सहज चिंतन

भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/

Saturday, 15 August 2020

स्वास्थ्य

                                                                               भूमिका  

       चिकित्साशास्त्र में देश काल और स्थान का संकेत बार बार मिलता है इसमें काल अर्थात समय का अध्ययन ज्योतिष शास्त्र के बिना कैसे संभव है | समय से प्राकृतिक वातावरण प्रभावित होता है और समय से शरीर एवं मन प्रभावित होता है |
       किसी क्षेत्र में महामारी फैलने में समय ही मुख्य कारण होता है|किसी स्वस्थ व्यक्ति के
अचानक अकारण ही अस्वस्थ होने का कारण उसका अपना बिपरीत समय होता है |जिन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति सुख शांतिपूर्वक रहते देखा जाता है उन्हीं परिस्थितियों में रहते हुए उसी व्यक्ति को अचानक तनाव होने लगता है |जिन सगे  संबंधियों अथवा अपने पति या पत्नी के साथ जो व्यक्ति कभी प्रेम पूर्वक रहते देखा जाता है उन्हीं सदस्यों पर अचानक और अकारण ही उसे क्रोध आने लगता है | ऐसी सभी विपरीत परिस्थितियों को जन्म देने वाला उसका अपना बिपरीत समय होता है | 

      किस वर्ष के किस महीने में कितने समय तक के लिए महामारी फैलनी है अथवा किस व्यक्ति को किस उम्र में कितने समय के लिए अस्वस्थ या तनाव में रहने की संभावना है | इसका पूर्वानुमान तो ज्योतिष शास्त्र के द्वारा ही लगाया जा सकता है | समय को समझने के लिए ज्योतिषशास्त्र के अतिरिक्त और कोई दूसरा विकल्प नहीं है |
     चिकित्सालयों में सभीप्रकार के रोगियों की अच्छी से अच्छी चिकित्सा की जाती है किंतु उस चिकित्सा के परिणाम उन रोगियों पर अलग अलग दिखाई पड़ते हैं कुछ रोगी स्वस्थ हो जाते हैं तो कुछ अस्वस्थ बने रहते हैं एवं कुछ की दुर्भाग्य पूर्ण मृत्यु होते देखी  जाती है इसका कारण भी उन सभी रोगियों का अपना अपना अच्छा या बुरा समय होता है | 

      इसीलिए चिकित्साशास्त्र में रोगीपरीक्षा और रोगपरीक्षा का निर्देश दिया गया है इसका पूर्वानुमान लगाना समयशास्त्र के द्वारा ही संभव है | कौन रोगी किस प्रकार के रोग से मुक्त होगा या नहीं होगा और होगा तो कितने समय में और नहीं होगा तो उसका जीवन बचने की संभावना कितनी है  आदि बातों का पूर्वानुमान चिकित्सा प्रारंभ करने से पूर्व ही कालज्ञान पद्धति से लगाया जा सकता है | जो ज्योतिषशास्त्र के बिना संभव ही नहीं है | 
     आँधी तूफ़ान बाढ़ भूकंप एक्सीडेंट आदि सभीप्रकार की दुर्घटनाओं में शिकार हुए सभी लोगों में से कुछ पीड़ितों को तो खरोंच भी नहीं लगती जबकि कुछ घायल हो जाते हैं और कुछ की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु होते देखी जाती है | एकसमान घटना घटित होने पर भी उसके परिणाम उन पीड़ित लोगों पर अलग अलग दिखाई पड़ते हैं | इसका कारण उन सब का अपना अपना अच्छा या बुरा समय होता है उससमय जिसका अपना जैसा समय चल रहा होता है वो केवल उतना ही पीड़ित होता है !जिसका पूर्वानुमान समय शास्त्र अर्थात ज्योतिष के द्वारा ही लगाया जा सकता है |
     कुल मिलाकर अपना समय ख़राब हो तो बिना किसी कारण के भी लोगों को रोगी होते या किसी के साथ अचानक और अकारण ही मृत्यु जैसी घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं जिनका कारण अंत तक किसी को पता नहीं चल पाता है जबकि उसका कारण भी उनका अपना समय होता है |
      औषधि निर्माण में जितनी भूमिका उसमें पड़ने वाले द्रव्यों की होती है उतनी ही भूमिका उन द्रव्यों के आनयन एवं औषधि निर्माण की प्रक्रिया में समय की होती है |अच्छे द्रव्यों के सम्मिश्रण से अच्छे समय में निर्मितऔषधि अधिक लाभकारी होती है |         टीकाकरण  विकसित क्षेत्रों में तो हो जाता है किंतु अभी भी बहुत क्षेत्र ऐसे हैं जो विकास से कोसों दूर हैं वहाँ टीकाकरण जैसी सुविधाएँ नहीं पहुँच पाई हैं वहॉं के बच्चे भी उतने ही स्वस्थ सुदृढ़ देखे जाते हैं वहाँ की जनसंख्या भी क्रमिक रूप से बढ़ते देखी जाती है जबकि वहाँ टीकाकरण नहीं हुआ होता है |   
      वर्तमान समय में
महामारियों से मुक्ति दिलाने के लिए जो औषधियाँ वैक्सीनें आदि बनाई जाती हैं वे जब नहीं बनाई जाती थीं तब भी महामारियाँ हमेंशा तो नहीं चलती रहती थीं वे भी समाप्त होते देखी जाती थीं बुरा समय आने पर महामारियाँ पैदा होती थीं और अच्छा समय आने पर स्वतः समाप्त हो जाया करती थीं |

       वर्तमान समय में जब तक महामारियों का वेग अधिक तीव्र रहता रहता है तब तक उन्हें समझने के लिए एवं औषधि या वैक्सीन आदि बनाने के लिए अनुसंधान चलाए जाते हैं और समय प्रभाव से जब महामारी स्वतः समाप्त होने लगती है संक्रमितों के स्वस्थ होने की संख्या जब सत्तर अस्सी प्रतिशत पहुँच जाती है तब वैक्सीन तैयार हो पाती है | 
     ऐसी परिस्थिति में जिस समय सुधार के प्रभाव से जो संक्रमण सत्तर अस्सी प्रतिशत समाप्त हो तो बचे बीस  तीस प्रतिशत लोग भी क्रमशः समय के प्रभाव से ही स्वस्थ होते जा रहे होते हैं |उन पर किसी वैक्सीन का ट्रायल करने से उसका परीक्षण कैसे संभव हो सकता है और उसके द्वारा प्राप्त अनुभवों के आधार पर इस बात का अंदाजा कैसे लगाया जा सकता है कि ये समय के प्रभाव से नहीं अपितु वैक्सीन के प्रभाव से स्वस्थ हुए हैं |ऐसा तो तभी संभव हो सकता था | जब महामारी का संक्रमण
अपने उच्चतम स्तर पर हो और संक्रमण से मुक्त होने वालों की संख्या अत्यंत कम या फिर बिलकुल ही न हो उस समय जिन्हें वैक्सीन दी जाए केवल वही स्वस्थ हो रहे हों तब तो उन पर वैक्सीन का प्रभाव माना जा सकता है अन्यथा नहीं |
     वैक्सीन के ट्रायल में जो सम्मिलित हुए हों या जो न भी हुए हों यदि वे सभी लगभग एक ही अनुपात में संक्रमण मुक्त हो रहे होते हैं तो इसमें समय  के  प्रभाव को ही स्वीकार किया जाना चाहिए | 
     समय के अच्छे या बुरे स्वभाव एवं गति आदि को ठीक ठीक समझने के लिए ज्योतिषशास्त्र के अतिरिक्त और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है |
        
                                                            बिषय वस्तु !

      स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याओं की जड़ है 'समय' और सभी समस्याओं के समाधान का कारण भी समय ही है !प्रायः  देखा जाता है कि बिना किसी लापरवाही या प्रतिकूल खानपान के भी कोई स्वस्थ व्यक्ति अचानक अस्वस्थ होने लगता है इसका कारण होता है उसका अपना बुरा समय ! इसीप्रकार से कोई अस्वस्थ व्यक्ति बिना किसी प्रयास के स्वस्थ होने लगता है इसका कारण उसका अपना अच्छा समय होता है!समय बदलते ही उसके जीवन में परिस्थितियाँ बदलने लग जाती हैं |
     सुदूर गाँवों में जंगलों में जहाँ चिकित्सा सुविधाएँ नहीं हैं वहाँ के लोग भी बुरे समय में अस्वस्थ होते हैं और अच्छे समय में स्वस्थ होते देखे जाते हैं !यदि ऐसा न होता तो संसाधनों के अभाव में भी उनमें से रोगी लोग स्वस्थ कैसे हो जाते हैं ! ऐसी जगहों पर बच्चों के टीका करण की समुचित व्यवस्था न होने पर भी उनके शरीर निरोग और बलिष्ठ होते देखे जाते हैं!
      जंगलों में भी पशु पक्षी आदि एक दूसरे से लड़ झगड़ कर घायल हो जाते हैं उनके भी बड़े बड़े घाव अच्छे समय के प्रभाव से बिना किसी चिकित्सा के भी भर जाते हैं |दूसरी ओर महानगरों में चिकित्सकीय सभी संसाधनों से संपन्न लोगों में भी कुछ रोगों को दीर्घ काल या मृत्यु पर्यन्त रहते देखा जाता है | 
     चेचक पोलियो जैसे रोगों के उन्मूलन करने का प्रयास विकसित क्षेत्रों में किया गया है वहाँ ऐसे  रोग समाप्त हुए हैं इसमें संशय नहीं है किंतु अविकसित क्षेत्रों में भी जहाँ तक ऐसे रोगों के उन्मूलन करने के प्रयास नहीं पहुँच सके हैं वहाँ भी अब ऐसे रोग होते बहुत कम या फिर बिलकुल नहीं होते दिखाई देते हैं |इसमें किसी का प्रयास सम्मिलित नहीं है वहाँ भी यदि ऐसे रोग समाप्त हुए हैं तो उसका कारण यदि समय नहीं तो और दूसरा क्या हो सकता है | 
       कई साधन संपन्न नेता अभिनेता मंत्री उद्योगपति आदि महामारी के प्रारंभ होने के साथ ही एकांतबास में चले गए थे और संपूर्ण रूप से सावधानी बरतते रहे !इसके बाद भी कोरोना से संक्रमित होते देखे गए |
    दूसरी ओर कोरोना जैसी महामारी के अत्यंत कठिन समय में जब महामारी अपने उच्चतम स्तर पर थी उसी समय दिल्ली मुंबई आदि से लाखों की तादाद में मजदूरों का पलायन हुआ जो कई कई दिनों तक रास्ते में चलते रहे सब एक दूसरे को छूते रहे किसी के पास कहीं कोई मास्क नहीं था जहाँ जिसे जो जैसे हाथों से छुआ मिला उन सभी ने बिना बिचार किए खाया पिया उनके छोटे छोटे बच्चों ने खाया बूढ़ों और रोगियों ने भी खाया |ये सारी  बातें चिकित्सकीय दिशा निर्देशों के बिलकुल बिपरीत थीं इसके बाद भी उन लाखों पलायित मजदूर  उस अनुपात में संक्रमित नहीं  हुए |  इसका कारण उन सबका अपना अपना समय नहीं तो और दूसरा क्या हो सकता है ? 
       
      कुलमिलाकर जो जन्मा है वो मरता अवश्य है प्रत्येक व्यक्ति की मृत्यु का एक निश्चित समय होता है | जिसका जिस समय जन्म हुआ होता है उसकी मृत्यु कब होगी यह भी उसी समय में निश्चित हो जाता है !मृत्यु का समय आने पर उसकी मृत्यु होती ही है वो जंगलों में हो या शहरों में गरीब हो या रईस बहुत बड़े हॉस्पिटल में चिकित्सकों की सघन देख रेख में हो या जंगल में अकेला रह रहा हो | समय आने पर मृत्यु सभी जगहों पर समानरूप से होते देखी जाती है !जहाँ चिकित्सा के बहुत अच्छे साधन होते हैं मृत्यु का समय आने पर वहाँ भी लोग मरते ही हैं !
     यदि स्वस्थ या अस्वस्थ होने अथवा मृत्यु होने जैसी घटनाओं पर समय के प्रभाव को न स्वीकार किया जाए तो बड़े बड़े हॉस्पिटलों में चिकित्सकों की सघन देख रेख में रहने वाले साधन संपन्न रोगियों को अमर होना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं होता है इसलिए किसी के रोगी या स्वस्थ होने तथा जन्म और मृत्यु होने का मुख्यकारण सबका अपना अपना समय होता है !चिकित्सा के द्वारा किसी की पीड़ा हरण का प्रयास किया जा सकता है | समय के सहयोग से जो क्रमिक रूप से स्वस्थ हो रहा होता है उसे चिकित्सा के द्वारा कुछ कम समय में स्वस्थ किया जा सकता है किंतु स्वस्थ वही हो पाता है जिसका अपना समय स्वस्थ होने लायक होता है जिसका अपना समय अच्छा नहीं होता है उसके लिए | संसार की अच्छी से अच्छी औषधि निरर्थक सिद्ध होती है |
     समय खराब आता है तो प्रकृति प्रदूषित हो जाती है जल वायु सब दूषित होने लगते हैं ऐसे समय में एक जैसे रोगों से बहुत लोग एक साथ रोगी होने लगते हैं !किंतु विशेष बात ये है कि ऐसे समय में भी रोगी वही होते हैं जिनका अपना भी समय खराब होता है !उन्हीं स्थानों पर उन्हीं परिस्थितियों में रहने वाले कुछ लोग तब भी स्वस्थ बने रहते हैं इसका कारण उनका अपना अच्छा समय होता है जो उन्हें रोगी नहीं होने देता है !
      किसी निश्चित समय के आने पर प्रतिवर्ष डेंगू मलेरिया जैसी बीमारियाँ जोर पकड़ती हैं मौसम अर्थात समय बदलने पर रोग बढ़ने की संभावना होती है इसलिए चिकित्सा में समय की बहुत बड़ी भूमिका है!यहाँ तक कि डेंगू का वायरस मच्छरों में नहीं होता है अपितु डेंगूग्रस्त रोगी मनुष्यों को काट लेने से डेंगू वायरस मच्छरों को मिलता है !ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठता है कि डेंगू ग्रस्त रोगियों में डेंगू का वायरस कहाँ से आता है !इसका सीधा सा उत्तर है जिस व्यक्ति का अपना समय खराब होता है उसे उसके बुरे समय के प्रभाव से ऐसे रोग स्वतः हो जाते हैं ऐसे समय के प्रभाव से होने वाले रोग किसी मच्छर के दंश के मोहताज नहीं होते हैं !
     एक कार में या ट्रेन कई लोग एक साथ बैठे होते हैं कोई दुर्घटना घटित होने पर कुछ लोग मर जाते हैं कुछ घायल होते हैं और कुछ को खरोंच भी नहीं आती है जिसका जैसा समय उस पर वैसा प्रभाव पड़ता है !
     कुल मिलाकर रोग और मृत्यु समय के आधीन होती है !समय आने पर लोगों को रोग भी खोज कर स्वतः उनके पास पहुँच जाते हैं और मृत्यु भी समय आने पर उसके पास पहुँच ही जाती है वो कहीं भी क्यों न छिपे हों !
     इसलिए प्रत्येक स्त्री पुरुष को चाहिए कि वो अपने समय का पूर्वानुमान अवश्य लगाता रहे कि कब उसका अच्छा समय आ रहा है और कब बुरा !इस बात का पूर्वानुमान लग जाने से व्यक्ति सावधानी सतर्कता संयम औषधि सेवन आदि से अपनी सुरक्षा करने में सफल हो जाता है !
      जो लोग इतने बड़े विज्ञान के प्रति गंभीर नहीं होते हैं वे बाबाओं पुजारियों तांत्रिकों मुल्लों मौलवियों से अपने जीवन संबंधी समय का पूर्वानुमान जानना चाहते हैं ये उनका अंधविश्वास ही तो है !
    
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Sunday, 9 August 2020

mail



श्रीमती सोनियाँ गाँधी जी
soniagandhi@sansad.nic.in    10janpath10@gmail.com
office@rahulgandhi.sansad.in   office@rahulgandhi.in
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  gaurav.gogoi@gmail.com   randeep.surjewala@inc.in     officeofrssurjewala@gmail.com  pranav.jha@inc.in     drvineetpunia@gmail.com     sanjeev.singh107@gmail.com  radhika.khera@inc.in           abhaygdubey@gmail.com    prashant@hugeh.com
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CM DELHI <cmdelhi@nic.in>, cmup@nic.in, cmo@punjab.gov.in, cmbihar@nic.in, cm@wb.gov.in, mail@cmo.cg.gov.in, info@shivrajsinghchouhan.org, cmrajasthan@nic.in, cmharyana@nic.in, cm-ua@nic.in, yadavakhilesh@gmail.com, knshikarpur@gmail.com, Jyotiraditya Scindia <scindia1@gmail.com>, vasundhararajeofficial@gmail.com, egopalmohan@gmail.com, Aam Aadmi Party <contact@aamaadmiparty.org>, conact@shivsena.org




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Saturday, 8 August 2020


 कोरोना के बिषय में पूर्वानुमान: 8 अगस्त के बाद कोरोना का संक्रमण अचानक अधिक बढ़ना प्रारंभ होगा जो 24 सितंबर 2020 तक अपने पुराने स्वरूप में पहुँच सकता है|इससे काफी बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित होने की संभावना है !इस समय किसी दवा या वैक्सीन का संक्रमितों पर अधिक असर नहीं होगा !
                                        -  समयवैज्ञानिक डॉ.SN वाजपेयी

 8 से 31 अगस्त तक भारत समेत विश्व के अनेकों देशों प्रदेशों में अत्यंत अधिक बारिश और बाढ़ जैसी घटनाएँ देखने को मिल सकती हैं संभव है कि उन क्षेत्रों में इतनी अधिक बारिश पिछले 100 वर्षों में न हुई हो !
                                         -  समयवैज्ञानिक डॉ.SN वाजपेयी 


Covid-19forecast-After 8 August, corona infection will start to increase suddenly, which will remain till 24 September 2020! It will infect a large number of people! No drug or vaccine will affect the infected at this time!
- Dr. SN Vajpayee

Weather Forecast-
From 8 to 31 August, many countries and regions of the world, including India, can see such incidents of excessive rainfall and floods, it is possible that such areas may not have received so much rain in the last 100 years!

                                                                                                     -  Dr. SN Vajpayee
"Time scientist"

Posted by Dr Shesh Narayan Vajpayee at 23:35 1 comment:
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कोरोना -4

कोरोना पैदा कैसे हुआ ?
     चीन के वुहान में कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत कैसे हुई, इसमें दुनिया भर के रिसर्चरों और पत्रकारों की महीनों से रुचि रही है शुरुआती शोध में वुहान के एक बाजार की बात कही गई जहां मच्छी के साथ साथ जंगली जानवरों का मांस भी बेचा जा रहा था. बताया गया कि यहां चमगादड़ बेचे जा रहे थे और यहीं से कोरोना संक्रमण शुरू हुआ|जनवरी के अंत में "साइंस" नाम की विज्ञान पत्रिका ने एक लेख छापते हुए चीन के आधिकारिक बयान पर सवाल उठाया जिसके अनुसार वायरस मीट बाजार में जानवरों से इंसानों में फैला | इसके बाद ."द लैंसेंट" पत्रिका ने लिखा कि कोविड-19 संक्रमण के शुरुआती 41 मामलों में से 13 कभी वुहान के मीट बाजार गए ही नहीं.इसके बाद पता लगा कि चीन की उस मीट बाजार में चमगादड़ थे ही नहीं |इसलिए वायरस चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी लैब से निकला है |
     इसके बाद वॉशिंगटन पोस्ट ने एक आर्टिकल छाप कर इन खबरों का खंडन किया. अखबार ने जानकारों के हवाले से लिखा कि रिसर्च दिखाती है कि वायरस प्राकृतिक है, इंसानों द्वारा प्रयोगशाला में बनाया गया नहीं. इसके बाद 17 मार्च को नेचर मेडिसिन विज्ञान पत्रिका में क्रिस्टियान जी एंडरसन की रिसर्च छपी जिसने वायरस के प्राकृतिक स्रोत से आने की बात की पुष्टि की है | 
    जनवरी के अंत में "साइंस" नाम की विज्ञान पत्रिका ने एक लेख छापते हुए चीन के आधिकारिक बयान पर सवाल उठाया जिसके अनुसार वायरस मीट बाजार में जानवरों से इंसानों में फैला."द लैंसेंट" पत्रिका ने लिखा कि कोविड-19 संक्रमण के शुरुआती 41 मामलों में से 13 कभी वुहान के मीट बाजार गए ही नहीं | 
     कुल मिलाकर इस बिषय में अभी तक  के अनुसंधानों के आधार पर विश्वास पूर्वक यह नहीं कहा जा सका है कि वुहान की लैब से गलती से वायरस लीक नहीं हुआ होगा और इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि यह वायरस प्राकृतिक नहीं है | 

कोरोना संक्रमण शुरू कब हुआ? 
   चीन द्वारा कोरोना वायरस को लेकर में कहा गया है कि वायरस पहली बार 17 दिसंबर 2019 को संज्ञान में आया। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था पहला संक्रमण नवंबर 2019 में हुआ. अमेरिका की जॉर्जटन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के डेनियल लूसी ने एक इंटरव्यू के आधार पर माना गया कि संक्रमण की शुरुआत नवंबर 2019 में ही हो चुकी थी| 
    हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन में दावा किया गया है कि चीन के वुहान में कोरोना वायरस का संक्रमण अगस्त 2019 में ही फैला होगा। हो सकता है उससे पहले ही इसका प्रसार हुआ होगा।30 जनवरी को भारत में पहला मामला सामने आया।
  
 एक इंसान से दूसरे इंसान में संक्रमण!
चीन के विषाणु विशेषज्ञों ने कोरोना के एक इंसान से दूसरे इंसान में संक्रमण के बारे में 19 जनवरी को पुष्टि की। उसके बाद अधिकारियों ने वुहान में 23 जनवरी से लॉकडाउन लागू किया।

Posted by Dr Shesh Narayan Vajpayee at 13:13 No comments:
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Saturday, 1 August 2020

उत्तराखंड हरियाणा महाराष्ट्र गुजरात उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश छत्तीस गढ़ झारखण्ड









अधिक  बारिश हो सकती है 

सामान्य बारिश होने का अनुमान है

बारिश होने की संभावना नहीं है
अधिक  बारिश हो सकती है 

सामान्य बारिश होने का अनुमान है

बारिश होने की संभावना नहीं है
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