Thursday, 30 January 2014

काँग्रेस राहुल और उनकी सरकार का कब तक सहा जाएगा ये "कृपा कारोबार" ?

   गैस सिलेंडरों की संख्या घटा कर फिर बढ़ाना जनता पर राहुल जी की कृपा थोपने की सरकारी शरारत मात्र लगती है !राहुल गाँधी ने बढ़वाए गैस सिलेंडर तो घटाए किसके कहने पर गए थे ?

     गैस सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने का श्रेय  यदि सरकार और काँग्रेस राहुल गाँधी को देना चाहती है तो कोई बात नहीं दे किन्तु एक प्रश्न का उत्तर भी दे कि जब सिलेंडर  घटाए गए थे उसका जिम्मेदार कौन है? देश वासियों को तो उसका नाम जानना है?जिसने यह खेल खेला है और घटाए क्यों  गए इसका कारण जानना है ?यदि कहा जाए कि इतने सिलेंडर दे पाना सम्भव नहीं था तो आज कैसे हो रहा है उसमें भी चुनावों के समय केवल राहुलगाँधी के कहने पर कैसे सम्भव हो गया ?सरकार को अपनी आँखों से क्यों नहीं दिखाई पड़  रही थी आम आदमी की  पीड़ा!और अब कैसे यह बात समझ में आ गई! अब घाटा भी क्यों नहीं पड़  रहा है? अब सरकार को कोई कठिनाई भी नहीं हो रही है आखिर क्यों ?मजे की बात तो  यह है कि जिस दिन राहुल ने बारह सिलेंडरों की माँग की थी देश का बच्चा बच्चा उसी समय कहने लगा था कि अब सरकार बारह सिलेंडर आराम से दे देगी क्योंकि राहुल ने कहा है इतना ही नहीं जिला स्तरीय काँग्रेसी भी बताते घूम रहे थे कि राहुल जी ने डंडा दिया है अब जरूर  मिलेंगे बारह सिलेंडर!और ऐसा किया भी जा रहा है । 

      क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि राहुल गाँधी की ही प्रेरणा से ही सिलेंडरों की संख्या घटाई गई थी उन्हीं के कहने पर अब बढ़ा भी दी गई! इसका सीधा सा मतलब है कि गैस की शार्टेज न होकर अपितु यह राहुल को जनता का शुभ चिंतक सिद्ध करने के लिए सरकार के द्वारा की गई एक  शरारत मात्र थी !केवल यह दिखाना था कि राहुल जी की कृपा पर जी रहे हैं देश के लोग ?राहुल गाँधी जब जैसा चाहेंगे वैसा होगा जो जनता चाहेगी वो नहीं होगा ! 

     इसी प्रकार से सरकार के द्वारा सर्व सम्मति से पास किए गए बिल की कापियाँ राहुल ने फाड़ देने की बात की थी और फिर ऐसा ही हुआ कि सरकार दुम दबाकर बैठ गई और पता नहीं चला कि उस सरकार के सर्व सम्मत सम्माननीय निर्णय का आखिर हुआ क्या ?

           यदि राहुल इतने ही काबिल हैं तो स्वयं क्यों नहीं सँभालते हैं देश की कमान आखिर क्या भय है उन्हें ?जनता के प्रति कोई तो जवाबदेय  होता आज तो कोई नहीं है!ये तो नरसिंहा राव जी  की तरह ही होगा कि सारे अप्रिय निर्णयों का ठीकरा मनमोहन सिंह जी पर फोड़ा जाएगा और खानदान विशेष की स्वच्छता पवित्रता बचा लेंगे ऐसे दुमदार चाटुकार लोग !

    इस छोटी सी बात से बड़ी से बड़ी शंकाएँ उठना स्वाभाविक है जैसे लोकतंत्र में मालिक जनता होती है किन्तु वर्त्तमान सरकार राहुल गाँधी को मालिक मानती है इसी प्रकार से लोक तंत्र में जनता जैसा चाहती है वैसा होता है किन्तु इस सरकार में राहुल जैसा चाहते हैं वैसा होता है !लोकतंत्र में जनता का समर्थन जिसको मिलता है वह प्रधान मन्त्री बनता है किन्तु यहाँ जनता से समर्थन कोई माँगता है और बाद में सरकार किसी की बनती है अथवा यूँ कह लिया जाए कि सरकार बनवाकर बाद में ठेके पर उठा दी जाती है !

       हमारी शंका इस बात की है कि  आखिर क्या कारण है कि सरकार की जवाब देही  जनता के प्रति न होकर केवल एक परिवार के प्रति है ये दब्बू लोग कैसे रख पाते होंगे विदेशीमंचों  पर भारत का पक्ष !आखिर क्यों काटे जाते हैं भारतीय सैनिकों के शिर और जाँच के नाम पर क्यों उतरवाए जाते हैं भारतीयों के कपड़े!फिर ऐसे लोगों या देशों से कैसे निपट पाती है सरकार !खैर ,देशवासियों को जो सहना है सो तो सहना ही है किन्तु बड़ी पीड़ा के साथ !

       जब सरकार केवल एक परिवार के प्रति ही जवाब देय  है तब तो सरकार की सारी  मशीनरी भी केवल उसी परिवार को सजाया सँवारा करती है उसी की सुरक्षा की जाती है बाकी पूरा देश चोरी लूट बलात्कार अपहरण हत्या जैसी दुखद पीड़ाएँ सहता रहे तो सहे किन्तु इस देश का एक परिवार सुरक्षित रहे बस एक परिवार ! कहीं यही कारण तो नहीं है कि राहुलगाँधी के कहे बिना इन सरकारी ड्राइवरों को यह होश भी नहीं होता है कि ये लोग सरकार को जिस दिशा में लिए जा रहे हैं वो उचित है भी या नहीं !कहीं रेड़ी चलाने वाले की तरह ही तो नहीं चलाई जा रही है सरकार ! जिसे राहुल गाँधी जिस दिशा में उठाकर रख देते हैं ये उधर ही धकियाए चले जाते हैं उसका प्लस माइनस राहुल जी जानें इन्हें तो धकियाने से मतलब!

     यदि यह सब कुछ ऐसा ही है तो इसे लोकतंत्र कहना कहाँ तक ठीक होगा !क्या इस देश का यही लोकतंत्र है जिस पर गर्व किया जाए !खैर ,और जो भी हो ठीक ही है मेरा निवेदन मात्र इतना है कि देशवासी भी यदि आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीना चाहते हैं तो उनकी भी कुछ जिम्मेदारी बनती ही है उन्हें भी सोचना होगा कि देश की आजादी पर केवल किसी एक व्यक्ति या परिवार का ही  अधिकार तो नहीं है और न ही केवल  एक परिवार की ही कुर्वानियों से आजादी मिली है! इस देश को अपना समझकर ही इसे स्वतन्त्र कराने के लिए सारे देशवासियों ने अपने अपने बलिदान दिए थे उनका कतई उद्देश्य नहीं रहा होगा कि उनकी संतानों को गैस सिलेंडरों जैसी छोटी एवं सर्वाधिक जरूरी चीजों के लिए के कोई राहुल इस प्रकार का खिलवाड़  या अपनी मन मानी करेगा!
    केवल चुनावी वर्ष में ही उसमें जनहित साधना की भावना जागेगी बाक़ी सोती रहेगी !पहले महँगाई बढ़ने दी  जाएगी बाद में फूड सिक्योरटी बिल लाकर अपनी पीठ थपथपायी  जाएगी !समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस तरह से क्यों खेला  जा रहा है जनता के जीवन से ! देश में सबसे अधिक वर्ष तक सत्ता में रही पार्टी यदि देश वासियों को इतने वर्षों में भोजन भी न उपलब्ध करा पाई हो और इतने वर्षों बाद अब ऐसी कोई पहल की गई हो तो ये गर्व का विषय कैसे हो सकता है इसके लिए तो देश से माफी माँगी जानी चाहिए कि जो काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था वो हम किन्हीं मजबूरियों के कारण इतने बिलम्ब से कर पा रहे हैं  जिसके लिए आप लोगों ने शांति पूर्ण वातावरण बनाकर सरकार का सहयोग किया है आपके ऐसे सदाचरण पूर्ण सहयोग के लिए सरकार आपकी आभारी है । इस प्रकार के विनम्र बचनों से घटाए जा सकते हैं जनता के दुःख और जीता  जा सकता है जनता का अपनापन !इससे जनता को भी लगेगा कि हमारे सदाचरण पूर्ण सहयोग का सम्मान सरकार के मन में भी है अर्थात सरकार भी हमारे समर्पण से सुपरिचित है और हमें भी धैर्य बनाए रखना चाहिए किन्तु राहुल जी सोनियाँ जी , सोनियाँ जी  राहुल जी का स्तुति गान सुनते सुनते अब तो आत्मा भी थक गई है !सरकार की गलत नीतियों या अभावों के कारण दुःख तो जनता ने सहे हैं और तारीफ सोनियाँ राहुल की आखिर क्यों ?

     कम से कम आभाव के कारण तो सोनियाँ राहुल कभी भूखे नहीं रहे उनके भोजन से लेकर सुरक्षा समेत सारी सुखसुविधाओं का भारी भरकम खर्च आखिर सरकार ही तो बहन कर रही है !इसलिए ये नहीं भूला जाना चाहिए कि वो जनता का पैसा होता है ये उसी जनता का जो स्वयं भूखी रहती है किन्तु आपके उत्तमोत्तम भोजन के खर्च को बहन करती है न केवल इतना अपितु स्वयं असुरक्षित रह कर भी अपने खर्च से तुम्हें सुरक्षा उपलब्ध करवाती है फिर भी उस पर ही सोनियाँ जी  राहुल जी की कृपा का कारोबार करने की कोशिश की जाए तो इसे कैसे सहा जा सकता है आखिर देशवासियों के इतने सारे त्याग बलिदान सेवा एवं समर्पण की सराहना क्यों नहीं की जानी चाहिए ?

        यदि अटल जी के घुटने का इलाज स्वदेश में हो सकता है तो सोनियाँ जी का क्यों नहीं हो सकता !क्या यहाँ के चिकित्सकों पर विश्वास नहीं है या वे योग्य नहीं  हैं यदि ऐसा भी है तो आपकी सरकार के आधीन जब सारे देशवासी हैं तो आपको केवल अपनी जान ही प्यारी क्यों है देश की जनता की परवाह क्यों नहीं होनी चाहिए!आखिर आपके मन में उनके स्वस्थ्य का महत्त्व क्यों नहीं है यदि है तो आपकी सरकार दस वर्ष में और कुछ नहीं कर पाई तो न सही कम से कम अपने लायक एक अस्पताल ही यहॉं बनवा लेते! जहाँ देश की जनता इलाज तो खैर क्या करवा  पाती! कम से कम उसे देखकर ये कह तो सकती थी कि यह उनका अस्पताल है जो इस देश एवं देशवासियों को केवल भाषणों में तो अपना कहते  हैं किन्तु भरोसा बिलकुल नहीं करते हैं!सोनियाँ जी !आखिर इन भावुक भारतीयों के साथ इतना अन्याय क्यों ?         

      इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए देश वासियों से मेरा निवेदन है कि हम सक्षम लोकतंत्र हैं यदि अपनी ऐसी प्रतिष्ठा वैश्विक स्तर पर किसी प्रकार से बन ही गई है तो उसमें जनता की सहनशीलता का बहुत बड़ा योगदान है उसे भूला नहीं जाना चाहिए साथ ही उसकी पोल खुलने से पहले क्या देश वासियों को अपनी शासन पद्धति बदल नहीं लेनी चाहिए और अब समय आ गया है जब इन ठेके की सरकारों को 'राम राम' कह देना चाहिए और अपनी भावना साफ कर देनी चाहिए कि अब देश वासियों के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा !आखिर देश वासियों की मजबूरी क्या है कि वो इस प्रकार की छीछालेदर को बर्दाश्त करें!किसी सोनियाँ जी या राहुल जी की कृपा पर आखिर कब तक किया जाएगा जीवन यापन ? देश में क्या और राजनैतिक दल नहीं हैं या और सक्षम नेता नहीं हैं!आखिर ! क्यों राहुल और सोनियाँ जी की बात मानकर मनमोहन सिंह जी का पल्लू पकड़कर चलना देशवासियों की मजबूरी है ?

 

 

 

Sunday, 26 January 2014

भ्रष्टाचार एक उपहार है प्रेम से बोलो स्वीकार है !

भ्रष्टाचार रोकने में भ्रष्टाचार,चुनाव लड़ने में भ्रष्टाचार,सरकार बनाने और चलाने में भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार!भ्रष्टाचारमुक्त शासन देने का दावा करने वाली सरकारों में भ्रष्टाचार  

  जाति  क्षेत्र  सम्प्रदाय देखकर गरीबत नहीं आती है तो इनके आधार पर   आरक्षण क्यों दिया जाता है ?

    सरकार के  हर विभाग में  भ्रष्टाचार व्याप्त है उससे छोटे से बड़े तक अधिकांश कर्मचारी लाभान्वित होते हैं इसलिए उन पर  भ्रष्टाचार की जो विभागीय जाँच होती है वहाँ क्लीन चिट  मिलनी ही होती है क्योंकि यदि नहीं मिली तो उसके तार उन तक जुड़े निकल सकते हैं  जो जाँच कर रहे होते हैं इसलिए क्लीनचिट  देने में ही भलाई होगी  और जब विभागीय जाँच में ही कुछ नहीं निकला तो उस जाँच को बेकार में आगे क्यों बढ़ाना ?

      इसी प्रकार हर प्रदेश की सरकारें अपने  अपने यहाँ अपने अपने हिसाब से भ्रष्टाचार की जाँच करवाती हैं वो भी क्लीन चिट देती हैं अन्यथा उसके छींटे उन सरकारों तक पहुँचने लगते हैं इसीप्रकार केंद्र सरकार ऐसे ही छीटों से खुद बचती  रहती है आखिर वो लोग भी तो समझदार हैं !हमारे कहने का अभिप्राय है कि हर विभाग में भ्रष्टाचार है और मजे की बात ये है कि ये बात सबको पता है फिर भी जाँच होती  है उस पर होने वाला खर्च ही बचा लिया जाना चाहिए जब यह पहले से ही सबको   पता है कि इसमें निकलना कुछ है नहीं!आखिर भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए जाँच का ड्रामा होता ही क्यों है यदि इरादे वास्तव में भ्रष्टाचार समाप्त करने के हों तो बिना किसी बड़ी कार्यवाही के हर विभाग में औचक निरीक्षण क्यों नहीं किया जाता !या हर विभाग में उसके कस्टमर बन कर क्यों नहीं भेजे जाते हैं अधिकारी या अन्य जिम्मेदार लोग !किन्तु लाख टके का सवाल ये है कि तब भ्रष्टाचार की जाँच के लिए होने लगेगा भ्रष्टाचार!उसके लिए फिर कराइ जाए एक और जाँच !

    भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण सरकारी विभागों में अयोग्य लोगों को योग्य जगह बैठाया जाना है इसकी जड़ में जाति  क्षेत्र  सम्प्रदायों  के आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण है !आरक्षण के द्वारा गधों को घोड़े बनाने का खेल जब तक चलता रहेगा तब तक कैसे और क्यों बंद होगा भ्रष्टाचार ! वस्तुतः जब जाति  क्षेत्र  सम्प्रदाय देखकर गरीबत नहीं आती तो इनके आधार पर   आरक्षण क्यों दिया जाता है ? कोई अँधा बहरा लंगड़ा लूला अपाहिज चलने फिरने में असमर्थ बीमार बूढ़ा आदि हो तो चलो उसका सहयोग किया जाना जरूरी है किन्तु आरक्षण उनको  जो सबकुछ कर सकते हैं किन्तु करना नहीं चाहते हैं आखिर क्यों करें जब सरकारें उनको सब कुछ देने हेतु हराम में आरक्षण देने के लिए उतावली जो घूम रही हैं इसलिए आरक्षण की अवधारणा ही भ्रष्टाचार पर आधारित है !

       आरक्षण के समर्थन में जो तर्क दिए जाते हैं वो तथ्य हीन हैं जैसे कि पुराने समय में दलितों का शोषण किया गया था !किन्तु कब कितना और किसके द्वारा किया गया था इसका कोई उत्तर नहीं मिलता है दूसरी बात जो दलित वर्ग सवर्णों की अपेक्षा बहुत अधिक संख्या में तब भी रहा होगा  उसने अपना शोषण सहा क्यों होगा ?यदि सहा तो उसके कारण क्या थे ?वैसे भी आज बाप का कर्जा तो बेटा देता नहीं है तो पुरानी  पीढ़ियों का कर्ज क्यों चुकावे सवर्ण समाज !ऐसे काल्पनिक ऋण को आरक्षण नीति के द्वारा जबर्दस्ती क्यों वसूला जा रहा है !इसलिए किसी भी कामचोर व्यक्ति का भिक्षा देकर पेट तो भरा जा सकता है किन्तु सम्मान पाने के लिए उसे अपना ही बलिदान करना पड़ेगा !

     कुल मिलाकर आरक्षण नाम का इतना बड़ा भ्रष्टाचार जब सरकारी नीतियों में सम्मिलित किया जा सकता है तब  भ्रष्टाचार समाप्त करने का ड्रामा भले ही कोई सरकार करे किन्तु इसे समाप्त कर पाना कठिन ही नहीं असम्भव भी होगा ! 

        आज कुछ सरकारी कर्मचारियों ने अपने को देश वासियों से बिलकुल अलग कर रखा है भ्रष्टाचार का कोई भी  मौका मिलते ही उन्हें डसने में देर नहीं करते हैं इसके बाद भी उन्हें महँगाई ,भत्ता और भी जाने क्या क्या दिया करती हैं सरकारें !उनका बेतन आम जनता की आमदनी की अपेक्षा इतना अधिक होता है फिर और भी बढ़ाया करती हैं सरकारें! न  जाने उनके किस आचरण पर फिदा रहती हैं भारतीय  सरकारें ? ये सरकारों के दुलारे लोग ऐसे धन से चौड़े हो रहे हैं विभागों में कुछ काम धाम तो  करते नहीं हैं वहाँ कोई देखने सुनने वाला ही नहीं होता है हो भी तो कोई कहे ही क्यों उसका अपना कोई नुकसान तो हो नहीं रहा है भुगतना जनता को पड़ता है ! जहाँ इतनी ऐशो आराम हो फिर भी काम न करना पड़े तो वो लोग कुछ तो करेंगे ही!

   कभी  यूनिअन बनाएँगे धरना प्रदर्शन करके अपनी ऊल जुलूल माँगे मनवाएँगें!सरकार मानती भी है इससे उनका हौसला और बढ़ता है । 

        यदि सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार ख़त्म करना ही चाहती है तो सरकारी कर्मचारियों के ऐसे सभी संगठनों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए न केवल इतना ही अपितु गैर कानूनी घोषित कर देना चाहिए आखिर वो लोग  सैलरी यूनियन बनाने ,धरना प्रदर्शन करने की लेते हैं या काम करने की !और उन्हें सीधे तौर पर बता दिया जाना चाहिए कि सरकारी व्यवस्था जो आपको दी जा रही है वो समझ में आवे तो काम करो अन्यथा घर बैठो !

            इस प्रकार से उन्हें हटाकर नई नियुक्तियां कर देनी चाहिए जिससे बेरोजगारी घटेगी नए जरूरतवान्  लोगों को काम मिलेगा वो उसकी कदर भी करेंगे मन लगाकर कामभी करेंगे इससे समाज का भी लाभ  होगा काम की गुणवत्ता में सुधार होगा  साथ ही छुट्टी करके गए पुराने कर्मचारियों का  भी भला होगा उनके पास पैसा तो होता ही है उस पैसे से  वो कोई धंधा व्यापार कर लेंगे काम करने के कारण वे भी शुगर आदि बीमारियों से बचेंगे भ्रष्टाचार में कमी आएगी समाज में एक दूसरे के प्रति सामंजस्य  बढ़ेगा आदि आदि । 

           इन विषयों में आप हमारे ये लेख जरूर पढ़ें -

 

दलितों के लिए आरक्षण या सम्मान?दोनों किसी को नहीं मिलते !

दलित शब्द का अर्थ कहीं दरिद्र या गरीब तो नहीं है ?

   समाज के एक परिश्रमी वर्ग का नाम पहले तो दलित अर्थात दबा, कुचला टुकड़ा,भाग,खंड आदि रखने की साजिश हुई। ऐसे अशुभ सूचक नाम कहीं मनुष्यों के होने चाहिए क्या?  वो भी भारत वर्ष की जनसंख्या के बहुत बड़े वर्ग को दलितsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/03/blog-post_2716.html





आरक्षण बचाओ संघर्ष आखिर क्या है ? और किससे ?

         4 घंटे  अधिक काम करने का ड्रामा !


     आरक्षणबचाओसंघर्ष या बुद्धुओं को बुद्धिमान बताने का संघर्ष आखिर क्या है ?ये संघर्ष उससे है जिसका हिस्सा हथियाने की तैयारी है।ये अत्यंत निंदनीय है ! 

    

     जिसमें  चार घंटे अधिक काम करने की हिम्मत होगी वो आरक्षण माँगेगा ही क्यों ?उसे अपनी कमाई और योग्यता का भरोसा होगा  किसी और की कमाई की ओर देखना ही क्यों? आरक्षण इससे ज्यादा कुछ है भी नहीं !

        चूँकि राजनैतिक दलों को पता है कि  देश में आरक्षण समर्थकों के वोट अधिक हैं औरsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3571.html


अथ श्री आरक्षण कथा !

    गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की भीख  मिलेगी ?


     चूँकि किसी भी प्रकार का आरक्षण कुछ गरीबों, असहायों को दाल रोटी की व्यवस्था करने के लिए दिया जाने वाला सहयोग है इससे जिन लोगों का हक मारा जाता है वे इस आरक्षण को भीख एवं जिन्हें दिया जाता है उसे भिखारी समझते हैं।इस दृष्टि से भीख में दाल रोटी तो मिल सकती है किन्तु कोई  घी लगा लगा कर रोटी दे ऐसा उसे कैसे बाध्य किया जा सकता है।इसी प्रकार शर्दी में ठिठुरते देखकर किसी को कुछ कपड़े तो भीख या सहयोग में मिल सकते हैंsee  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3184.html


आरक्षण एक बेईमान बनाने की कोशिश !

    गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की भीख  मिलेगी ?

     जो परिश्रम करके अपने को जितना ऊँचे उठा लेगा वह उतने ऊँचे पहुँचे यह  ईमानदारी है लेकिन जो यह स्वयं मान चुका हो कि हम अपने बल पर वहाँ तक नहीं पहुँच सकते ऐसी हिम्मत हार चुका हो । दूसरी ओर कुछ लोग सारी मुशीबत उठाकर भी ऊँचा पद पाने के लिए कठोर परिश्रम कर रहे हों ! ऐसे संघर्ष शील वर्ग को आरक्षण के माध्यम से  आगे बढ़ने से रोकना न केवल अन्याय अपितु अपराध भी माना जाना चाहिए ।यदि यही छेड़खानी शिक्षा को लेकर चलती रही तो क्यों कोई पढ़ेगा ?आखिर जो जिस लायक है उसे वो मिलना नहीं है और जो जिसsee  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_8242.html



पहले नेताओं की संपत्ति जाँच तब हो आरक्षण की बात!

   

                  प्रतिभाओं के दमन का षड़यंत्र

     जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात उठी तो उस समय एक मैग्जीन में मेरा लेख छपा था   कि  आरक्षण एक प्रकार की भीख है जो किसी को नहीं लेनी चाहिए, तो आरक्षण समर्थक कई सवर्ण लोगों के पत्र और फोन आए कि जब सभी जातियों को आरक्षण चाहिए तो हमें भी मिलना चाहिए।मैंने उनका विरोध करके कहा था कि किसी को आरक्षण क्यों चाहिए।

   यहsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_6099.html


आरक्षण समर्थक नेताओं की संपत्ति की जाँच होनी चाहिए !

              

      गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की भीख  मिलेगी ?

             

                  प्रतिभाओं के दमन का षड़यंत्र


     जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात उठी तो उस समय एक मैग्जीन में मेरा लेख छपा था   कि  आरक्षण एक प्रकार की भीख है किसी को नहीं लेनी चाहिए, तो आरक्षण समर्थक कई सवर्ण लोगों के पत्र और फोन आए कि जब सभी जातियों को आरक्षण चाहिए तो हमें भी मिलना चाहिए।मैंने उनका विरोध करके कहा था कि किसी को आरक्षण क्यों चाहिए।

   यह बात सच है कि अमीर गरीब आदि सभीप्रकार के लोग हर वर्ग में होते हैं।दुनियाँ में वैसे सभी काम सभी के लिए कठिन होते हैं किंतु पढ़ाई उनमें सबसे कठिन काम है।जो लोग ईमानदारी से पढ़ाई करते हैं। मन को सारे विकारों से दूर रखकर शिक्षा की ओर ले जाना कोई हँसी खेल नहीं है।और काम तो विकारों के साथ भी कुछsee  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_4640.html

     


भारत के प्राचीन वैज्ञानिक - ज्योतिष वैज्ञानिक डॉ. शेष नारायण वाजपेयी

भास्कराचार्य -
आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’।






आचार्य कणाद - 
कणाद परमाणु की अवधारणा के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले महर्षि कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं। 
उनके अनासक्त जीवन के बारे में यह रोचक मान्यता भी है कि किसी काम से बाहर जाते तो घर लौटते वक्त रास्तों में पड़ी चीजों या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवनयापन करते थे। इसीलिए उनका नाम कणाद भी प्रसिद्ध हुआ। 
ऋषि भरद्वाज -
आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कई सदियों पहले ही ऋषि भरद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के रहस्य उजागर किए। इस तरह ऋषि भरद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता है। 
गर्गमुनि -
गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के के बारे नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ।  कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे। 
महर्षि सुश्रुत -
ये शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक (सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी गई ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में कई अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है। 
जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे। 
आचार्य चरक -
‘चरकसंहिता’ जैसा महत्वपूर्ण आयुर्वेद ग्रंथ रचने वाले आचार्य चरक आयुर्वेद विशेषज्ञ व ‘त्वचा चिकित्सक’ भी बताए गए हैं। आचार्य चरक ने शरीरविज्ञान, गर्भविज्ञान, औषधि विज्ञान के बारे में गहन खोज की। आज के दौर में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों जैसे डायबिटीज, हृदय रोग व क्षय रोग के निदान व उपचार की जानकारी बरसों पहले ही उजागर कर दी। 



पतंजलि -
आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है। 
बौद्धायन -
भारतीय त्रिकोणमितिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। कई सदियों पहले ही तरह-तरह के आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाने की त्रिकोणमितिय रचना-पद्धति बौद्धयन ने खोजी। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में बदलना, इस तरह के कई मुश्किल सवालों का जवाब बौद्धयन ने आसान बनाया।
इसी तरह अगली स्लाइड्स पर जानिए कई तपोबलि ऋषियों ने जगत कल्याण लिए अपनी तपोशक्ति से कैसे-कैसे अद्भुत व विलक्षण कार्य किए -
महर्षि दधीचि -
महातपोबलि और शिव भक्त ऋषि थे। संसार के लिए कल्याण व त्याग की भावना रख वृत्तासुर का नाश करने के लिए अपनी अस्थियों का दान कर महर्षि दधीचि पूजनीय व स्मरणीय हैं। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि 
एक बार देवराज इंद्र की सभा में देवगुरु बृहस्पति आए। अहंकार से चूर इंद्र गुरु बृहस्पति के सम्मान में उठकर खड़े नहीं हुए। बृहस्पति ने इसे अपना अपमान समझा और देवताओं को छोड़कर चले गए। देवताओं को विश्वरूप को अपना गुरु बनाकर काम चलाना पड़ा, किंतु विश्वरूप देवताओं से छिपाकर असुरों को भी यज्ञ-भाग दे देता था। इंद्र ने उस पर आवेशित होकर उसका सिर काट दिया। विश्वरूप, त्वष्टा ऋषि का पुत्र था। उन्होंने क्रोधित होकर इंद्र को मारने के लिए महाबली वृत्रासुर पैदा किया। वृत्रासुर के भय से इंद्र अपना सिंहासन छोड़कर देवताओं के साथ इधर-उधर भटकने लगे।
ब्रह्मादेव ने वृत्तासुर को मारने के लिए अस्थियों का वज्र बनाने का उपाय बताकर देवराज इंद्र को तपोबली महर्षि दधीचि के पास उनकी हड्डियां मांगने के लिये भेजा। उन्होंने महर्षि से प्रार्थना करते हुए तीनों लोकों की भलाई के लिए उनकी अस्थियां दान में मांगी। महर्षि दधीचि ने संसार के कल्याण के लिए अपना शरीर दान कर दिया। महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र बना और वृत्रासुर मारा गया। इस तरह एक महान ऋषि के अतुलनीय त्याग से देवराज इंद्र बचे और तीनों लोक सुखी हो गए। 

महर्षि अगस्त्य -
वैदिक मान्यता के मुताबिक मित्र और वरुण देवताओं का दिव्य तेज यज्ञ कलश में मिलने से उसी कलश के बीच से तेजस्वी महर्षि अगस्त्य प्रकट हुए। महर्षि अगस्त्य घोर तपस्वी ऋषि थे। उनके तपोबल से जुड़ी पौराणिक कथा है कि एक बार जब समुद्री राक्षसों से प्रताड़ित होकर देवता महर्षि अगस्त्य के पास सहायता के लिए पहुंचे तो महर्षि ने देवताओं के दुःख को दूर करने के लिए समुद्र का सारा जल पी लिया। इससे सारे राक्षसों का अंत हुआ। 
कपिल मुनि -
भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक अवतार माने जाते हैं। इनके पिता कर्दम ऋषि थे। इनकी माता देवहूती ने विष्णु के समान पुत्र की चाहत की। इसलिए भगवान विष्णु खुद उनके गर्भ से पैदा हुए। कपिल मुनि 'सांख्य दर्शन' के प्रवर्तक माने जाते हैं। इससे जुड़ा प्रसंग है कि जब उनके पिता कर्दम संन्यासी बन जंगल में जाने लगे तो देवहूती ने खुद अकेले रह जाने की स्थिति पर दुःख जताया। इस पर ऋषि कर्दम देवहूती को इस बारे में पुत्र से ज्ञान मिलने की बात कही। वक्त आने पर कपिल मुनि ने जो ज्ञान माता को दिया, वही 'सांख्य दर्शन' कहलाता है।
इसी तरह पावन गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतरने के पीछे भी कपिल मुनि का शाप भी संसार के लिए कल्याणकारी बना। इससे जुड़ा प्रसंग है कि भगवान राम के पूर्वज राजा सगर ने द्वारा किए गए यज्ञ का घोड़ा इंद्र ने चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के करीब छोड़ दिया। तब घोड़े को खोजते हुआ वहां पहुंचे राजा सगर के साठ हजार पुत्रों ने कपिल मुनि पर चोरी का आरोप लगाया। इससे कुपित होकर मुनि ने राजा सगर के सभी पुत्रों को शाप देकर भस्म कर दिया। बाद के कालों में राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर स्वर्ग से गंगा को जमीन पर उतारा और पूर्वजों को शापमुक्त किया। 

शौनक ऋषि:  
वैदिक आचार्य और ऋषि शौनक ने गुरु-शिष्य परंपरा व संस्कारों को इतना फैलाया कि उन्हें दस हजार शिष्यों वाले गुरुकुल का कुलपति होने का गौरव मिला। शिष्यों की यह तादाद कई आधुनिक विश्वविद्यालयों तुलना में भी कहीं ज्यादा थी। 
ऋषि वशिष्ठ -

वशिष्ठ ऋषि राजा दशरथ के कुलगुरु थे। दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न ने इनसे ही शिक्षा पाई। देवप्राणी व मनचाहा वर देने वाली कामधेनु गाय वशिष्ठ ऋषि के पास ही थी।
कण्व ऋषि -
प्राचीन ऋषियों-मुनियों में कण्व का नाम प्रमुख है। इनके आश्रम में ही राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था। माना जाता है कि उसके नाम पर देश का नाम भारत हुआ। सोमयज्ञ परंपरा भी कण्व की देन मानी जाती है। 

 

Friday, 24 January 2014

आम आदमी पार्टी का धरने से हुआ लाभ और सफल हुए  सोमनाथ भारती !


      अपने नेताओं के अहंकार तले लगातार दबती जा रही  देश की बड़ी बड़ी पार्टियों  को यह समझना चाहिए कि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी अभी तक केवल जनता से जुड़े  मुद्दे ही उठाती  रही है उन लोगों का एक ही लक्ष्य लगता है कि कानून की किताबों ,एवं कानूनी किताबों की चर्चाओं तथा कानूनी शब्दा बलियों से जांचों से अब जनता ऊभ चुकी है अब जनता चाहती है कि जो कुछ हो वो या तो मेरे सामने हो या मेरी जानकारी में हो या मुझे सम्मिलित करके हो !

     जनता के मन में ये बहुत बड़ा भ्रम है हमारे वोट के सहयोग से जिन सरकारों का गठन होता है उन सरकारों में बैठे लोगों को धन मिलता है पद प्रतिष्ठा और सभी प्रकार की सुख सुविधाएँ मिलती हैं किन्तु हमें क्या मिलता है जा राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली की यह स्थिति है कि सरकारी या निगम स्कूलों में पढ़ाई पहले भी नहीं होती थी सरकार बदलने के बाद भी नहीं होती है अध्यापक पहले भी कक्षाओं में जाने से डरते थे सरकार बदलने के बाद भी डरते हैं अस्पतालों में दवाई पहले भी नहीं मिलती थी बाद में भी नहीं मिलती है पोस्ट आफिस आदि सभी सरकारी आफिसों में जितना काम पहले भी सुविधा शुल्क देकर होता था सरकार बदलने के बाद भी वैसे ही होता है।  सड़कें पहले भी टूटी होती थीं सरकार बदलने के बाद भी होती हैं खाने के सामान में मिलावट पहले भी होती थी सरकार बदलने के बाद भी होती है सब्जियों में कैमिकल पहले भी पड़े होते थे सरकार बदलने के बाद भी पड़े होते हैं कानून व्यवस्था पहले भी ख़राब होती थी सरकार बदलने के बाद भी ख़राब ही रहती है!सरकारी लोगों से बात करो तो वे निगम को दोषी ठहरा  देते हैं और निगम वालों से कहो तो वे सारा दोष सरकार पर मढ़  देते हैं दोनों की दोनों से अपने निजी काम करवाने की या बेतन बढ़वाने महँगाई भत्ता लेने या बढ़ने बढ़ाने जैसे सभी काम करने करवाने की अंडर स्टैंडिंग इतनी अच्छी होती है कि अपने एवं अपने लोगों के सभी काम तो गुप चुप तरीके से इशारों इशारों में हो जाते हैं किन्तु जब जनता के कामों की बात आती है तो अलग अलग कार्यालयों विभागों में दौड़ाया जाता है जनता धक्के खाया करती है जब अपने चुने हुए प्रतिनिधियों से जनता उनकी शिकायत या अपनी परेशानी बताने पहुँचती है तो नेता जी पहले तो घर होते नहीं हैं होते हैं तो जरूरी मीटिंग में होते हैं यदि मिल भी गए तो आँखें चुराते हैं अच्छे अच्छे सुपरिचित लोगों से अपरिचित जैसा वर्ताव करते  हैं लोगों से मिलने में अपनी तौहीन समझते हैं बोलना तो दूर लोगों के नमस्ते का जवाब नहीं देते हैं शिष्टाचार की दृष्टि से पैर छूने पर दो शब्द आशीर्वाद के नहीं बोलते हैं वो जनता के किसी काम आते होंगे ऐसा सोचा भी कैसे जा सकता है!

       दिल्ली में एक राष्ट्रीय पार्टी का पूर्ण समर्पित  एक कार्यकर्ता अपने गली मोहल्ले के कुछ लोगों को लेकर अपनी पार्टी के शुद्ध पवित्र स्थानीय विधायक एवं ईमानदार स्वच्छ छवि के मुख्यमंत्री प्रत्याशी जी के यहाँ अपनी पार्टी एवं प्रत्याशी की प्रशंसा करते हुए उन्हें मिलाने के लिए लेकर पहुँचा और उनसे सुपरिचित होने के कारण परिचितों जैसी शैली में बात करते हुए उन लोगों का परिचय करने लगा तो उन्होंने बीच में ही टोकते गए कहा आप कौन हैं और कहाँ रहते हैं क्या करते है आपको मैंने तो कभी देखा नहीं खैर  मैं तो अभी व्यस्त हूँ फिर कभी देखेंगे !

      अब आप स्वयं सोचिए कि उस कार्यकर्ता पर क्या बीती होगी उसकी जगह आप होते तो क्या आपको बुरा नहीं लगता और क्या इसके बाद भी आप पूर्ण निष्ठा के साथ कर पाते उस पार्टी को जिताने के लिए चुनावों में काम ? 

           सरकार में बैठे लोगों ने भी सुना होगा कि रिहायसी बस्ती में मोबाईल टावर होने से भयंकर रोग होते हैं ऐसी खबरें मीडिया में खूब चलाई गईं किन्तु टावर नहीं हटाए गए !अब जनता क्या सोचे कि सरकार की उनके प्रति सोच क्या है ?

             इसी प्रकार से अतिक्रमण तोड़नेवालों से पूछा जाना चाहिए कि जब अतिक्रमण किया जाता है तब आप कहाँ होते हैं इस प्रकार से जिस सन में अतिक्रमण किया गया हो उस सके जिम्मेदार अधिकारियों को न केवल सस्पेंड किया जाए अपितु पेनाल्टी भी लगाई जानी चाहिए ताकि दूसरी बार ऐसा करने का साहस ही न हो !

         जिन सरकारी या निगम के स्कूलों तथा अस्पतालों जैसे अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों के पास किसी भी जनप्रतिनिधि का घर या कार्यक्षेत्र या चुनावी क्षेत्र होता है  ऐसे शुद्ध पवित्र प्रतिनिधियों  से पूछा  जाना  चाहिए कि वे कितनी बार ऐसे सरकारी या निगम आफिसों में जाकर कार्य की गुणवत्ता के परीक्षण करने के लिए औचक निरीक्षण करते हैं ! एक पार्टी के शुद्ध पवित्र दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रत्याशी की दूकान की पास अपना निगम स्कूल है वहाँ सभी प्रकार की शैक्षणिक लापरवाहियाँ  होती हैं किन्तु बिना आमंत्रित किए अगर कल्पित मुख्यमंत्री जी चले जाएँ तो उनके सम्मान में खरोंच आ जाए इसीलिए वो जाते नहीं हैं और जाएँगे भी नहीं ये स्कूल वालों को भी पता होता है ऐसे में लापरवाही तो होगी ही ! चुनाव से पूर्व अपने को सेवक मानने वाले जन प्रतिनिधि चुनाव के बाद अपने को  न जाने क्या क्या और क्यों मान बैठते हैं जब उनके सारे बर्चस्व का आधार जनता का वोट ही है तब जनता से ही अप्रिय व्यवहार करके न जाने वे अपने एवंअपनी पार्टी के लिए ही गड्ढा क्यों खोदते हैं ?

       इसके बाद वे लोग न केवल हमें भूल जाते हैं अपितु हम मिलना भी चाहें तो वो हमसे से जिन सरकारों से गठन आखिर जिसे जनता गलत समझती है 

        दिल्ली के अलावा अन्य प्रदेशों के हालात तो और भी अधिक ख़राब हैं एक बार अपनी शास्त्रीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए मैंने भारत भ्रमण का निश्चय किया उसी क्रम में शास्त्रीय संस्कृति विकास के लिए भ्रमण करते करते उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गया इससे जो एक बात सामने आई वो ये कि वहाँ का कार्यकर्त्ता प्रायः  जिस जनता से भविष्य में वोट मिलना है उससे तो मुख चुराया करता है और अपने बड़े नेताओं के चक्कर लगाया करता  है जब जिस नेता को जहाँ फोन करो तो  वो  मिलने से तो मुख चुरा रहा होता  है और कोई बहाना  पर अपने देश


अंजनी नंदन पवन पुत्र श्री हनुमान जी के श्री चरणों में सादर प्रणाम !

जय हनुमान - सुप्रभातम्- जय श्री राम
इस परम पवित्र प्रभात बेला में अंजनी नंदन पवन पुत्र श्री हनुमान जी के उपासक आप सभी सुधी साधकों को बहुत बहुत बधाई !श्री राम भक्त हनुमान जी सपरिवार आप सभी को उत्तम स्वास्थ्य एवं धनधान्य से पूर्ण करें- साथ ही समस्त समाज,देश एवं समस्त चराचर जगत के लिए मंगल कामना-
निवेदक -
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान
कार्य का प्रारम्भ करो हनुमत आराधना के साथ कभी अमंगल नहीं होगा प्रातः काल की पुण्यतमा बेला में अंजनी नंदन को कोटिशः प्रणाम !!!और पढ़िए -
अब पढ़िए श्री हनुमत सुन्दर काण्ड बिलकुल अलग अलग एवं शास्त्रीय शंका समाधानों सहित!see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/11/blog-post_7853.html
पर 3:28 am

माता पराम्बा भगवती दुर्गा को प्रणाम !

जय अंबे - सुप्रभातम्-जय अंबे
दिन का प्रारम्भ करो दुर्गा आराधना के साथ कभी अमंगल नहीं होगा किन्तु जो लोग भक्त वत्सला जगज्जननी माता पराम्बा भगवती की उपासना नहीं करते हैं और दूसरे तीसरे तरह के पुण्य कार्यों में लगे रहते हैं ऐसे लोगों के पुण्यों को भगवती स्वयं ही निष्फल कर देती हैं -
यो न पूजयते नित्यं चण्डिकां भक्त वत्सलाम् ।
भस्मीकृत्याशु पुण्यानि निर्दहेत् परमेश्वरी ॥
इसलिए प्रातः काल की पुण्यतमा बेला में पराम्बा भगवती दुर्गा को कोटिशः प्रणाम !!!
इस परम पवित्र प्रभात बेला में भगवती दुर्गा के उपासक आप सभी सुधी साधकों को बहुत बहुत बधाई ! माता दुर्गा सपरिवार आप सभी को उत्तम स्वास्थ्य एवं धनधान्य से पूर्ण करें- साथ ही समस्त समाज,देश एवं समस्त चराचर जगत के लिए मंगल कामना-
निवेदक -
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान
इस परं पवित्र अवसर पर अत्यंत आत्मीय और प्रेरक सन्देश .....

अबदुर्गासप्तशतीआदि भी रामचरितमानस एवं सुंदरकांड की ही तरह हिंदी दोहा चौपाई में पढ़िए श्री दुर्गा सप्तशती जैसा कठिन ग्रन्थ!
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान
की ओर से
शास्त्रीय ज्ञानविज्ञान को घर घर जन जन तक पहुँचाने की पवित्र पहल में आप भी सहयोगी बनें-


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दुर्गा सप्तशती की पुस्तक संस्कृत भाषा में होsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/10/blog-post_2.html