आत्महत्या जैसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाते देखा जा रहा है !तनाव मनुष्य को अंदर अंदर खोखला करता जा रहा है शुगर वीपी जैसे रोगों के बढ़ने में तनाव की बहुत बड़ी भूमिका है !लोगों के एक दूसरे से संबंध ख़राब होते चले जा रहे हैं !
"वसुधैवकुटुंबकं" अर्थात सारी पृथ्वी पर रहने वालों को अपना परिवार मानने वाला चिंतन अब एक व्यक्ति केंद्रित होता चला जा रहा है !हमारी सोच संकीर्ण होती चली गई हम विश्ववादी थे फिर उससे छोटा टुकड़ा अलगकर हम राष्ट्रवादी बने फिर प्रदेश जिला ग्रामवाद पड़ोसवाद से गुजरते हुए हमारी सोच इतनी संकीर्ण होती चली गई कि हम व्यक्तिवादी हो गए !तलाक जैसी दुर्घटनाएँ ऐसी ही प्रवृत्तियों के कारण पनप रही हैं !पहले हमने परिवार वालों को छोड़ा फिर माता पिता को छोड़ा अब पत्नी और बच्चों को भी छोड़ने की सीमाएँ लाँघने लगे हैं !इसके बाद हमारे पास छोड़ने के नाम पर शरीर छोड़कर और कुछ बचा नहीं है !इसीलिए अब हम आत्महत्या जैसे अत्यंत दुखद कदम उठाने लगे हैं !कुलमिलाकर विश्ववाद से लेकर व्यक्तिवाद तक हम समिटते चले जा रहे हैं !
"वसुधैवकुटुंबकं" अर्थात सारी पृथ्वी पर रहने वालों को अपना परिवार मानने वाले हमारे चिंतन में किसी की किसी से कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं थी !विश्व एक है वो सबका अपना है इसलिए सभी लोग इसे मिलजुल कर अच्छा बनाने के लिए परिश्रम करते थे और जहाँ ईमानदारी से परिश्रम किया जाता है उसके परिणाम भी अच्छे निकलते थे !जब हम राष्ट्रवादी बने तो हमारा कंपटीशन किसी दूसरे राष्ट्र के साथ हो गया !प्रदेशवादी बने तो किसी दूसरे प्रदेश से जिलावादी बने तो किसी दूसरे जिले से गाँव वादी बने तो किसी दूसरे गाँव से परिवारवादी बने तो परिवार के दूसरे सदस्यों से कंपटीशन करके एक को पकड़ते और दूसरे को छोड़ते चले गए ! वैवाहिक जीवन में किसी दूसरे का ज्ञानविज्ञान पद प्रतिष्ठा सुंदरता आदि अच्छी लगी तो अपना वैवाहिक जीवन बर्बाद करके हम उसके पीछे चल पड़ते हैं जो गलत है हमारी मानसिक समस्याएँ बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है कि हम केवल अपने जीवित मानते हैं अपने को ही भोक्ता मानते हैं और बाकी सभी को पदार्थ मानने लगे हैं !मानों सारे संसार के स्त्रीपुरुष सारे संसाधन समस्त वस्तुएँ केवल हमारे भोग के लिए ही बनी हैं !जो हमें न मिले या हमारे अनुशार व्यवहार न करे तो हम सह नहीं पाते हैं हमारे तनाव का सबसे बड़ा कारण यह है !
प्रायः देखा जाता है कि हमारा तनाव होने के लिए हमारे अपने बिलकुल नितांत निजी कारण होते हैं जिनके लिए हम और दूसरों को जिम्मेदार समझा करते हैं !अपना तनाव उसी पर उतारा करते हैं उसी से सारी अपेक्षाएँ करने लगते हैं !जबतक उसका अपना समय ठीक चलता रहता है तब तक वो हमारे द्वारा किया जाने वाला अच्छा तो सहता ही है बुरा बर्ताव भी सहता रहता है और हमारे संबंध मधुर बने रहते हैं किंतु किसी का समय एक जैसा कभी रहता नहीं है ऐसी परिस्थिति में जिस दिन हमारे जीवन साथी का भी बुरा समय आ जाता है तो वो भी कुछ सहने की स्थिति में नहीं रह जाता है उसे अपना तनाव बढ़ रहा होता है ऐसी परिस्थिति में समय के प्रभाव के कारण उसमें भी वही दोष आने लगते हैं जो उसके जीवन साथी में पहले से चले आ रहे होते हैं ! इसलिए अब वह भी कुछ सहने की स्थिति में नहीं रह जाता है !जबकि पहले वाला तो पहले से ही तनाव में चल रहा था और अपनी हर बात मनवाने के लिए आदी था ही इसलिए वो झुककर समझौता करे और उसकी बात माने जिससे हमेंशा अपनी ही बात मनवाता रहा है इसमें वो अपनी बेइज्जती समझता है !जब ये भावना उसके जीवन साथी में भी आ जाती है तो सहनशीलता की समाप्त होते ही दोनों के संबंध बिगड़ जाते हैं संबंध विच्छेद या तलाक जैसी परिस्थितियाँ पैदा होने लगाती हैं !
ऐसी परिस्थिति में समयविज्ञान की सहायता बहुत मददगार हो सकती है क्योंकि किसी का समय एक जैसा कभी रहता नहीं है जिसका जब जैसा समय होता है उसके जीवन में तब तैसी परिस्थितियाँ घटित होने लगती हैं अच्छे समय में अच्छी और बुरे समय में बुरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है !बुरे समय में ही तनाव बढ़ता चला जाता है !ये बुरा समय पति पत्नी या किन्हीं अन्य दो मित्रों का जब आगे पीछे आता है तब तो दोनों एक दूसरे का सहयोग करके अपने जीवन साथी या मित्र का साथ देकर उसका बुरा समय पास करवा दिया करते हैं किंतु जब दोनों का बुरा समय एक ही साथ आ जाता है और दोनों को एक साथ तनाव होने लगता है जिसके लिए वे दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार समझने लगते हैं इस कारण से उन दोनों की मित्रता या वैवाहिक संबंध ऐसी परिस्थितियों में टूट जाया करते हैं जबकि ऐसे समय में उन दोनों को अतिरिक्त सहनशीलता की आवश्यकता होती है जिसके बलपर एक दूसरे की परिस्थितियाँ समझते हुए टूटते हुए संबंधों को बचाया जा सकता है !
कई बार उन दोनों में से किए एक का तीन वर्ष का बुरा समय जिस समय चल रहा होता है उसी समय में यदि दूसरे का भी एक वर्ष का बुरा समय आ जाता है तो उस एक वर्ष में संबंध को बचाए रखा उन दोनों के लिए बहुत बड़ी चुनौती होती है !
ऐसी परिस्थिति में उन्हें यदि पहले से पता हो कि किसका कब कितना समय बुरा आएगा और वो कितने महीने या वर्ष तक चलेगा जिसमें उसे तनाव होगा जिसमें वो सावधानी बरते ले तो मित्रता आदि अन्य संबंधों के साथ साथ अपने वैवाहिक जीवन को भी टूटने से बचाया जा सकता है !
किसका कब कितना समय ख़राब रहेगा इसलिए किसे कब कितने वर्षों या महीनों तक तनाव रहेगा इस बात का पूर्वानुमान केवल 'समयविज्ञान' के द्वारा ही पता लगाया जा सकता है जिसके आधार पर आपकी डेटआफबर्थ ,टाइमआफबर्थ तथा प्लेसआफबर्थ तीनों का समयविज्ञान की प्रक्रिया से अलग अलग अनुसंधान करना होता है जिसके आधार पर किसी के बिषय में इस बात का पूर्वानुमानलगा लिया जाता है कि इसे तनाव कब और कितने समय के लिए होगा उतने समय को सावधानी पूर्वक निकाल लिया जाता है जिससे विवाह आदि सारे संबंध टूटने से बचा लिए जाते हैं !
यदि आपको भी मित्रता ,विवाह परिवार नाते रिस्तेदारी आदि से संबंधित कोई ऐसा संबंध है जिसे आप इतना अधिक महत्वपूर्ण समझते हैं कि उसे टूटने नहीं देना चाहते हैं तो आप पहले से ही अपने और उसके समय के विषय में हमारे यहाँ से समयविज्ञान की प्रक्रिया के द्वारा पूर्वानुमान लगवाते रहिए और जैसे ही बुरा समय प्रारंभ होने की संभावना दिखाई पड़े तो उतने समय को सावधानी पूर्वक पार करके निकाल लें तो ये संबंध आपका कभी टूटेगा नहीं और न ही होगा 'तलाक!
इसलिए यदि आपको आवश्यकता हो तो आप अपना डेटआफबर्थ आदि हमारे 'जीमेल'पर भेजकर अपने समय का पूर्वानुमान लगवाते रहिए ताकि आपको संबंधों के टूटने का दुःख कभी न सहना पड़े और न हो कभी पति पत्नी में तलाक ताकि बच्चे माता पिता से विहीन होकर अनाथों की तरह दर दर की ठोकरें खाते घूमते रहें -
-डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
एम.ए.पीएचडी 'ज्योतिष '
द्वारा
काशी हिंदू विश्व विद्यालय
हमारा ईमेल - samayvigyan@gmail.com
मानसिक तनाव बढ़ने से रोका कैसे जाए ? !
समय विज्ञानं के द्वारा घटाया जा सकता है मानसिक तनाव !जानिए कैसे -
मानसिक तनाव घटाने के लिए तरह तरह की काउंसलिंग की जा रही है योग करने की सलाह दी जा रही है स्कूलों में हैपीनेस की कक्षाएँ चलाई जा रही हैं कुछ सरकारें आनंद मंत्रालय बनाना चाह रही हैं !इन सबके बाद भी एक से एक पढ़े लिखे शिक्षित समझदार लोगों को, बड़े बड़े व्यापारियों अधिकारियों आदि को तनाव से परेशान होते देखा जा रहा है आत्म हत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भी घटित होते देखी जा रही हैं किंतु मानसिक तनाव घटाने में सफलता नहीं मिल पा रही है !
कई बार लगता है कि अपने पूर्वजों के सामने भी समस्याएँ बहुत होती थीं उस समय कितने बड़े बड़े संयुक्त परिवार हुआ करते थे सबके साथ सबको तालमेल बैठाना पड़ता था कितना कठिन होता है यह काम किंतु वे बड़ी आसानी से कर लिया करते थे !पति पत्नी के बीच कभी तलाक जैसी नौबत नहीं आती थी उनमें कितना आपसी प्रेम होता था !परिवार की बात क्या कहें वो पड़ोसियों के साथ भी उतना अच्छा निर्वाह कर लिया करते थे जितना अच्छा आज परिवार वालों के साथ निर्वाह करना कठिन होता जा रहा है !अच्छी बुरी परिस्थितियों का सामना उन्हें भी करना पड़ता था थोड़ा बहुत तनाव तो उन्हें भी होता होगा किंतु वे तनाव में भी संयम नहीं खोते थे और कोई न कोई रास्ता निकालकर अपने को तनाव मुक्त बना लिया करते थे !इसीलिए उन्हें ब्लड प्रेशर या हार्टअटैक जैसी समस्याओं से नहीं जूझना पड़ता था !उन लोगों की हत्या या आत्महत्या जैसी तो सोच ही नहीं होती थी !कितने अच्छे होते थे वे लोग ! ऐसी परिस्थिति में हमें भी तनाव मुक्त रहने की सीख अपने पूर्वजों से अवश्य लेनी चाहिए उससे तनाव घटाने में मदद मिलेगी !उनके जीवन का एक सबसे बड़ा मंत्र था कि -
"भाग्य से अधिक और समय से पहले किसी को कुछ मिलता नहीं है" इसी मंत्र के सहारे तनाव रहित होकर वे सुखपूर्वक जीवन जी लिया करते थे !
अपने पूर्वजों को इस बात पर बहुत विश्वास था वे इसे मानते भी थे इसका पालन भी करते थे इसलिए उन्हें तनाव नहीं होता था !क्योंकि जितना उनके भाग्य में बदा होता था वो उतनी ही आशाएँ पालते थे और उसी के अंदर रहकर ही जीवन जीने की योजनाएँ बना लिया करते थे !
लक्ष्य को पाने के लिए जो लोग भाग्य को भूलकर केवल कर्म का सहारा लेते हैं ऐसे लोगों का भाग्य जहाँ तक साथ देता है वहीँ तक वे सफल हो पाते हैं उसके बाद उन्हें असफलता मिलनी शुरू होती है जिससे उनका तनाव बढ़ने लग जाता है !क्योंकि भाग्य ही रोड है और कर्म ही गाड़ी है ऐसी परिस्थिति में जहाँ जितना रोड या रास्ता होगा वहीँ तक तो गाड़ी चलाई जा सकती है रास्ते के बिना गाड़ी चलेगी कहाँ ? रोड अर्थात रास्ता न पता हो और गाड़ी चलती जा रही हो तो वह लक्ष्य पर कभी नहीं पहुँच सकती है चाहें जीवन भर क्यों न भटकती रहे इसी प्रकार से जिन्हें अपने भाग्य की सीमाएँ नहीं पता होती हैं उनमें से बहुत लोग आजीवन भटकते रहते हैं !ऐसे लोग पढ़ाई में विषय बदलते रहते हैं कमाई में व्यापार या नौकरी बदलते रहते हैं !वैवाहिक जीवन में विवाह या प्रेम संबंध बनाते और छोड़ते रहते हैं राजनीति में दल बदलते रहते हैं किंतु बेचारों को कहीं सुख नहीं मिलता है !
कुल मिलाकर जीवन में भाग्य की सबसे बड़ी भूमिका होती है कोई व्यक्ति किस कार्य में सफल होगा या असफल यह उसका भाग्य तय करता है !कोई रोगी स्वस्थ होगा या अस्वस्थ रहेगा या उसका जीवन समाप्त होगा यह सब कुछ उसका भाग्य निश्चित करता है !आपके सभी कर्मों का परिणाम आपके भाग्य के अनुशार ही आपको मिलता है किंतु भाग्य का लाभ लेने के लिए कर्म करना बहुत आवश्यक है !टंकी में कितना भी पानी भरा हो किंतु नल की टूंटी खोले बिना पानी नहीं मिलता है !
केवल कर्म के बल पर जो लोग सफलता पा लेना चाहते हैं ऐसे लोग भाग्य का साथ न पाकर असफल होकर निराश हताश तनावग्रस्त हो जाते हैं ऐसी परिस्थिति में कुछ निराश हताश लोग तो अपराधी तक होते देखे जाते हैं ऐसी परिस्थिति में हत्या आत्महत्या जैसी घटनाएँ भी घटित होते देखी जाती हैं !ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि सुख भाग्य से मिलता है जिसे कर्म से केवल स्वीकार किया जाता है ! बिचार किया जाना चाहिए कि किसी नल की टूंटी खोल लेने मात्र से जल नहीं पाया जा सकता है जल तो तन मिलेगा जब टंकी में होगा !टंकी में जल का होना ही भाग्य है और टूंटी खोलकर जल प्राप्त करना ही कर्म है !ऐसी परिस्थिति में भाग्य के बिना केवल कर्म के बलपर जीवन को तनाव रहित कैसे बनाया जा सकता है !
विवाह शिक्षा संतान व्यापार नौकरी राजनीति पद प्रतिष्ठा भवन ,वाहन आदि जितने भी प्रकार के और भी सुख हो सकते हैं वे सभी ईश्वरीय बैंक में जमा हैं !इसी बैंक में हमारा आपका सभी का अकाउंट है सभी ने अच्छे अच्छे पुण्य कार्य करके इसी बैंक में एफडियाँ बनवा रखी हैं जिनकी मैच्योरिटी का अपना अलग अलग समय है जब जिस प्रकार के सुख की एफडी मैच्योर हो जाती है तब उस व्यक्ति को उस प्रकार का सुख मिलने लगता है !जिसने जब जैसा पुण्य कार्य किया तभी वो जमा होगया और उसकी एफडी बन गई ! सभी प्रकार के सुखों की एफडियाँ चूँकि बनी भी तो अलग अलग समय में होंगी इसलिए मैच्योर भी अलग अलग समय पर ही होंगी ! ये एफडियाँ ही सबका अपना अपना बैलेंस है ये बैलेंश ही तो सबका अपना अपना भाग्य है !
ऐसी परिस्थिति में बैलेंश( भाग्य) से अधिक और समय(मैच्योरिटी) से पहले किसी को कोई सुख कैसे मिल सकता है !
जिस प्रकार से आप किसी भी बैंक के कर्मचारी को आप अपना अकाउंट नंबर बताकर अपना बेलेंश चेक करवा सकते हैं और अपनी एफडियों के मैच्योर होने का समय पूछ सकते हैं वो आपको चेक करके केवल बता सकता है किंतु आपके एकाउंट में बैलेंश बढ़ा नहीं सकता है !
इसी प्रकार से आप किसी ज्योतिषी को अपना डेटऑफबर्थ देकर अपना भाग्य और उससे प्राप्त होने वाले सुखों का समय पता कर सकते हैं कि कौन सा सुख किस वर्ष मिलेगा !किंतु वो ज्योतिषी अपने नाग नगीनों यंत्र तंत्र ताबीजों से आपका भाग्य बदल देगा इसकी आशा आपको नहीं करनी चाहिए !
यदि आप समय से पहले और भाग्य से अधिक कोई सुख पा लेना चाहते हैं इस लोभ के कारण आप अनेकों प्रकार के संकटों में फँसा करते हैं जिसके लिए आप ज्योतिष शास्त्र एवं ज्योतिष विद्वानों को दोषी ठहराया करते हैं जबकि दोषी आपका अपना लोभ होता है जो भाग्य से अधिक और समय से पहले इच्छित सुखों को अपनी इच्छा के अनुशार प्राप्त कर लेने की भावना है !
भाग्य के विषय में उदाहरण स्वरूप किसी के भाग्य में पति या पत्नी का सुख 60 प्रतिशत बदा होता है ! उसका विवाह उसकी योग्यता धन बल या अन्य पदप्रतिष्ठा के आधार पर अपने से अधिक अच्छे वैवाहिक भाग्यवाले जीवनसाथी के साथ हो जाता है जिसके भाग्य में वैवाहिक सुख 90 प्रतिशत बदा है !ऐसी परिस्थिति में उसे 60 प्रतिशतवैवाहिक सुख तो अपने जीवन साथी से मिल ही जाएगा किंतु बाकी बचा 30 प्रतिशत वो जहाँ से प्राप्त किया जाएगा वहां तनाव होगा साथ ही उसके कारण अपना वैवाहिक जीवन भी तनाव में बीतेगा !
इसी प्रकार से समय के विषय में उदाहरण है - समय के आधार पर किसी का विवाह यदि 25 वर्ष की उम्र में होना निश्चित है तो 25 वर्ष की उम्र से पहले उसके जहाँ जो जिसके साथ प्रेम संबंध बनेंगे या विवाह होगा वो असफल होगा तनावप्रद होगा !
वर्तमान समय में ज्योतिष शास्त्र से सम्बंधित पाखण्ड करने वालों की संख्या इतनी अधिक है कि ज्योतिष के वास्तविक विद्वानों को खोजपाना आसान काम नहीं है !टीवी चैनलों पर या वैसे ज्योतिष के विषय में बड़ी बड़ी बातें करने वाले लोगों से यदि पूछ दिया जाए कि आपने ज्योतिष सब्जेक्ट में कौन सी डिग्री सरकार के किस विश्वविद्यालय से किस सन में ली थी तो 99 से अधिक लोग या तो चुप होंगे या फिर झूठ बोलेंगे !ऐसी परिस्थिति में जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं है वो लोग दूसरों का भाग्य बताते ही नहीं अपितु भाग्य बदलते घूम रहे हैं !ये समाज का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है !प्राचीन काल में ज्योतिष के विद्वान् भी सदाचारी योग्य एवं सत्यवादी हुआ करते थे !उनके द्वारा दिया हुआ परामर्श सभी प्रकार के तनावों से मुक्ति दिला दिया करता था !
किसी तनावग्रस्त स्त्री पुरुष के भाग्य और और समय की जानकारी लिए बिना उसे दी गई काउंसलिंग भी असफल होती है क्योंकि किस समय व्यक्ति की सोच कैसी होगी और उसे किस समय किस प्रकार की बातों से सुख मिल सकता है इसका अंदाजा केवल भाग्य और समय के आधार पर ही लगाया जा सकता है !
यदि आप अपने भाग्य को जानना चाहते हैं कि आपके भाग्य में किस प्रकार का सुख कितना बदा है और उसे पाने के लिए जीवन के किस वर्ष में प्रयास किया जाए ताकि सफलता मिले और किसी प्रकार का तनाव न हो !तो आप मेरे ईमेल पर अपना डेट ऑफ बर्थ भेज कर हमारे यहाँ से पता कर सकते हैं!कि आपके भाग्य में बदा क्या है और वो मिलेगा जीवन के किस वर्ष में !उसके लिए आपको प्रयास किस प्रकार से करना होगा ?
हमारे यहाँ से फ़ोन पर ही सही सलाह लेकर आप अपना तनाव घटा सकते हैं इसके लिए आपको हमारे ईमेल पर भेजना होगा अपना डेटऑफबर्थ और अपना जन्मसमय जन्मस्थान और अपने वे प्रश्न जिनके कारण आपको तनाव हो रहा है !
-डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
एम.ए.पीएचडी 'ज्योतिष '
द्वारा
काशी हिंदू विश्व विद्यालय
हमारा ईमेल - samayvigyan@gmail.com
किसी को तनाव होता है उसके अपने समय के कारण !आपका जब जैसा समय चल रहा होता है तब तैसा स्वभाव सोच बात व्यवहार आदि बनता है !समय का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो तो तनाव को रोका जा सकता है !यदि आपको भी कोई तनाव है तो उसे समाप्त करने के लिए जरूर पढ़ें यह लेख !
आपका मानसिक तनाव बढ़ने से केवल आप ही नहीं अपितु आपके आसपास के सभी लोग प्रभावित होने लगते हैं आपका स्वभाव बदलजाता है आपका बात व्यवहार बदल जाता है जिसका आपको अहसास भी नहीं होता है और आपके आसपास के लोग घुट घुटकर आपके साथ जीने को मजबूर होते हैं आप संबंधों की दुहाई दे दे कर कब तक किसी को अपमानित करते रहेंगे और कोई क्यों सहेगा !आपके संपर्क में जो जितना अधिक निकट होता है आपसे वो उतना अधिक परेशान होता है चूँकि जीवन साथी(पति और पत्नी ) एक दूसरे के सबसे निकटतम सहयोगी होते हैं इसलिए एक दूसरे के तनाव से सबसे अधिक परेशान भी वही होते हैं !इसलिए वही परेशान होकर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं !ऐसे ही अन्य सभी संबंध भी बिगड़ जाते हैं नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं !
किसी का समय अच्छा बुरा दो प्रकार का होता है समय के अनुशार सोच बदलती जाती है !अच्छे समय में हम जिन लोगों को उनके बात व्यवहार को अच्छा समझकर जुड़ते हैं अपना बुरा समय आते वे सब वही रहते हैं किंतु वही लोग वही बात व्यवहार हमें बुरा लगने लगता है !समय के कारण सोच में इतना बड़ा बदलाव आ जाता है !
ऐसी परिस्थिति में हम समय का बदलना तो नहीं रोक सकते हैं किंतु यदि हमें इस बात का पूर्वानुमान पता हो कि कब कैसा समय बदल रहा है तो बुरा समय आने पर हम अपने सोच और बात व्यवहार को अधिक नहीं बदलने देंगे और समय के प्रभाव को समझते हुए कुछ अपनी भी सहने की आदत डालेंगे !ऐसे सकारात्मक प्रयासों से बुरा समय भी निकल जाता है और संबंध भी सुरक्षित बने रहते हैं !
बुरा समय किसके जीवन में कब आएगा इसका पूर्वानुमान समय विज्ञान के द्वारा ही लगाया जा सकता है जिसके लिए आप अपना डेट ऑफ बर्थ हमारे जीमेल पर भेज सकते हैं उस डेट ऑफ़ बर्थ पर रिसर्च करके आपको फोन द्वारा सूचित कर दिया जाता है कि निकट भविष्य में आपका अच्छा समय कब आएगा और बुरा समय कब आएगा और कितने समय के लिए !
बुरे समय के प्रभाव से आपके सारे संबंध बिगड़ने लग जाते हैं जो जितने करीब होते हैं वही उतने दूर होने लगते हैं !आपके तनाव का असर सबसे अधिक उन्हीं पर पड़ता है !उन्हें ये पता ही नहीं होता है कि आप जो चिड़चिड़े हो रहे हैं उसका कारण आपकी कोई समस्या है या आपका घमंड ?एकबार आपकी समस्या के विषय में किसी को बताया जाए तो वो साथ दे भी देगा किंतु घमंड को कोई क्यों सहेगा !हर कोई अपने अपने जीवन का राजा होता है इसलिए ये आपको ही अपनों को समझाना होता है कि आपको तनाव हो रहा है किंतु आप तभी समझा सकते हैं जब आपको स्वयं पता हो जब आपको ही नहीं पता होता है कि आपको तनाव क्यों हो रहा है और कब तक रहेगा तो आप औरों से सहयोग की मदद कैसे माँग सकते हैं !यदि आप ऐसा करेंगे भी तो लोग कहेंगे कि आप नाटक कर रहे हैं !इसलिए ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए आपको अपने तनाव का कारण और निवारण पता होना चाहिए किसी से मदद भी आप तभी माँग पाएँगे अन्यथा आपकी मानसिक परिस्थितियों पर कोई क्यों विश्वास कर लेगा !आप किसी पर क्रोध करेंगे तो वो आपको गले क्यों लगाएगा ?आप ही अकेले जूझते रहेंगे !
बंधुओ !मानसिक तनाव बढ़ना अत्यंत चिंता का विषय है वो भी तब जबकि एक से एक शिक्षित समझदार बड़े बड़े पदों पर प्रतिष्ठित लोग भी तनाव का शिकार हो रहे हैं !गरीब लोग तो हैं ही किंतु सभी साधनों से संपन्न लोग भी तनाव का शिकार हैं दूसरों को तनाव से मुक्ति का पाठ पढ़ने वाले डॉक्टर भी तनाव का शिकार हैं !इसी तनाव के कारण कई डॉक्टरों इंजीनियरों व्यापारियों अफसरों को आत्महत्या जैसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाते देखा जा रहा है !तनाव मनुष्य को अंदर अंदर खोखला करता जा रहा है शुगर वीपी जैसे रोगों के बढ़ने में तनाव की बहुत बड़ी भूमिका है !लोगों के एक दूसरे से संबंध ख़राब होते चले जा रहे हैं !
"वसुधैवकुटुंबकं" अर्थात सारी पृथ्वी पर रहने वालों को अपना परिवार मानने वाला चिंतन अब एक व्यक्ति केंद्रित होता चला जा रहा है !हमारी सोच संकीर्ण होती चली गई हम विश्ववादी थे फिर उससे छोटा टुकड़ा अलगकर हम राष्ट्रवादी बने फिर प्रदेश जिला ग्रामवाद पड़ोसवाद से गुजरते हुए हमारी सोच इतनी संकीर्ण होती चली गई कि हम व्यक्तिवादी हो गए !तलाक जैसी दुर्घटनाएँ ऐसी ही प्रवृत्तियों के कारण पनप रही हैं !पहले हमने परिवार वालों को छोड़ा फिर माता पिता को छोड़ा अब पत्नी और बच्चों को भी छोड़ने की सीमाएँ लाँघने लगे हैं !इसके बाद हमारे पास छोड़ने के नाम पर शरीर छोड़कर और कुछ बचा नहीं है !इसीलिए अब हम आत्महत्या जैसे अत्यंत दुखद कदम उठाने लगे हैं !कुलमिलाकर विश्ववाद से लेकर व्यक्तिवाद तक हम समिटते चले जा रहे हैं !
"वसुधैवकुटुंबकं" अर्थात सारी पृथ्वी पर रहने वालों को अपना परिवार मानने वाले हमारे चिंतन में किसी की किसी से कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं थी !विश्व एक है वो सबका अपना है इसलिए सभी लोग इसे मिलजुल कर अच्छा बनाने के लिए परिश्रम करते थे और जहाँ ईमानदारी से परिश्रम किया जाता है उसके परिणाम भी अच्छे निकलते थे !जब हम राष्ट्रवादी बने तो हमारा कंपटीशन किसी दूसरे राष्ट्र के साथ हो गया !प्रदेशवादी बने तो किसी दूसरे प्रदेश से जिलावादी बने तो किसी दूसरे जिले से गाँव वादी बने तो किसी दूसरे गाँव से परिवारवादी बने तो परिवार के दूसरे सदस्यों से कंपटीशन करके एक को पकड़ते और दूसरे को छोड़ते चले गए ! वैवाहिक जीवन में किसी दूसरे का ज्ञानविज्ञान पद प्रतिष्ठा सुंदरता आदि अच्छी लगी तो अपना वैवाहिक जीवन बर्बाद करके हम उसके पीछे चल पड़ते हैं जो गलत है हमारी मानसिक समस्याएँ बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है कि हम केवल अपने जीवित मानते हैं अपने को ही भोक्ता मानते हैं और बाकी सभी को पदार्थ मानने लगे हैं !मानों सारे संसार के स्त्रीपुरुष सारे संसाधन समस्त वस्तुएँ केवल हमारे भोग के लिए ही बनी हैं !जो हमें न मिले या हमारे अनुशार व्यवहार न करे तो हम सह नहीं पाते हैं हमारे तनाव का सबसे बड़ा कारण यह है !
प्रायः देखा जाता है कि हमारा तनाव होने के लिए हमारे अपने बिलकुल नितांत निजी कारण होते हैं जिनके लिए हम और दूसरों को जिम्मेदार समझा करते हैं !अपना तनाव उसी पर उतारा करते हैं उसी से सारी अपेक्षाएँ करने लगते हैं !जबतक उसका अपना समय ठीक चलता रहता है तब तक वो हमारे द्वारा किया जाने वाला अच्छा तो सहता ही है बुरा बर्ताव भी सहता रहता है और हमारे संबंध मधुर बने रहते हैं किंतु किसी का समय एक जैसा कभी रहता नहीं है ऐसी परिस्थिति में जिस दिन हमारे जीवन साथी का भी बुरा समय आ जाता है तो वो भी कुछ सहने की स्थिति में नहीं रह जाता है उसे अपना तनाव बढ़ रहा होता है ऐसी परिस्थिति में समय के प्रभाव के कारण उसमें भी वही दोष आने लगते हैं जो उसके जीवन साथी में पहले से चले आ रहे होते हैं ! इसलिए अब वह भी कुछ सहने की स्थिति में नहीं रह जाता है !जबकि पहले वाला तो पहले से ही तनाव में चल रहा था और अपनी हर बात मनवाने के लिए आदी था ही इसलिए वो झुककर समझौता करे और उसकी बात माने जिससे हमेंशा अपनी ही बात मनवाता रहा है इसमें वो अपनी बेइज्जती समझता है !जब ये भावना उसके जीवन साथी में भी आ जाती है तो सहनशीलता की समाप्त होते ही दोनों के संबंध बिगड़ जाते हैं संबंध विच्छेद या तलाक जैसी परिस्थितियाँ पैदा होने लगाती हैं !
ऐसी परिस्थिति में समयविज्ञान की सहायता बहुत मददगार हो सकती है क्योंकि किसी का समय एक जैसा कभी रहता नहीं है जिसका जब जैसा समय होता है उसके जीवन में तब तैसी परिस्थितियाँ घटित होने लगती हैं अच्छे समय में अच्छी और बुरे समय में बुरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है !बुरे समय में ही तनाव बढ़ता चला जाता है !ये बुरा समय पति पत्नी या किन्हीं अन्य दो मित्रों का जब आगे पीछे आता है तब तो दोनों एक दूसरे का सहयोग करके अपने जीवन साथी या मित्र का साथ देकर उसका बुरा समय पास करवा दिया करते हैं किंतु जब दोनों का बुरा समय एक ही साथ आ जाता है और दोनों को एक साथ तनाव होने लगता है जिसके लिए वे दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार समझने लगते हैं इस कारण से उन दोनों की मित्रता या वैवाहिक संबंध ऐसी परिस्थितियों में टूट जाया करते हैं जबकि ऐसे समय में उन दोनों को अतिरिक्त सहनशीलता की आवश्यकता होती है जिसके बलपर एक दूसरे की परिस्थितियाँ समझते हुए टूटते हुए संबंधों को बचाया जा सकता है !
कई बार उन दोनों में से किए एक का तीन वर्ष का बुरा समय जिस समय चल रहा होता है उसी समय में यदि दूसरे का भी एक वर्ष का बुरा समय आ जाता है तो उस एक वर्ष में संबंध को बचाए रखा उन दोनों के लिए बहुत बड़ी चुनौती होती है !
ऐसी परिस्थिति में उन्हें यदि पहले से पता हो कि किसका कब कितना समय बुरा आएगा और वो कितने महीने या वर्ष तक चलेगा जिसमें उसे तनाव होगा जिसमें वो सावधानी बरते ले तो मित्रता आदि अन्य संबंधों के साथ साथ अपने वैवाहिक जीवन को भी टूटने से बचाया जा सकता है !
किसका कब कितना समय ख़राब रहेगा इसलिए किसे कब कितने वर्षों या महीनों तक तनाव रहेगा इस बात का पूर्वानुमान केवल 'समयविज्ञान' के द्वारा ही पता लगाया जा सकता है जिसके आधार पर आपकी डेटआफबर्थ ,टाइमआफबर्थ तथा प्लेसआफबर्थ तीनों का समयविज्ञान की प्रक्रिया से अलग अलग अनुसंधान करना होता है जिसके आधार पर किसी के बिषय में इस बात का पूर्वानुमानलगा लिया जाता है कि इसे तनाव कब और कितने समय के लिए होगा उतने समय को सावधानी पूर्वक निकाल लिया जाता है जिससे विवाह आदि सारे संबंध टूटने से बचा लिए जाते हैं !
यदि आपको भी मित्रता ,विवाह परिवार नाते रिस्तेदारी आदि से संबंधित कोई ऐसा संबंध है जिसे आप इतना अधिक महत्वपूर्ण समझते हैं कि उसे टूटने नहीं देना चाहते हैं तो आप पहले से ही अपने और उसके समय के विषय में हमारे यहाँ से समयविज्ञान की प्रक्रिया के द्वारा पूर्वानुमान लगवाते रहिए और जैसे ही बुरा समय प्रारंभ होने की संभावना दिखाई पड़े तो उतने समय को सावधानी पूर्वक पार करके निकाल लें तो ये संबंध आपका कभी टूटेगा नहीं और न ही होगा 'तलाक!
इसलिए यदि आपको आवश्यकता हो तो आप अपना डेटआफबर्थ आदि हमारे 'जीमेल'पर भेजकर अपने समय का पूर्वानुमान लगवाते रहिए ताकि आपको संबंधों के टूटने का दुःख कभी न सहना पड़े और न हो कभी पति पत्नी में तलाक ताकि बच्चे माता पिता से विहीन होकर अनाथों की तरह दर दर की ठोकरें खाते घूमते रहें -
-डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
एम.ए.पीएचडी 'ज्योतिष '
द्वारा
काशी हिंदू विश्व विद्यालय
हमारा ईमेल - samayvigyan@gmail.com
मानसिक तनाव बढ़ने से रोका कैसे जाए ? !
समय विज्ञानं के द्वारा घटाया जा सकता है मानसिक तनाव !जानिए कैसे -
मानसिक तनाव घटाने के लिए तरह तरह की काउंसलिंग की जा रही है योग करने की सलाह दी जा रही है स्कूलों में हैपीनेस की कक्षाएँ चलाई जा रही हैं कुछ सरकारें आनंद मंत्रालय बनाना चाह रही हैं !इन सबके बाद भी एक से एक पढ़े लिखे शिक्षित समझदार लोगों को, बड़े बड़े व्यापारियों अधिकारियों आदि को तनाव से परेशान होते देखा जा रहा है आत्म हत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भी घटित होते देखी जा रही हैं किंतु मानसिक तनाव घटाने में सफलता नहीं मिल पा रही है !
कई बार लगता है कि अपने पूर्वजों के सामने भी समस्याएँ बहुत होती थीं उस समय कितने बड़े बड़े संयुक्त परिवार हुआ करते थे सबके साथ सबको तालमेल बैठाना पड़ता था कितना कठिन होता है यह काम किंतु वे बड़ी आसानी से कर लिया करते थे !पति पत्नी के बीच कभी तलाक जैसी नौबत नहीं आती थी उनमें कितना आपसी प्रेम होता था !परिवार की बात क्या कहें वो पड़ोसियों के साथ भी उतना अच्छा निर्वाह कर लिया करते थे जितना अच्छा आज परिवार वालों के साथ निर्वाह करना कठिन होता जा रहा है !अच्छी बुरी परिस्थितियों का सामना उन्हें भी करना पड़ता था थोड़ा बहुत तनाव तो उन्हें भी होता होगा किंतु वे तनाव में भी संयम नहीं खोते थे और कोई न कोई रास्ता निकालकर अपने को तनाव मुक्त बना लिया करते थे !इसीलिए उन्हें ब्लड प्रेशर या हार्टअटैक जैसी समस्याओं से नहीं जूझना पड़ता था !उन लोगों की हत्या या आत्महत्या जैसी तो सोच ही नहीं होती थी !कितने अच्छे होते थे वे लोग ! ऐसी परिस्थिति में हमें भी तनाव मुक्त रहने की सीख अपने पूर्वजों से अवश्य लेनी चाहिए उससे तनाव घटाने में मदद मिलेगी !उनके जीवन का एक सबसे बड़ा मंत्र था कि -
"भाग्य से अधिक और समय से पहले किसी को कुछ मिलता नहीं है" इसी मंत्र के सहारे तनाव रहित होकर वे सुखपूर्वक जीवन जी लिया करते थे !
अपने पूर्वजों को इस बात पर बहुत विश्वास था वे इसे मानते भी थे इसका पालन भी करते थे इसलिए उन्हें तनाव नहीं होता था !क्योंकि जितना उनके भाग्य में बदा होता था वो उतनी ही आशाएँ पालते थे और उसी के अंदर रहकर ही जीवन जीने की योजनाएँ बना लिया करते थे !
लक्ष्य को पाने के लिए जो लोग भाग्य को भूलकर केवल कर्म का सहारा लेते हैं ऐसे लोगों का भाग्य जहाँ तक साथ देता है वहीँ तक वे सफल हो पाते हैं उसके बाद उन्हें असफलता मिलनी शुरू होती है जिससे उनका तनाव बढ़ने लग जाता है !क्योंकि भाग्य ही रोड है और कर्म ही गाड़ी है ऐसी परिस्थिति में जहाँ जितना रोड या रास्ता होगा वहीँ तक तो गाड़ी चलाई जा सकती है रास्ते के बिना गाड़ी चलेगी कहाँ ? रोड अर्थात रास्ता न पता हो और गाड़ी चलती जा रही हो तो वह लक्ष्य पर कभी नहीं पहुँच सकती है चाहें जीवन भर क्यों न भटकती रहे इसी प्रकार से जिन्हें अपने भाग्य की सीमाएँ नहीं पता होती हैं उनमें से बहुत लोग आजीवन भटकते रहते हैं !ऐसे लोग पढ़ाई में विषय बदलते रहते हैं कमाई में व्यापार या नौकरी बदलते रहते हैं !वैवाहिक जीवन में विवाह या प्रेम संबंध बनाते और छोड़ते रहते हैं राजनीति में दल बदलते रहते हैं किंतु बेचारों को कहीं सुख नहीं मिलता है !
कुल मिलाकर जीवन में भाग्य की सबसे बड़ी भूमिका होती है कोई व्यक्ति किस कार्य में सफल होगा या असफल यह उसका भाग्य तय करता है !कोई रोगी स्वस्थ होगा या अस्वस्थ रहेगा या उसका जीवन समाप्त होगा यह सब कुछ उसका भाग्य निश्चित करता है !आपके सभी कर्मों का परिणाम आपके भाग्य के अनुशार ही आपको मिलता है किंतु भाग्य का लाभ लेने के लिए कर्म करना बहुत आवश्यक है !टंकी में कितना भी पानी भरा हो किंतु नल की टूंटी खोले बिना पानी नहीं मिलता है !
केवल कर्म के बल पर जो लोग सफलता पा लेना चाहते हैं ऐसे लोग भाग्य का साथ न पाकर असफल होकर निराश हताश तनावग्रस्त हो जाते हैं ऐसी परिस्थिति में कुछ निराश हताश लोग तो अपराधी तक होते देखे जाते हैं ऐसी परिस्थिति में हत्या आत्महत्या जैसी घटनाएँ भी घटित होते देखी जाती हैं !ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि सुख भाग्य से मिलता है जिसे कर्म से केवल स्वीकार किया जाता है ! बिचार किया जाना चाहिए कि किसी नल की टूंटी खोल लेने मात्र से जल नहीं पाया जा सकता है जल तो तन मिलेगा जब टंकी में होगा !टंकी में जल का होना ही भाग्य है और टूंटी खोलकर जल प्राप्त करना ही कर्म है !ऐसी परिस्थिति में भाग्य के बिना केवल कर्म के बलपर जीवन को तनाव रहित कैसे बनाया जा सकता है !
विवाह शिक्षा संतान व्यापार नौकरी राजनीति पद प्रतिष्ठा भवन ,वाहन आदि जितने भी प्रकार के और भी सुख हो सकते हैं वे सभी ईश्वरीय बैंक में जमा हैं !इसी बैंक में हमारा आपका सभी का अकाउंट है सभी ने अच्छे अच्छे पुण्य कार्य करके इसी बैंक में एफडियाँ बनवा रखी हैं जिनकी मैच्योरिटी का अपना अलग अलग समय है जब जिस प्रकार के सुख की एफडी मैच्योर हो जाती है तब उस व्यक्ति को उस प्रकार का सुख मिलने लगता है !जिसने जब जैसा पुण्य कार्य किया तभी वो जमा होगया और उसकी एफडी बन गई ! सभी प्रकार के सुखों की एफडियाँ चूँकि बनी भी तो अलग अलग समय में होंगी इसलिए मैच्योर भी अलग अलग समय पर ही होंगी ! ये एफडियाँ ही सबका अपना अपना बैलेंस है ये बैलेंश ही तो सबका अपना अपना भाग्य है !
ऐसी परिस्थिति में बैलेंश( भाग्य) से अधिक और समय(मैच्योरिटी) से पहले किसी को कोई सुख कैसे मिल सकता है !
जिस प्रकार से आप किसी भी बैंक के कर्मचारी को आप अपना अकाउंट नंबर बताकर अपना बेलेंश चेक करवा सकते हैं और अपनी एफडियों के मैच्योर होने का समय पूछ सकते हैं वो आपको चेक करके केवल बता सकता है किंतु आपके एकाउंट में बैलेंश बढ़ा नहीं सकता है !
इसी प्रकार से आप किसी ज्योतिषी को अपना डेटऑफबर्थ देकर अपना भाग्य और उससे प्राप्त होने वाले सुखों का समय पता कर सकते हैं कि कौन सा सुख किस वर्ष मिलेगा !किंतु वो ज्योतिषी अपने नाग नगीनों यंत्र तंत्र ताबीजों से आपका भाग्य बदल देगा इसकी आशा आपको नहीं करनी चाहिए !
यदि आप समय से पहले और भाग्य से अधिक कोई सुख पा लेना चाहते हैं इस लोभ के कारण आप अनेकों प्रकार के संकटों में फँसा करते हैं जिसके लिए आप ज्योतिष शास्त्र एवं ज्योतिष विद्वानों को दोषी ठहराया करते हैं जबकि दोषी आपका अपना लोभ होता है जो भाग्य से अधिक और समय से पहले इच्छित सुखों को अपनी इच्छा के अनुशार प्राप्त कर लेने की भावना है !
भाग्य के विषय में उदाहरण स्वरूप किसी के भाग्य में पति या पत्नी का सुख 60 प्रतिशत बदा होता है ! उसका विवाह उसकी योग्यता धन बल या अन्य पदप्रतिष्ठा के आधार पर अपने से अधिक अच्छे वैवाहिक भाग्यवाले जीवनसाथी के साथ हो जाता है जिसके भाग्य में वैवाहिक सुख 90 प्रतिशत बदा है !ऐसी परिस्थिति में उसे 60 प्रतिशतवैवाहिक सुख तो अपने जीवन साथी से मिल ही जाएगा किंतु बाकी बचा 30 प्रतिशत वो जहाँ से प्राप्त किया जाएगा वहां तनाव होगा साथ ही उसके कारण अपना वैवाहिक जीवन भी तनाव में बीतेगा !
इसी प्रकार से समय के विषय में उदाहरण है - समय के आधार पर किसी का विवाह यदि 25 वर्ष की उम्र में होना निश्चित है तो 25 वर्ष की उम्र से पहले उसके जहाँ जो जिसके साथ प्रेम संबंध बनेंगे या विवाह होगा वो असफल होगा तनावप्रद होगा !
वर्तमान समय में ज्योतिष शास्त्र से सम्बंधित पाखण्ड करने वालों की संख्या इतनी अधिक है कि ज्योतिष के वास्तविक विद्वानों को खोजपाना आसान काम नहीं है !टीवी चैनलों पर या वैसे ज्योतिष के विषय में बड़ी बड़ी बातें करने वाले लोगों से यदि पूछ दिया जाए कि आपने ज्योतिष सब्जेक्ट में कौन सी डिग्री सरकार के किस विश्वविद्यालय से किस सन में ली थी तो 99 से अधिक लोग या तो चुप होंगे या फिर झूठ बोलेंगे !ऐसी परिस्थिति में जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं है वो लोग दूसरों का भाग्य बताते ही नहीं अपितु भाग्य बदलते घूम रहे हैं !ये समाज का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है !प्राचीन काल में ज्योतिष के विद्वान् भी सदाचारी योग्य एवं सत्यवादी हुआ करते थे !उनके द्वारा दिया हुआ परामर्श सभी प्रकार के तनावों से मुक्ति दिला दिया करता था !
किसी तनावग्रस्त स्त्री पुरुष के भाग्य और और समय की जानकारी लिए बिना उसे दी गई काउंसलिंग भी असफल होती है क्योंकि किस समय व्यक्ति की सोच कैसी होगी और उसे किस समय किस प्रकार की बातों से सुख मिल सकता है इसका अंदाजा केवल भाग्य और समय के आधार पर ही लगाया जा सकता है !
यदि आप अपने भाग्य को जानना चाहते हैं कि आपके भाग्य में किस प्रकार का सुख कितना बदा है और उसे पाने के लिए जीवन के किस वर्ष में प्रयास किया जाए ताकि सफलता मिले और किसी प्रकार का तनाव न हो !तो आप मेरे ईमेल पर अपना डेट ऑफ बर्थ भेज कर हमारे यहाँ से पता कर सकते हैं!कि आपके भाग्य में बदा क्या है और वो मिलेगा जीवन के किस वर्ष में !उसके लिए आपको प्रयास किस प्रकार से करना होगा ?
हमारे यहाँ से फ़ोन पर ही सही सलाह लेकर आप अपना तनाव घटा सकते हैं इसके लिए आपको हमारे ईमेल पर भेजना होगा अपना डेटऑफबर्थ और अपना जन्मसमय जन्मस्थान और अपने वे प्रश्न जिनके कारण आपको तनाव हो रहा है !
-डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
एम.ए.पीएचडी 'ज्योतिष '
द्वारा
काशी हिंदू विश्व विद्यालय
हमारा ईमेल - samayvigyan@gmail.com
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