सहज चिंतन

भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/

Sunday, 10 April 2022

भूकंप चेतावनी प्रणालियों


 
2016 तक, जापान और ताइवान में व्यापक, राष्ट्रव्यापी भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली है। मेक्सिको सहित अन्य देशों और क्षेत्रों में भूकंप चेतावनी प्रणालियों की सीमित तैनाती है ( मैक्सिकन भूकंपीय चेतावनी प्रणाली मेक्सिको सिटी और ओक्साका सहित मध्य और दक्षिणी मेक्सिको के क्षेत्रों को शामिल करती है ), रोमानिया के सीमित क्षेत्रों ( बुखारेस्ट में बसाराब पुल ), और के कुछ हिस्सों संयुक्त राज्य अमेरिका। सबसे पहले स्वचालित भूकंप पूर्व-पहचान प्रणाली 1990 के दशक में स्थापित की गई थी; उदाहरण के लिए, कैलिफ़ोर्निया में , कैलिस्टोगा फायर स्टेशन की प्रणाली जो भूकंप के पूरे क्षेत्र के निवासियों को सतर्क करने के लिए स्वचालित रूप से एक शहरव्यापी सायरन को ट्रिगर करती है। [२] कुछ कैलिफ़ोर्निया अग्निशमन विभाग भूकंप के निष्क्रिय होने से पहले दमकल स्टेशनों के ऊपरी दरवाजों को स्वचालित रूप से खोलने के लिए अपनी चेतावनी प्रणाली का उपयोग करते हैं। जबकि इनमें से कई प्रयास सरकारी हैं, कई निजी कंपनियां लिफ्ट, गैस लाइन और फायर स्टेशनों जैसे बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली भी बनाती हैं।
कनाडा :2009 में, शेक अलार्म नामक एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली वैंकूवर , ब्रिटिश कोलंबिया , कनाडा में स्थापित और चालू की गई थी । इसे जॉर्ज मैसी टनल नामक महत्वपूर्ण परिवहन बुनियादी ढांचे के एक टुकड़े की रक्षा के लिए रखा गया था , जो फ्रेजर नदी के उत्तर और दक्षिण तट को जोड़ता है। इस एप्लिकेशन में सिस्टम स्वचालित रूप से सुरंग के प्रवेश द्वारों को बंद कर देता है |  भी योजनाएँ बनाई जा रही हैं।
जापान:जापान की भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली को २००६ में व्यावहारिक उपयोग में लाया गया था। आम जनता को चेतावनी देने वाली प्रणाली १ अक्टूबर २००७ को स्थापित की गई थी। [४] [५] इसे आंशिक रूप से तत्काल भूकंप का पता लगाने और अलार्म सिस्टम (यूआरईडीएएस) पर तैयार किया गया था। जापान रेलवे , जिसे बुलेट ट्रेनों की स्वचालित ब्रेकिंग को सक्षम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था । [6]

2011 के तोहोकू भूकंप के ग्रेविमेट्रिक डेटा का उपयोग भूकंपीय मॉडल की तुलना में चेतावनी के समय में वृद्धि के लिए एक मॉडल बनाने के लिए किया गया है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र प्रकाश की गति से यात्रा करते हैं , भूकंपीय तरंगों की तुलना में बहुत तेज। [7]
मेक्सिको

मैक्सिकन भूकंपी अलर्ट सिस्टम , अन्यथा SASMEX के रूप में जाना, 1991 में परिचालन शुरू किया और सार्वजनिक रूप से 1993 में अलर्ट यह कई कहा गया है कि सूचना प्राप्त से वित्तीय योगदान के साथ, मेक्सिको सिटी सरकार द्वारा वित्त पोषित है जारी करना शुरू। प्रारंभ में बारह सेंसर के साथ मेक्सिको सिटी की सेवा , सिस्टम में अब 97 सेंसर हैं और इसे कई मध्य और दक्षिणी मैक्सिकन राज्यों में जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका
शेक अलर्ट द्वारा जारी पूर्व चेतावनी का उदाहरण

संयुक्त राज्य अमेरिका भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसंधान और के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली का विकास शुरू किया संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट अगस्त 2006 में, और सिस्टम को अगस्त 2009 में प्रत्यक्ष बन गया [8] विभिन्न विकास चरणों के बाद, संस्करण 2.0 लाइव चला गया 2018 के पतन के दौरान, "पर्याप्त रूप से कार्यात्मक और परीक्षण" प्रणाली को कैलिफोर्निया, ओरेगन और वाशिंगटन को सतर्क करने के चरण 1 को शुरू करने की अनुमति दी गई । [९]

भले ही शेकअलर्ट 28 सितंबर, 2018 से जनता को सचेत कर सकता है, संदेशों को स्वयं तब तक वितरित नहीं किया जा सकता है जब तक कि विभिन्न निजी और सार्वजनिक वितरण भागीदारों ने मोबाइल ऐप पूरा नहीं कर लिया और विभिन्न आपातकालीन चेतावनी प्रणालियों में बदलाव नहीं किया। पहली सार्वजनिक रूप से उपलब्ध चेतावनी प्रणाली नए साल की पूर्व संध्या 2018 पर जारी किया गया था, शेकअलर्टला ऐप (हालांकि यह केवल लॉस एंजिल्स क्षेत्र में हिलने के लिए सतर्क था )। [१०] १७ अक्टूबर, २०१९ को, कैल ओईएस ने मोबाइल ऐप और वायरलेस इमरजेंसी अलर्ट (डब्ल्यूईए) प्रणाली का उपयोग करते हुए कैलिफोर्निया में अलर्ट वितरण प्रणाली के राज्यव्यापी रोलआउट की घोषणा की । [११] [१२] [१३] कैलिफोर्निया अपनी प्रणाली को कैलिफोर्निया भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली के रूप में संदर्भित करता है। देश के वेस्ट कोस्ट के लिए अलर्ट सिस्टम को पूरा करते हुए, 11 मार्च, 2021 [14] को ओरेगन में और 4 मई, 2021 को वाशिंगटन में एक राज्यव्यापी अलर्ट वितरण प्रणाली शुरू की गई थी । [१५] [१६]
वैश्विक प्रणाली
भूकंप नेटवर्क

जनवरी 2013 में, बर्गामो विश्वविद्यालय के फ्रांसेस्को फिनाज़ी ने भूकंप नेटवर्क अनुसंधान परियोजना शुरू की, जिसका उद्देश्य स्मार्टफोन नेटवर्क पर आधारित एक भीड़-भाड़ वाले भूकंप चेतावनी प्रणाली को विकसित करना और बनाए रखना है। [१] [१७] भूकंप से प्रेरित जमीन के झटकों का पता लगाने के लिए स्मार्टफोन का उपयोग किया जाता है और भूकंप का पता चलते ही एक चेतावनी जारी की जाती है। भूकंप की विनाशकारी लहरों द्वारा पहुंचने से पहले भूकंप के केंद्र और पता लगाने के बिंदु से अधिक दूरी पर रहने वाले लोगों को सतर्क किया जा सकता है। लोग अपने स्मार्ट फोन पर एंड्रॉइड एप्लिकेशन "भूकंप नेटवर्क" स्थापित करके परियोजना में भाग ले सकते हैं। ऐप को अलर्ट प्राप्त करने के लिए फोन की आवश्यकता होती है।
माईशेक

फरवरी 2016 में, बर्कले भूकंप प्रयोगशाला में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले (यूसी बर्कले) MyShake मोबाइल एप्लिकेशन का विमोचन किया। ऐप फोन में एक्सीलेरोमीटर का उपयोग करता है ताकि झटकों को रिकॉर्ड किया जा सके और उस जानकारी को प्रयोगशाला में वापस भेजा जा सके। यह योजना बनाई गई है कि जानकारी का उपयोग भविष्य में प्रारंभिक चेतावनी जारी करने के लिए किया जाएगा। [१८] यूसी बर्कले ने मई २०१६ में ऐप का एक जापानी-भाषा संस्करण जारी किया। [१९] दिसंबर २०१६ तक, ऐप ने दुनिया भर में लगभग ४०० भूकंपों को पकड़ लिया था। [20]
Android भूकंप अलर्ट सिस्टम

11 अगस्त, 2020 को, Google ने घोषणा की कि उसका एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम भूकंप का पता लगाने के लिए उपकरणों में एक्सेलेरोमीटर का उपयोग करना शुरू कर देगा (और कंपनी के "भूकंप का पता लगाने वाले सर्वर" को डेटा भेज देगा)। चूंकि लाखों फोन एंड्रॉइड पर काम करते हैं, इसलिए इसका परिणाम दुनिया का सबसे बड़ा भूकंप का पता लगाने वाला नेटवर्क हो सकता है। [21]

प्रारंभ में, सिस्टम ने केवल भूकंप डेटा एकत्र किया और अलर्ट जारी नहीं किया (संयुक्त राज्य के पश्चिमी तट को छोड़कर, जहां यह यूएसजीएस के शेक अलर्ट सिस्टम द्वारा जारी किए गए अलर्ट प्रदान करता है, न कि Google की अपनी पहचान प्रणाली से)। Android उपकरणों द्वारा एकत्र किए गए डेटा का उपयोग केवल Google खोज के माध्यम से भूकंप पर तेज़ जानकारी प्रदान करने के लिए किया गया था , हालांकि भविष्य में Google की पहचान क्षमताओं के आधार पर कई राज्यों (संयुक्त राज्य में) और कई देशों के लिए अलर्ट जारी करने की योजना हमेशा बनाई गई थी। [२१] २८ अप्रैल, २०२१ को, Google ने ग्रीस और न्यूजीलैंड के लिए अलर्ट सिस्टम के रोलआउट की घोषणा की , जो Google की अपनी पहचान क्षमताओं के आधार पर अलर्ट प्राप्त करने वाले पहले देश थे। [22]
ओपनईईडब्ल्यू

11 अगस्त, 2020 को, लिनक्स फाउंडेशन , आईबीएम और ग्रिलो ने पहली पूरी तरह से ओपन-सोर्स भूकंप पूर्व-चेतावनी प्रणाली की घोषणा की, जिसमें कम लागत वाले सीस्मोमीटर, क्लाउड-होस्टेड डिटेक्शन सिस्टम, डैशबोर्ड और मोबाइल ऐप के निर्देश शामिल हैं। [२३] यह परियोजना यूएसएड , क्लिंटन फाउंडेशन और एरो इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा समर्थित है । स्मार्टफोन आधारित भूकंप पूर्व-चेतावनी प्रणाली भूकंप टूटने वाले क्षेत्र के पास उपयोगकर्ताओं के घने नेटवर्क पर निर्भर हैं, जबकि ओपनईईडब्ल्यू ने किफायती उपकरणों को उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां भूकंप शुरू हो सकते हैं, जहां दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है। इस सिस्टम के सभी घटक ओपन सोर्स हैं और प्रोजेक्ट के GitHub रिपॉजिटरी पर उपलब्ध हैं ।
सामाजिक मीडिया

ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स प्राकृतिक आपदाओं के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। [२४] यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे ( यूएसजीएस ) ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के साथ सहयोग की जांच की है ताकि शेकमैप्स के अधिक तेजी से निर्माण की अनुमति मिल सके। [25] [26]

Posted by Dr Shesh Narayan Vajpayee at 14:31 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest

Friday, 8 April 2022

भेजना है

कोरोना महामारी को सही सही समझने के लिए गणितविज्ञान संबंधी अनुसंधानों की आवश्यकता !    

महामारी  भूकंप आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ जैसी प्राकृतिक घटनाओं के घटित हो जाने के पहले ही इनसे संबंधित अनुसंधानों की भूमिका होती है| ऐसे अनुसंधानों की सार्थकता तभी है जब ऐसी घटनाओं के घटित होने से पहले इनके विषय में अनुमान या पूर्वानुमान लगाया जा सके| उसके अनुशार बचाव के लिए आगे से आगे प्रबंध करके रखे जा सकें जो अवसर आने पर जन धन की सुरक्षा करने में सहयोगी सिद्ध हो सकें |

   ऐसे सार्थक अनुसंधानों का अभाव प्राकृतिक आपदाओं के समय  अत्यंत कष्टप्रद होता है | इनके अभाव में ही कोरोना जैसी हिंसक महामारी आने के पहले इसके विषय में कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका और न ही महामारी आने का कारण पता लगाया जा सका है| महामारी(लहरों) से संक्रमितों की संख्या अपने आप से अचानक बढ़ने या घटने का कारण एवं पूर्वानुमान भी खोजे जाने की आवश्यकता थी | महामारी से भयभीत समाज अभी भी जानना चाहता है कि कोरोना महामारी की कितनी लहरें अभी और आएँगी कब कब आएँगी और यह महामारी संपूर्ण रूप से समाप्त कब होगी |जिसके आधार पर बचाव के लिए कुछ अग्रिम उपाय किए जा सकें |वर्तमान  समय में चल रही कोरोना महामारी के संकट काल में सबसे अधिक आवश्यकता ऐसे अनुसंधानों की है |

     ऐसी परिस्थिति में वेद वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा प्रकृति से लेकर जीवन तक को समझना संभव हो सकता है वहाँ ऐसे विषयों को समझने के लिए विस्तार पूर्वक जानकारी  दी गई है| जिसके द्वारा प्राकृतिक घटनाओं ,आपदाओं एवं कोरोना जैसी महामारियों के स्वभाव को समझते हुए उसके विषय में अनुमान या पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |

                                                महामारी और गणित विज्ञान

     महामारी  और प्राकृतिक आपदाओं  के विषय में अनुसंधान का उद्देश्य ऐसी घटनाओं के स्वभाव प्रभाव का अनुमान और पूर्वानुमान लगाना रहा है | भारत के प्राचीन वैज्ञानिक अनुसंधानों में इस बात का ध्यान रखा जाता था कि ऐसी बड़ी दुर्घटनाओं में जो नुक्सान होना होता है वो प्रायः पहले झटके के साथ हो जाता है उसके बाद ऐसे अनुसंधानों की उपयोगिता ही क्या रह जाती है फिर तो आपदा प्रबंधन का काम शुरू हो जाता है |

     इसलिए सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों का पूर्वानुमान लगाना ही ऐसी घटनाओं से बचाव का  एक मात्र उपाय है यह जानते हुए भी महामारियों के विषय में अभी तक कोई प्रभावी विधा खोजी नहीं जा सकी है इसी लिए महामारी एवं उसकी लहरों के विषय में अभी तक कोई सही पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका जिसे संपूर्ण विश्व ने देखा है | 

    दूसरी तरफ भारत का प्राचीन गणित विज्ञान जिसके द्वारा सुदूर आकाश में घटित होने वाले सूर्य चंद्र ग्रहणों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है जो एक एक मिनट सही घटित होता है | इसमें सूर्य चंद्र और पृथ्वी के संचार को गणित के द्वारा समझकर ही हजारों वर्ष पहले पूर्वानुमान लगा लिया जाता है | इससे सूर्य के संचार को भारत के प्राचीन गणित विज्ञान के द्वारा समझने की क्षमता प्रमाणित होती है | 

    यह सर्व विदित है कि सूर्य के संचार से मौसमसंबंधी सभीप्रकार की प्राकृतिक घटनाओं तथा रोगों महारोगों (महामारियों)आदि  का निर्माण होता है | इनका कारण सूर्य ही है | यही कारण है कि जब जिस प्रकार के रोगों महारोगों के पैदा होने का समय आता है उस समय उसी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ भी घटित होने लगती हैं | ऐसी घटनाओं को देखकर महामारी के विषय में अनुमान लगाया जा सकता है जबकि गणितविज्ञान के द्वारा महामारी जैसी घटनाओं का वर्षों पहले वानुमान भी लगाया जा सकता है | 

    गणितविज्ञान के द्वारा सूर्य के संचार को समझा जा सकता है और सूर्यसंचार के  आधार प्राकृतिक घटनाओं आपदाओं एवं महामारियों के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है | इससे ऐसे महारोगों को समझने में बड़ी मदद मिल सकती है |इसी उद्देश्य से महामारी और मौसम जैसे विषयों में गणित विज्ञान के आधार पर मैं विगत तीस वर्षों से अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ |

    इसी उद्देश्य से मैंने व्यक्तिगत स्तर पर अभी तक जिन जिन प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाया है वो सही निकलता रहा है यहाँ तक कि उसी गणित विज्ञान के आधार पर मेरे द्वारा जो भी पूर्वानुमान लगाए महामारी जैसे अत्यंत  कठिन विषय में भी लगाए गए अनुमान न केवल सही निकलते रहे हैं अपितु महामारी की जितनी भी लहरें आयी हैं उनके प्रारंभ और समाप्त होने के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान भी सच होते रहे हैं | प्रमाण स्वरूप हमारे पास इसी विषय से संबंधित पीएमओ को भेजी गई मेलों के निम्नलिखित कुछ अंश हैं |                                                  

    कोरोना महामारी की तीनों  लहरों के विषय में सच हुए पूर्वानुमान !

 "राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" नामक अपने संस्थान के तत्वावधान में कोरोना महामारी के विषय में जो अनुसंधान किए गए थे वे प्रधानमंत्री जी की मेल पर भेजे जाते रहे वे प्रायः सही होते रहे हैं |भारत में कोरोना महामारी की चार लहरें आई हैं चारों लहरों के विषय में मेरे द्वारा गणित विज्ञान के आधार पर ये पूर्वानुमान लगाए गए हैं जो सही निकलते रहे हैं |

    पहली लहर:- पहली लहर के विषय में 16 जून 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने लिखा था -

   "यह महामारी 9 अगस्त से दोबारा प्रारंभ होनी शुरू हो जाएगी जो 24 सितंबर तक रहेगी !उसके बाद यह संक्रमण स्थायी रूप से समाप्त होने लगेगा और  16 नवंबर के बाद यह स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगा !" 

   घटना :-इस पहली लहर में सबसे अधिक संक्रमण 18 सितंबर 2020 को नापा गया था जो लगभग सही निकला था | 

     दूसरी लहर:- इस विषय में 19 अप्रैल 2021को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने लिखा था -

   "20 अप्रैल 2021 से ही महामारी पर अंकुश लगना प्रारंभ हो जाएगा ! 23 अप्रैल के बाद महामारी जनित संक्रमण कम होता दिखाई भी पड़ेगा !और 2 मई के बाद से पूरी तरह से संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा |  !"

   घटना :- दूसरी लहर में सबसे अधिक संक्रमण दिल्ली में 2 मई 2021 को एवं संपूर्ण भारत में8 मई 2021 को नापा गया था जो लगभग सही निकला था |

 तीसरी लहर:- इस विषय में 18 दिसंबर 2021को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने लिखा था- 

    " वर्तमान समय में जिस वायरस की चर्चा की जा रही है वह महामारी से संबंधित नहीं है वह ऋतु जनित सामान्य विकार है इससे महामारी की तरह डरने या डराने की आवश्यकता नहीं है |वर्तमान समय में जो संक्रमितों की संख्या बढ़ती दिख रही है वह महामारी संक्रमितों की न होकर अपितु सामान्य रोगियों की है | यह सामान्य संक्रमण भी 20 जनवरी 2022 से पूरी तरह समाप्त होकर समाज संपूर्ण रूप से महामारी की छाया से मुक्त हो सकेगा |"

   घटना :-तीसरी लहर में सबसे अधिक संक्रमण 20 जनवरी 2022 को ही संपूर्ण भारत में नापा गया था जो पूर्ण रूप से सही निकला है |


 चौथी लहर:- इस विषय में 20 फ़र॰ 2022 को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने लिखा था- 

    कोरोना महामारी की चौथी लहर 27 फरवरी 2022 से प्रारंभ होगी और 8 अप्रैल 2022 तक क्रमशः बढ़ती चली जाएगी |इसके बाद 9 अप्रैल 2022 से भगवती दुर्गा जी की कृपा से महामारी की चौथी लहर समाप्त होनी प्रारंभ हो जाएगी और धीरे धीरे समाप्त होती चली जाएगी |"

   घटना :- चौथीलहर 27 फरवरी 2022 से चीन आदि 14 देशों में प्रारंभ हो चुकी है जिसका समाप्त होना 9 अप्रैल 2022 से प्रारंभ हो जाएगा | जिन जिन देशों तक यह लहर पहुँच चुकी है वहीँ समाप्त हो जाएगी | इसके और अधिक आगे बढ़ने की संभावना नहीं है |

 विशेषबात :-ऐसी लहरें कब तक आती रहेंगी कितनी लहरें और आएँगी | संपूर्ण रूप से महामारी कब समाप्त होगी आदि आवश्यक प्रश्नों का उत्तर भी इसी विज्ञान के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है |

            अनुसंधान संबंधी सहायता की आवश्यकता   

"राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" नामक अपने संस्थान के तत्वावधान में अभी तक इन अनुसंधानों को अपने सीमित संसाधनों से संचालित किया जाता रहा है | उनके विषय में लगाए गए पूर्वानुमान प्रायः सही निकलते रहने के कारण मुझे अब ऐसे अनुसंधानों को बृहद स्तर पर करने की आवश्यकता लगती है | जिसके लिए अधिक धन की आवश्यकता होना स्वाभाविक ही है |मेरा विश्वास है कि ऐसे अनुसंधानों के बलपर प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के स्वभाव को समझने में भी सुविधा होगी एवं इनके विषय में पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है |

     इसके लिए प्रकृति और जीवन से संबंधित ऐसे वैदिक वैज्ञानिकों की आवश्यकता है जो प्राकृतिक  घटनाओं आपदाओं महामारियों आदि को समझने में सक्षम हों | उनके द्वारा ऐसे विषयों पर पहले से भी ऐसे अनुसंधान किए जाते रहे हों जिनकी प्रमाणिकता घटित होती प्राकृतिक घटनाओं के साथ सिद्ध होती रही हो | जिन वैदिक वैज्ञानिकों के अपने ऐसे प्रमाणित अनुभव रहे हों जो इन अनुसंधानों में अपना योगदान देने में सहायक हो सकें |उस प्रकार के वैदिक वैज्ञानिकों के सहयोग की अपेक्षा होगी |   

    इसप्रकार के वैदिकवैज्ञानिकों की संख्या बहुत कम होने के कारण पिछले कई दशकों से प्राकृतिक घटनाओं ,आपदाओं एवं कोरोना जैसी महामारी के समय में वैदिकवैज्ञानिकों की कोई प्रायोगिक भूमिका देखने को नहीं मिली है | इसीलिए ऐसे किसी शिक्षण संस्थान का सृजन करना होगा जिसमें इस प्रकार के वैदिक वैज्ञानिक विद्वानों को तैयार किया जा सके जो वेद वेदांगों के अभिप्राय को समझ सकें एवं उसके आधार पर वेदवैज्ञानिक दृष्टि से प्रकृति और जीवन से संबंधित अनुसंधानों में अपना योगदान दे सकें |

     इसके लिए बड़े पैमाने पर वैदिकवैज्ञानिकोंको तैयार करने की आवश्यकता है जो प्रकृति और जीवन से संबंधित घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाकर समाज एवं सरकार को आगे से आगे जागरूक कर सकें | यह अतिविशाल कार्य सरकार के सहयोग के बिना संभव नहीं है |     

   अनुसंधानों से लाभ -

    ऐसे अनुसंधानों से महामारी एवं मौसमसंबंधी अध्ययनों को तो सहयोग मिलेगा ही इसके साथ ही ये अनुसंधान प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के संकटपूर्ण समय में समाज की कठिनाइयों को कम करने में सहायक हो सकते हैं| इसकी दूसरी विशेषता यह है कि इसके आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में महीनों पहले पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं जो आपदा प्रबंधन की दृष्टि से बचाव कार्यों में विशेष उपयोगी हो सकते हैं |    

मैं अपने सीमित संसाधनों के द्वारा प्रकृति और जीवन से संबंधित विभिन्न विषयों पर शोधकार्य करता चला आ रहा हूँ |जिनसे इसप्रकार के सहयोगी परिणाम प्राप्त हुए हैं | भारतवर्ष के इन्हीं प्राचीनवैज्ञानिक अनुसंधानों को यदि बृहद स्तर पर चलाया जाता है तो प्रकृति और जीवन से संबंधित  घटनाओं को समझने में उनके विषय में पूर्वानुमान लगाने में एवं जलवायु परिवर्तन जैसे रहस्यों को सुलझाने में बड़ी मदद मिल सकती है |ये अनुसंधान वैश्विक दृष्टि से भारतवर्ष के वैज्ञानिक वैशिष्ट्य की स्वीकार्यता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं |



      

                                                                   निवेदक : 

                                                                    डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                                                            A -7 \41,कृष्णा नगर दिल्ली -51

                                                                             9811226983



Posted by Dr Shesh Narayan Vajpayee at 12:20 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest
Newer Posts Older Posts Home
Subscribe to: Posts (Atom)

Account Detail

Account Detail

Blogger templates

Dr Shesh Narayan Vajpayee
View my complete profile

Pages - Menu

  • Home

ज्योतिष एवं वास्तु संबंधी प्रमाणित और विश्वसनीय सेवाओं के लिए संपर्क सूत्र -

ज्योतिष एवं वास्तु संबंधी प्रमाणित और विश्वसनीय सेवाओं के लिए संपर्क सूत्र -
सशुल्क ज्योतिष जाँच सेवा एवं सरल ज्योतिष काउंसलिंग सुविधा युक्त

Blog Archive

  • ►  2025 (1)
    • ►  June (1)
  • ►  2024 (1)
    • ►  September (1)
  • ▼  2022 (7)
    • ►  May (3)
    • ▼  April (2)
      • भूकंप चेतावनी प्रणालियों
      • भेजना है
    • ►  March (1)
    • ►  February (1)
  • ►  2021 (3)
    • ►  November (1)
    • ►  October (1)
    • ►  April (1)
  • ►  2020 (43)
    • ►  December (1)
    • ►  October (4)
    • ►  August (5)
    • ►  July (12)
    • ►  May (2)
    • ►  March (6)
    • ►  February (2)
    • ►  January (11)
  • ►  2019 (46)
    • ►  November (2)
    • ►  October (5)
    • ►  September (4)
    • ►  August (1)
    • ►  July (4)
    • ►  June (6)
    • ►  May (1)
    • ►  April (1)
    • ►  March (4)
    • ►  February (7)
    • ►  January (11)
  • ►  2018 (79)
    • ►  December (2)
    • ►  November (10)
    • ►  October (13)
    • ►  September (16)
    • ►  August (15)
    • ►  July (5)
    • ►  June (4)
    • ►  May (4)
    • ►  April (1)
    • ►  March (4)
    • ►  February (3)
    • ►  January (2)
  • ►  2017 (137)
    • ►  December (7)
    • ►  November (7)
    • ►  October (18)
    • ►  September (4)
    • ►  August (10)
    • ►  July (16)
    • ►  June (5)
    • ►  May (15)
    • ►  April (11)
    • ►  March (15)
    • ►  February (7)
    • ►  January (22)
  • ►  2016 (121)
    • ►  December (10)
    • ►  November (4)
    • ►  October (4)
    • ►  September (16)
    • ►  August (3)
    • ►  July (11)
    • ►  June (15)
    • ►  May (13)
    • ►  April (6)
    • ►  March (6)
    • ►  February (10)
    • ►  January (23)
  • ►  2015 (173)
    • ►  December (29)
    • ►  November (27)
    • ►  October (36)
    • ►  September (16)
    • ►  August (10)
    • ►  July (7)
    • ►  June (4)
    • ►  May (17)
    • ►  April (4)
    • ►  March (1)
    • ►  February (17)
    • ►  January (5)
  • ►  2014 (32)
    • ►  December (4)
    • ►  November (6)
    • ►  October (4)
    • ►  September (1)
    • ►  August (8)
    • ►  June (1)
    • ►  May (1)
    • ►  February (1)
    • ►  January (6)

Total Pageviews


Pages

  • Home

सहज चिंतन

भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/

About Me

Dr Shesh Narayan Vajpayee
View my complete profile
© Rajeshwari Prachya Vidya Shodh Sansthan. Simple theme. Powered by Blogger.