कालेधन को सफेद करने वाले अपनी बैंकों के कुछ कुकर्मचारियों के भ्रष्ट चेहरे सरकार भी देखे !बैंकों के आगे लगने वाली लंबी लंबी लाइनों का सच क्या था लाइनें आगे क्यों नहीं बढ़ती थीं इसकी सच्चाई भी सरकार को मिलेगी उसी वीडियो में !
नेताओं के कालेधन को भी निकालने की हिम्मत क्या कर पाएगी सरकार !सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की भी संपत्तियों की जाँच क्यों न करवाई जाए !जितनी संपत्ति उनके पास आज है वो उनको मिलने वाली सैलरी से बनाई जा सकती थी क्या ?
जनता को टैक्स तो देना चाहिए किंतु उस टैक्स के पैसे का सदुपयोग भी तो दिखना चाहिए !सुना जाता है कि संसद चलाने में भारी खर्च होता है किंतु सार्थक चर्चा कम और निरर्थक हुल्लड़ ज्यादा मचाया जाता है ऐसे हुल्लड़ मचाने वालों पर खर्च करने के लिए जनता क्यों दे टैक्स !इसी प्रकार से भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों की भारी भरकम सैलरी जनता के टैक्स के पैसे से क्यों दी जाए !सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से काम लेना सरकार को आता नहीं है या सरकारों में बैठे लोगों को काम की जरूरत नहीं पड़ती है और वो अधिकारी कर्मचारी जनता की बात न सुनते हैं न ध्यान देते हैं ऐसे लोगों की सैलरी जनता के टैक्स के पैसों से क्यों दी जाए जो जनता को कुछ समझते ही नहीं हैं !
नेताओं के कालेधन को भी निकालने की हिम्मत क्या कर पाएगी सरकार !सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की भी संपत्तियों की जाँच क्यों न करवाई जाए !जितनी संपत्ति उनके पास आज है वो उनको मिलने वाली सैलरी से बनाई जा सकती थी क्या ?
जनता को टैक्स तो देना चाहिए किंतु उस टैक्स के पैसे का सदुपयोग भी तो दिखना चाहिए !सुना जाता है कि संसद चलाने में भारी खर्च होता है किंतु सार्थक चर्चा कम और निरर्थक हुल्लड़ ज्यादा मचाया जाता है ऐसे हुल्लड़ मचाने वालों पर खर्च करने के लिए जनता क्यों दे टैक्स !इसी प्रकार से भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों की भारी भरकम सैलरी जनता के टैक्स के पैसे से क्यों दी जाए !सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से काम लेना सरकार को आता नहीं है या सरकारों में बैठे लोगों को काम की जरूरत नहीं पड़ती है और वो अधिकारी कर्मचारी जनता की बात न सुनते हैं न ध्यान देते हैं ऐसे लोगों की सैलरी जनता के टैक्स के पैसों से क्यों दी जाए जो जनता को कुछ समझते ही नहीं हैं !
हे PM साहब ! जनता को टैक्स देना ही चाहिए और कठोरता पूर्वक वसूला भी जाना चाहिए उन्हें टैक्सचोर पापी आदि सब कुछ कहा भी जाना चाहिए काले धन के नाम पर उन्हें जितना बेइज्जत किया जा सकता हो किया जाना चाहिए !किंतु जनता के द्वारा टैक्स रूप में दिए गए पैसों का सदुपयोग करना सरकार का कर्तव्य है या नहीं यदि हाँ तो क्या कर पा रही है सरकार !
संसद की कार्यवाही पर प्रतिदिन खर्च होने वाला भारी भरकम अमाउंट जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई का होता है जिसे नेता लोग संसद में हुल्लड़ मचा कर उड़ा देते हैं घंटों कार्यवाही बाधित रहती है क्यों ?कई कई दिन बीत जाते हैं ऐसे क्यों !
संसद चर्चा का मंच है चर्चा करने सुनने वालों की शिक्षा और बौद्धिक स्तर चर्चा करने और समझने लायक होना चाहिए किंतु जो सदस्य अल्प शिक्षित हैं उनका संसद में क्या काम वो सोवें तो शिकायत बाहर जाकर समय पास करें तो शिकायत और मोबाईल पर पिच्चर देखें तो शिकायत और हुल्लड़ करें तब तो शिकायत है ही !वो तो अपने पार्टी मालिकों का इशारा पाते ही हुल्लड़ मचाने लगते हैं उन्हें न संसद से कुछ लेना देना होता है न संसद की मर्यादाओं से वो तो बड़ी बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों की तरह अपनी पार्टी के मालिकों को ही सब कुछ समझते हैं देश समाज एवं जनता के लिए उनकी कोई निजी सोच ही नहीं होती है फिर भी सरकार उनकी सुख सुविधाओं सैलरी आदि पर जनता से टैक्स रूप में प्राप्त धन खर्च करती है क्यों ?
देशवासियों की आखों के सामने ही टैक्स का दुरूपयोग जब साफ साफ दिखाई पड़ रहा हो तो जनता टैक्स क्यों दे ?उच्च शिक्षा ,संसदीय योग्यता चरित्र एवं सुसंस्कारों के आधार पर प्रत्याशियों का चयन यदि किया जाता होता तो न इतना हुल्लड़ होता न उट पटाँग भाषा बोली जाती और सम्मान्य सदस्यों के वैचारिक आदान प्रदान का उच्चस्तरीय स्तर भी भारतीय संसद को दुनियाँ में गौरवान्वित कर रहा होता !राजनैतिक दलों में उच्च शिक्षा ,सदाचरण एवं संसादीय गुणवत्ता की अनिवार्यता क्यों न की जाए !
दूसरा जनता के टैक्स का पैसा सरकार उन सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी सुविधाओं आदि पर खर्च करती है जिन पर काम की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है फिर भी सैलरी भारी भारी होती हैं ऊपर से सरकार समय समय पर बढ़ाए जा रही होती है क्यों ?सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण पिछले कुछ दसकों से सरकारी नौकरियाँ पाने के लिए लोग सोर्स और घूस के बल पर घुस जाते रहे हैं नौकरियों में उन अयोग्य लोगों को योग पदों पर बैठा देने के दुष्परिणाम जनता भोग रही है वे या करते नहीं हैं या कर नहीं पाते हैं या घूस लेकर करते हैं !सरकारी स्कूल अस्पताल डाक एवं दूर संचार व्यवस्था आदि तो लापरवाही के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं इनकी कार्यशैली जनता का हृदय नहीं जीत सकी । शिक्षक,चिकित्सक,डाककर्मी या टेलीफोन विभाग से जुड़े लोगों की प्राइवेट वालों से कई कई गुना अधिक सैलरी और उनसे कमजोर काम !जबकि उनसे कम सैलरी पर रखे गए लोगों ने प्राइवेट स्कूलों अस्पतालों कोरियरों मोबाइल कंपनियों के माध्यम से जनता का विश्वास जीत रखा है !तभी तो देशवासी सरकारी की अपेक्षा प्राइवेट सेवाओं पर ज्यादा भरोसा करते हैं । जबकि प्राइवेट वालों की सैलरी इतनी कम होती है कि सरकारी एक कर्मचारी की सैलरी में प्राइवेट दो तीन चार लोग आसानी से निपटाए जा सकते हैं !वो लोग अलभ्य नहीं हैं फिर भी सरकार उन सस्ते लोगों को न रखकर महँगे लोग रखती है क्यों ?उनकी सैलरी बढ़ाती रहती है क्यों ? इसे टैक्स से प्राप्त पैसे का सदुपयोग कैसे मान लिया जाए ! सरकार के कई विभागों में तो कुछ लोग बिनाघूस लिए एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाते हैं उनसे समय पर काम कराने के लिए व्यापारियों को रखना पड़ता है कालाधन !
प्रधानमन्त्री जी ! अधिक नहीं आप केवल 8-30 नवंबर के बीच के किसी भी बैंक के अंदर के वीडियो देख लीजिए !PM साहब !सब कुछ पता चल जाएगा आपको कि नोटबंदी में लाइनें इतनी लंबी क्यों हुईं और सरकारी इंतजामों की भद्द क्यों और किसने पिटवाई !महोदय ! भ्रष्टाचार का जन्म ही सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों की कोख से हुआ है ! सोर्स और घूस देकर जिन्हें नौकरियाँ मिली हों उनसे योग्यता और आदर्श आचरणों की अपेक्षा भी कैसे की जाए !ऐसे लोगों को जब नौकरियाँ मिली थीं तब उनके पास कुछ ख़ास नहीं था किंतु आज कई के पास तो करोड़ों अरबों का अम्बार लगा है कई कई मकान हैं उनकी संपत्तियों का उनकी सैलरी या घोषित आय स्रोतों से कहीं कोई मेल नहीं खाता !क्या ऐसे भ्रष्ट और अयोग्य अपने कर्मचारियों की संपत्तियों की जाँच भी करेगी सरकार !
संसद की कार्यवाही पर प्रतिदिन खर्च होने वाला भारी भरकम अमाउंट जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई का होता है जिसे नेता लोग संसद में हुल्लड़ मचा कर उड़ा देते हैं घंटों कार्यवाही बाधित रहती है क्यों ?कई कई दिन बीत जाते हैं ऐसे क्यों !
संसद चर्चा का मंच है चर्चा करने सुनने वालों की शिक्षा और बौद्धिक स्तर चर्चा करने और समझने लायक होना चाहिए किंतु जो सदस्य अल्प शिक्षित हैं उनका संसद में क्या काम वो सोवें तो शिकायत बाहर जाकर समय पास करें तो शिकायत और मोबाईल पर पिच्चर देखें तो शिकायत और हुल्लड़ करें तब तो शिकायत है ही !वो तो अपने पार्टी मालिकों का इशारा पाते ही हुल्लड़ मचाने लगते हैं उन्हें न संसद से कुछ लेना देना होता है न संसद की मर्यादाओं से वो तो बड़ी बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों की तरह अपनी पार्टी के मालिकों को ही सब कुछ समझते हैं देश समाज एवं जनता के लिए उनकी कोई निजी सोच ही नहीं होती है फिर भी सरकार उनकी सुख सुविधाओं सैलरी आदि पर जनता से टैक्स रूप में प्राप्त धन खर्च करती है क्यों ?
देशवासियों की आखों के सामने ही टैक्स का दुरूपयोग जब साफ साफ दिखाई पड़ रहा हो तो जनता टैक्स क्यों दे ?उच्च शिक्षा ,संसदीय योग्यता चरित्र एवं सुसंस्कारों के आधार पर प्रत्याशियों का चयन यदि किया जाता होता तो न इतना हुल्लड़ होता न उट पटाँग भाषा बोली जाती और सम्मान्य सदस्यों के वैचारिक आदान प्रदान का उच्चस्तरीय स्तर भी भारतीय संसद को दुनियाँ में गौरवान्वित कर रहा होता !राजनैतिक दलों में उच्च शिक्षा ,सदाचरण एवं संसादीय गुणवत्ता की अनिवार्यता क्यों न की जाए !
दूसरा जनता के टैक्स का पैसा सरकार उन सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी सुविधाओं आदि पर खर्च करती है जिन पर काम की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है फिर भी सैलरी भारी भारी होती हैं ऊपर से सरकार समय समय पर बढ़ाए जा रही होती है क्यों ?सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण पिछले कुछ दसकों से सरकारी नौकरियाँ पाने के लिए लोग सोर्स और घूस के बल पर घुस जाते रहे हैं नौकरियों में उन अयोग्य लोगों को योग पदों पर बैठा देने के दुष्परिणाम जनता भोग रही है वे या करते नहीं हैं या कर नहीं पाते हैं या घूस लेकर करते हैं !सरकारी स्कूल अस्पताल डाक एवं दूर संचार व्यवस्था आदि तो लापरवाही के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं इनकी कार्यशैली जनता का हृदय नहीं जीत सकी । शिक्षक,चिकित्सक,डाककर्मी या टेलीफोन विभाग से जुड़े लोगों की प्राइवेट वालों से कई कई गुना अधिक सैलरी और उनसे कमजोर काम !जबकि उनसे कम सैलरी पर रखे गए लोगों ने प्राइवेट स्कूलों अस्पतालों कोरियरों मोबाइल कंपनियों के माध्यम से जनता का विश्वास जीत रखा है !तभी तो देशवासी सरकारी की अपेक्षा प्राइवेट सेवाओं पर ज्यादा भरोसा करते हैं । जबकि प्राइवेट वालों की सैलरी इतनी कम होती है कि सरकारी एक कर्मचारी की सैलरी में प्राइवेट दो तीन चार लोग आसानी से निपटाए जा सकते हैं !वो लोग अलभ्य नहीं हैं फिर भी सरकार उन सस्ते लोगों को न रखकर महँगे लोग रखती है क्यों ?उनकी सैलरी बढ़ाती रहती है क्यों ? इसे टैक्स से प्राप्त पैसे का सदुपयोग कैसे मान लिया जाए ! सरकार के कई विभागों में तो कुछ लोग बिनाघूस लिए एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाते हैं उनसे समय पर काम कराने के लिए व्यापारियों को रखना पड़ता है कालाधन !
प्रधानमन्त्री जी ! अधिक नहीं आप केवल 8-30 नवंबर के बीच के किसी भी बैंक के अंदर के वीडियो देख लीजिए !PM साहब !सब कुछ पता चल जाएगा आपको कि नोटबंदी में लाइनें इतनी लंबी क्यों हुईं और सरकारी इंतजामों की भद्द क्यों और किसने पिटवाई !महोदय ! भ्रष्टाचार का जन्म ही सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों की कोख से हुआ है ! सोर्स और घूस देकर जिन्हें नौकरियाँ मिली हों उनसे योग्यता और आदर्श आचरणों की अपेक्षा भी कैसे की जाए !ऐसे लोगों को जब नौकरियाँ मिली थीं तब उनके पास कुछ ख़ास नहीं था किंतु आज कई के पास तो करोड़ों अरबों का अम्बार लगा है कई कई मकान हैं उनकी संपत्तियों का उनकी सैलरी या घोषित आय स्रोतों से कहीं कोई मेल नहीं खाता !क्या ऐसे भ्रष्ट और अयोग्य अपने कर्मचारियों की संपत्तियों की जाँच भी करेगी सरकार !
जो नेता जब से पहला चुनाव जीता था तब उसके पास कितनी संपत्ति थी और आज कितनी है ! जाँच के दायरे में चल अचल सारी संपत्तियाँ लाई जाएँ !और इस बीच के उनके आय स्रोतों की भी जाँच हो !अक्सर नेता लोग सामान्य परिवारों से आते हैं चुनाव जीतते ही बिना कुछ किए धरे ही सारे राज सुख भोगते भोगते करोड़ों अरबों पति बन जाते हैं दो चार मकान तो निगमपार्षदों के कब और कैसे बन जाते हैं उन्हें पता ही नहीं लगता !राजनीति शुरू करते समय प्रायः नेताओं के पास व्यापार करने के लिए न पैसा होता है और न समय फिर भी करोड़ों अरबों की कमाई कर लेते हैं आखिर कैसे ?वो भी ईमानदारी पूर्वक !ऐसा कैसे संभव हो पाता है जाँच इसकी भी हो और जनता के सामने लाई जाए सच्चाई !
सरकारी जमीनों पर कब्जा करवाने वाले यही सरकारी अधिकारी और कर्मचारी होते हैं कुछ तो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं कुछ घूस लेकर शांत हो जाते हैं उनकी आँखों के सामने सरकारी जमीनों पर बनाकर खड़ी कर दी जाती हैं बिल्डिंगें !ऐसे अवैध कब्जों के लिए सरकार उन्हें जिम्मेदार मानकर उन पर कार्यवाही क्यों नहीं करती है ! ऐसे सभी प्रकार के अपराध जिन अधिकारियों कर्मचारियों के तत्वावधान में घटित होते हैं उन्हें ही जिम्मेदार मानकर की जानी चाहिए कार्यवाही ।