Sunday, 29 July 2018

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आदरणीय
                                                                                                 आपको सादर नमस्कार !
विषय --  मौसम पूर्वानुमान के विषय में -
                                  महोदय , 
        आपका बहुमूल्य समय लेने के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ फिर भी श्रीमान जी !देश और समाज के लिए अत्यंत आवश्यक विषयों पर सरकार के कुछ विभागों की उदासीनता से निराश होकर आपसे निवेदन करने जैसा एक मात्र विकल्प मेरे पास बचा था इसलिए मैंने बहुत मजबूरी में आपका बहुमूल्य समय लिया है !
       महोदय !वर्षा बाढ़ आँधी तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगा पाने में सरकारी मौसम विभाग अभी तक असफल रहा है !आकाश में उड़ते हुए बादलों की दिशा और गति के अनुशार वर्षा संबंधी भविष्यवाणी कर देता है सरकारी मौसम विभाग !वे बादल यदि उसी गति से उसी दिशा में उड़ते रहे और उस स्थानों पर जाकर बरसे तब तो ठीक किंतु यदि हवा का रुख बदल गया तो बादल उड़कर कहीं दूसरी जगह चले जाते हैं या हवा का रुख न भी बदला और वहाँ पहुँच कर भी बादल न बरसे तो उनका क्या बिगाड़ लेगा बेचारा सरकारी मौसम विभाग !
        इसीलिए सरकारी मौसम विभाग के वर्षा संबंधी तीर तुक्के केवल दो तीन दिन पहले के ही हो सकते हैं क्योंकि बादलों के दिखाई पड़ने एवं उड़ कर पहुँचने में लगभग इतना ही समय लगता है !इसके अलावा वर्षा बाढ़ आँधी तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए विज्ञान संबंधी कोई सटीक फार्मूला है ही नहीं और हो भी नहीं सकता है !इसीलिए इनके द्वारा गढ़े जाने वाले दीर्घावधि के मौसम संबंधी तीर तुक्के प्रायः गलत ही होते हैं जिसकी कीमत कुछ किसानों को प्राण देकर चुकानी पड़ती है !
      दो तीन दिन पहले के वर्षा संबंधी पूर्वानुमान यदि सच हो भी जाएँ तो जनता या किसानों के किस काम के !क्योंकि किसानों को महीनों पहले बनानी होती हैं मौसम विभाग के पास इतने पहले का पूर्वानुमान बता पाने के लिए कोई मजबूत आधार होता ही नहीं है जिनके आधार पर वे प्रमाणित रूप से कुछ कहने लायक हों !जो वो झूठ साँच कुछ बनाकर बोलते भी हैं किसान उस पर भरोसा करके अपनी फसल योजना बना लेते हैं वो अधिकाँश गलत होते हैं जो किसानों के जीवन पर बीतती हैं !आखिर किसानों की आत्महत्या की इतनी घटनाएँ पहले नहीं सुनी जाती थीं जब मौसम का पूर्वानुमान वैदिक विज्ञान के आधार पर लगाया जाता था !उसे गलत और अंध विश्वास बता दिया गया और आधुनिक मौसमविज्ञान जो थोपा गया है वो किसानों के किसी काम का नहीं है !
      वर्षा की संभावनाओं के अनुशार किसान फसलों का चयन करते हैं ऊँचे नीचे आदि किस खेत में कौन सी फसल बोनी चाहिए !या अग्रिम फसल कैसी होगी उसके अनुशार वे अनाज एवं पशुओं के चारे का संरक्षण करते हैं और बनाते हैं  कृषि संबंधी योजनाएँ !मौसम संबंधी अनुमान गलत होते ही किसानों की जानपर बन आती है !इसके विषय में सरकार को गंभीरता पूर्वक कुछ सोचना चाहिए !आखिर टैक्स लेते समय सरकार जनता की खून पसीने की कमाई उससे छीन कर मौसम और भूकंप जैसे निरर्थक विभागों के निराधार रिसर्चों पर खर्च कर देती है इस धन के बदले में सरकार जनता को उपलब्ध करवापाती है गलत सलत मौसम पूर्वानुमान !पाई पाई और पल पल के हिसाब देने का दंभ भरने वाली सरकारों से ऐसी आशा तो नहीं थी !
       जब आधुनिक मौसम विज्ञान नहीं था तब किसान पारम्परिक वैदिक वैज्ञानिक साधनों से मौसम का पूर्वानुमान लगा लिया करते  थे वो काफी सच घटित हुआ करते थे तब किसान भी खुश रहते थे !
     किंतु प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली जनधन की हानि सभी की तरह मैं भी बिचलित हूँ !मुझे भी लगता है कि आँधी तूफान बाढ़ आदि का पूर्वानुमान कैसे लगाया जाए एवं ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के दुष्प्रभाव को कम कैसे किया जाए !
            श्रीमान जी !पिछले जून जुलाई के महीने से सम्बंधित वर्षा एवं आँधी तूफान से संबंधित जो पूर्वानुमान मैंने भेजे हैं !उनका परीक्षण करने के लिए मेरे पास मीडिया के विविध माध्यमों से प्राप्त मौसम संबंधी समाचार एवं इंटरनेट पर उपलब्ध विविध अखवारों टीवीचैनलों से प्राप्त मौसम संबंधी समाचार या अखवारों से प्राप्त समाचारों के अलावा और कोई दूसरा निजी प्रमाणित विकल्प नहीं होता है ! यद्यपि उनसे से प्राप्त समाचारों का मैं संग्रह करता रहता हूँ अखवारों की कटिंग भी रख लेता हूँ जिसके आधार पर वर्षा और आँधी तूफान से संबंधित हमारे मौसम संबंधी पूर्वानुमानों के परिणाम उत्साह बर्धक लगते हैं किंतु उनकी प्रमाणिकता तो तभी होगी जब आपकी परीक्षण प्रक्रिया में भी वे मौसम संबंधी मानकों की कसौटी पर सही उतर सकें !इसलिए मैं आपसे फीडबैक के लिए पुनः निवेदन कर रहा हूँ ताकि उस मूल्यांकन के आधार पर प्राप्त अनुभवों का उपयोग मैं आगे के अनुसंधान में कर सकूँ अन्यथा अधिक समय बीत जाने पर उस पूर्व कृत सामग्री से मिलान कर पाना कम संभव हो पाता है !
     महोदय मेरा विनम्र निवेदन है कि इन पूर्वानुमानों में यदि आपको सच्चाई लगती है तो इनका एक बड़ा लाभ मौसम संबंधी दीर्घावधि के पूर्वानुमानों की दृष्टि से लिया जा सकता है ये महीनों वर्षों पहले उपलब्ध कराए जा सकते हैं क्योंकि इनका अधिकाँश आधार गणित है !दूसरी बात संसाधनों के आभाव में इस पद्धति को उतनी सूक्ष्मता तक ले जा पाना मेरे द्वारा संभव नहीं हो पा  रहा है जहाँ तक पहुँच कर इसकी सच्चाई का अनुपात कुछ और अधिक बढ़ाया जा सकता है संभावित गलतियों को सुधारा जा सकता है !तथापि जितना संभव है मैं अपने स्तर पर करने का प्रयास कर रहा हूँ !
 उसी क्रम में अब अगस्त 2018 के मौसम संबंधी पूर्वानुमान आपकी सेवा में सादर समर्पित !                                                                                                                                    निवेदक -
  डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

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