Thursday, 22 May 2014

यूपी के शिक्षा अधिकारी ने टीचर्स को बता दिया वेश्‍याओं से भी बेकार ! Dainik bhaskar

यूपी के शिक्षा अधिकारी ने टीचर्स को बता दिया वेश्‍याओं से भी बेकार

dainikbhaskar.com | May 22, 2014, 17:09PM IST

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कानपुर. यूपी में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने अध्यापिकाओं के एक सम्मेलन में उनकी तुलना वेश्याओं के कर दी। बीएसए ने सम्मेलन में कहा कि आज अध्यापकों से ज्यादा वेश्याएं अपने काम को पूरी लगन और कर्तव्यनिष्ठा से करती हैं। कानपुर में वार्षिक शैक्षिक समारोह 'जश्न ए तालीम- 2014' में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। 
कैसे फिसली बीएसए की जुबान
प्राथमिक स्कूलों में गिरते शिक्षा के स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा, 'एक वेश्या भी अपने काम को बखूबी समझती है। वह जानती है कि वेश्यावृति उसके भाग्य में लिखी है। वह उसका पालन बड़ी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से करती है। हमारे टीचरों को जो ड्यूटी दी गई है, उसे पूरा करना तो दूर उन्हें छोटे बच्चों को पढ़ाने में शर्म आती है। तमाम अध्यापक इसको अपनी तौहीन समझते हैं। अपना अपमान समझते हैं और पढ़ाने से कतराते हैं, जो आज के समय की सबसे बड़ी कमी है।'
आगे पढ़िए बीएसए ने कहा कि सुविधाओं के बावजूद गिर रहा है शिक्षा का स्तर...

यूपी के शिक्षा अधिकारी बोले- अध्यापकों से अधिक लगन के साथ काम करती हैं वेश्याएं

dainikbhaskar.com | May 22, 2014, 16:45PM IST

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सुविधाओं के बावजूद गिर रहा शिक्षा का स्तर 
बीएसए राजेंद्र यादव के मुतबिक, आज के अध्यापकों में क्या कमी है? यदि इसका आंकलन वे खुद करें तो उन्हें अपने दोष खुद-ब-खुद दिख जाएंगे। उनके मुताबिक, 'वर्तमान में बेसिक शिक्षा में तमाम सुविधाओं के बावजूद इसके स्तर में दिन-प्रति दिन गिरावट आती जा रही है। दोष केवल शिक्षकों का ही नहीं, बल्कि अभिभावकों का भी है।' 
उन्होंने अपने दौर की शिक्षा को याद करते हुए कहा, 'वह भी प्राथमिक विद्यालय से ही शिक्षा पाकर आज यहां तक पहुंचे हैं। उस समय जो परिवेश और अनुशासन प्राथमिक विद्यालयों में हुआ करता था, आज बदल चुका है। शासन की मंशा है कि हम भय मुक्त शिक्षा दें। व्यवहार में जब हम भय मुक्त शिक्षा देने चलते हैं, तो कहीं न कहीं कठिनाई का सामना करना पड़ता है।'

उन्होंने कहा, 'पहले गुरु और शिष्य का अटूट संबंध होता था, सजा भी दी जाती थी, लेकिन किसी के घर के गार्जियन कोई शिकायत नहीं करते थे। तब लोग गुरुओं का आदर करते थे और समय से काम करते थे। फिर भी यदि कोई कमी रह जाती थी, तो निःसंकोच पिटाई होती थी। 
आगे पढ़िए बीएसए ने कहा- मन के हारे हार है मन के जीते जीत...

यूपी के शिक्षा अधिकारी बोले- अध्यापकों से अधिक लगन के साथ काम करती हैं वेश्याएं

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मन के हारे हार-मन के जीते जीत  
बीएसए राजेंद्र यादव के मुताबिक, 'बच्चा चाहे जिस रूप में आए, वह विद्वान होकर टीचर की शरण में नहीं आता है। उसको लेकर जब आप चाह लेंगे, उसके प्रति आप रुचि लेंगे और जब आपके अंदर अपने कर्तव्य का बोध आएगा, तो निश्चित ही उस बच्चे को बेहतर बनाया जा सकता है। यदि आप यह मान लेते हैं कि यह बच्चे इतने नाकाम हैं, कि कुछ सीख नहीं सकते, तो निश्चित ही आपकी मनोवृत्ति बदल जाती है। मन के हारे हार-मन के जीते जीत।' 
सरकारी स्कूल के अध्यापक पढ़ाना नहीं चाहते 
लोगों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने की सबसे बड़ी चाहत होती है, लेकिन कोई भी अपने बच्चों को वहां पढ़ाना नहीं चाहता है। शिक्षा विभाग में एक पद के लिए लाखों आवेदन आते हैं।
आगे पढ़िए बीएसएस ने कहा- अध्यापकों का कॉन्सेप्ट ही क्लियर नहीं...

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dainikbhaskar.com | May 22, 2014, 16:45PM IST

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अध्यापकों को अपने विषय का कॉन्सेप्ट ही क्लियर ही नहीं
उन्होंने कहा, 'सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज के ज्यादातर अध्यापक को अपने विषय का कॉन्सेप्ट ही क्लियर नहीं है। इसलिए जो आपको पढ़ाना है, पहले आप समझें, फिर पूरी लगन से उसे पढ़ाएं। जिन अध्यापकों को अपने विषय का कॉन्सेप्ट साफ नहीं होगा, वह बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे सकता। एक अध्यापक समाज और देश के लिए सबसे बड़ा गाइड है। उसके कंधे पर देश का भार है।' 
आगे देखिए कार्यक्रम की तस्वीरें...

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