Thursday, 13 October 2016

"जयश्रीराम" नहीं तो क्या 'जयश्रीरोम' बोला जाए? 'श्रीराम' का नाम तो राक्षस भी लेते थे तुम उनसे भी ज्यादा .....!

    मोदी जी की धमनियों में ऋषियों का खून है इसीलिए उन्हें "जय श्री राम" कहने और गंगा नहाने में मजा आता है!
      'भारत' 'अजनाभवर्ष'और 'आर्यावर्त'श्री राम के ही बंशजों के नाम थे इसलिए यह ये देश श्री राम की बपौती है श्री राम ही शासक और स्वामी हैं "जय श्री राम" यहाँ का राष्ट्रीय उद्घोष है ! अरे कुंभ मेले में जाकर गंगा जी में  पैर धोकर लौट आने वाले नेताओ ! इस समय नरेन्द्र मोदी जी राष्ट्रसेवक हैं जिन्हें गंगा जी में नहाने शर्म नहीं आती क्योंकि उनकी धमनियों में ऋषियों का खून है इसीलिए उन्हें "जय श्री राम" कहने में मजा आता है अपने पूर्वजों का नाम लेने पर ख़ुशी  किसे नहीं होती है !
      श्री राम इस देश के पूर्वज हैं हमें ये सच्चाई क्यों नहीं स्वीकार कर लेनी चाहिए अन्यथा इसे झुठलाने वाले प्रमाण दिए जाएँ खुली बहस की खुली चुनौती !भारत कैसे श्री राम का है ये मैं सिद्ध करूँगा और कैसे श्री राम का नहीं है ये वो सिद्ध करें जिन्हें "जय श्री राम " और श्री राम मंदिर की चर्चा सुनते ही चुन्ने काटने लगते हैं !
     जिसे "जय श्री राम" सुनने से एतराज हो ऐसे लोग रहते क्यों हैं श्री राम के देश में  !आखिर वे बतावें न कि इस देश का नाम 'भारत' कैसे पड़ा इसे 'अजनाभवर्ष'और 'आर्यावर्त' क्यों कहा जाता था  भारत का नाम जब जब जिन जिन के नामों पर रखा गया  वो किसके पूर्वज थे ? यहाँ तो कण कण में बसे हैं श्री राम और बच्चे की जबान पर है रामायण !करोड़ों लोगों के बच्चों के नाम श्री राम या राम के पर्यायवाची शब्दों से रखे  गए हैं वो भी छोड़ दें क्या ?
      " जय श्री राम" और  श्री राम मंदिर बनाने की चर्चा सुनते ही पागल हो उठते हैं कुछ नेता लोग ! उन्होंने  राजनीति में रहकर ईमानदारी के ऐसे मानक क्यों नहीं स्थापित किए कि जनता मंदिर मस्जिद से अलग हटकर उनके अच्छे कर्मों पर उन्हें वोट दे !
     हे आधुनिक भारत के भूतपूर्व शासको !तुमने इस देश को लूटा न होता तो आज तुम्हारी तरह ही देश के गरीबों के दरवाजों पर भी गाड़ियाँ खड़ी होतीं !आप जब राजनीति में आए थे तब कितने पैसे थे आपके पास और आज ये अकूत संपत्ति आई कहाँ से कौन सा रोजी रोजगार कर लिया तुमने !जनता के हकों को हड़पते रहे तुम !अपना इलाज विदेशों में करवाते रहे और भारतीयों  को छोड़ देते रहे मरने को !सरकारों की वागडोर देश ने सबसे ज्यादा दिनों तक तुम्हें सौंपी है जैसा चाहते वैसा हॉस्पिटल यहीं बनवा लेते करवाते स्वदेश में इलाज !तुम्हारे नेता इलाज कराने नहीं अपितु थुकाने जाते थे विदेशों में ! 
      तुम्हारे नेता जब कुंभ में जाते थे तो गंगा जी में पैर धोकर चले आते थे  उन्हें शर्म आती थी गंगा नहाने में कहीं धर्म न बदल जाए किंतु दूसरे धर्मों की टोपी पहनने में तुम्हें कभी शर्म नहीं लगी उनकी पार्टियों में टोपी न पहनते तो पूड़ी क्या पेट की जगह पीठ में चली जातीं क्या ?तुम्हारा लक्ष्य हमेंशा से हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति को अपमानित करना रहा है । 
        तुम हिंदुओं की जाति  व्यवस्था का तो विरोध करते रहे किंतु आरक्षण मनुस्मृति के आधार पर ही देते रहे आर्थिक आधार पर क्यों नहीं दिया आरक्षण जातियों की जरूरत ही क्यों पड़ती जब कोई  नाम ही न लेता तो धीरे धीरे स्वतः मिट जातीं जातियाँ किंतु तुम्हारा लक्ष्य जातियाँ मिटाना नहीं अपितु हिंदुओं में लड़ाई करवाकर सत्ता भोगना था !
        दलितों की देवी होने का गुरूर पाले बैठी एक जातिबली पूर्व मुख्यमंत्री जिसे विगत लोक सभा चुनावों में देशवासियों ने ऐसे धोया कि संसद में हाजिरी लगवाने लायक भी नहीं रहीं !लानत है ऐसी राजनैतिक पार्टी को जिसकी ये दुर्दशा हुई हो कर्म ही ऐसे थे !जब मुख्यमंत्री बनीं तब गरीबों के पेट की रोटियों के पैसे थे हाथी बनवाती रहीं अपनी और अपने आकाओं की मूर्तियां बनवाती रहीं !देश के गरीबों की खून पसीने की कमाई का ऐसा दुरुपयोग !धिक्कार है ऐसे शासकों को !अपने को दलितों का मसीहा कहते शर्म नहीं लगती उधर गरीबों के घर चूल्हे जलाने के लाले पड़े थे इधर हाथी बनाए जा रहे थे और हाथियों के बहाने लूटा जा रहा था गरीबों का हक़ !
         इसीप्रकार से जो खानदान केवल अपने को उत्तर प्रदेश का मालिक सिद्ध करने पर आमादा हो अपने गाँव को उत्तर प्रदेश की राजधानी सिद्ध करने के लिए बड़े बड़े महँगे लोगों को हर साल अपने गाँव में लेकर नाचाता हो  उसमें प्रदेश के पैसे और प्रशासन की कितनी बर्बादी होती है है किसी को होश !आखिर केवल अपने गाँव को तीर्थ और केवल अपने खानदान और जाति के लोगों को ही देवता सिद्ध करने के लिए क्यों बर्बाद की जा रही हैं प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई !अपने गाँव और जाति  वालों से ही माँग लो वोट !
    जिसे राम शब्द से वोटों के ध्रुवीकरण की इतनी ही बड़ी आशंका हो उन्हें चाहिए कि वे जय श्री राम" और  श्री राम मंदिर बनाने की बातें खुद करने लगें श्रीरामभक्त उनका समर्थन करने लगेंगे !अरे मायावियो ! "जय श्री राम"से दुर्गंध क्यों आने लगती   है ?     
भारत नाम, एक प्राचीन हिन्दू सम्राट भरत जो कि मनु के वंशज ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र थे तथा जिनकी कथा श्रीमद्भागवत महापुराण में है, के नाम से लिया गया है। भारत (भा + रत) शब्द का मतलब है आन्तरिक प्रकाश । इसके अतिरिक्त भारतवर्ष को वैदिक काल से आर्यावर्त "जम्बूद्वीप" और "अजनाभदेश" के नाम से भी जाना जाता रहा है।

  भारत को एक सनातन राष्ट्र माना जाता है क्योंकि यह मानव-सभ्यता का पहला राष्ट्र था। श्रीमद्भागवत के पञ्चम स्कन्ध में भारत राष्ट्र की स्थापना का वर्णन आता है। भारतीय दर्शन के अनुसार सृष्टि उत्पत्ति के पश्चात ब्रह्मा के मानस पुत्र स्वयंभू मनु ने व्यवस्था सम्भाली। इनके दो पुत्र, प्रियव्रत और उत्तानपाद थे। उत्तानपाद भक्त ध्रुव के पिता थे। इन्हीं प्रियव्रत के दस पुत्र थे। तीन पुत्र बाल्यकाल से ही विरक्त थे। इस कारण प्रियव्रत ने पृथ्वी को सात भागों में विभक्त कर एक-एक भाग प्रत्येक पुत्र को सौंप दिया। इन्हीं में से एक थे आग्नीध्र जिन्हें जम्बूद्वीप का शासन कार्य सौंपा गया। वृद्धावस्था में आग्नीध्र ने अपने नौ पुत्रों को जम्बूद्वीप के विभिन्न नौ स्थानों का शासन दायित्व सौंपा। इन नौ पुत्रों में सबसे बड़े थे नाभि जिन्हें हिमवर्ष का भू-भाग मिला। इन्होंने हिमवर्ष को स्वयं के नाम अजनाभ से जोड़ कर अजनाभवर्ष प्रचारित किया। यह हिमवर्ष या अजनाभवर्ष ही प्राचीन भारत देश था। राजा नाभि के पुत्र थे ऋषभ। ऋषभदेव के सौ पुत्रों में भरत ज्येष्ठ एवं सबसे गुणवान थे। ऋषभदेव ने वानप्रस्थ लेने पर उन्हें राजपाट सौंप दिया। पहले भारतवर्ष का नाम ॠषभदेव के पिता नाभिराज के नाम पर अजनाभवर्ष प्रसिद्ध था। भरत के नाम से ही लोग अजनाभखण्ड को भारतवर्ष कहने लगे बहुत पहले यह देश 'सोने की चिड़िया' के रूप में जाना जाता था।

     इस प्रकार भारत नामअपनी पवित्र संस्कृति एवं इतिहास की याद दिलाता है जबकि इंडिया नाम से हमारा  कोई सांस्कृतिक  एवं ऐतिहासिक सम्बन्ध  नहीं सिद्ध होता है ।

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