प्रस्ताव
भविष्य विज्ञान ?
भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं को आगे से आगे जानने की इच्छा प्रायः मनुष्यों के मन में तो होती ही है इनकी आवश्यकता भी है ,क्योंकि यदि किसी को पता लग जाए कि उसके जीवन में कब अच्छा और कब बुरा समय आने वाला है तो वह अच्छे समय का अपनी शिक्षा व्यापार परिवार आदि की उन्नति के लिए उपयोग कर सकता है और बुरे समय के प्रभाव से भविष्य में घटित होने वाली संभावित उन बुरी घटनाओं के दुष्प्रभाव से यथा संभव बचाव कर सकता है |
इसीप्रकार से प्रकृति के क्षेत्र में घटित होने वाली भूकंप आँधी तूफ़ान सूखा बाढ़ आदि प्राकृतिक घटनाओं से कई बार जनधन की भारी हानि हो जाती है | ऐसी घटनाओं के विषय में यदि पहले से पता हो तो इनसे बचाव के लिए व्यक्तिगत तौर पर तो यथा संभव प्रयत्न किए ही जा सकते हैं इसके साथ ही साथ सामाजिक और सरकारी प्रयासों से भी प्रयत्न पूर्वक जन और धन का बचाव किया जा सकता है |इसकी आवश्यकता समझते हुए ही भूकंप आँधी तूफ़ान सूखा वर्षा बाढ़ आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अध्ययन हेतु अनुभव संग्रह एवं पूर्वानुमान लगाने के लिए आज के लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले भारतीयमौसम विज्ञान विभाग की स्थापना की गई थी जो तबसे अभी तक कार्य करता चला आ रहा है |
ऐसे ही चिकित्सा के क्षेत्र में मनुष्यकृत और प्राकृतिक रोगों में अंतर समझने की इसलिए विशेष आवश्यकता होती है क्योंकि मनुष्यकृत रोगों का उपचार खोजना प्राकृतिक रोगों की अपेक्षा कुछ आसान होता है | ऐसे रोगों का स्वभाव ,लक्षण आदि समझना इनकी चिकित्सा खोजना एवं ऐसे रोगों से मुक्ति दिलाने की औषधि खोजना प्राकृतिक रोगों की अपेक्षा आसान होता है|
प्राकृतिक रोगों का उपचार खोजना अधिक कठिन इसलिए होता है क्योंकि ऐसे रोगों के पैदा होने का कारण पता नहीं होता है इसलिए स्वभाव ,लक्षण आदि समझना एवं ऐसे रोगों से मुक्ति दिलाने की औषधि खोजना अभी तक असंभव सा बना हुआ है |
जिस प्रकार से प्रत्येक इनमें भी महामारी जैसे प्राकृतिक रोगों के पैदा और समाप्त होने के लिए एवं बार बार आने जाने वाली इनकी लहरों के लिए जिम्मेदार प्रत्यक्ष कोई कारण दिखाई नहीं पड़ रहा होता है |
के को समझने की दृष्टि से ऐसे अध्ययनों की विशेष आवश्यकता होती है | कौन रोग प्राकृतिक हैं और कौन मनुष्यकृत हैं प्राकृतिक हैं और कौन मनुष्यकृत हैं
के विषय में पूर्वानुमान लगाने की आवश्यकता का अनुभव किया जाता रहा है| उसके आधार पर रोगों को समझने एवं विषय में पूर्वानुमान लगाने में सुविधा हो सकती है | विशेषकर महामारी के समय में महामारीजनित रोगों का स्वभाव समझने एवं उसके विषय में पूर्वानुमान लगाने की अधिक आवश्यकता होती है| महामारी के पैदा होने और उसके समाप्त होने का कारण क्या हो सकता है तथा महामारी जनित संक्रमितों की संख्या बढ़ने और घटने का कारण क्या हो सकता है | महामारी कब पैदा हो सकती है और कब समाप्त होने की संभावना है| महामारीजनित संक्रमितों की संख्या बढ़ने और घटने का अनुमानित समय क्या हो सकता है |
इसकी क्यों करना चाह रहे हैं !
ज्योतिष क्या है पहले जिन्होंने किया है वो आधा अधूरा है !हम उससे बेहतर क्या करना चाह रहे हैं देश समाज राष्ट्र क्या उपयोगिता क्या है भविष्य में इसकी क्या आवश्यकता
मैंने ये किया
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