हे नेता जी !आप यदि डरपोक न होते तो अपने जीते जी ढाँचा टूटने नहीं देते क्योंकि आपने ढाँचे की सुरक्षा का बचन दिया था देश ने आपकी बातों पर भरोसा किया बचनों के पालन के लिए चरित्रवान महापुरुष लोग प्राण भी देते देखे गए हैं किंतु वो अपेक्षा आपसे कैसे की जा सकती है !आपको तो अपने बचनों के पालन की इतनी भी परवाह नहीं रही कि यदि ढाँचा टूटने से नहीं रोक सके तो जब आपकी सरकार बनी थी तब दोबारा बनवा देते कम से कम इसी रूप में लोग आपको याद करते कि अपने बचन के पालन के लिए आपने कुछ तो किया ! आखिर बाबरी ढाँचा बचाने के लिए कितने बलिदान दिए थे आपने !
हे बाबरी ढाँचे की सुरक्षा करते दिखने के लिए कार सेवकों को मरवा डालने वाले नेता जी ! ढाँचे की सुरक्षा का मुस्लिमों को आपने जो बचन दिया था उसके लिए क्या किया आपने !हे लोहिया जी के आदर्शों की भद्द पिटवाने वाले महापुरुष !बाबरी ढाँचा टूटते समय आप थे कहाँ !आपको बुरा क्यों नहीं लगा ! आपको अपने बचन की परवाह क्यों नहीं हुई !कैसे पहलवान थे आप !मुसलमान बंधु आपकी प्रतीक्षा करते रहे आप मुख छिपाए कहाँ बैठे रहे !आखिर क्या किया ढाँचा गिरने से रोकने के लिए कितने लोगों की शहादत दी आपने !लानत है आपकी ढाँचा भक्ति को !ढाँचा तोड़ा जाता रहा और तुम जीवित बने रहे !दोष भाजपा और हिंदू संगठनों को देते हो !ढाँचा तोड़े जाने में आपकी क्या भूमिका थी अपनी तो बताइए !
हे सिद्धांतवादियों के स्वयंभू आका !बचन पालन करने के लिए सत्ता में रहना जरूरी नहीं होता बचन का संबंध तो प्राणों से होता है बचन तो प्राण देकर भी पालन करने पड़ते हैं !आजादी की लड़ाई लड़ने वाले लोगों ने अपने बचनों और संकल्पों के लिए सत्ता का सहारा नहीं लिया था सीधे अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी !
उसी बाबरी ढाँचे से आपकी राजनीति चमकी अन्यथा कौन जनता था आपको !तब से सभी चुनावों के पहले मुस्लिमों को मूर्ख बनाने की कोशिश आप हर बार करते हैं बाबरी ढाँचे की बात छेड़कर किंतु अब तो मुस्लिम बंधु भी समझने लगे हैं कि ढाँचा किसने तोड़ा था यदि ऐसा न होता तो विगत लोक सभा चुनावों में मुस्लिम बंधुओं ने भाजपा का साथ देकर क्यों बनवाई होती इतने भारी बहुमत से मोदी सरकार !कुल मिलाकर नेता जी जनता को बहुत अधिक दिन तक मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है ।
हे बाबरी ढाँचे की सुरक्षा करते दिखने के लिए कार सेवकों को मरवा डालने वाले नेता जी ! ढाँचे की सुरक्षा का मुस्लिमों को आपने जो बचन दिया था उसके लिए क्या किया आपने !हे लोहिया जी के आदर्शों की भद्द पिटवाने वाले महापुरुष !बाबरी ढाँचा टूटते समय आप थे कहाँ !आपको बुरा क्यों नहीं लगा ! आपको अपने बचन की परवाह क्यों नहीं हुई !कैसे पहलवान थे आप !मुसलमान बंधु आपकी प्रतीक्षा करते रहे आप मुख छिपाए कहाँ बैठे रहे !आखिर क्या किया ढाँचा गिरने से रोकने के लिए कितने लोगों की शहादत दी आपने !लानत है आपकी ढाँचा भक्ति को !ढाँचा तोड़ा जाता रहा और तुम जीवित बने रहे !दोष भाजपा और हिंदू संगठनों को देते हो !ढाँचा तोड़े जाने में आपकी क्या भूमिका थी अपनी तो बताइए !
हे सिद्धांतवादियों के स्वयंभू आका !बचन पालन करने के लिए सत्ता में रहना जरूरी नहीं होता बचन का संबंध तो प्राणों से होता है बचन तो प्राण देकर भी पालन करने पड़ते हैं !आजादी की लड़ाई लड़ने वाले लोगों ने अपने बचनों और संकल्पों के लिए सत्ता का सहारा नहीं लिया था सीधे अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी !
ऐ सपा प्रमुख ! यदि तुम कायर न होते और वास्तव में वीर होते सत्ता में
न रहने पर भी बहादुरी दिखाते और रामभक्तों के द्वारा ढाँचा तोड़े जाते समय
कर सामना करते ढाँचा बचता न बचता किंतु ढाँचा बचाने के लिए अपनी शाहदत तो
दे सकते थे !ढाँचा भक्त समाज आज तुम्हें देवताओं की तरह पूज रहा होता
!तुमने ढाँचे की सुरक्षा का बचन दिया था फिर ढाँचे का टूटना तुमने सहा
कैसे !तुम्हारी आत्मा ने तुम्हें धिक्कारा क्यों नहीं !अनेकों महापुरुषों ने अपने बचन का पालन
करने के लिए प्राण छोड़ दिए किंतु बचन नहीं छोड़ा !पुराने लोग कहा करते थे
कि जिसकी बात का करार नहीं उसके बाप का करार क्या !
हे बाबरी ढाँचा भक्त नेता जी !उत्तर प्रदेश में आपकी सरकार है !यदि आप वास्तव में बाबरी ढाँचा तोड़वाना नहीं चाहते थे और उसके तोड़े जाने में आपका समर्थन नहीं है तो जैसे भाजपा की सरकार आई और बाबरी ढाँचा तोड़ दिया गया वैसे ही जब आपकी सरकार आयी थी तो आप दोबारा ढाँचा बनवा देते !क्यों नहीं बनवाया आपने !इसका सीधा सा मतलब है कि बाबरी ढाँचा आप ही तोड़वाना चाहते थे आपके कार्यकर्ताओं ने ही तोड़ा है अन्यथा यदि कारसेवकों को तोड़ना होता तो बहुत पहले तोड़ देते मुकदमा तो पहले से चल ही रहा था कारसेवक तो न्यायालय के आदेश का सम्मान करना चाह रहे थे किंतु बाबरी ढाँचे को राजनीति का मुद्दा बनाने के लिए आपसे और आपके कार्यकर्ताओं से देखा नहीं गया वो बाबरी ढाँचा !उसी उतावलेपन में आपने निहत्थे कार सेवकों पर चलवाई थीं गोलियाँ !उसी बाबरी ढाँचे से आपकी राजनीति चमकी अन्यथा कौन जनता था आपको !तब से सभी चुनावों के पहले मुस्लिमों को मूर्ख बनाने की कोशिश आप हर बार करते हैं बाबरी ढाँचे की बात छेड़कर किंतु अब तो मुस्लिम बंधु भी समझने लगे हैं कि ढाँचा किसने तोड़ा था यदि ऐसा न होता तो विगत लोक सभा चुनावों में मुस्लिम बंधुओं ने भाजपा का साथ देकर क्यों बनवाई होती इतने भारी बहुमत से मोदी सरकार !कुल मिलाकर नेता जी जनता को बहुत अधिक दिन तक मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है ।
हे पहलवान जी !सत्ता के मद में गोलियाँ न चलवाते कारसेवकों को विश्वास में लेने का प्रयास भी तो किया जा सकता था !अन्यथा आतंकवादियों और शासकों में क्या अंतर रहा जाएगा !किसी भी शासक को अपनी औकात याद रखनी चाहिए कि वो जन सेवक होता है इससे अधिक कुछ नहीं व्यवस्था बनाना शासक का धर्म होता है !सपा में थोड़ी भी शर्म हो तो कर सेवकों पर गोली चलवाने जैसे जघन्य पाप के लिए माफी माँगे !
अत्याचारियों का इतना दुस्साहस खुले आम कहते घूम रहे हैं कि 16 की जगह 30 कारसेवक मारे जाते तो भी मंजूर था !अरे !तुम्हें तो सत्ता का लोभ था इसलिए तुम तो कहीं भी आग लगाने को तैयार थे किंतु राम भक्तों का समाज सहनशील है शांति प्रिय है अन्यथा उसके प्रतिकार करने का ढंग भी कुछ और होता !
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