Monday 30 July 2018

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परमादरणीय श्रीमान जी !
                          आपको सादर नमस्कार ! 
विषय -वैदिकविज्ञान के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित अनुसंधान के विषय में -

     महोदय,

     पर्यावरण प्रदूषण आँधी तूफान वर्षा बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने के वास्तविक कारणों को समझ पाने में आधुनिक विज्ञान अब तक असफल रहा है इनके कारणों को जाने बिना  इनका पूर्वानुमान लगा पाना संभव ही नहीं है यही कारण है 2016 में अत्यधिक आग लगने या गर्मी पड़ने एवं 2018 में अत्यधिक आँधी आने के कारणों के विषय में मौसम वैज्ञानिक कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं !आखिर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की आड़ में सच्चाई को कब तक और क्यों छिपाया जाए !  
         किसी क्षेत्रविशेष में आँधी या बादलों का गुबार उड़ता हुआ देखकर हवाओं की दिशा और गति के आधार पर किसी देश प्रदेश में आँधी आने  या पानी बरसने की भविष्यवाणी कर देना !या फिर पंजाब में पराली जलाने से वायु प्रदूषण को जोड़ देना,धरती के अंदर भरी गैसों को भूकंप के लिए जिम्मेदार बता देना ऐसी थोथी बातों में  न तो पूर्वानुमान है  न विज्ञान है और न ही इसमें कोई अनुसंधान ही है !इनका कोई आधार ही नहीं है ऐसे तो आँधी की हवाएँ और वर्षा के बादल तो कभी भी गति और दिशा बदल सकते हैं !इसी प्रकार से भूकंप आने का कारण यदि धरती के अंदर भरी गैसों को मान लिया जाए तो मनुष्यों के कम्पन के लिए क्या उनके पेट में भरी गैस को जिम्मेदार मान लिया जाना चाहिए !                
      पर्यावरण पर अभी तक जो भी शोध  हुए हों क्या उनके द्वारा ये पता लगाया जा सकता है कि देश के किस भाग में वहाँ की जलवायु में संतुलन बनाए रखने के लिए किस प्रजाति के कौन कितने पेड़ लगाए जाने चाहिए कितने तालाब खोदे जाने चाहिए ,नहरें निकाली जानी चाहिए या झीलें बनाई जानी चाहिए तथा किस स्थान पर ये सब काम नहीं करने चाहिए !इस अनुसंधान के बिना कहीं यदि तालाब ,झील ,नहर आदि बना दिए जाते हैं या अन्य प्रकार के भारी निर्माण कार्य कर दिए जाते हैं तो उसे उस स्थान की प्रकृति स्वीकार कर पाती है तो ठीक अन्यथा उसका दुष्प्रभाव प्राकृतिक आपदाओं के रूप में उस क्षेत्र को झेलना पड़ता है !1967 में कोयना महाराष्ट्र में झील बनाई गई उसके बाद से वहाँ भूकंप अधिक आने लगे ! इसका मतलब उस स्थान पर बनी झील को  वहाँ की प्रकृति नहीं स्वीकार कर पाई !ये भूकंप उसी का दुष्प्रभाव थे !ऐसे ही प्रकृति में जहाँ कहीं जो कुछ भी है वो बहुत व्यवस्थित है उसका अकारण वजन घटाने या बढ़ाने से वहाँ गरमी या ठंढक अधिक पैदा कर देने से वहाँ की प्रकृति असंतुलित होती है जिससे उस क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएँ घटित होती हैं !इसलिए किसी भी बड़े निर्माण कार्य के पहले वहाँ की प्राकृतिक स्वीकार्यता पर अनुसंधान होना चाहिए !
     वर्षा बाढ़ आँधी तूफान आदि समस्त प्राकृतिक आपदाओं के विषय में महीनों पहले पूर्वानुमान लगाने के लिए आवश्यक है कि वहाँ की  प्रकृति से संबंधित विभिन्न आयामों में दिखाई पड़ने वाले बदलावों एवं जीव जंतुओं के स्वभाव परिवर्तनों तथा समय विज्ञान के आधार पर अनुसंधान किया जाना चाहिए !उससे भावी प्राकृतिक आपदाओं के काफी सटीक पूर्वानुमान महीनों पहले प्राप्त किए जा सकते हैं !
     इसी वैदिक विज्ञान की प्रक्रिया से हम पिछले कई दशकों से पूर्वानुमान अनुसंधान  करते चले आ रहे हैं जो काफी सटीक होता है यदि सरकार इस अनुसंधान प्रक्रिया में रूचि ले और संसाधन उपलब्ध करवावे तो इसमें और अधिक सुधार किया जा सकता है और मैं सरकार के सक्षम मंच पर अपने प्रामाणिक आधारों अनुसंधानों पूर्वानुमानों को प्रस्तुत करने के लिए तैयार हूँ !अपने इस शोध कार्य के लिए हमें सहयोग की अपेक्षा है !   
     हमारे द्वारा  समय विज्ञान पद्धति से किए जाने वाले मौसम पूर्वानुमानों  कृपया देखें और  इनका भी अनुभव करें पीडीऍफ़ संलग्न है -

                                                                                                                            निवेदक -डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
    
      

Sunday 29 July 2018

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आदरणीय
                                                                                                 आपको सादर नमस्कार !
विषय --  मौसम पूर्वानुमान के विषय में -
                                  महोदय , 
        आपका बहुमूल्य समय लेने के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ फिर भी श्रीमान जी !देश और समाज के लिए अत्यंत आवश्यक विषयों पर सरकार के कुछ विभागों की उदासीनता से निराश होकर आपसे निवेदन करने जैसा एक मात्र विकल्प मेरे पास बचा था इसलिए मैंने बहुत मजबूरी में आपका बहुमूल्य समय लिया है !
       महोदय !वर्षा बाढ़ आँधी तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगा पाने में सरकारी मौसम विभाग अभी तक असफल रहा है !आकाश में उड़ते हुए बादलों की दिशा और गति के अनुशार वर्षा संबंधी भविष्यवाणी कर देता है सरकारी मौसम विभाग !वे बादल यदि उसी गति से उसी दिशा में उड़ते रहे और उस स्थानों पर जाकर बरसे तब तो ठीक किंतु यदि हवा का रुख बदल गया तो बादल उड़कर कहीं दूसरी जगह चले जाते हैं या हवा का रुख न भी बदला और वहाँ पहुँच कर भी बादल न बरसे तो उनका क्या बिगाड़ लेगा बेचारा सरकारी मौसम विभाग !
        इसीलिए सरकारी मौसम विभाग के वर्षा संबंधी तीर तुक्के केवल दो तीन दिन पहले के ही हो सकते हैं क्योंकि बादलों के दिखाई पड़ने एवं उड़ कर पहुँचने में लगभग इतना ही समय लगता है !इसके अलावा वर्षा बाढ़ आँधी तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए विज्ञान संबंधी कोई सटीक फार्मूला है ही नहीं और हो भी नहीं सकता है !इसीलिए इनके द्वारा गढ़े जाने वाले दीर्घावधि के मौसम संबंधी तीर तुक्के प्रायः गलत ही होते हैं जिसकी कीमत कुछ किसानों को प्राण देकर चुकानी पड़ती है !
      दो तीन दिन पहले के वर्षा संबंधी पूर्वानुमान यदि सच हो भी जाएँ तो जनता या किसानों के किस काम के !क्योंकि किसानों को महीनों पहले बनानी होती हैं मौसम विभाग के पास इतने पहले का पूर्वानुमान बता पाने के लिए कोई मजबूत आधार होता ही नहीं है जिनके आधार पर वे प्रमाणित रूप से कुछ कहने लायक हों !जो वो झूठ साँच कुछ बनाकर बोलते भी हैं किसान उस पर भरोसा करके अपनी फसल योजना बना लेते हैं वो अधिकाँश गलत होते हैं जो किसानों के जीवन पर बीतती हैं !आखिर किसानों की आत्महत्या की इतनी घटनाएँ पहले नहीं सुनी जाती थीं जब मौसम का पूर्वानुमान वैदिक विज्ञान के आधार पर लगाया जाता था !उसे गलत और अंध विश्वास बता दिया गया और आधुनिक मौसमविज्ञान जो थोपा गया है वो किसानों के किसी काम का नहीं है !
      वर्षा की संभावनाओं के अनुशार किसान फसलों का चयन करते हैं ऊँचे नीचे आदि किस खेत में कौन सी फसल बोनी चाहिए !या अग्रिम फसल कैसी होगी उसके अनुशार वे अनाज एवं पशुओं के चारे का संरक्षण करते हैं और बनाते हैं  कृषि संबंधी योजनाएँ !मौसम संबंधी अनुमान गलत होते ही किसानों की जानपर बन आती है !इसके विषय में सरकार को गंभीरता पूर्वक कुछ सोचना चाहिए !आखिर टैक्स लेते समय सरकार जनता की खून पसीने की कमाई उससे छीन कर मौसम और भूकंप जैसे निरर्थक विभागों के निराधार रिसर्चों पर खर्च कर देती है इस धन के बदले में सरकार जनता को उपलब्ध करवापाती है गलत सलत मौसम पूर्वानुमान !पाई पाई और पल पल के हिसाब देने का दंभ भरने वाली सरकारों से ऐसी आशा तो नहीं थी !
       जब आधुनिक मौसम विज्ञान नहीं था तब किसान पारम्परिक वैदिक वैज्ञानिक साधनों से मौसम का पूर्वानुमान लगा लिया करते  थे वो काफी सच घटित हुआ करते थे तब किसान भी खुश रहते थे !
     किंतु प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली जनधन की हानि सभी की तरह मैं भी बिचलित हूँ !मुझे भी लगता है कि आँधी तूफान बाढ़ आदि का पूर्वानुमान कैसे लगाया जाए एवं ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के दुष्प्रभाव को कम कैसे किया जाए !
            श्रीमान जी !पिछले जून जुलाई के महीने से सम्बंधित वर्षा एवं आँधी तूफान से संबंधित जो पूर्वानुमान मैंने भेजे हैं !उनका परीक्षण करने के लिए मेरे पास मीडिया के विविध माध्यमों से प्राप्त मौसम संबंधी समाचार एवं इंटरनेट पर उपलब्ध विविध अखवारों टीवीचैनलों से प्राप्त मौसम संबंधी समाचार या अखवारों से प्राप्त समाचारों के अलावा और कोई दूसरा निजी प्रमाणित विकल्प नहीं होता है ! यद्यपि उनसे से प्राप्त समाचारों का मैं संग्रह करता रहता हूँ अखवारों की कटिंग भी रख लेता हूँ जिसके आधार पर वर्षा और आँधी तूफान से संबंधित हमारे मौसम संबंधी पूर्वानुमानों के परिणाम उत्साह बर्धक लगते हैं किंतु उनकी प्रमाणिकता तो तभी होगी जब आपकी परीक्षण प्रक्रिया में भी वे मौसम संबंधी मानकों की कसौटी पर सही उतर सकें !इसलिए मैं आपसे फीडबैक के लिए पुनः निवेदन कर रहा हूँ ताकि उस मूल्यांकन के आधार पर प्राप्त अनुभवों का उपयोग मैं आगे के अनुसंधान में कर सकूँ अन्यथा अधिक समय बीत जाने पर उस पूर्व कृत सामग्री से मिलान कर पाना कम संभव हो पाता है !
     महोदय मेरा विनम्र निवेदन है कि इन पूर्वानुमानों में यदि आपको सच्चाई लगती है तो इनका एक बड़ा लाभ मौसम संबंधी दीर्घावधि के पूर्वानुमानों की दृष्टि से लिया जा सकता है ये महीनों वर्षों पहले उपलब्ध कराए जा सकते हैं क्योंकि इनका अधिकाँश आधार गणित है !दूसरी बात संसाधनों के आभाव में इस पद्धति को उतनी सूक्ष्मता तक ले जा पाना मेरे द्वारा संभव नहीं हो पा  रहा है जहाँ तक पहुँच कर इसकी सच्चाई का अनुपात कुछ और अधिक बढ़ाया जा सकता है संभावित गलतियों को सुधारा जा सकता है !तथापि जितना संभव है मैं अपने स्तर पर करने का प्रयास कर रहा हूँ !
 उसी क्रम में अब अगस्त 2018 के मौसम संबंधी पूर्वानुमान आपकी सेवा में सादर समर्पित !                                                                                                                                    निवेदक -
  डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

Saturday 28 July 2018

बिल्डिंगें गिरने के लिए सरकार और उसके दुलारे पिआरे घूसखोर अफसर जिम्मेदार !

ऐसे भ्रष्ट अफसरों पर कार्यवाही न करने के लिए सरकार जिम्मेदार !सरकार चोर बाजारी में हिस्सा खाना बंद करे !
         भ्रष्ट अफसरों पर कठोर कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है सरकार !अवैध एवं गैर क़ानूनी काम काज करने वाले या अवैध कब्जे करने वाले या अवैध निर्माण करने वाले दोषी हैं किंतु वे दोषी नहीं हैं क्या जिनकी जिम्मेदारी इन अवैध कार्यों को न होने देने की थी !यदि ये हुए हैं तो इसके लिए वे अफसर दोषी हैं उनके कार्यों को देखे बिना सरकार उन्हें सैलरी देती रही इसके लिए सरकार पूरी तरह दोषी है !उन्हें आज तक दी गई सैलरी वापस न लेने के लिए सरकार दोषी है!काम नहीं तो सैलरी किस बात की ?उन्हें नौकरी से न निकालने के लिए सरकार दोषी है काम नहीं करना है तो नौकरी क्यों ?अवैध काम करवाने के बदले ली गई घूस के द्वारा बनाई गई सम्पत्तियों के विरुद्ध जाँच न करने एवं उन्हें जप्त करके शक्त सन्देश न देने के लिए केवल सरकार दोषी है !सरकार कार्यवाही करने से डरती क्यों है क्या उन भ्रष्ट अधिकारियों की कमाई से हिस्सा लेती है इसलिए उन पर कार्यवाही करने से सरकार की  अपनी पोल खुलने का भय है क्या ?
   इसलिए ऐसी भ्रष्ट सरकारों के विरुद्ध मतदान करके जनता इन्हें कठोर दंड दे !


Sunday 22 July 2018

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                                                                                                                  डॉ .शेषनारायण वाजपेयी
                                                                                                   ज्योतिषाचार्य,व्याकरणाचार्य,         
                                                                                            एम. ए. हिंदी,पी.जी.डी.पत्रकारिता
                                                                                                                    Ph.D. हिंदी(ज्योतिष) B.H.U 
श्रीमान जी  सादर नमस्कार ! 
                      विषय -                  मौसम पूर्वानुमान के विषय में -
       महोदय,        
      मैं वेदों में वर्णित 'समयविज्ञान' के आधार पर वर्षा बाढ़ ,आँधी-तूफान एवं भूकंप आदि प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान के लिए अनुसंधानकार्य पिछले कुछ दशकों से करता चला आ रहा हूँ !जिसमें काफी विश्वसनीय सफलता मिल रही है !
     समयविज्ञान पद्धति में सूर्य और चंद्र की गति युति आदि संचार का अध्ययन ग्रहगणित के आधार पर करके उसी के द्वारा मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाया जाता है जो काफी अधिक सटीक घटित होते हैं !इस माध्यम से दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमान भी लगाए जाते  हैं वे भी सही होते देखे जा रहे हैं !
      महोदय, इस विषय पर और अधिक अनुसंधान की आवश्यकता है !जो सीमित ससाधनों से किसी एक व्यक्ति के द्वारा किया जाना संभव नहीं है !
        अतएव  इस विषय में आपसे सहयोग की अपेक्षा है !       
                                                                                            निवेदक -
                                                                                 डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
                                                                          फ्लैट नं 2 ,A-7 /41,कृष्णानगर,दिल्ली -51
                                                                                        मो.9811226973 /83
                                                                            Gmail -vajpayeesn @gmail.com

Monday 2 July 2018

अनुवाद


भविष्यवाणी के अनुवाद
संज्ञा

prophecy
भविष्यवाणी

augury
भविष्यवाणी, शकुन


prediction
भविष्यवाणी, पूर्वकथन, पूर्व-सूचना

bodment
शकुन, भविष्यवाणी

crystal gazing
भविष्यवाणी, भविष्य-फल

predication
भविष्यवाणी

prognostication
भविष्यवाणी, भविष्य-कथन

sortilege
रमल विद्या, भविष्यवाणी