किसान मजदूर और गरीबिनी माताएँ क्या इंसान नहीं हैं आखिर उन्हें क्या देगी सरकार !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के लिए सरकारों के पास बहुत कुछ है किन्तु सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से काम कराने के लिए घूस देने के अलावा
जनता के पास कोई अधिकार नहीं हैं जिस अधिकारी से शिकायत की जाती है वो उलटे
जनता को ही काटने दौड़ पड़ता है जनता की आवाज की पहुँच सरकार तक नहीं होती है !
सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल का मतलब सरकार को सीधी चुनौती हमारी माँगें मानो नहीं खोल देंगे तुम्हारे भ्रष्टाचार की पोल !
सरकार यदि झुक जाए तो जानो भ्रष्टाचारी न झुके तो ईमानदार !निडर सरकार यदि
हड़ताली कर्मचारियों की जगह नई नियुक्तियाँ कर ले तो काम पसंद कर्मठ सरकार
!उन्हें निकाल बाहर करे और नौकरी की तलाश में भटक रहे पढ़े लिखे बेरोजगारों
को रोजगार दे तो देश भक्त सरकार !
सरकारों
में सम्मिलित नेताओं के भ्रष्टाचार के सारे रहस्य इन्हीं सरकारी
कर्मचारियों के दिमागों में दबे हैं इसी बल पर ये सैलरी भी लेते हैं काम भी
कैसे करते हैं कितना करते हैं वो इनकी आत्मा ही जानती होगी जनता को तो
इनके विषय में केवल एक बात पता है घूस दोगे तो काम होगा !नहीं दोगे तो
सरकारी आफिसों से कुत्तों की तरह खदेड़ दिए जाओगे !विधायकों सांसदों
मंत्रियों के पास कम्प्लेन करोगे तो अपना काम बिगाड़ोगे प्रायः वे सभी लोग
इन सरकारी कर्मचारियों के ही ऋणी हैं यही लोग तो उनके अन्नदाता हैं अन्यथा
सरकारी सैलरी में नेताओं के घर चल पाते क्या !
सरकारों में सम्मिलित लोगों को सरकारी कर्मचारियो से
काम करवाना नहीं आता या फिर मंत्री संत्री लोग इन्हें काम बताकर इनकी
नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते आखिर अतिरिक्त कमाई के लिए तो उन्हें भी
इन्हीं पर डिपेंड रहना होता है उन्हें यदि चोर कहेंगे तो अपनी भी तो चोरी
पकड़ी जाएगी सारी पोल खोल देंगे ये ! इन्हें साड़ी बातें पता तो होती ही हैं
कभी भी खोल सकते हैं भूतपूर्व गरीब नेताओं के अरबोंपति बनने के राज ! वो
भी बिना किसी रोजगार व्यापार के !
हड़ताल सिस्टम बिलकुल बंद होना चाहिए जिसे समझ में आवे सो नौकरी करे
अन्यथा जगह खाली करें बोझ हटे ! नई भर्ती हो नए लोगों को रोजगार मिले
!सरकारी नौकरियों में खुली छूट और भारी लूट है इसी लूट खसोट के लिए तो हर
किसी का सपना है सरकारी नौकरी !यदि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार न होता
और काम करना पड़ता तो कौन माँगता सरकारी नौकरी !
सरकारी प्राइमरी स्कूलों को बर्बाद करने का सारा दिमागीबारूद वहाँ के
शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों ने लगा रखा है सरकारी स्कूलों में ! इसीलिए
सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता दिनोंदिन दम तोड़ती जा रही है किंतु सरकारों
में सम्मिलित नेता अपने बच्चे वहाँ नहीं पढ़ाते हैं प्राइवेट स्कूलों में
पढ़ा लेते हैं किंतु सरकारी शिक्षकों से कुछ कहने की हिम्मत नहीं पड़ती है
!ये कहेंगे तो वे इनके भ्रष्टाचार की पोल खोल देंगे !यही मंत्री लोग कौन
दूध के धुले हैं !
10 -15 हजार रूपए महीने के प्राइवेट शिक्षक एक सरकारी शिक्षक की सैलरी में
4 मिलते हैं और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं किंतु सरकारी शिक्षकों की
सारी नौटंकी सहती है सरकार ! वो हड़ताल करके ब्लैकमेल करते हैं सरकार माँगती
है उनकी माँगें !हिम्मत हो तो न मानें !वो जैसा नचाते हैं सरकार वैसा
नाचती है ,यदि सरकार ईमानदार होती तो शिक्षा की शर्तों पर रखती उन्हें
!थोड़ी भी लापरवाही होती तो खदेड़ बाहर करती इन्हें और पढ़ाने वाले परिश्रमी
शिक्षक एक एक की सैलरी में 4 -4 रख लेती किंतु डर तो ये भी है कि इन्होंने
पोल खोल दिया तो ! इसलिए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के आगे इन
भ्रष्टाचारी मंत्रियों की जबान नहीं खुलती उन्हें पता है कि ये भी तो
हमारे भ्रष्टाचार की पोल खोल देंगे इससे अच्छा है ही चुप रहो !
नेता और कर्मचारी लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ाते हैं
क्योंकि वहाँ के शिक्षकों में वे सारे दुर्गुण घोषित तौर पर होते हैं जो
स्कूलों को बर्बाद करने के लिए जरूरी होते हैं वो लोग इसी बात की
ट्रेनिंग ले के आते हैं सारा समाज परिचित है उनके इस संकल्प से !तभी तो
अपने बच्चों को कोई नहीं पढ़ाना चाहता है सरकारी स्कूलों में ।
हे सरकारी कर्मचारियो ! तुम चाहते तो भ्रष्टाचार मिटा सकते थे ! सैलरी भी और घूस भी पाँचों अँगुली घी में !! बारी जनसेवा !!
गंगानदी भगवान के चरणों से निकलती है किंतु भ्रष्टाचार की नदी अधिकारियों कर्मचारियों के आचरणों से निकलती है ! भ्रष्टाचार न रोक पाने वाले लोग किस मुख से करते हैं सैलरी बढ़ाने की बात !
भ्रष्टाचार करने
वाले सरकारी कर्मचारी ही तो हैं !कुछ भ्रष्टाचार करते हैं कुछ हिस्सा लेते
हैं कुछ केवल भ्रष्टाचारी कमाई की पार्टियाँ
खाते हैं कुछ घूस नहीं लेते हैं तो पता उन्हें भी सबकुछ होता है कि हमारी
आफिस में सरकार का बनाया हुआ कौन सा कानून तोड़ने का रेट क्या है !और अपनी
आफिस में कितने का कारोबार हो रहा है प्रतिदिन !जानते सबकुछ हैं कब कब कौन
कौन
कितनी कितनी कर रहा है कमाई !ऐसे सभी लोग सम्मिलित माने जाएँगे भ्रष्टाचार
में !
अरे सरकारी कर्मचारियो ! आप लोग जिम्मेदारी निभाना देश के श्रद्धेय सैनिकों
से सीखिए !उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी जाती है उसे पूरी करके ही लौटते
हैं न कोई मजबूरी न कोई बहाना न कोई किंतु परंतु !उनके दृढ निश्चयी स्वभाव
से देश के दुश्मनों के दिल थर्राते हैं हिम्मत नहीं पड़ती है भारत की ओर
ताकने की !उन्हें पता है कि ये मर मिटेंगे किंतु पीछे नहीं हटेंगे !हमारे
सैनिक केवल कर्मचारी ही नहीं अपितु देश के सेवक भी हैं वे सैलरी के लिए
नहीं अपितु वे देश के लिए शहीद होते हैं !
दूसरी ओर सरकारी आफिसों के अधिकारी कर्मचारी !जनता दिन
दिन भर आफिसों में दौड़ते रहते हैं काम न करना पड़े इसलिए एक दूसरे का नाम
और फोन नंबर बता बता कर दिन करते हैं जनता को !अगर कोई कुछ ज्यादा टाइट
पड़ा तो सब मिलकर उसका देते हैं जो उस दिन गैरहाजिर होता है ! अब कोई क्या
कर लेगा इनका !इंटरनेट नहीं आ रहा है बता कर कभी उठ जाते हैं कुर्सियाँ
छोड़कर !कई बार काम के लिए आए लोगों के मुख सुबह से पनि नहीं गया होता है
इनका नास्ता लंच सब कुछ हो चुका होता है फिर भी चाय पीने चले जाते हैं
जनता से कहते हैं कल आना !कंप्यूटर प्रिंटर खराब बता बता कर कई कई दिन
मस्ती मार लेते हैं ये !यही कारण है दस हजार रूपए पाने वाले प्राइवेट
स्कूलों के शिक्षक पढ़ाते हैं और साथ हजार सैलरी लेने वाले सरकारी शिक्षक
नाक कटाते हैं देश के सैनिक इतनी बेइज्जती सहने से पहले मर मिटते किंतु जिन
कर्मचारियों को शर्म नहीं है उनसे क्या आशा !दस हजार रूपए पाने वालेकोरियर
कर्मी ,प्राइवेट मोबाईल कंपनियों के कर्मचारी नाक काट रहे हैं साठ साठ
हजार लेने वाले सरकारियों की !
अरे कर्मचारियो !तुम्हें धिक्कार है तुम्हारे विभागों के भ्रष्टाचार,
कामचोरी, गैरजिम्मेदारी से जनता तंग है फिर भी इतनी सारी सैलरी और फिर भी
असंतोष ! सारा भ्रष्टाचार जब सरकारी आफिसों में होता है उसे रोकने की
जिम्मेदारी सरकारी लोगों की है भ्रष्ट लोगों को पकड़ने और पकड़वाने की
जिम्मेदारी सरकारी लोगों की है जनता के काम करने की जिम्मेदारी सरकारी
लोगों की है अपनी जिम्मेदारी निभाने में कहाँ खरे उतर पा रहे हैं सरकारी
अधिकारी कर्मचारी!
सरकार जो कानून बनाती है वो कानून सरकारी कर्मचारी बेचने लगते हैं उनसे
अपराधी खरीदते हैं और ठाठ से करते हैं अपराध ! दिन दोपहर में बीच चौराहे पर
लूट लिए जाते हैं लोग हो रहे हैं अपराध ! किए जा रहे हैं मर्डर आदि !
भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी तो भ्रष्टाचार से कमा ही रहे हैं उन्हें सैलरी
क्यों ?सरकार उनकी पहचान क्यों नहीं करती क्यों नहीं छेड़ती है कोई
"भ्रष्टाचार मिटाओ अभियान!"
सरकार जो नियम बनाती है सरकारी मशीनरी का एक बड़ा वर्ग उन्हें बेच कर पैसे
कमाता है भारी भरकम सैलरी भी उठाता है ।सरकारी निगरानी तंत्र इतना लचर या
भ्रष्ट है कि नियमों कानूनों को तोड़ने जोड़ने बेचने खरीदने की मंडी बन गया
है सरकारी कामकाज !लगभग हर आफिस में अलग अलग काम के हिसाब से घूस के पैसे
फिक्स हैं !भ्रष्टाचार की भारत बहुत बड़ीमंडी है !जहाँ भ्रष्ट लोग
नित्यप्रति करोड़ों का कारोबार उस भ्रष्टाचार के बल पर चला रहे हैं जिसे
सरकारी नियम कानून गलत मानते हैं ।जिन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी सरकार की है
ये सरकारों का फेलियर नहीं तो क्या है !फिर भी सैलरी !
सरकारी आफिसों
में भ्रष्टाचार के जन्मदाता सरकार के भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी ही तो होते
हैं जिनसे गलत काम करवाकर दलाल लोग काली कमाई करने वालों से करोड़ों रूपए
कमीशन कमा लेते हैं तो कल्पना कीजिए कितनी कमाई होगी उन भ्रष्ट
अधिकारीकर्मचारियों की !ऊपर से हजारों लाखों की सैलरी !उसके ऊपर वेतन
आयोगों की सरकारी कृपा !बारी सरकारी नौकरी !इनकी इतनी सुख सुविधाएँ और अपना
इतना संघर्ष पूर्ण जीवन देखकर किसान आत्म हत्या न करें तो क्या करें !
अपराधीलोग, गुंडेलोग और काली कमाई करने वाले धनीलोगों को इन्हीं सरकारी
अधिकारियों कर्मचारियों से वो अघोषित रेटलिस्ट मिलती है कि सरकार के
द्वारा बनाया गया कौन सा नियम कितने पैसे में तोड़ा जा सकता है ।यही कारण
है कि अपराधियों में कानून का खौफ नहीं है । जिस अपराधी की जेब में जितना
पैसा है सो कर रहा है उतना बड़ा अपराध !
मोदी जी ! किसानों गरीबों
मजदूरों का भी कोई वेतन आयोग बनाइए आखिए वे भी देश सेवा का ही काम कर रहे
हैं उनकी उपेक्षा क्यों ?किसान आत्महत्या करते जा रहे हैं सरकारी
कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाई जा रही है !दाल और टमाटर महँगे होने की चिंता तो
है किंतु किसानों की रक्षा के लिए पहले उठाए जाएँ कठोर कदम !बाद में बढ़ाई
जाए कर्मचारियों की सैलरी !वे सैलरी बढ़ाए बिना मरे नहीं जा रहे उन्हें
आलरेडी इतना मिल रहा है पहले किसानों मजदूरों गरीबों की ओर देखिए मोदी जी !
किसानों गरीबों मजदूरों की आमदनी की कितने गुने सैलरी होनी चाहिए सरकारी
कर्मचारियों की इसकी भी कोई नीति बनाइए !एक तरफ हजारों का ठिकाना नहीं एक
तरफ लाखों बढ़ाए जा रहे हैं ये कुंठा ही गरीबों के अंदर आपराधिक प्रवृत्ति
को जन्म देती है ।
आम जनता के टैक्स दी जाने वाली सैलरी कब बढ़ाई जाए
कितनी बढ़ाई जाए इसके लिए जनता से क्यों नहीं पूछा जाता जनता के बीच सर्वे
क्यों नहीं कराया जाता !सारे फैसले सरकार खुद ले लेती है तभी तो सरकारी
आफिसों के लोग आम जनता को कुछ समझते नहीं हैं सरकारी आफिसों में काम के लिए
जाने वाली जनता को खदेड़ कर भगा देते हैं सरकारी लोग !कोई सीधे मुख बात
नहीं करता है वहाँ । जनता की कोई सुनने वाला नहीं होता है !
सरकार
में सम्मिलित लोग और सरकारी कर्मचारी यदि जनता का ध्यान नहीं रखते तो ये
लोकतंत्र के नाम पर कलंक है कि जनता आज भी सरकारी अधिकारियों को अपनी
समस्या बताने में डरती है उसके चार प्रमुख कारण हैं पहली बात वो सुनेंगे
नहीं !दूसरी बात वो कुछ करेंगे नहीं ! तीसरी बात वो पैसे माँगेंगे !चौथी
बात वो समस्या बढ़ा देंगे !
कई बार लोगों को जो तंग कर रहा होता है
उसके विरुद्ध किए गए कम्प्लेन की सूचना सरकारी विभाग से उस अपराधी को दी
जाती है जाती है जो तंग कर रहा होता है फिर अपराधी ही कम्प्लेनर पर करता है
अत्याचार !ये सारी कमियाँ दूर किए बिना सैलरी बढ़ाए जा रही है सरकार !अफसोस
!ये सरकारें आम जनता के लिए चुनी जाती हैं पेट केवल अपना और अपनों का भरा
करती हैं ।
मोदी सरकार के दो वर्ष होने का पर्व जनता भी मना रही है
क्या ?या केवल सरकार में सम्मिलित लोग और केवल पार्टी के पदाधिकारी ही
!कोशिश ऐसी होनी चाहिए कि जनता को भी विश्वास में लिया जाए और जनता भी मोदी
सरकार के वर्षद्वय पर में भावनात्मक रूप से सम्मिलित हो !अन्यथा वर्तमान
खुशफहमी कहीं अटल जी की सरकार का फीलगुड बन कर न रह जाए !
मोदी
जी ! जनता का बहुत बड़ा वर्ग भ्रष्टअधिकारियों और भ्रष्टनेताओं की धोखाधड़ी
का शिकार हो रहा है उसे बचने के लिए कुछ कीजिए !ये दोनों लोग ही करवा रहे
हैं सभी प्रकार के अपराध !अन्यथा अपराधियों में इतनी हिम्मत कहाँ होती है
कि वो अपने बल पर अपराध करें और उनके पास इतना धन कहाँ होता है कि वे घूस
देकर बच जाएँ किंतु मददगारों के बल पर वो उठा जाते हैं बड़े बड़े कदम !इस लिए
उन मदद गारों की पहचान करके उन पर अंकुश लगाना होगा !इन लोगों पर अंकुश
लगाए बिना 2019 की वैतरणी पार कर पाना आसान नहीं होगा !
इसके अलावा मोदी जी आखिर कैसे बंद हों अपहरण हत्या बलात्कार जैसे अपराध ! अपराधियों को गले
लगाते हैं गुंडे और गुंडों को गले लगाती हैं राजनैतिक पार्टियाँ !इसी
प्रकार से अपराध के कारोबार से कमाई करते हैं अपराधी और अपराधियों से कमाई
करते हैं भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी !यदि सरकारी
अधिकारी ,कर्मचारी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होते तो न हत्याएँ होतीं न होते
बलात्कार !इसलिए अपराधियों पर अंकुश लगाने से पहले भ्रष्ट अधिकारियों
कर्मचारियों पर काबू पावे सरकार !उसके पहले विकास संबंधी सारी बातें बेकार
!
प्रधानमंत्री जी ! सरकार
के हाथ पैर तो सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही होते हैं जिनके अच्छे बुरे
व्यवहार के आधार पर ही सरकार के काम काज का मूल्यांकन होता है क्योंकि अधिकारियों और
कर्मचारियों से ही जनता को जूझना पड़ता है वो ही यदि भ्रष्टाचारी हैं तो आप
कितने भी अच्छे बने रहें किंतु जनता के मन में आपकी छवि भ्रष्टाचार समर्थक
के रूप में ही बनी रहेगी !अपराधों पर अंकुश लगाने के नाम पर भाषण चाहें जितने हों किंतु काम बिलकुल नहीं हो रहा है !
जेल में बैठकर मीटिंगें कर रहे हैं अपराधी !एक साधारण किसान की गारंटी पर
हजारों करोड़ का लोन मिल जाता है ऐसे असंख्य अपराध कर रहे हैं सरकारी
अधिकारी ,कर्मचारी इन्हें कोई देखने रोकने वाला ही नहीं है तभी तो अंकुश
नहीं लग पा रहा है अपराधों पर ! सरकारी नीतियाँ इतनी अंधी हैं कि अधिकारियों
कर्मचारियों से काम
लेना तो सरकार के बश का ही नहीं है इनके भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना भी
सरकार के बश का नहीं है फिर भी इनकी सैलरी बढ़ाए जा रही है सरकार जबकि सरकारी हर काम काज का भट्ठा बैठा रखा है इन्होंने !आखिर सरकार अपने कर्मचारियों से इतनी खुश क्यों है!
सरकारी शिक्षा विभाग ,डाकविभाग दूरसंचार विभाग चिकित्साविभाग चौपट तो
इन्हीं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों ने कर रखा है इनसे बहुत कम सैलरी
पाकर भी प्राइवेट टीचर, कोरियरकर्मी, प्राइवेटदूर संचार
कर्मी,चिकित्साकर्मी अपने अपने क्षेत्र में कितनी अच्छी अच्छी सेवाएँ दे
रहे हैं ।
सरकार के कर्मचारी तो इतने कामचोर हैं कि जिस आफिस के कर्मचारियों की एक
एक महीने की सैलरी पर पचासों लाख रूपए खर्च हो रहे होते हैं उस आफिस के
कर्मचारी अपना कम्प्यूटर और प्रिंटर बिगाड़ कर उसी बहाने कई कई दिन काम न
करके जनता को टरकाया करते हैं ऊपर से जनता के साथ मिलकर वो लोग भी सरकार
तथा सरकारी व्यवस्थाओं को गालियाँ देते हैं ! इनके काउंटरों पर
नंबर की तलाश में खड़ी जनता को जानवरों की तरह कभी भी खदेड़ देते हैं ये इटरनेट न आने का बहाना बनाकर!कई
कई दिन बीत जाने पर भी काम न होने पर घूस देने को मजबूर कर दी जाती है
जनता !उसके पास इसके अलावा और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं होता है । सरकारी
तंत्र की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहाँ जनता इस विश्वास के साथ शिकायत करे
कि उसका काम समय से हो जाएगा !
कुल मिलाकर अपराध छोटे हों या बड़े इसे करने वाला किसी न किसी कोने में
मूर्ख होता है तभी तो ऐसा रास्ता चुनता है ।अपराधी केवल यंत्र की भाँति
होता है इसी कारण ऐसे लोगों का ऊपरी कमाई के लालच में उपयोग करते हैं
भ्रष्टअधिकारी कर्मचारी और गुंडेनेता !जहाँ अधिकारियों कर्मचारियों की ऊपरी
कमाई का साधन बने हैं अपराधी वहीँ भ्रष्टनेताओं का दबदबा बनाने में सहायक
होते हैं अपराधी !यही अधिकारी और यही नेता उन अपराधियों की हर समय हर
प्रकार से रक्षा करते रहते हैं इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है
इसलिए ऐसे लोगों पर अंकुश लगाए बिना अपराधों पर नियंत्रण नहीं पाया जा
सकता है ।