Saturday, 15 February 2020

प्रकृतिरहस्य


   वस्तुतः  प्रकृति का अर्थ होता है स्वभाव किसी का स्वभाव समझे बिना उसके विषय में कुछ भी जानना समझना संभव नहीं है |स्वभाव हर किसी का अलग अलग होता है मनुष्यों की तरह ही प्रकृति का भी स्वभाव होता है !सृष्टि में सभी जीवजंतुओं पेड़ पौधों छोटे से छोटे  कण से लेकर बड़े से बड़े द्रव्य तक का अपना अपना स्वभाव गुण दोष आदि होते हैं | उन्हें समझे बिना उसके विषय में कोई जानकारी कैसे जुटाई जा सकती है | आयुर्वेद में रोग प्रकृति का भी वर्णन मिलता है कुल मिलाकर प्रकृति की प्रधानता है | 
     इस ब्रह्माण्ड की भी अपनी प्रकृति होती है आकाश वायु अग्नि जल पृथ्वी आदि पञ्चतत्वों की अपनी अपनी प्रकृति अर्थात स्वभाव होता है |इनके विषय  से संबंधित गतिविधियों की जानकारी जुटाने के लिए हमें इनकी प्रकृति समझना बहुत आवश्यक होता है | 
     आकाश वायु अग्नि जल पृथ्वी आदि पञ्चतत्वों में से आकाश और पृथ्वी तो स्थिर हैं अर्थात ये जैसे हैं वैसे ही रहते हैं इनका  तो उपयोग होता है |जबकि वायु अग्नि और जल स्वभाव तो इनका भी हमेंशा एक जैसा ही रहता है किंतु प्रभाव बदलता रहता है |उसमें न्यूनाधिकता होती रहती है इनमें से कभी किसी का प्रभाव कुछ कम हो जाता है तो कभी कुछ बढ़ जाता है | 
     इन  वायु अग्नि और जल को ही आयुर्वेद में वात  पित्त और कफ के नाम से बताया गया है |जिस प्रकार से शरीर ये वायु अग्नि और जल यदि उचित अनुपात में बने रहते हैं तो शरीर स्वस्थ मन प्रसन्न बना रहता है उसी प्रकार से प्रकृति में जबतक वायु अग्नि और जल का प्रभाव उचित अनुपात में बना रहता है तब तक प्रकृति स्वस्थ बनी रहती है |

प्राकृतिक घटनाओं पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव !
     मौसमवैज्ञानिकों को अक्सर कहते सुना जाता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम संबंधी पूर्वानुमान गलत हो जाते हैं या कई घटनाएँ अचानक घटित होने लगती हैं इसलिए उनसे संबंधित पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है और जो लगाए भी जाते हैं वे गलत निकल जाते हैं |
     इसीलिए मौसम भविष्यवाणियाँ प्रायः गलत होते देखी जाती हैं और मानसून आने जाने की तारीखें भी इसीलिए गलत होती रहती हैं !दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमान तो गलत होते ही हैं |देखा भी यही जाता है कि वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान प्रायः गलत होते हैं संयोगवश एक आध कोई तीर तुक्का कहीं लग जाए तो और बात है किंतु उस तुक्के के सही होने में मौसम संबंधी विज्ञान की दूर दूर तक कहीं कोई भूमिका नहीं होती है  क्योंकि हमारी जानकारी के अनुशार मौसम से संबंधित कोई विज्ञान अभी तक खोजा  नहीं जा सका है |
      आकाश में स्थित उपग्रह  रडार तो किसी कैमरे की तरह हैं जिनसे उनकी सीमा में आने वाली घटनाओं के चित्र दिखाई पड़ा करते हैं ! उनमें बादल वर्षा आँधी तूफ़ान आदि आकाशीय घटनाओं के चित्र भी दिखाई पड़  जाते हैं उनकी गति और दिशा देखकर इस बात का अंदाजा लगा लिया जाता है कि ये कहाँ कब पहुँचेंगे वही बता दिया जाता है | यदि हवा उसी दिशा में उसी गति से बढ़ती  रहे तब तो कभी कभी तुक्का सही बैठ भी जाता है किंतु यदि हवा का रुख बीच में बदल जाता तो उनके द्वारा लगाए गए तीर तुक्के गलत भी हो जाते हैं |
     भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं के चित्र उन उपग्रहों रडारों आदि से दिखाई नहीं पड़ते हैं इसलिए उनके विषय में वैज्ञानिकों के द्वारा पहले ही साफ साफ कह दिया गया है कि भूकंप जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने का कोई विज्ञान अभी तक खोजा नहीं जा सका है !किंतु ऐसे तो बादल वर्षा आँधी तूफ़ान आदि से संबंधित विज्ञान भी अभी तक खोजा नहीं जा सका है |मानसून आने जाने से संबंधित समय के विषय में पूर्वानुमान लगाने की कोई वैज्ञानिक प्रक्रिया अभी तक सामने नहीं लाई जा सकी है | यह कहना कि इस तारीख को मानसून आ जाता है इस तारीख को चला जाता है इस प्रक्रिया में विज्ञान का उपयोग ही कहाँ है और उन तारीखों में मानसून के आने जाने की कल्पना निराधार है | मौसम संबंधी किसी घटना को इस प्रकार से तारीखों में कैसे बाँधा जा सकता है कि इस तारीख को आँधी आती है इस तारीख को वर्षा होती है | ऐसी परिस्थिति में मानसून आने और जाने की तारीखों का निश्चय बिना किसी वैज्ञानिक आधार के कैसे किया जा सकता है और प्रतिवर्ष एक ही तारीख पर कोई  जैसी घटना घटित होती रहेगी ऐसा कहने के पीछे वैज्ञानिक आधार भी तो होना चाहिए जो नहीं है | 
       कुलमिलाकर जिस विषय में पूर्वानुमान लगाने का कोई विज्ञान ही नहीं खोजा  जा सका है उस विषय में बिना किसी वैज्ञानिक आधार के यदि कुछ तीर तुक्के लगाए जाते हैं और वे गलत निकल जाते हैं तो आवश्यकता मौसम विज्ञान के खोजे जाने की है न कि गलत हो जाने वाले अंदाजों का दोष जलवायु परिवर्तन जैसे काल्पनिक शब्द का निर्माण करके उस पर मढ़ दिया जाए !

                       जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली प्राकृतिक घटनाओं का सच ! 
     वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि जो घटनाएँ अभी घटित होते दिख रही होती हैं उनका निर्माण भी तभी हुआ था जब यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड निर्मित हुआ था और आज के दस बीस हजार वर्ष बाद भी जो प्राकृतिक घटनाएँ घटित होंगी उनका निर्माण भी ब्रह्माण्ड निर्मित होने के साथ साथ ही हुआ था | इसलिए ऐसी सभी घटनाएँ अपने पूर्वनिर्धारित क्रम में अपने अपने निश्चित समय पर घटित होते चली जाती हैं ! इसमें जलवायुपरिवर्तन जैसी किसी अन्य प्रकार की आशंका के लिए कोई गुंजाईश ही नहीं है और न ही इससे कोई फेरबदल ही हो सकता है !कई बार कोई दो घटनाएँ जो आपस में एक दूसरी घटना से जुड़ी होती हैं एक दूसरे के विषय में सूचना देती हैं किंतु उन दोनों के बीच में आपसी अंतराल सैकड़ों वर्षों का होता है और मनुष्य के आयु की सीमा है इसलिए उन दोनों के आपसी संबंध को  समझना कठिन होता है |
    अभी हाल के कुछ वर्षों में मौसमसंबंधी जो बड़ी घटनाएँ घटित हुई हैं उनके विषय में  जिन मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा पूर्वानुमान नहीं लगाए जा सके थे और जो लगाए जाते रहे उनमें से अधिकाँश गलत होते रहे |ऐसे लोगों के द्वारा यदि आज यह कहा जा रहा है कि आज के पचास या सौ वर्ष बाद जलवायु परिबर्तन के कारण बार बार आँधी तूफ़ान आएँगे सूखा पड़ेगा बाढ़ की घटनाएँ घटित होंगी तापमान बढ़ जाएगा ग्लेशियर पिघल जाएँगे आदि  जितनी भी भयदायक भविष्यवाणियाँ प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित की जा रही हैं उन भविष्यवाणियों को  सही किस आधार पर मान लिया जाए |ऐसे लोगों के द्वारा दोचार दिन पहले के विषय में की जाने वाली मौसम संबंधी भविष्यवाणियों के सच घटित होने का अनुपात अत्यंत कम है तो जो वो आज के सैकड़ों वर्ष बाद के विषय में भविष्य वाणियाँ करते हैं उन के विषय में भरोसा कैसे किया जाए !अभी हाल के कुछ वर्षों में मौसमसंबंधी ये कुछ बड़ी घटनाएँ घटित हुई हैं जिनके पूर्वानुमान  या तो बताए नहीं जा सके या फिर गलत हुए हैं इस विषय में अपनी कमी या मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाने की अपनी अयोग्यता स्वीकार करने के बजाए उनके गलत होने का संपूर्ण दोष जलवायु परिवर्तन के मत्थे मढ़ दिया गया है |
     16 -6 -2013 में केदार नाथ जी में घटित हुई इतनी बड़ी घटना जिसमें 4400 लोग मारे गए या लापता हो गए 4200 से अधिक गाँवों का आपस में संपर्क टूट गया ,991 स्थानीय लोग मारे गए 11091 से अधिक जानवर बाढ़ में बह गए या दब कर मर गए !ग्रामीणों की 1309 हेक्टेयर जमीन बाढ़ में बह गई थी 2141 भवनों का नामों निशान  मिट गया था 100 से ज्यादा होटल ध्वस्त हो गए थे। यात्रा मार्ग में फंसे 90 हजार यात्रियों को सेना ने और 30 हजार लोगों को पुलिस ने बाहर निकाला। आपदा में नौ नेशनल हाई-वे, 35 स्टेट हाई-वे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए।मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा इस विषय में भी कोई स्पष्ट पूर्वानुमान  नहीं  बताया गया था !
     सन 2016 में 10 अप्रैल के बाद से शुरू होकर मई जून तक आधे भारत में भीषण गर्मी होती रही इसी समय में आग लगने की हजारों घटनाएँ घटित हुईं यहाँ तक कि इसीकारण बिहार सरकार को जनता से अपील करनी पड़ी कि दिन में चूल्हा न जलाएँ और हवन  न करें !इसी समय कुएँ नदी तालाब आदि सभी तेजी से सूखे जा रहे थे !इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ इसी कारण से ट्रेन से पानी की सप्लाई करनी पड़ी थी ! ऐसी परिस्थिति में गर्मी की ऋतु तो प्रतिवर्ष आती है किंतु ऐसी दुर्घटनाएँ तो हरवर्ष नहीं दिखाई सुनाई पड़ती हैं !इस वर्ष ऐसा होगा इस विषय में मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा कोई पूर्वानुमान नहीं दिया गया था ? 
     3 अगस्त 2018 को भारतसरकार के द्वारा अगस्त सितंबर के लिए सामान्य वर्षा होने की भविष्यवाणी की गई थी किंतु 7   अगस्त 2018 को केरल में भीषण वर्षात शुरू हुई जो 14 अगस्त तक चली जिसमें केरल  डूबने उतराने लगा !यहाँ तक कि बाढ़पीड़ित केरल के मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि मुझे इस  विषय में सरकारी मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा कोई सूचना नहीं दी गई थी और न ही ऐसी कोई भविष्यवाणी ही की गई थी !जब इतनी अधिक वर्षा हो गई तब उन्हीं मौसम भविष्यवक्ताओं ने सच्चाई स्वीकार करते हुए कहा कि बारिश अप्रत्याशित होने के कारण उनकी समझ से बाहर थी !इसका कारण जलवायु परिवर्तन हो सकता है !
         इसी प्रकार से सन 2018 में  11 अप्रैल और 2 मई को आए तूफान की वजह से जन धन का भारी नुकसान हुआ था। तूफान में हजारों पेड़ टूट गए थे।मई जून में आँधी तूफ़ान की कई बड़ी घटनाएँ घटित हुईं जिनके विषय में मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा कोई अग्रिम अनुमान नहीं बताया गया था !उधर जब घटनाएँ घटित होने लगीं जनधन की हानि भी काफी मात्रा में होने लगी तो मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा भी बहते पानीमें हाथ धोने की कोशिश की गई उनके द्वारा भी  आँधी तूफ़ान आने की भविष्यवाणियाँ भी की जाने लगीं जो गलत निकलत चली गईं !7-8 मई के विषय में सरकारी मौसम भविष्य वक्ताओं ने भीषण तूफ़ान आने की भविष्यवाणी की गई कुछ प्रदेशों में सरकारों के द्वारा सतर्कता बरतते हुए स्कूल कालेज बंद कर दिए गए ! जबकि उस दिन हवा का एक झोंका भी नहीं आया !ऐसी घटनाएँ पूरे समय में घटित होती रहीं और इनका पूर्वानुमान देने में भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियाँ लगातार गलत होती चली गईं !
      17 अप्रैल 2019 को भीषण बारिश आँधी तूफ़ान बिजली गिरने आदि की घटनाएँ हुईं जिसमें लाखों बोरी तैयार गेहूँ भीग गया !लाखों एकड़ में खड़ी हुई तैयार फसल बर्बाद हुई !इसका भी कोई पूर्वानुमान मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा  नहीं बताया गया था ?    
    इसी प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को 28 जून 2015 को बनारस पहुँचकर बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर के साथ इंट्रीगेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम और बनारस के रिंग रोड का शिलान्यास करना था। इसके लिए काफी बढ़ा आयोजन किया गया था किंतु उस दिन अधिक वर्षा होती रही इसलिए कार्यक्रम रद्द करना पड़ा !इसके बाद इसी कार्यक्रम के लिए 16 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री जी का कार्यक्रम तय किया गया !उसमें भी लगातार बारिश होती रही उस दिन भी मौसम के कारण प्रधानमंत्री जी की सभा रद्द करनी पड़ी !रधानमंत्री जी का कार्यक्रम सामान्य नहीं होता है उसके लिए सरकार की सभी संस्थाएँ सक्रिय होकर अपनी अपनी भूमिका अदा करने लगती हैं कोई किसी के कहने सुनने की प्रतीक्षा नहीं करता है !ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठता है कि सरकार के मौसमभविष्यवक्ताओं  ने अपनी भूमिका का निर्वाह क्यों नहीं किया ?प्रधानमंत्री जी की इन दोनों सभाओं के आयोजन पर भारी भरकम धन खर्च करना पड़ा था ! उस सभा में 25 हज़ार आदमियों को बैठने के लिए एल्युमिनियम का वॉटर प्रूफ टेंट तैयार किया गया था ! जिसकी फर्श प्लाई से बनाई गई थी जिसे बनाने के लिए दिल्ली से लाई गई 250 लोगों की एक टीम दिन-रात काम कर रही थी ।वाटर प्रूफ पंडाल, खुले जगहों पर ईंटों की सोलिंग और बालू का इस्तेमाल कर मैदान को तैयार किया गया था ! ये सारी कवायद इसलिए थी कि मौसम खराब होने पर भी कार्यक्रम किया जा सके किंतु मौसम इतना अधिक ख़राब होगा इसका किसीको अंदाजा ही नहीं था !मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा इस विषय में कोई पूर्वानुमान नहीं दिया गया था !
     इसके अलावा भी बहुत सारी छोटी बड़ी घटनाएँ तो अक्सर घटित होती रहती हैं सबका उद्धृत किया जाना यहाँ संभव नहीं है चूँकि बड़ी घटनाओं के विषय में तो सभी चिंतित होते हैं इसलिए उधर सबका ध्यान जाता है !इसलिए ऐसे समय में मौसम भविष्यवक्ताओं  की सच्चाई सामने आ  ही जाती है !
      इसके अतिरिक्त मुख्य बात एक और है कि भारत में सरकार के द्वारा जून से सितंबर तक वर्षा होने का समय माना जाता है इसके विषय में प्रतिवर्ष मौसम भविष्यवक्ताओं को दीर्घावधि पूर्वानुमान बताना होता है !इस चार पाँच महीने पहले का पूर्वानुमान एक साथ बताने का आजतक साहस नहीं कर सके ये भी अप्रैल से लेकर अगस्त तक तीन बार में बताया जाता है !फिर भी इनके सही होने का अनुपात इतना कम है कि इन्हें सिद्धांततः भविष्यवाणी नहीं माना जा सकता !
       मानसून किस तारीख को आएगा इसकी तारीख भविष्यवक्ताओं के द्वारा हर वर्ष बताई जाती है यह बात और है कि उस तारीख में शायद कभी मानसून आता भी हो किंतु ऐसा होना बहुत कम वर्षों में ही संभव हो पाया है !
         ऐसी परिस्थिति में जिन मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा दोचार महीने पहले के मौसम संबंधी सही पूर्वानुमान बता पाना संभव हो पाता हैं उन्हीं  मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा यह बताया जा रहा है कि ग्लोबलवार्मिंग और जलवायुपरिवर्तन के कारण ही आज के सैकड़ों वर्ष बाद घटित होने वाली सूखा, अकाल, वर्षा ,बाढ़ एवं आँधी तूफ़ान जैसी मौसम संबंधी घटनाओं की भविष्यवाणी की जा रही है ऐसी बातों पर कितना विश्वास किया जाए ये समाज स्वतः करे !  

                        जलवायुपरिवर्तन होना संभव है क्या ?

      परिवर्तन संसार का शाश्वत नियम है वो आवश्यक भी है क्योंकि परिवर्तनों को देखकर ही इस बात का अनुमान लगाया जाता है कि समय बीत रहा है इसलिए प्रत्येक आकारवान वस्तु में प्रत्येक क्षण परिवर्तन होते देखे जा  रहे हैं आकार रहित अर्थात जो चीजें दिखाई नहीं पड़ती हैं उनमें परिवर्तन होना संभव नहीं है |

      समय अपनी गति से बीतते चला जा रहा है किंतु निराकार होने के कारण  समय बीतते हुए किसी को दिखाई पड़ता नहीं है |यदि किसी को आकाश के किसी ऐसे स्थान पर रख दिया जाए जहाँ केवल चारों ओर केवल आकाश ही आकाश हो जहाँ से सूर्यचंद्र आदि कोई भी ग्रह नक्षत्र समेत दूर दूर तक कहीं कुछ भी न दिखता हो ऐसी परिस्थिति में उसे समय बीतने का अनुभव कैसे होगा ! क्योंकि समय बीतने का अनुभव तभी होता है जब बदलाव दिखाई पड़ते हैं |पृथ्वी पर जहाँ हम सभी लोग रह रहे हैं तो पृथ्वी से आकाश तक सबकुछ हर क्षण बदलते हुए दिखाई पड़ता है जिससे समय बीत रहा है इसका अनुभव होता है इसके अतिरिक्त बीतते हुए समय के विषय में अनुभव करने का कोई और दूसरा विकल्प बचता नहीं है |

     इसी प्रकार से पंचतत्वों के प्रभाव में परिवर्तन संभव नहीं है उनका स्वभाव प्रभाव गुण दोष आदि  किन्हीं भी परिस्थितियों में बदले नहीं जा सकते हैं जल का स्पर्श ठंडा होता है ये उसका स्वभाव है इसलिए उसे कितना भी गर्म किया जाए किंतु अंत में ठंडा ही हो जाएगा !वायु का स्वभाव निराकार रहते हुए भी सबका स्पर्श करना है तो वो हजारों वर्ष पहले ऐसा करती थी और आज भी ऐसा ही करते देखी जा रही है |अन्य तत्वों के विषय में भी ऐसा ही होते देखा जा रहा है | 
     ऐसी परिस्थिति में जलवायु का परिवर्तन कैसे संभव है और उसके लक्षण तथा प्रमाण क्या है तथा सुदूर अतीत में ऐसी कौन कौन सी घटनाएँ घटित होती थीं जो आज जलवायु परिवर्तन के कारण बदल गई हैं तब उनका स्वरूप क्या था और आज क्या हो गया है |यदि पहले  अपेक्षा आज तक कुछ बदल गया है तब तो भविष्य में कुछ और बदल जाने की कल्पना करना तर्क संगत होगा किंतु यदि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ तो आज अचानक ऐसी  आशंका करने का औचित्य और आधार क्या है |
      बादल वर्षा आँधी तूफ़ान आदि जहाँ कहीं से प्रारंभ होते हैं उसके बाद उन्हें आकाश मार्ग से ही जाना आना होता है इसलिए आकाशस्थ उपग्रहों रडारों आदि के माध्यम से दिखाई पड़ जाते हैं तो उनकी गति और दिशा का अंदाजा लगा लिया जाता है कि ये कब कहाँ पहुंचेंगे मौसमविज्ञान के नाम पर केवल आकाशस्थ उपग्रहों रडारों से प्राप्त चित्रों की भूमिका को ही मौसम विज्ञान भले मानलिया जाए !भूकंप जैसी घटनाएँ पहले से देखने का कोई साधन नहीं है इसलिए पहले से ही हाथ खड़े कर दिए गए हैं कि भूकंप संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है |मौसम के विषय में पहले से बताया गया कोई पूर्वानुमान जब गलत होने लगता है तब वे कहने लगते हैं कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है |
   आवश्यकता इस बात की है कि मौसम विज्ञान के नाम पर जो चीजें पढ़ाई जा रही हैं उनका मौसम विज्ञान से कोई संबंध है भी या नहीं इस बात को तर्कों प्रमाणों  और अनुभवों के आधार पर सिद्ध न किया जाना चाहिए उसके बाद ही इसे विज्ञान मानकर पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किया जाना चाहिए था किंतु वर्तमान समय में तो मौसम विज्ञान के क्षेत्र में जो शिक्षक हैं स्कूलों कॉलेजों में ऐसे विषयों पढ़ा रहे हैं उनके द्वारा लगाए जाने वाले पूर्वानुमान ही सच नहीं होते हैं तो ऐसे कल्पित विज्ञान को जिन्हें पढ़ाया जा रहा है वो इस विषय में क्या कुछ कर पाएँगे ये तो भविष्य के ही गर्भ में है |
    अभी तक मौसम विज्ञानं के नाम पर जो कुछ जाना जाता है उसके आधार पर लगाए गए मौसम संबंधी पूर्वानुमानों का सच होना संभव ही नहीं है क्योंकि वह कोई विज्ञान  तो होता  नहीं है अपितु वह तो बादलों या आँधी तूफानों की जासूसी करने की प्रक्रिया मात्र होती है किंतु जिन्होंने इस प्रक्रिया को भी विज्ञान मान लिया है वे इस जासूसीप्रक्रिया के आधार पर मौसम संबंधी जो पूर्वानुमान लगाते हैं वे सही ही होंगे ऐसा मानकर चलते हैं किंतु जब वे गलत निकल जाते हैं तब उन्हें अपनी गलती का एहसास तो होता नहीं है अपितु वे मौसम को ही गलत बताने लगते हैं और मानसून आने जाने की तारीखें आगे पीछे करने को उतावले हो उठते हैं मौसम विज्ञान संबंधी अनुसंधानों के अभाव में जलवायु परिवर्तन जैसे न जाने कितने अंध विश्वासों को पैदा कर दिया गया है जो ऐसे लोगों के के मन में हुए इसीप्रकार के भ्रम की उपज हैं |  ऐसा भ्रम जिस किसी को भी होने लगता है तो उसे लगने लगता है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है|
     यदि इसमें कहीं कोई विज्ञान का अंश होता तो जासूसी भावना से ऊपर उठकर मौसम निर्मात्री शक्तियों के स्वभाव की समझ विकसित करने के विषय में अनुसंधान होता तो उसे मौसम विज्ञान माना जा सकता है |
                                                ग्लोबलवार्मिंग
    ग्लोबलवार्मिंग का अर्थ है 'पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन' पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने से  समुद्र के जलस्तर में वृद्धि की परिकल्पना की जा रही है !
     विशेष बात यह है कि एक ओर कहा जा रहा है कि यह लंबे समय के अनुभव के बाद पता लग पाया है जबकि मौसम के  क्षेत्र में अनुसंधान के देता संग्रह करते अभी सौ दो सौ वर्ष भी तो मुश्किल से बीते हैं करोड़ों वर्ष के पृथ्वी के इतिहास के क्रम में सौ दो सौ वर्ष  के अनुभव की विसात ही क्या है ऐसा कोई अंधविश्वास पालकर बैठ जाने से अच्छा है कि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने की संपूर्ण प्रक्रिया को ही अनुसंधान का विषय और  जाए ! 
     किसी दिन प्रातः काल से शाम तक के क्रम को देखा जाए तो दोपहर तक तापमान बढ़ता है और दोपर बाद धीरे धीरे कम होने लगता है शाम तक सामान्य हो जाता है |ऐसी परिस्थिति में यदि किसीबजे  ने प्रातः 8 ,10 और 11बजे का तापमान रिकार्ड किया हो तो क्रमिक रूप से बढ़ता जा रहा होता है !इसके आधार पर यदि अनुमान लगाया जाएगा तब तो लगेगा कि शाम के सात बजे तक तापमान बहुत अधिक बढ़ जाएगा जबकि ऐसा होता नहीं है किंतु इस भ्रम का निराकरण शाम होने के बाद ही हो पाता है | ऐसे में यदि दोपहर 11 बजे तापमान बढ़ता देखकर किसी को लगे कि भोजन बनाने के लिए चूल्हा जलने के कारण तापमान बढ़ रहा है इसलिए चूल्हा जलने बफ्ड कर दिए जाने चाहिए !ये कितना बड़ा भ्रम होगा |
   जिस प्रकार से चंद्रमा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से क्रमिक रूप से एक एक कला बढ़ता जाता है और फिर उसी क्रम में एक एक कला कम होता चला जाता है | ये प्रकृति का क्रम है ये संपूर्ण प्रक्रिया 30 दिनों में पूरी होती है |
      जिस प्रकार से वर्ष के क्रम में मार्च के महीने में सामान्य तापमान होता है फिर क्रमशः बढ़ता चला जाता है और जून में बहुत अधिक बढ़ जाता है उसके कम होना प्रारंभ हो जाता है तापमान घटने बढ़ने का ये क्रम वर्ष पर्यन्त चला करता है | 
     दिन महीना वर्ष आदि में जो क्रम क्रमशः बढ़ने घटने का दिखाई पड़ता है उसी प्रकार का सैकड़ों हजारों वर्ष का भी कोई कालखंड होगा जिसमें तापमान स्वाभाविक रूप से बढ़ता और घटता होगा !ये तो प्रकृति का नियम है | 
     जहाँ तक ग्लेशियर पिघलने की बात है तो गर्मी होती है तो पिघलेंगे ही उनकी संरचना ही इसीलिए हुई है कि गर्मी की ऋतु में उनके द्वारा जलापूर्ति होती रहे इसके बाद सर्दी की ऋतु में वही ग्लेशियर फिर जम जाते हैं !यदि गर्मी कई दशकों के रिकार्ड तोड़ते देखि जाती है तो सर्दी भी कई दशकों के रिकार्ड तोड़ते देखी  जाती है ग्लेशियरों पर पड़ी वर्फ जिस अनुपात में गर्मी में पिघल जाती है उसी अनुपात में सर्दी में जम भी जाती है ये तो प्रकृति का नियम है !इसमें किसी प्रकार की शंका करने से क्या लाभ !
       जहाँ तक बात पृथ्वी का तापमान बढ़ने की है तो वैसे तो पृथ्वी के अंदर अग्नि जल वायु आदि अपना पर्याप्त मात्रा में संग्रहीत है जिसके बलपर पृथ्वी समेत समस्त गृह आकाश में टिके हुए हैं | पहले लोग हाथ से जल निकालते थे तब उतना जल दोहन नहीं हो पता था जितना अब मोटर पंप आदि से पानी निकाल लिया जाता है उससे जलस्तर घटता है तो पृथ्वी के गर्भ में स्थित अग्नि को नियंत्रित रखने के लिए जितनी मात्रा में जल भरना आवश्यक है उससे भी कम हो जाता है तो पृथ्वी का तापमान बढ़ना स्वाभाविक ही है | 
      पृथ्वी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए उसी मात्रा में रिसाइकिल होकर जल आकाश से बरसता है इसलिए जगह जगह भीषण बाढ़ आते देखी जाती है !क्योंकि पृथ्वी के कोठे जो जल निकाल निकाल कर खाली कर दिए जाते हैं प्रकृति को उन्हें तो भरना ही पड़ेगा उसके लिए कितना भी क्यों न बरसना पड़े !क्योंकि बरसा ऋतु आती ही पृथ्वी की प्यास बुझाने के लिए है | 
        इस प्रकार से प्रकृति का अपना सारा सुनियोजित कर्म बना हुआ है हमें अधिक बर्फबारी होने से हिमयुग की आशंका होती है अधिक गर्मी होने से ग्लोबलवार्मिंग की चिंता होती है अधिक वर्षा होने से बाढ़ की चिंता होती है | आखिर हम ऐसा क्यों चाहते हैं कि प्राकृतिकघटनाएँ हमसे पूछ पूछ कर  घटित हुआ करें ! 
      मौसमवैज्ञानिकों की मौसमी घटनाओं से अक्सर शिकायत रहती है कि मानसून समय पर नहीं आया या देर से गया या वर्षा समय से नहीं हुई अथवा अनुमान से कम हुई या आँधी तूफ़ान इस समय इतने आ गए ऐसा होता नहीं था आदि आदि  ! ऐसी शिकायतों से ऊपर उठकर  मौसमी घटनाओं के स्वभाव को समझना होगा | 
      
प्राकृतिक घटनाओं में आपसी संबंध        
     सूखा वर्षा बादल आँधी तूफ़ान आदि सभी प्रकार की छोटी बड़ी प्राकृतिक घटनाएँ हमेंशा घटित होते चली आ रही हैं | इनके घटित होने की तारीखें ,समय ,मात्रा और स्थान एक जैसे कभी नहीं रहते परिस्थितियों में कुछ न कुछ परिवर्तन तो होता रहता है | इसलिए मौसम अनुसंधानों के नाम पर इन्हें आपसे में एक दूसरे की तरह घटित होने की कल्पना करना उचित नहीं है | पिछले वर्ष इतनी बारिश हुई थी अबकी कम हुई !पिछली बार इस तारीख को मानसून आया या गया था अबकी ऐसा नहीं हुआ पिछली बार इस महीने के इस सप्ताह में इतने सेंटीमीटर बारिश हुई थी अबकी नहीं हुई | पिछले वर्ष बहुत तूफ़ान आए अबकी नहीं आए | ये चर्चाएँ निरर्थक एवं समय बिताने के लिए की जाती हैं | 
     प्राकृतिक घटनाओं के विषय में कुछ अचानक या अप्रत्याशित नहीं होता है अपितु जो वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि घटनाएँ अभी घटित होते दिखाई देती हैं या आज के हजारों लाखों वर्ष बाद में भी घटित होती दिखाई देंगी ऐसी  सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का बीजारोपण इस ब्रह्मांड के निर्माण के साथ साथ ही हो गया था | उसी समय इन घटनाओं के घटित होने का क्रम भी बन गया था कि ये आज के हजारों लाखों वर्ष बाद भविष्य में किस वर्ष के किस महीने के किस दिन में घटित होंगी | उसके साथ ही यह भी उसी समय निश्चित हो गया था कि जितने भी प्रकार की घटनाएँ भविष्य में जब जब घटित होंगी तब तब उन घटनाओं के कुछ वर्ष महीने दिन आदि आगे पीछे भी कुछ घटनाएँ घटित होंगी | इसलिए ये सभी घटनाएँ आपस में एक दूसरे से संबंधित होती हैं | इनमें अंतर केवल इतना होता है कि जो घटना आज घटित होते दिखाई पड़ रही है प्रकृति इस घटना के विषय की सूचनाएँ इसके कुछ समय पहले से अभी तक घटित होती चली आ रही कुछ दूसरी प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से देती चली आ रही थी |उनसे प्राप्त संकेतों का अनुसंधान करके आज घटित हुई प्राकृतिक घटना के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है | इसके साथ ही जो घटना आज घटित हो रही है यह भी भविष्य में किसी दूसरी घटना के घटित होने की सूचना दे रही होती है | इस प्रकार से माला के मनकों की तरह ही समय के धागे में घटनाएँ क्रमिक रूप से गुथी हुई हैं जिस प्रकार से जप करने वाली माला में एक गुरिया दूसरी गुरिया ऐसे ही तीसरी चौथी आदि आया जाया करती हैं उनका क्रम टूटता नहीं है और न ही उनमें से कोई गुरिया अचानक आ जाती है | ऐसे ही प्राकृतिक घटनाओं के विषय में समझा जाना चाहिए | जब से सृष्टि बनी तब से लेकर आज तक यही क्रम बना हुआ है आगे भी यही चलता रहेगा |
     सामाजिक घटनाएँ भी इसी प्रकार से समय रूपी धागे में गुथी हुई होती हैं जब जैसा समय आता है तब तैसी घटनाएँ घटित होती चली जाती हैं |सामाजिक उन्माद गृहयुद्ध या दो राष्ट्रों में होने वाले युद्ध जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान समय की इसी पद्धति के द्वारा लगा लिया जाता है |
    स्वास्थ्य के संबंध में भी ये घटनाएँ इसी प्रकार से क्रमिक रूप से घटित होती चली जाती हैं सामूहिक महामारी आदि घटनाएँ किसी भी क्षेत्र में घटित होती हैं तो उसके विषय की सूचनाएँ काफी पहले से प्रकृति में घटित होने वाली कुछ दूसरी घटनाओं के द्वारा दी जा रही होती है !इसकी चर्चा आयुर्वेद के चरक संहिता आदि ग्रंथों में भी मिलती है | 
     व्यक्तिगत जीवन में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएँ या तनाव आदि मानसिक समस्याएँ भी समय के उसी क्रम में जीवन में आती जाती रहती हैं जब जैसा समय होता है तब तैसी परिस्थितियाँ घटित होती चली जाती हैं वैसी ही मनस्थिति भी बनते चली जाती हैं | अच्छे समय के प्रभाव से जिन परिस्थितियों में जो व्यक्ति कभी स्वस्थ एवं प्रसन्न रह लिया करता है उन्हीं परिस्थितियों में उन्हीं व्यक्तियों के साथ वही व्यक्ति अस्वस्थ एवं तनाव में रहने लगता है बकी सभी परिस्थितियाँ वैसी ही  रहते हुए भी केवल समय के बदल जाने से सब कुछ बदल जाता है | 
      कुलमिलाकर समय के साथ साथ साथ प्राकृतिक सामाजिक व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं मानसिक वातावरण बनता बिगड़ता रहता है | इस प्रकार की अधिकाँश घटनाएँ आपस में भी एक दूसरे से संबंधित होती हैं | जिस समय के प्रभाव से कोई प्राकृतिक घटना घटित होती है उसी समय के प्रभाव से महामारी आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी पैदा होते देखी जाती हैं |
     अनंतकाल से जीवन से लेकर प्रकृति तक घटित होने वाली सभी प्रकार की घटनाएँ घटित होने का वही एक क्रम बना हुआ है कि इसके बाद वो घटना घटेगी उसके बाद कोई और दूसरी तीसरी आदि घटना घटित होते चली जाएगी !ऐसा हमेंशा से होता चला आ रहा है | 


प्राकृतिक आपदाओं से डरने की अपेक्षा सुधार पर दिया जाए ध्यान !
 
आँधी बाढ़ और भूकंप जैसी घटनाएँ हमारी भलाई के लिए ही घटित होती हैं बाढ़ नदी और तालाबों के गंदे पानी को निकाल कर फिर उसकी सफाई करके उन नदी तालाबों में स्वच्छ जल भर पाना बाढ़ के बिना कैसे संभव हो पाता ! नदी तालाबों आदि में भरे गंदे जल को प्रकृति पहले सुखाती है फिर एक दो तीन बार उसे पानी से साफ करती है फिर उनमें पहले से भरा हुआ गंदा पानी हटा या सुखाकर बाढ़ आदि प्रक्रिया से प्रकृति उसमें शुद्ध जल भरती है | 

      वैसे भी बर्तन को धुले बिना उसमें शुद्ध जल कोई भी तो नहीं भरता है और यदि भर दिया जाए तो क्या वो पीने योग्य हो पाएगा ?फिर भी यदि ऐसा ही करते रहा जाए तो दोचार वर्षों में ही ये नदी तालाब दुर्गंध देने लगेंगे इसी क्रिया को संपन्न करने के लिए बाढ़ आती है ! इसी प्रकार से वायु को शुद्ध करने के लिए आँधी तूफान आते हैं ! पृथ्वी पर बड़े अनुचित एवं अतिरिक्त निर्माणजन्य  बोझ को कम करने के लिए भूकंप आते हैं समतल सी दिखने वाली पृथ्वी वैसे तो गोल ही होती है और गोल वस्तु को संतुलन के बल पर ही व्यवस्थित रखा जा सकता है पहाड़ पृथ्वी का संतुलन बनाकर रखने के लिए ही तो होते हैं |
    प्राकृतिक आपदाओं के नाम से घटित घटनाओं के दो कारण होते हैं पहला तो सृष्टि संचालन जैसा कि ऊपर निवेदन किया गया है यदि इन्हें कम करना है तो प्रदूषण हमें स्वयं घटा लेना होगा जितना प्रदूषण कम होगा सफाई का काम भी उतना ही कम होगा तो बाढ़ और आँधी तूफान आदि का वेग भी उतना कमजोर होगा जन धन की हानियाँ भी उतनी ही कम होंगी |
    प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए हमें प्रकृति के अनुकूल वर्ताव करना होगा यदि हम नदी तालाबों  का जल गंदा नहीं करेंगे तो बाढ़ नहीं आएगी वायु प्रदूषण नहीं फैलाएँगे तो आँधी तूफान नहीं आएँगे और पृथ्वी पर अनुचित एवं अतिरिक्त निर्माण जन्य बोझ नहीं बढ़ने देंगे तो भूकंप नहीं आएँगे| अंततः प्राकृतिक दुर्घटनाओं  को घटाने के प्रयास हमें ही करने होंगे |`

पुस्तक में  सबसे बाद में- 
       आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में आँधी तूफानों बादलों की जासूसी करने के अतिरिक्त कुछ ऐसा है ही नहीं जिसके आधार पर प्रकृति से जुड़ी हुई भविष्य संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान  लगाया  जा सके |इसीलिए आधुनिक विज्ञान से जुड़ा एक बड़ा वर्ग ऐसी प्राकृतिक घटनाओं को देखकर पहले कुछ दिनों तक तो आश्चर्य करता रहता है कुछ समय इसमें बीत जाता है | इसके बाद ऐसे विषयों में रिसर्च करने की आवश्यकता बताता है कुछ समय ऐसे निकाल देता है | इसके बाद लीक से हटकर घटित होने वाली प्राकृतिक घटनाओं को ग्लोबलवार्मिंग या जलवायुपरिवर्तन के हवाले करके इन्हें भूल जाता  है | इस प्रकार से पूर्वानुमान जानने की भावना में ताला लगा दिया जाता है|प्रकृति संबंधी पूर्वानुमान विज्ञान के साथ ऐसा अन्याय लंबे समय से होता चला आ रहा है |
    ऐसे विषयों पर अनुसंधान करने लायक आधुनिकविज्ञान में कुछ है नहीं और वैदिकविज्ञान को इस योग्य माना नहीं जाता है |इसलिए भूकंप जैसी घटनाओं की तो छोड़िए वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान या वायु प्रदूषण बढ़ने जैसी घटनाओं संबंधी पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक भी असंभव से बने हुए हैं |
    वैदिक विज्ञान के द्वारा ग्रहण जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने की विधा पूर्वजों ने पहले ही खोज ली  थी वो आज तक सही एवं सटीक घटित हो रही है सैकड़ों वर्ष पहले के ग्रहण संबंधी पूर्वानुमान भी लगा लिए जाते हैं जो आज भी सही एवं सटीक घटित होते देखे जा रहे हैं |
   


      विश्व के बहुत सारे देशों की सरकारों में भूकंपों से संबंधित मंत्रालय होते हैं अधिकारियों कर्मचारियों की बड़ी संख्या होती है उनकी सैलरी से लेकर समस्त सुख सुविधाओं पर बहुत सारा धन खर्च होता होगा | भूकंपों से संबंधित रिसर्च करने के लिए जितनी भी धन राशि खर्च की जाती है वह जनता के द्वारा दिए गए टैक्स से प्राप्त धन ही तो खर्च किया जाता है इसके बदले में जनता को आखिर मिलता क्या है ? 
     इसीप्रकार  से विश्व के  बड़े बड़े विश्व विद्यालयों में भूकंप अध्ययन अध्यापन के विभाग होते हैं शिक्षक होते हैं छात्र होते हैं शिक्षकगण भूकंपों के विषय में पढ़ा भी रहे होते हैं और विद्यार्थीगण पढ़ भी रहे होते हैं किंतु लाख टके का प्रश्न यह है कि जो लोग भूकंपों  के विषय में स्वयं ही कुछ नहीं समझ पाए हैं ऐसे लोग छात्रों को क्या पढ़ाएँगे और भूकंप विद्या के नाम पर जो पढ़ा भी रहे हैं उसमें सच्चाई कितनी है ये तो भविष्य ही बताएगा |क्योंकि किसी भी घटना के घटित होने का कारण पता लगे बिना और उसके अनुशार लगाए गए भूकंपों से संबंधित पूर्वानुमान सच हुए बिना भूकंपों के विषय में जो कुछ भी कहा जा रहा होता है उस पर भरोसा होता नहीं है | वैसे भी विश्व वैज्ञानिक समुदाय का यह मानना है कि भूकंपों के पूर्वानुमान के विषय में कुछ कहना संभव नहीं है !ऐसी परिस्थिति में भूमिगत गैसों और प्लेटों की थ्यौरी को ही किस आधार पर सच मान लिया जाए और काल्पनिक सच पर शोध कैसा तथा पठन पाठन कैसा और क्या है इसका औचित्य ?ऐसे चिंतन में मैं निरंतर लगा रहा !
    मैंने  कहीं पढ़ा कि भूकंप  आने से पहले  कुछ जीवों के स्वभावों में परिवर्तन आने लगता है !उधर जगदीश चंद वसु के वृक्ष विज्ञान पर भरोसा करते हुए मैंने वैदिक विज्ञान का स्वाध्याय प्रारंभ किया जिसमें वेद आयुर्वेद वनस्पतिविज्ञान स्वभावविज्ञान ज्योतिषविज्ञान योगविज्ञान आदि का गहन अध्ययन और मंथन करते हुए ऐसे सभी प्रकार से वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान  का अध्ययन करते हुए मैंने ब्रह्मांड को सविधि समझने का प्रयास किया !
     इसी क्रम में मैंने पढ़ा कि 'यत्पिंडे तत्ब्रह्मांडे' अर्थात जैसा
शरीर है वैसा ही ब्रह्मांड है इसलिए ब्रह्मांड को सही सही समझने के लिए सर्व प्रथम अपने शरीर को समझना होगा इसके बाद शरीर को आधार बनाकर उसी के अनुशार ही  ब्रह्मांड का अध्ययन किया जा सकता  है और ब्रह्मांड के रहस्य में प्रवेश पाते ही भूकंप वर्षा एवं रोग और मनोरोग जैसे गंभीर विषयों की गुत्थियाँ सुलझाने में सफलता मिल सकती है इसीविचार से मैं बिना किसी पूर्वाग्रह के भूकंप से संबंधित रिसर्च विषयक अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते चला गया और इस विषय में जहाँ जिससे जो जानकारी जितनी मिली उसे ग्रहण करके उसका उपयोग करता चला गया |वह शोधयात्रा अभी भी चलती जा रही है |                                                
      
   

Sunday, 2 February 2020

ज्योतिषियों तांत्रिकों

मोदी मसीहा हैं, उनके पास सभी समस्याओंं का हल है: उमा भारती - See more at: http://www.jansatta.com/national/uma-bharti-praise-pm-narendra-modi-says-he-is-messiah-has-answer-to-all-problems/28555/#sthash.hzr07Nef.QrqGIB5e.dpuf

ज्योतिषियों तांत्रिकों के लाखों करोड़ों रूपए महीने के विज्ञापनों की जाँच करे आयकर विभाग !
ज्योतिषियों तांत्रिकों वास्तु वालों एवं नग नगीने बेचने वालों के महँगे महँगे विज्ञापन कई कई चैनलों पर दिन में कई कई बार दिखाए जाते हैं वर्षों से चल रहे हैं इसमें लाखों करोड़ों रूपए महीने का खर्च आता होगा क्या इसमें लगने वाले कालेधन की जाँच भी सारे आयामों से की जानी चाहिए !ऐसे विज्ञापन देनेवाले 99 प्रतिशत झोलाछाप फर्जी डिग्रीवाले या बिना डिग्री वाले लोग होते हैं जो ज्योतिष तंत्र आदि बिना पढ़े ही इन विषयों में केवल अंधविश्वास फैलाने के लिए विज्ञापन देते हैं विज्ञापन दिखाने वाला मीडिया पैसे लेकर इनका खुला साथ देता है आखिर इसकी जाँच क्यों न करवाई जाए कि जब अंधविश्वास फैलाना मना है तो ऐसा क्यों करता है मीडिया !क्या सरकार ऐसे लोगों की सक्षमता के कारण इन पर कार्यवाही नहीं करती है !सरकार के किसी भी विश्वविद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट में किसने क्या पढ़ा है कौन सी डिग्री प्रमाणपत्र लिया है किसी का विज्ञापन देने से पहले उसके विषय में ये आवश्यक जानकारी क्यों नहीं जुटाई जानी चाहिए अन्यथा जो जिस विषय पढ़ा ही न हो वो उस विषय में प्रैक्टिस करके समाज को गुमराह करे ये अंध विश्वास फैलाना नहीं तो क्या है और मीडिया यदि ऐसे लोगों का साथ देता है तो ये गलत नहीं है क्या ?किंतु ये सब कालेधन का कमाल है !see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html



 काँग्रेस किस्तों  में चली भाजपा की ओर !बारे प्रशांत किशोर वाह !!

     राहुल गाँधी की किसान यात्रा का परिणाम !
      रीताबहुग़ुणा पहुँचीं भाजपा धाम ॥
             प्रेम से बोलो जयश्रीराम !!!
      उत्तर प्रदेश काँग्रेस की पूर्व अध्यक्ष आज गईं चुनावों बाद हो सकता है वर्तमान अध्यक्ष भी पहुँच जाएँ फिर भावी  अध्यक्ष  और उसके बाद आएगी केंद्रीय नेताओं की बारी !उधर बसपा के हाथी भी दौड़ रहे हैं भाजपा की ओर !भाजपा भी सबके स्वागत की कर रही है तैयारी !अब तो पुराना कार्यालय छोड़ा पड़ने लगा है इसीलिए नया बन रहा है

  साईं का गुरूवार  से कोई सम्बन्ध नहीं !
     कौआ किसी मकान पर बैठ जाए तो वो मकान कौए का हो सकता है क्या ?फिर साईं का गुरूवार कैसे हो गया ?साईं सनातन हिन्दू धर्मियों के लिए एक कौए की तरह !
       गुरूवार अनंतकाल से चला आ रहा है जबकि साईं का खेल सौ पचास वर्ष का है !वैसे भी गुरूवार जो अनंत काल से साक्षात् भगवान् विष्णु का है वो विष्णु का ही रहेगा वो साईं का कैसे हो सकता है साईं का गुरूवार से सम्बन्ध क्या ?कोई गंगा जी में नहा ले तो क्या गंगा जी उसकी संपत्ति मान ली जाएँगी क्या ?कौआ  जिस छत पर बैठ जाए क्या वो मकान कौवे का हो जाता है क्या ?यदि नहीं तो गुरूवार साईं का कैसे हो जाएगा !

   ज्योतिषविद्या  या ज्योतिषधोखा ? आपको जो चाहिए वो चुनो ! मिलावट हर जगह है सतर्क रहो ! 
       पाखंडियों से ज्योतिषविद्वानों जैसे आचरण की आशा मत करो ! ज्योतिष की जरूरतों की पूर्ति के लिए भी अंधे बनकर विश्वास किया तो अंधविश्वास और ज्योतिषियों की ज्योतिष क्वालीफिकेशन चेक करके चिकित्सकों की तरह ही ज्योतिषियों की भी उनकी ज्योतिषी डिग्री प्रमाण पत्रों की जाँच करके गए तो चिकित्सा के क्षेत्र की तरह ज्योतिष के क्षेत्र में भी धोखाधड़ी की संभावनाएँ काफी कम रह जाती हैं विद्वान् लोग ऊटपटाँग बहम भी नहीं डालते हैं और कौवों कुत्तों तीतर बटेरों हल्दी चावल वाले मूर्खता पूर्ण उपाय भी नहीं बताते हैं शास्त्र प्रमाणित बोलने का प्रयास करते हैं उन्हें भय होता है कि हमारी यदि कोई गलती पकड़ी गई तो जिंदगी बेकार हो जाएगी क्योंकि उन्होंने जीवन के बहुमूल्य चौदह वर्ष भयंकर परिश्रम करके ज्योतिष पढ़ी होती है इसलिए उनका ज्योतिष और  ज्योतिष को चाहने वाले लोगों के प्रति पवित्रता का भाव होता है  इसलिए उनका ज्योतिष से माँ जैसा लगाव होता है माँ के साथ कोई  धोखा कैसे कर सकता है  दूसरी ओर ज्योतिष जिन लोगों ने ज्योतिष पढ़ी ही न हो  ज्योतिष का अपमान करने में उन्हें कोई कसक नहीं होती है वो ज्योतिष की जरूरतों के लिए आए लोगों को अपना शिकार समझते हैं और खुद को शिकारी मानते हैं।इसीलिए वो शिकार करने में नीचता की किसी भी हद तक जाने में नहीं हिचकते हैं क्योंकि उनका ज्योतिष शास्त्र से कोई लगाव तो होता नहीं है उनका यदि ये धंधा बंद हो जाएगा तो कुछ और देखेंगे किंतु ज्योतिष विद्वानों के पास ऐसे विकल्प नहीं होते हैं । बंधुओ ! ज्योतिष विद्वान और ज्योतिष के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले दोनों ही प्रकार के लोग इसी समाज में विद्यमान हैं  उनमें से योग्य लोगों को चुनना आपको है और अपनी लापरवाही के लिए आप किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते यदि आप ज्योतिष विद्वानों तक पहुँच ही नहीं पाए तो ज्योतिष को बदनाम करने का आपको कोई अधिकार ही नहीं है see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html
  

टीवी चैनलों से लेकर समाज तक ज्योतिष के नाम पर या ज्योतिष पढ़ाने के नाम पर दिन रात बकवास करने वाले 99प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो ज्योतिष बिल्कुल नहीं जानते हैं उन्होंने सरकार के किसी भी विश्वविद्यालय से ज्योतिष पढ़कर ज्योतिष(सब्जेक्ट) की कोई डिग्री नहीं ली है इसीलिए ज्योतिषियों की ज्योतिष सब्जेक्ट की क्वालीफिकेशन जरूर चेक करें !
क्योंकि अपनी मूर्खता छिपाने के लिए ही तो तरह तरह के हथकंडे अपनाकर अपने को ज्योतिषी सिद्ध करने पर आमादा हैं नेताओं अभिनेताओं के साथ फोटो बनवाकर, या गोल्ड मैडल खरीद कर पहन लेते हैं !किंतु हमें इतना याद रखना चाहिए कि पढ़े लिखे डॉक्टरों इंजीनियरों को कभी टीवी पर डॉक्टरी इंजीनियरिंग पढ़ाते देखा है क्या ?यदि नहीं तो ज्योतिषवैज्ञानिकों भी यही पहचान है कि वे भी ऐसा नहीं करेंगे ! कुल मिलाकर हमारी तो आप सभी से यही अपील है कि ज्योतिष पाखंडियों के हथकंडों पर नजर रखिए हमेंशा अपने आस पास वालों को सतर्क रखिए ज्योतिष और बहम लेकर कहीं के घर घुसने न पाए अन्यथा उस घर की शांति भंग कर देगा पति पत्नी में लड़ाई लगा देगा ! भाई भाई के सम्बन्ध बिगाड़ देगा ऐसे लोग अपने को बनाने के लिए दूसरों को नष्ट करते देखे जाते हैं इसलिए ऐसे लोगों पर भरोसा करना भी खतरे से खाली नहीं है see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html

 समय के कारण ही संसार में सबकुछ बन बिगड़ रहा है !
    बुरे समय में हम बीमार होते हैं परेशान होते हैं औरों के द्वारा सताए जा रहे होते हैं बुरे समय में अपने भी छोड़ छोड़ भागने लगते हैं पति और पत्नी भी एक दूसरे से दूर होने लगते हैं प्रेमी जोड़े बिछुड़ने लगते हैं यहाँ तक कि दवाएँ भी बुरे समय वाले रोगियों को फायदा नहीं करती हैं जब समय बदलता है तभी सब कुछ सुधरता है किंतु बुरे समय से घबड़ाकर लोग धैर्य छोड़ने लगते हैं क्योंकि उन्हें पता नहीं होता है कि उनका समय किस  कितना बुरा है और कब तक रहेगा इसकारण घबड़ा जाते हैं बेचारे जीवन की आशा छोड़ने लगते हैं ! 

   कुत्तों के भौंकने से हाथी यदि अपनी बेइज्जती मानने लगें तो हाथियों का गाँवों से निकलना मुश्किल हो जाएगा हाथी का अपना गौरव होता है कुत्तों के विषय में सबको पता होता है कि ये केवल भौंक ही सकते हैं क्योंकि भौंकना उन्हें माता पिता के संस्कारों  से मिला है उसे कुत्ते छोड़ कैसे  सकते हैं वो इसके अलावा कुछ कर ही नहीं सकते !इसी प्रकार से इंसानी कुत्ते भी होते हैं जो न कुछ लिख पाते हैं न कुछ जानते हैं केवल गाली देकर अपने मातापिता के दुष्कर्मों की उन्हें याद दिलाया करते हैं कि जैसे तुम दोनों ने हमें लड़ झगड़ कर पैदा किया था वैसे ही हम गाली दे देकर तुम्हारे कुकर्मों की पोल खोलते रहेंगे !ऐसे कुछ इंसानी शरीरों में वही लोग फेस बुक पर भी घुस आए हैं लेकिन समझदार लोग उन्हें पहचानते हैं और उनके पैदायसी दोष को समझते हैं इसलिए हमें कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है ।
    ज्योतिष से उनमें से बहुत रोगों का इलाज हो सकता है जिन पर दवाओं का असर नहीं होता है दूसरी बात जिन रोगों पर दवाओं का असर होता है उन रोगों में भी ज्योतिष के प्रयोग से आसानी हो जाती है तीसरी बात रोग का प्रिवेंटिव इलाज ज्योतिष से ही संभव है !चूँकि बुरे समय के प्रभाव से रोग होते हैं तो इलाज भी समय विज्ञान में ही होगा स्वाभाविक है ।See More... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html

 जवान रहना है तो हनुमान जी को पूजो और बूढ़े दिखना चाहते हो तो भजो साईंबाबा  को !
       देवता कभी बूढ़े नहीं होते इसीलिए उन्हें निर्जर कहा जाता है इसी लिए देवताओं को पूजने वाले से बुढ़ापा दूर भागता है !बूढ़े साईं बाबा को पूजने से बुढ़ापा मिलता है जवानी में बाल झड़ने लगते हैं बाल सफेद होने लगते हैं आँखों में चश्में लगने लगते हैं चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं छोटे छोटे बच्चे हंसी खेल भूलकर बूढ़ों की तरह गंभीर एवं उदास रहने लगते हैं ऐसे लोगों के बच्चे भी बिलकुल बाबा जी की शकल के होते हैं । इसलिए हनुमान जी को पूजिए हमेंशा जवान रहिए ।


हनुमान जी को पूजकर ओबामा कहाँ पहुँच गए और साईंमंदिर पूजकर कैसे संकट भोग रहे हैं हम !
       हनुमान जी की मूर्ति  जेब में रखने वाले ओबामा जिस पाकिस्तान में घुस कर ओसामा को उठा ले जाते हैं वही पकिस्तान हमारे भारत में घुस कर रोज नए नए उपद्रव करता रहता है और हम सबूत देते रहते हैं और वो हमें चोट पहुँचाता रहता है देवताओं के मंदरों में साईं को पुजवाने के कारण ही तो हो रहा है ये सब !

फेस बुक पर गाली लिखने वालों के लिए -
"अपने माता पिता की ओरिजनल संतानें फेस बुक पर गाली नहीं लिखतीं अपने तर्क रखती हैं और जो गाली देते उनके जवाब हम नहीं देते किसी के पैदायसी खून को हम बदल तो नहीं सकते !
ऐसे लोगों को गलत संस्कार देकर गलती उनके माता पिता ने की है तो वही भोगें हम अपना दिमाग क्यों ख़राब करें !

 जिसने ज्योतिष पढ़ी ही न हो वो ज्योतिषी कैसा !जिसने पढ़ी होगी वो डिग्री क्यों नहीं दिखाएगा !         कंजूसी दरिद्रता और अज्ञान के कारण मोचियों से हार्ट सर्जरी करा लेने वाले चालाक लोग बीमारी बढ़ जाने पर हार्ट सर्जन और हार्ट सर्जरी को दोष देने लगते हैं जो गलत है मोचियों को डाक्टर मानने की गलती और दोष देना चिकित्सा पद्धति को ये कहाँ का न्याय है !इसी प्रकार से ज्यतिष के क्षेत्र में है मंडी में अच्छा बुरा हर तरह का सामान बिकता है उसमें अच्छा बुरा क्या है यही समझने के लिए तो भगवान ने बुद्धि दी है किन्तु जो लोग अकल का उपयोग न करके ज्योतिषियों और ज्योतिष शास्त्र को दोष देते हैं उन्हें अपने में सुधार करना चाहिए वे स्वयं गलत हैं ! see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html



               जीवन को सही दिशा में ले चलने के लिए बहुत जरूरी है ज्योतिष !जानिए कैसे ?
      अपने जीवन के साथ भविष्य में घटने वाली अच्छी बुरी घटनाएँ पता तो होनी चाहिए जितनी संभव हों उतनी ही सही !
     ज्योतिष विशुद्ध विज्ञान है इसके साथ विज्ञान जैसा वर्ताव करना पड़ेगा तभी इसके वैज्ञानिक लाभ लिए जा सकेंगे !कोई कहे कुछ भी किन्तु समय संबंधी पूर्वानुमान के बिना किसी का भी जीवन नहीं चल सकता है हम लोग जो भी काम करने चलते हैं वो हमारे लिए कैसा रहेगा ! भविष्य में सुख  होगा यह सोचकर खुश हो लिया करते हैं और दुःख की परिकल्पना करके दुखी हो लिया करते हैं घर से बाहर तक जो लोग हमारे साथ जुड़े हैं या जुड़ने जा रहे हैं उनमें हमें किसके साथ कैसा वर्ताव करने से हम सब लोग साथ साथ खुश रह सकते हैं आदि इस प्रकार के बहुत सारे  महत्त्वपूर्ण विषयों पर एक मोटा मोटी अनुमान तो हम सब लगाकर चलते ही हैं किंतु उसमें हम अपने साथ पक्षपात यह कर बैठते हैं कि हम अपने एवं अपनों के विषय में सब कुछ अच्छा अच्छा ही सोच जाते हैं जबकि होता तो अच्छा बुरा दोनों ही है किंतु हम उस बुरे की परिकल्पना कैसे करें और क्यों करें सच यह भी यह भी है कि हम कल्पना करें या न करें किंतु भोगना तो पड़ेगा ही ऐसी परिस्थिति में समय संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए ज्योतिष शास्त्र के अलावा कोई विधा है ही नहीं ! फिर ज्योतिष को मान लेने  में ही क्या बुराई है !see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html

  ' पंडितों पुजारियों को पेठा खिलाने से पुत्र पैदा होगा' जैसे  सपने देखने वालों के लिए नहीं है ज्योतिष !
किंतु ज्योतिष विज्ञान का उपयोग करते समय इतना ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए
ज्योतिष के विषय में ज्यातिषियों से कैसा व्यवहार करने वालों को कितने लाभ की आशा करनी चाहिए ! किस पर विश्वास करें ये निर्णय आपको खुद लेना होगा !मेडिकल की तरह ही ज्योतिष में भी वर्तमान समय में किसी की बातों पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए दावे तो सभी बड़े बड़े करते हैं बल्कि नकली सोना असली से अधिक चमकता है इसलिए भ्रष्टाचार के इस युग में अपने ज्योतिषी का चयन भी उसकी ज्योतिष संबंधी क्वालिफिकेशन से करें !किसी भी विषय में योग्यता आंकने का  यही एक मात्र आधार है , रही बात फीस की तो जिसकी जैसी शिक्षा उसकी वैसी फीस !कंजूस चालाक और दरिद्र लोगों के लिए नहीं है ज्योतिष ! वस्तुतः ये विशुद्ध विज्ञान है इसलिए वैज्ञानिकों की तरह ही ज्योतिषियों की योग्यता को भी कसौटी पर कसें तब भरोसा करें !करोड़पति बनने के लिए पंडितों पुजारियों बाबाओं ढोंगियों को खिचड़ी खिलाकर उनके सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाना बंद करें !योग्य लोगों से सेवा लेने के बदले उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार धन दिया ही जाना चाहिए तब ईश्वर आपको भी आपकी योग्यता के अनुसार पारिश्रमिक देगा !दूसरे की योग्यता का उपहास उड़ाकर अपनी कमाई की इच्छा रखने वालों का भाग्य स्वयं में बाँझ होता है !हम जितना बड़ा पात्र रखते हैं समुद्र हमें उतना ही जल देता है इसी प्रकार हम जितने बाड  का बल्ब लगाते हैं बिजली हमें उतना ही प्रकाश देती है इसी प्रकार से ज्योतिष विद्वानों के पास जाकर भी हम जैसा वर्ताव उनके साथ करते हैं उतने ही लाभ की  आशा हमें भी करनी चाहिए उससे अधिक नहीं !see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html

फर्जी ज्योतिषियों का भ्रष्टाचार भगाओ !
संतान पैदा करने के नाम पर बाबा कर रहे हैं बलात्कार ! 
फर्जी ज्योतिषियों के धोखाधड़ी वाले कारोबार !उपायों के नाम पर कितने आडम्बर कितने पाखंड ! कौवे कुत्ते चीटी चमगादड़ पुजा रहे हैं लोग! नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीजों का भारी भरकम कारोबार !बारे ज्योतिषव्यापारी बारे भाग्य व्यापार !
ऐसी सभी प्रकार की धोखाधड़ी समाप्त करने की हमारी सशक्त पहल से आप जुड़ें औरों को भी जोड़ें !सबका रुख शास्त्रों की ओर मोड़ें जहाँ बिना किसी विश्वासघात के आप पा सकते हैं ईमानदार ज्योतिष सेवाएँ और उचित सलाह उचित मूल्य पर -see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html


आस्था श्रद्धा भक्ति तर्कों का विषय ही नहीं है ये तो विश्वास  का विषय है ऐसी जगहों पर तर्क केवल वो लोग खोजते हैं जो धार्मिक अनपढ़ हैं !
       कमेंट और लाइक तो रंडियों पर उछाले गए रुपयों की तरह हैं क्योंकि वेश्याएँ और उनकी संतानें न केवल इससे खुश होती हैं अपितु वे इसी से अच्छाई का मूल्यांकन करते हैं वो इसे ही तरक्की मानते हैं तो वो उन्हें मुबारक किंतु सती साध्वी स्त्रियां अपने काम कर्तव्य समझ कर करती हैं प्रशंसा या रुपयों के लिए नहीं !

 दर्द हमेंशा अपने ही देते हैं दूसरों को क्या पता कि आपको तकलीफ किस बात से होती है !

कोई ज्योतिष पढ़ा लिखा व्यक्ति ज्योतिष के विषय में ऐसी बातें कहता तो समझाया भी जा सकता था किंतु जिसने ज्योतिष पढ़ी ही न हो कैसे समझाया जाए उसे !किंतु ऐसे ज्योतिषीय अनपढ़ों को चाहिए कि वो सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों में ज्योतिष डिपार्टमेंट बंद करने के लिए कोर्ट चले जाएं या सरकार से माँग करें यदि ज्योतिष गलत है तो बंद हो जाएंगे ज्योतिष विभाग उससे सरकार का अरबों रुपया बच जाएगा जो इस पर खर्च  होता आ रहा है !दूसरा जिससे हिम्मत हो ज्योतिष को गलत सिद्ध करने की उसे बकवास करने के बजाए तर्क और प्रमाण देने चाहिए !संभव ये भी हो सकता है कि ऐसे लोगों को उनके जीवन में हो सकता है कोई पढ़ा लिखा ज्योतिषी मिला ही न हो तभी वो अपना दिमागी कीचड़ फेंकने की कोशिश  करते हैं !खैर !इस पर मैं क्या कह सकता हूँ ! 
       ये तो एक घटना घटनी  थी घट गई
       
      ऐसे लोगों की कहाँ होती हैं मैरिजें और करनी भी नहीं चाहिए जिनके पास किसी ज्योतिषी से मिलने का समय न हो उनकी फीस देने के पैसे न हों ऐसे कंजूस लोगों के क्वाँरे रहने में ही भलाई है क्यों किसी लड़की की जिंदगी से खिलवाड़ करना चाहते हो !खैर !जीवन में शादी करने के कभी बिचार बनें तो इसे पढ़िए -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html

 ज्योतिष में क्या सच क्या झूठ ?
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आओ अंधविश्वास मिटाएँ और ज्योतिष संबंधी सही सेवाएँ उपलब्ध करवाएँ !
  ज्योतिष संबंधी सही सेवाओं की आपूर्ति के लिए आप भी दें हमारा साथ !अंधविश्वास भागने में मदद करें !
       आप सभी को बताइए कि ज्योतिष का काम करने वाले 99 प्रतिशत वे अनपढ़ लोग हैं जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं है ऐसे लोग  अपनी बेरोजगारी से परेशान होकर  अचानक ज्योतिषी बन जाया करते हैं उनसे समाज को धोखा मिला है  जिसका गुस्सा समाज ज्योतिष विद्वानों और ज्योतिष शास्त्र पर निकाल रहा है इसी कारण  समाज का बहुत बड़ा वर्ग आज ज्योतिष को पाखंड मानने लगा है ऐसे लोगों को चाहिए वे सही एवं विश्वसनीय ज्योतिष सेवाओं के लिए केवल ज्योतिष डिग्री होल्डर अर्थात सरकार द्वारा प्रमाणित विश्व विद्यालय द्वारा ज्योतिष सब्जेक्ट में MA,PhD जैसी डिग्रियाँ लेने वाले  विद्वानों से ही मिलें मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि उनके साथ धोखा नहीं होगा विद्वान लोग उन्हें ठेस नहीं लगने देंगे ! अन्यथा जैसे जूते चप्पल सिलने वाले मोचियों से यदि कोई हार्टसर्जरी के नाम पर अपना सीना  चिरवाकर  सिलवा ले और दर्द उठने पर हार्ट सर्जनों और हार्ट सर्जरी को  गाली देता घूमे इसे सही कैसे माना जा सकता है !समाज के कुछ लोग इसी प्रकार का अन्याय ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष के वास्तविक विद्वानों के साथ कर रहे हैं किंतु इसमें ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष विद्वानों का क्या दोष है see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html

ज्योतिष अपनाओ अंधविश्वास मिटाओ !
     बंधुओ ! हमारे संस्थान के द्वारा चलाए जा रहे ज्योतिष जन जागरण अभियान से आप स्वयं जुड़ें औरों को भी जोड़ें और समझें ज्योतिष एवं वास्तु ज्योतिष का सच !आज टीवी चैनलों से ज्योतिष के नाम पर जो परोसा जा रहा है वो ज्योतिष नहीं है और न ही वो ज्योतिषी हैं जिन्होंने किसी सरकार द्वारा प्रमाणित विश्व विद्यालय द्वारा ज्योतिष सब्जेक्ट में MA,PhD जैसी डिग्रियाँ नहीं ली हैं वो किस  बात के ज्योतिषी ! बंधुओ !यदि आप झोला छाप डॉक्टरों का बहिष्कार करते हैं तो झोला छाप ज्योतिषियों का क्यों नहीं !और यदि आप स्वयं ऐसा नहीं कर सकते तो किसी पाखंडी के द्वारा यदि कोई धोखाधड़ी होती है तो उसके लिए ज्योतिष शास्त्र कतई जिम्मेदार नहीं होगा !इसलिए आप स्वयं समझें कि ज्योतिष में क्या सच है और क्या झूठ !https://www.facebook.com/jyotishandolan/

ज्योतिष एवं धर्म का सच समझें -

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ज्योतिष संबंधी कार्यों के लिए कृपया हमारी फेसबुक पर अपनी डेट आफ बर्थ न डालें !
    यदि आप वास्तव में ज्योतिष से संबंधित अपने किसी भी प्रश्न का उत्तर जानना चाहते हैं अपनी किसी भी समस्या का कारण या उसका समाधान जानना चाहते हैं शादी विवाह या प्रेम संबंधों के विषय में जानना चाहते हैं किसी रोजी रोजगार व्यापार नौकरी आदि से जुड़ी किसी समस्या का समाधान जानना चाहते हैं संतान बीमारी या वास्तु आदि से जुडी किसी समस्या के विषय में कुछ जानना समझना चाहते हैं कुछ जिम्मेदारी आप भी निभाएँ उचित प्रक्रिया अपनाएँ और प्रॉपर ढंग से भेजें अपना डेट आफ बर्थ !जो लोग फेसबुक पर अपना डिटेल लिखकर फिर उत्तर जानने के लिए हमें बार बार मैसेज भेजते रहते हैं ऐसे ज्योतिषश्रद्धालुओं से मैं क्षमा चाहता हूँ कृपया इसे पढ़ें see more....http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html


महोदय ! आपका संपर्क हमारे लिए महत्त्व पूर्ण है किंतु इस फेस बुक की संख्या पूरी हो गई है कृपया आप  मेरी दूसरी  face Book से जुड़ें - https://www.facebook.com/profile.php?id=100009678760447

ईश्वर हर किसी के साथ न्याय ही कर रहा है !
जिसके जैसे कर्म उसका वैसा भाग्य जिसका जैसा भाग्य उसको वैसा फल मिल रहा है किंतु उस फल से जो सुखी हैं वो उसे अपने अच्छे कर्मों का फल तो मानते हैं किंतु जो उस फल से दुखी हैं वो उसे अपने बुरे कर्मों का फल न मानकर दुखी होते हैं वस्तुतः समय सबके साथ न्याय कर रहा है किसी अपराधी के गलत कामों की सजा यदि कानून देता है तो क्या उसे न्याय नहीं कहा जाएगा !अरे पगले जीव !न्याय तो यही है !!

जन्म दिन के शुभ अवसर पर -
बंधुओ ! प्रणाम प्रथम मेरा इस अवसर पर स्वीकार करो। अभिभूत आपके भावों से उन्नत प्रेरणा प्रदान करो ॥ सबके प्रति आदर भाव मेरा शास्त्रों के पथ का राही हूँ । धार्मिक पाखंडों के खंडन करने का नम्र सिपाही हूँ ॥ यह 'वाजपेयी' रूपी जीवन सबके आशीषों का प्रतीक । आशीर्वाद से स्वजनों के सन्मार्ग मिले पग पढ़ें ठीक ॥ बंधुओ !कृतज्ञ भावना से पढ़ता हूँ मित्रों सबके सँदेश । बहनों का भी सहयोग यहाँ पाता रहता हूँ मैं विशेष ॥
आप सभी सुधी स्वजनों के प्रति सादर श्रद्धावनत -आपका अपना 'वाजपेयी '

ज्योतिष प्रेमियों के लिए हमारे संस्थान की ओर से जनहित में जारी जरूरी जानकारी -"ज्योतिषशास्त्र बचाओ अभियान से जुड़ें आप भी !"
      बंधु-बहनो !मेरा निवेदन है कि आप ज्योतिष को जानें या न जानें ,ज्योतिष को मानें या न मानें हमारे यहाँ ज्योतिष संबंधी कामों के लिए आप संपर्क करें या न करें किंतु इतना याद रखें कि आपके पति पत्नी बेटा बेटी भाई बहन नाते रिस्तेदार मित्रों या अन्य सगे  सम्बन्धियों को जीवन के न जाने किस मोड़ पर फँसाव लगने लगे और तनाव बहुत अधिक बढ़ जाए see more....http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2016/02/blog-post_26.html

               दो.शिवरात्री पावन परम मंगलमय त्यौहार ।
                   शंभु चरण मन लाइए विश्वनाथ दरवार ॥
                        भोले बाबा की कृपा बरस रही घनघोर।
                       शिव पद पंकज सेवत सुख पाइब चहुँओर ॥

                शुभ प्रभात माँ दुर्गा के चरणों में कोटिशःनमन -
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptshati) (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
  दुर्गा सप्तशती  ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह)
    जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गासप्तशती पढ़ना चाहते हैंया अपने see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

                      माँ दुर्गा की असीम अनुकंपा से आपका दिन मंगलमय हो !
नव दुर्गास्तुति Nav Durga Stuti , (सरल दोहा चौपाई में ) (Saral Doha Chaupai men)
  नव दुर्गास्तुति ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह) जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गा पाठ पढ़ना चाहतेsee more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_67.html




जिस गाड़ी की सवारी की जाती है एक्सीडेंट तो उसका भी हो सकता है इसका मतलब क्या !ज्योतिष वैज्ञानिकों से भिखारियों की बात क्यों कर रहे हैं आप ! जो जिस चीज को पढ़ेगा उसी का न धंधा करेगा इसमें किसी को क्या समस्या हमसे ऐसी बात कहने वाले लोगों को सोचना चाहिए कि कमाकर कहना कोई बुरी बात है क्या !ज्योतिष वैज्ञानिक की आजीविका ही ज्योतिष है और आजीविका से समझौता कैसा !भारी भरकम फीस उसे लगती है जिसे अपनी एवं अपनों की जिंदगी से लगाव ही न हो जिसे थोड़ी भी अपने भविष्य की चिंता होगी उसके लिए क्या मायने रखती है हमारी फीस !नग नगीने की बातें ज्योतिषियों से क्यों जौहरी से मिलें !



दो. विघ्न विनाशक शंभुसुत नाशत कठिन कलेश ।
         चरण शरण प्रभु आपकी कीजै कृपा गणेश ॥

    अगर पी एच डीवालों की बातें ऐरों गैरों को समझ आ ही जाएँ तो वो भी समझदार हो जाएँगे और यदि बिना पढ़े लिखे ही लोग समझदार हो जाते होते तो पढने लिखने की परंपरा ही क्यों पड़ती !अंतर केवल इतना है जैसे बुरे लोग अच्छे लोगों से घृणा करते हैं वैसे ही मूर्खों को  पी एच डी बकवास लगती है किन्तु वे इतना कायर होते हैं कि यदि उन्हें वास्तव में ऐसा ही लगता है तो वो अपनी बता सरकार या कोर्ट तक क्यों नहीं पहुँचाते !
    सवर्णों की संपत्तियाँ देखकर जलने वाले लोग ये क्यों नहीं सोचते कि प्रारंभ में सभी जातियां संख्या और संपत्ति में बराबर थीं किंतु सवर्णों ने संयम पूर्वक अपनी जनसंख्या बढ़ने नहीं दी संपत्तियाँ कमाईं किंतु तब जिन्होंने केवल जन संख्या बढ़ाई सम्पत्तियों पर ध्यान नहीं दिया आज उनकी संताने सवर्णों को देखकर ललचा रही हैं !वे लालची सवर्णों पर शोषण के झूठे अारोप लगा रहे हैं । 

 ज्योतिषियों तांत्रिकों के लाखों करोड़ों रूपए महीने के विज्ञापनों की  जाँच करे आयकर विभाग !
      ज्योतिषियों तांत्रिकों वास्तु वालों एवं नग नगीने बेचने वालों के महँगे महँगे विज्ञापन कई कई चैनलों पर दिन में कई कई बार दिखाए जाते हैं वर्षों से चल रहे हैं इसमें लाखों करोड़ों रूपए महीने का खर्च आता होगा क्या इसमें लगने वाले कालेधन की जाँच भी सारे आयामों से की जानी चाहिए !ऐसे विज्ञापन देनेवाले 99 प्रतिशत झोलाछाप फर्जी डिग्रीवाले या बिना डिग्री वाले लोग होते हैं जो ज्योतिष तंत्र आदि बिना पढ़े ही इन विषयों में केवल अंधविश्वास फैलाने के लिए विज्ञापन देते हैं विज्ञापन दिखाने वाला मीडिया पैसे लेकर इनका खुला साथ देता है आखिर इसकी जाँच क्यों न करवाई जाए कि जब अंधविश्वास फैलाना मना है तो ऐसा क्यों करता है मीडिया !क्या सरकार ऐसे लोगों की सक्षमता के कारण इन पर कार्यवाही नहीं करती है !सरकार के किसी भी विश्वविद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट में किसने क्या पढ़ा है कौन सी डिग्री प्रमाणपत्र लिया है किसी का विज्ञापन देने से पहले उसके विषय में ये आवश्यक जानकारी क्यों नहीं जुटाजानी चाहिए अन्यथा जो जिस विषय पढ़ा ही न हो वो उस विषय में प्रैक्टिस करके समाज को गुमराह करे ये अंध विश्वास फैलाना नहीं तो क्या है और मीडिया यदि ऐसे लोगों का साथ देता है तो ये गलत नहीं है क्या ?किंतु ये सब कालेधन का कमाल है !
टीवी चैनल असहिष्णुता और अंधविश्वास फैलाना बंद करें !
टीवी चैनलों को चाहिए कि वे जिन लोगों को पकड़ पकड़ कर अपने चैनलों पर ज्योतिष के नाम से मनगढंत अंधविश्वास फैलाने वाली बकवास कराया करते हैं वो लोग वास्तव में ज्योतिषी हैं भी क्या जिम्मेदार मीडिया इसकी भी तो जाँच करे कि ऐसे लोगों ने ज्योतिष सब्जेक्ट में सरकार के द्वारा प्रामाणित किस विश्व विद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट में क्या डिग्री ली है बिना ऐसा किए हुए यदि वो उन लोगों का विज्ञापन करते हैं जो ज्योतिष की दृष्टि से अशिक्षित होने पर भी ज्योतिष के नाम पर बकवास किया करते हैं उनका प्रचार प्रसार करने वाले टीवी चैनलों को भी उतना ही दोषी माना जाना चाहिए जितने झोला छाप ज्योतिषी लोग दोषी हैं और सभी प्रकार की असहिष्णुता एवं अंधविश्वास फैलाने के लिए इन्हीं टीवी चैनलों को दोषी माना जाना चाहिए । फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वाले लोग डॉक्टर बनें तो अपराध और ज्योतिषी बनें तो ... ! ये पक्षपात क्यों ?see more....http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html

धर्म के विषय में जो व्यक्ति साक्षर नहीं है उसकी थोथी एवं काल्पनिक टिप्पणियों का क्या महत्त्व ! देशहित के काम के लिए साधू बनना जरूरी नहीं होता !जिन थोथे देशहित चिंतकों ने आशाराम को पहले कभी ढोया वही अब रामदेव को ढो रहे हैं परंतु किसी का पिठलग्गू बनकर चलना उन लोगों की मज़बूरी हो सकती है किंतु शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान से सुपरिचित कोई व्यक्ति चाटुकार नहीं हो सकता !उन्हें किसी बाबा से कोई भय नहीं है उनके लिए शास्त्र ही सर्वोपरि है !


नहीं हैं और यदि नहीं पर चलने वाली ज्योतिष नाम की बकवास अपने पालतू झोलाछाप राशिफलियों से करावें शास्त्रार्थ को शास्त्रार्थ खुली चुनौती !
    दैनिक राशिफल सच होते हैं तो प्रमाण दे !उन्होंने ज्योतिष पढ़ी भी है इसके लिए टीवी चैनल पर दिखावें अपने ज्योतिष सब्जेक्ट की क्वालीफिकेशन के डिग्री प्रमाण पत्र तब होगा शास्त्रार्थ अन्यथा बंद करें असहिष्णुता एवं अंधविश्वास फैलाना !नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीजों को बेचने वाले लोग समाज को झूठे सपने दिखा दिखा कर बेचते हैं अपने कल्पित प्रोडक्ट !इससे समाज का सबसे बड़ा नुक्सान ये हो रहा है लोग अपने जीवन यापन के लिए जो करने हाहते हैं या करते हैं लोगों के दिमाग में और फिरदिनोदिन बढ़ती असहिष्णुता के लिए जिम्मेदार हैं टीवी चैनल जो ज्योतिष शास्त्र के नाम पर अपने अपने चैनलों पर दिन रात ड्रामेवाजी दिखाया करते हैं
 मीडिया को राशिफल (दैनिक) पर हमारी चुनौती !
       ज्योतिष और धर्म के क्षेत्र में गधों को घोड़ा बना रहा  है मीडिया !
धर्म सम्बन्धी सभी प्रकार की अपराधों के लिए जिम्मेदार है मीडिया !मीडिया की कृपा से झूठे बाबाओं को योग गुरु बना दिया मीडिया ने !समाज के अवारा नशेड़ी गँजेड़ी एक से एक चरित्रहीन लोगों को ज्योतिष गुरु ज्योतिषी ज्योतिषाचार्य आदि बना दे रहा है मीडिया !आखिर मीडिया के ऐसे अपराधों का विरोध समाज को क्यों नहीं करना चा हिए see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html

    ज्योतिष और धर्म के क्षेत्र में घुसे अपराधियों को पहचाना कैसे जाए !
        समाज में घटित  होने वाली आपराधिक वारदातों में सम्मिलित बहुत बड़ा वर्ग ज्योतिष तंत्र धर्म वास्तु एवं बाबा गिरी आदि के बहाने लोगों का विश्वास जीतता है फिर उनके जीवन से जुड़ी कच्ची पक्की बातें उन्हीं से पूछ लेता है व्यापार में घाटा,प्रेमी प्रेमिका को पाने की चाह,या ऐसे संबंधों में मिला धोखा , पति पत्नी के वैवाहिक जीवन में तनाव, संतान न होने का संकट,भूत प्रेत वास्तु आदि से जुड़ी समस्याओं को जड़ से ठीक कर देने की गारंटी ले लेता है!इसके बदले जिनके पास धन है उनसे धन लेता है धन न होने पर ज्वैलरी माँग लेता है कई बार कुछ महिलाएँ अपने घर वालों को बिना बताए अपनी कोई  ऐसी मनोकामना पूरी कर लेना चाहती हैं जो वो किसी को भी नहीं बताना चाहती हैं धन देना उनके  बश का नहीं होता है इसलिए काम करवाने की  झूठी गारंटी लेकर ऐसी महिलाओं के शरीरों से खेलते रहते हैं ये अपराधी !ये पाखंडी कई बार वीडियो बनाकर सारे जीवन के लिए अपनी इच्छाओं के आधीन कर लेते हैं उन्हें ! उसी वीडियो के भय से  पाखंडियों की प्रशंसा किया करते हैं वे  भले लोग जिसे वे पाखंडी लोग अपने विज्ञापनों में भी दिखाया करते हैं इसलिए इन्हें पहचानने के लिए आपको करना होगा येsee more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html

जिंदगी से खेलने लगते हैं जिसके विषय में जिनके  बहम आदि फिर उनके सभी प्रकार के काम ठीक कर देने की गारंटी ले लेता है !उसके लिए वो भारी भरकम धन की डिमांड रखता है

 हर बातों व्यापार लोगों घरों में घुसता है आदि के बहाने कर्म के

    जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही न हो जिनके पास  ज्योतिषी होने के किसी विश्व विद्यालय से प्राप्त डिग्री प्रमाण पत्र ही न हों वो कैसे ज्योतिषी !जिन्हें लगता है कि वे वास्तव में ज्योतिष पढ़े हैं किंतु उनके ज्योतिष की डिग्री नहीं है उन्हें चाहिए कि वो किसी विश्व विद्यालय से परीक्षा देकर ज्योतिष सब्जेक्ट से सम्बंधित डिग्री ले कर सरकार की वे दिनों दिन समाज पर बोझ बनते जा रहे हैं !जिन कालनेमियों को संत योग गुरु धार गुरु आज उसकी निंदा जितनी भी की जाए कम है |
    ज्योतिष के नाम पर समाज की आँखों में धूल झोंकना बंद करे मीडिया
मीडिया का ये टुच्चापन है जो राशिफल नाम की इस तरह की बेहूदी बकवास को जगह देता है
    T.V. चैनलों पर हो कार्यवाही !जिन पर ज्योतिष तंत्र वास्तु की आड़ में फैलाया जाता है अंधविश्वास !
         जिन T.V. चैनलों पर राशिफल (दैनिक) नामक झूठ बोलने के लिए जो लोग पकड़ पकड़ कर लाए जाते हैं उनका और उनके राशिफल (दैनिक) का ज्योतिष शास्त्र से कोई लेना देना नहीं होता है !ये टीवी चैनलों एवं अखवारों में बोला और लिखा जाने वाला राशिफल (दैनिक) सौ प्रतिशत झूठ होता है !किसी की जिंदगी से उसका कोई तालमेल नहीं बैठता है जिस राशि वालों के लिए ये बोल रहे होते हैं उस राशि के हजार  लोगों से पूछ लिया जाए तो भी ये राशिफल किसी पर नहीं घटित होगा फिर भी बका करते हैं ये लोग !बेशर्मी की अंधेर है !ज्योतिष में कोई ग्रह जब  प्रति दिन बदलता नहीं है तो राशिफल प्रतिदिन कैसे बदल जाएगा !फिर भी राशिफल (दैनिक) बकने वाले जिन झुट्ठों को लगता हो कि वो प्रमाणित हैं उन्हें शास्त्रार्थ की सीधी चुनौती है हमारी !वो सिद्ध करें कि प्रतिदिन बताया जाने वाला राशिफल किस शास्त्र या ग्रंथ से प्रमाणित होता है ! टीवी देखना कोई अपराध तो नहीं है इन बकवासियों ने टीवी देखना हराम कर दिया है ऊटपटाँग बोल बोल कर !ये दिन रात बदनाम करते  ज्योतिष को और बेखौफ होकर फैलाते रहते हैं अंधविश्वास !ऐसे लोगों एवं T.V. चैनलों पर की जानी  चाहिए कठोर कारवाही !ज्योतिष ,धर्म एवं शास्त्रों के नाम पर अंधविश्वास फैलाने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जानी चाहिए वो कितनी भी पहुँच वाला क्यों न हो !see more....http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html

   राशिफल(दैनिक) एवं उपायों के आडंबर !
       मीडिया और झोलाछाप ज्योतिषियों की साँठ गाँठ से योजना पूर्वक तैयार किया जाता है ये मनगढंत  राशिफल !
ये बताने या लिखने के नाम पर उस समय जो कुछ मुख में आ जाता है सो बका करते हैं ये लोग ! क्या यही ज्योतिष विज्ञान है ?यदि ऐसी राशिफली बातों को आप टेप करके अचानक उन राशिफलियों से मिलें और दोबारा पूछ दें कि अमुक राशि का अमुक तारीख को राशिफल क्या बताया  था आपने ?तो ऐसे लोग वो या उससे मिलता जुलता राशिफल दुबारा बता ही नहीं सकते !और यदि हिम्मत बाँध कर बताएँगे भी तो उसका उस दिन वाले उनके राशिफल से कोई मेल नहीं खाएगा !ये सबसे बड़ा प्रमाण है उसके झूठ होने का अन्य सच बात को तो चाहें सौ बार पूछ लिया जाए सच ही होगी !यदि सही होता तो मेल तो खाना चाहिए क्योंकि किसी एक विंदु के लिए शास्त्रीय सच अलग अलग नहीं हो सकता!दूसरी बात ऐसे राशिफलों के ज्योतिष शास्त्र में कहीं प्रमाण नहीं मिलते !फिर भी यदि किसी को लगता है कि उसके पास इस राशिफल के समर्थन में शास्त्रीय प्रमाण हैं तो यहीं कमेंट में लिखें वो प्रमाण!बंधुओ !अब आप स्वयं समझिए कि ये राशिफल सही हो क्यों नहीं सकता seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_71.html

          ज्योतिष जन जागरण का उद्घोष !सबसे जुड़ें और सबको जोड़ें सबका रुख शास्त्रों की ओर मोड़ें !
      ज्योतिष के नाम पर न झूठ बोलेंगे और न सहेंगे !अंध विश्वास के विरुद्ध समाज को जगाकर रहेंगे! जिन बातों  एवं उपायों के प्रमाण ज्योतिष शास्त्र में नहीं हैं ऐसे झूठ को बिकने नहीं देंगे ! इसमें हमें चाहिए सभी सनातन धर्मियों का सभी प्रकार से साथ !यदि आप ज्योतिष जानते भी नहीं हैं और मानते भी नहीं हैं तो भी आप ज्योतिष शास्त्र की मदद कर सकते हैं जानिए कैसे ! ज्योतिष  में क्या सच है और क्या झूठ ?समझिए आप भी !बंधुओ !यदि आप ज्योतिष को नहीं भी मानते हैं तो भी इस अंध विश्वास को मिटाने के लिए हमें चाहिए आपका सहयोग !आज ज्योतिष एवं ग्रहों के उपायों के नाम पर  किए जा रहे हैं कैसे कैसे पाखंड !इसकी सच्चाई समझने के लिए पढ़िए हमारा यह ब्लॉग और जुड़िए हमारी पाखंड खंडिनी मुहिम से ! समाज को ज्योतिष की विश्वसनीय एवं शास्त्र प्रमाणित ईमानदार  सेवाएँ देने के लिए हम बचनबद्ध हैं ! ज्योतिष वास्तु आदि केवल हमारे ही नहीं आपके भी पूर्वजों की विद्या है इसपर पाखंड के बादल छाए हुए हैं ज्योतिष के नाम पर लोग मन गढ़ंत बातें एवं उपाय बता और समझा रहे हैं उपायों के नाम पर तरह तरह के तमाशे दिखा और बेच रहे हैं इसमें क्या सच है और कितना पाखंड है यह सही सही समझने के लिए एक बार जरूर देखिए  हमारे ब्लॉग के विविध विषयों पर लिखे लेख- see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_14.html
जनसंख्या बल से कमजोर सवर्णो को दलितों के शोषण का झूठा आरोप लगाकर सताया जा रहा है और रची जा रही है सवर्णों के विरुद्ध आरक्षणी साजिश ! दलितों के शोषण का सवर्णों पर झूठा आरोप मढ़ना बंद किया जाए ! साथ ही सवर्णों की जनसंख्या इतनी घटी कैसे इसकी जाँच कराई जाए ! दलितों का शोषण कभी किसी ने किया ही नहीं है इसीलिए शोषण के नहीं मिलते हैं प्रमाण !फिर आरक्षण क्यों ?see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/04/blog-post_14.html

आवश्यक सूचना - बंधुओ ! ज्योतिष का काम ही संसार के सभी लोगों के जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों के अच्छे बुरे प्रभावों का अध्ययन करना है इसीलिए सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों में सब्जेक्ट रूप में ज्योतिष पढ़ने पढ़ाने की न केवल सुविधा होती है अपितु ज्योतिष विषय में उच्च डिग्रियाँ भी दी जाती हैं ऐसे डिग्री होल्डर ज्योतिषवैज्ञानिक डॉ.एस.एन.वाजपेयी से जरूरी ज्योतिषीय सलाह लेने हेतु संपर्क करने के लिए इस लिंक को कॉपी करें ,खोलें और पढ़ें -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html
अब फर्जी  ज्योतिषियों के भविष्य बताने के शौक पर लगे प्रतिबंध !शुद्धीकरण हो तो सबका हो !
 फर्जीडिग्री  वाले यदि अपराधी हैं तो फर्जी ज्योतिषी और तांत्रिकों पर क्यों नहीं  की जाती है कार्यवाही !
      उनसे भी  माँगे जाएँ उनके भी ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र !
  आखिर उनसे क्यों नहीं पूछा जा रहा है कि ज्योतिष सब्जेक्ट में किस क्लास तक उन्होंने किस सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से पढ़ाई की है देखे जाएँ उनके भी ज्योतिष सब्जेक्ट के डिग्री प्रमाण पत्र ! ऐसा होते ही टीवी चैनलों पर बंद हो जाएगी तथाकथित ज्योतिषीबकवास  धार्मिक अंध विश्वास का धंधा  रुकेगा !इनके कृत्यों से टूटते संबंधों विखरते परिवारों को बचाया जा सकेगा । पढ़े लिखे ज्योतिषियों के ज्योतिष वैज्ञानिक शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का समाज को लाभ होने लगेगा  see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_35.html

                 संबंधों पर संदेह हर किसी को है यही तो बेचैनी है ।
      यही बात हर कोई सोच रहा है किंतु भरोसा कोई किसी पर नहीं कर पा रहा है फेस बुक पर क्या सभी जगह सम्बन्धों की यही दुर्दशा है हर कोई हर किसी की आँख बचाकर सम्बन्धों को रौंद रहा है फिर भी जीवन जीने के लिए सबको सब पर भरोसा करके चलना मज़बूरी है यहीं यहाँ समझा जा सकता है ।
दो.शुभ प्रभात हो सखागण मंगलमय रविवार । 
    सूर्य  कृपा  सब  पे  रहै  परिहरि रोग विकार ॥
दो.शुभ प्रभात हो बंधुओं  सोमवार शिववार ।
     भोले बाबा कृपाकरि कटिहैं कष्ट हजार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार । 
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो. बुद्ध सुखद सबके लिए शुभ फलप्रद हो आज ।
     सकल कामना पूर्ण दिन पावहु मित्र समाज

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥
 
दो.शुक्रवार की सुबह शुभ बंधु बहन सानंद ।
          स्वीकारो शुभ कामना कृपा करहिं ब्रजनंद ॥

दो. शुभ प्रभात शनिवार का सुखी सखा सानंद ।
     शनि पीड़ा को भय तजहु भजहु अंजनी नन्द ॥ 
   हे मित्रो !आज शनिवार का सबेरा आपके लिए शुभ हो, आप सुखी हों, आनंदित रहें । बंधुओ !शनि देव के द्वारा दी जाने वाली परेशानियों  से आप बिलकुल भयभीत न हों और प्रभु हनुमान जी का भजन करते  रहें ।

 दो. हनुमत प्रभु की कृपा से रहहु सखा खुशहाल । 
       साईं छाँड़ि सेवहु इन्हहिं महाकाल के काल ॥ 

 दो.साईं ध्यावत जे मरत बनत भूत बैताल । 
 रामहिं सुमिरहिं जे जन सदा रहहिं खुश हाल ॥ 

बसंत पंचमी के पावन पर्व पर माता सरस्वती की सभी संतानों को बहुत बहुत बधाई !

दो. जगजननि जगदम्बिके सरस्वती प्रणमामि ।माँ दुर्गे
   मैया चाहउँ चरणरज पुनि पुनि तुम्हैं नमामि ॥ 
दो. 'वाजपेयी'  मैं गाँव का  एक गरीब  किसान । 
  मैया तुम्हरी कृपा सों लोग कहत विद्वान् ॥ 
दो. दीन हीन  मो सम कहाँ  भई जिंदगी भार । 
       मैया तुम्हरी कृपा सों बदल गयो संसार ॥ 
दो.  मैं तिनका हूँ गाँव का लोग बतात लजात । 
       तेऊ 'वाजपेइ जी ' कहत तोर कृपाफल मात ॥ 
दो. मैया तुम्हरी कृपा सों भइ पवित्र यह देह ।
     दो कौड़ी के 'वाजपेइ 'को सब देत सनेह ॥ 
     

दो.साईं ठग्गू लाल का दिन कैसे गुरूवार ।
      विष्णु दिवस महिमा अमित जानत सब संसार ॥
दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात ।
बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥
दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥
दो. पत्थर साईं नाम के पूजत अनपढ़ लोग ।
     प्राण गए यमराज घर तबहुँ लगावत भोग ॥
दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग ।
     दुर्गा माँ को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
     जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥
दो. साईं प्राणन्ह  खैंच कै  भागि गए यमदूत ।
      यहाँ शरीरहिं गाड़ि कै पुजत  साईं को भूत ॥
दो.प्राण गए यमराज घर देही दई सड़ाय ।
    अब साईं को का बचो जो शिरडी देखन जाय ॥
दो.शिव दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात ।
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥
दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात ।
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥



  श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई -
 दो. साईं तौ लौ पुजि रहे मंदिर मंदिर जाइ । 
          मारुति नंदन की गदा उठत न जौ लौ  भाइ॥

  श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई - 
       दो. हनुमत हाथ गदा गहि नशिहैं साईं ढोंग । 
           कान पकरि कर ठसकिहैं खूब लगइहैं  भोग ॥

  श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई - 
दो. साईं झुट्ठे ठगी करि भए खूब धनवान ।
     पापी   खुद पुजिबो चहैं कुछ कीजै हनुमान ॥

  श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई - 
दो. साईं करि घुसपैठ खुद बनि बैठे भगवान । 
     मंदिर सूने हो रहे हनुमत कृपा निधान ॥ 

श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई -
दो. आरति पूजा भोग धन  साईं माला माल ।
      सुर मंदिर सूने हुए हे अंजनी के लाल ॥ 

श्री हनुमान जयंती पर  आप सबको बधाई - 
दो. मंदिर अपने धर्म के पुजिहैं साईं बैठि । 
हनुमत इन्हैं खदेड़िए कान पकरि कै ऐंठि ॥ 



 साईंसंप्रदाय का खंडन करने से हमें रोक रहे हैं कुछ लोग !

      कुछ लोगों को लगता है कि धर्म कर्म की चीजें तो बिना पढ़े लिखे ही आ जाती हैं इसलिए इन्हें क्यों पढ़ना इस विषय में तो जो मुख में आवे सो बक दो ! अगर वो धोखे से कुछ श्लोक या चौपाइयाँ पढ़ पाए तो फिर वो उन्हें पचते नहीं हैं वो खुजली किया ही करते हैं जब तक कोई कायदे से न खुजलावे !
      इसी प्रकार से हमें साईं साईंसंप्रदाय के खंडन से बचने की सलाह दी जा रही है और बताया जा रहा है कि प्रभु राम ने खंडन करने को रोका  है ! बंधुओ ! यदि समाज को इतना कमजोर ही बनाना होता तो श्री राम ने लंका पर आक्रमण क्यों किया क्यों खंडित किए उनके शरीर !
      मित्रो ! किसी के ऊपर हमला करने के लिए उस के ब्लैड मारना  अपराध है किंतु किसी के फोड़ा हुआ उसका आपरेशन करने में ब्लैड चलने वाला सर्जन पुण्य का काम कर रहा होता है इस बात का रहस्य समझे बिना उपदेश करना अपनी चंचलता सिद्ध करता है ।
 

दुर्गा पूजा -
दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात। 
       जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.      तीसर दिन नवरात्रि का चंद्रघंटिके अंब ।     चरण शरण जगदम्बिके तुम्हहिं एक अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 -
दो.  चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
      कूष्मांडा माँ की कृपा सरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html   

दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
     सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो.  कात्यायनी माँ की कृपा सरस रही सब ओर ।
     छठवाँ दिन नवरात्र का जननि  आसरा तोर ॥
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दो.कालरात्रि जगदम्बिके सादर नावउँ माथ ।
कृपा करहु जननी जगत तुम सों सदा सनाथ ॥
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दो. महागौरिजा आठवाँ जगत जननि तव रूप ।
     सादर बंदउँ पद कमल माते परम अनूप ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. नवरात्रों के नवम दिन  सिद्धिदात्री अंब ।
    कृपा करहु सब पर जननि सबकी तुम अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html



दो. साईं वालों पर कृपा होवै जननी तोर ।
भूतन्ह महुँ भटकैं जनि ताकहिं तुम्हरी ओर ॥
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दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि ।
    तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥
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 दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव ।
       जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ  को पहुँचाव ॥
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दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
    ऐसे पापिन्ह को जननि  सबक सिखाओ ख़ास ॥
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दो. जगतजननि की कृपा से सुधरे सब संसार ।
     कन्याओं पर बंद हो भीषण अत्याचार ॥
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दो. सरकारी अधिकारियों की होवे सद्बुद्धि ।
     कामचोर सुधरें जननि घूँस ने लें हो शुद्धि ॥
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 दो भ्रष्ट अफसरों को जननि दीजै दारुण दंड ।
       भूल जाएँ बदमाशियाँ भुगतें पाप प्रचंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  बलात्कारियों को जननि दीजै  ऐसा रोग ।
      किसी काम के न रहें तरसें लखि लखि भोग॥
see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html 

दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात । बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग ।     माँ दुर्गा को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
     जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html 


दो. दैत्य दलन्ह को दलिमल्यो जगदम्बे बहुबार।
         धरम सुरक्षा के लिए अब करहु साईं संहार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


  दो. प्रेमी जोड़े नाम को व्यभिचारी समुदाय ।
       दूषित करत समाज सब तिन्हहिं सुधारहु माय ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

     
दो.राम,कृष्ण शिव की जननि  पूजा क्या पाखंड ।
    साईं वाले बक रहे क्यों जननी अँडबंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.   देवी देवता सुनत नहिं साईं दें सब भोग ।
      पुण्यहीन भाषत अस मरन चाहत जे लोग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. हमैं सोच नहिं आपनो कहउँ न अपने हेत ।
' साईं ' कसकै रात दिन माँ तुम्हें चुनौती देत ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. मधुकैटभ को बल दल्यो शुंभ निशुंभ को अंब । 
    साइँन्ह की बारी अब कृपा करहु जगदंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं पुजत देवी देव घमात ।
     पापिन्ह को पाखंड अब जननि सहो नहिं जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. मंदिर में साईं घुसे देवी देव उदास ।
साईं वालों को जननि सबक  सिखावहु ख़ास
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दो. साईं वालों को जननि दीजे दंड कठोर ।
    जगदंबे तुम्हरे  रहत ये साइँहिं पूजत चोर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो. साईं पूजा देश में सब पापों की मूल ।
     जग जननी कीजै कृपा तुम्हारे हाथ त्रिशूल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो . अकर्मण्य सुर  हो गए कहैं साईं के  शेर ।
       बुढ़ऊ पुरिहैं कामना अंबे  ये अंधेर ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो. देवी देव दिखावटी बने  सजावट माल ।
बुढ़ऊ साईं अब करिहैं कृपा  जगदंबे ये हाल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पाखंडी फैला रहे भ्रम अंबे दो ध्यान ।
     मंदिर मंदिर बिक रहे साईं धरे दुकान ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  जे खुद को योगी कहैं करैं सकल व्यापार ।
अस कलियुगी पतंजली बाबन्ह को धिक्कार ॥

भगवान श्री राघवेंद्र सरकार के पुण्यमय प्राकट्य अवसर पर सभी भाई बहनों को बहुत बहुत बधाई !
    दो.आज रामनवमी परम पावन पर्व हमार । 
     कौशल्या के भवन में हुआ राम अवतार ॥ 
    दो.   भाई बहनों सभी को बहुत बधाई मोरि । 
        भव्य राम मंदिर बनै सबसे कहउँ निहोरि ॥
  दो. तंबू में रघुनाथ जू कितने सहत कलेश ।
      पड़े चबुतरे पर प्रभु अपने अवध नरेश ॥
दो. आज राम नवमी अवध पहुँचे PM नाहिं ।
     अम्बेडकर  की अष्टमी महू मनवन जाहिं ॥


दो.शुभ प्रभात हो सखागण मंगलमय रविवार ।
    सूर्य  कृपा  सब  पे  रहै  परिहरि रोग विकार ॥

दो.शुभ प्रभात हो बंधुओं  सोमवार शिववार ।
     भोले बाबा कृपाकरि कटिहैं कष्ट हजार ॥
दो.मंगलमय सबको सखा होवै मंगलवार । 
रोग दोष दुःख नाशिहैं प्रभु अंजनी कुमार ॥
दो. बुद्ध सुखद सबके लिए शुभ फलप्रद हो आज ।
     सकल कामना पूर्ण दिन पावहु मित्र समाज

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥
 
दो.शुक्रवार की सुबह शुभ बंधु बहन सानंद ।
          स्वीकारो शुभ कामना कृपा करहिं ब्रजनंद ॥

दो. शुभ प्रभात शनिवार का सुखी सखा सानंद ।
     शनि पीड़ा को भय तजहु भजहु अंजनी नन्द ॥ 
   हे मित्रो !आज शनिवार का सबेरा आपके लिए शुभ हो, आप सुखी हों, आनंदित रहें । बंधुओ !शनि देव के द्वारा दी जाने वाली परेशानियों  से आप बिलकुल भयभीत न हों और प्रभु हनुमान जी का भजन करते  रहें ।  
दो.जगज्जननि  जगदम्बिके सरस्वती सुखदानि ।
         कृपाकरहु   हे कृपामयि सादर वीणापानि ॥  

     
          दो.मंगलमय होली रहे घर घर मंगलचार ।  
             बहनों के सँग बंद हो अब तो अत्याचार ॥
         दो.    बूढ़ों की सेवाबढ़े श्रेष्ठों का सम्मान ।
         स्नेह भाव सबके प्रति करहु छाँड़ि अभिमान ॥
दो. भाई बहनों प्राणप्रिय पावहु हर्ष अपार ।
     प्रभु प्रसाद से सुखद हो राखी को त्यौहार ॥

 रक्षाबंधन पर्व पर बहनों ! आपको आपके अपने 'वाजपेयी'की ओर से बारंबार नमन !
       बलात्कार भावना को कुचलने का पर्व है रक्षाबंधन ! बहनें कभी पराई नहीं होतीं जिन्हें पराई कहा जाता है वो भी अपनी होती हैं उन्हें भी कभी बहन मान कर तो देखो वो भी अपनापन देती हैं । कितना सुख देती हैं बहनें ! भाइयों के दोषों को भी गुण सिद्ध किया करती हैं बहनें ! भाइयों की भूल को मजबूरी मान लिया करती हैं बहनें ,भाइयों की लापरवाही  को व्यस्तता मान लिया करती हैं बहनें ,भाइयों की कंजूसी को आदत बता दिया करती हैं बहनें !भाइयों के गुस्सा को अनुशासन समझ कर सह जाती हैं बहनें !अपनी अपनी ससुरालों में भाइयों का पक्ष लेते लेते लड़ जाती हैं बहनें !उन ससुरालियों के बीच भाइयों के सम्मान के लिए अकेली जूझती हैं बहनें !भाइयों की गलतियों के लिए खुद माफी माँग लिया करती हैं बहनें !भाइयों पर कितना भरोसा करती हैं बहनें !अरे !प्रेमिका बना कर आत्महत्या करने वालो !कभी बहन बनाकर कर देखो कितना आनंद देती हैं बहनें !तुम्हें कितनी इज्जत से देखता है समाज !इस पावन पर्व पर आप सभी भाई बहनों को बहुत बहुत बधाई !

दो. रक्षाबंधन सुखद हो दुःख दारिद्र्य विसार ।
     भाई बहनों के लिए ये मंगलमय त्यौहार ॥

  
दो. भाई बहन के स्नेह का है पावन त्यौहार ।
       नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन में प्यार ॥
 


      दो . जे पापी पाखंड प्रिय भ्रष्टाचारी लोग ।
             गीता तिन्हैं सोहात नहिं जिन्हैं भोगनो भोग ॥

दो. गीता जैसे ग्रन्थ का जो कर रहे  विरोध ।
     उनके भ्रष्टाचार पर होना चाहिए शोध ॥  
दो. जे पापी मानत  नहीं करत पाप पर पाप ।
     तिन्हैं गीता से डर लगे राजनीति के साँप ॥
दो. तिन्हैं मरन को भय कहा जे जग जोगी लोग ।
      खुद लै फिरहिं सिक्योरिटी औरन्ह सिखवत योग ॥
   दो.अजर अमर है आत्मा  नश्वर मिला शरीर ।
       गीता का सन्देश यह हरहु जगत की पीर ॥

  दो. धन तेरस सबके लिए दे  आनंद  अपार ।                              
                                   माँ लक्ष्मी की कृपा से सुख पावै संसार ॥


दो. मंगलमय बीते दिवस सुदिन सुमंगल आज।
     कृष्णकृपा भाजन बनो कृपा करहिं  ब्रजराज ॥ 
दो.गई जरावन भक्त को जरी होलिका आप ।
     पुण्य विजय का पर्व यह हुआ पराजित पाप ॥
दो. राख ढेर सों प्रकट भै पुनः भक्त प्रह्लाद ।
    देखि सखा हर्षित भए सबकर मिटा विषाद ॥
  दो.  खेलन लागे राख सों लगे उलीचन  धूल  ।
      भक्त विजय सुनि सुर गगन बरसन लागे फूल ॥
दो. भाई बहन के स्नेह का है पावन त्यौहार ।
       नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन में प्यार ॥



दो. चैत्र शुक्ल की दूज शुभ बासंती नवरात्र । 
रहहु सखा सानंद नित निरुज होहि तव गात्र ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html



दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
रहहु सखा सानंद नित निरुज होहि तव गात्र ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  कात्यायनी माँ की कृपा सरस रही सब ओर ।
     छठवाँ दिन नवरात्र का जननि  आसरा तोर ॥
-see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.कालरात्रि जगदम्बिके सादर नावउँ माथ ।
कृपा करहु जननी जगत तुम सों सदा सनाथ ॥
- see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. महागौरिजा आठवाँ जगत जननि तव रूप ।
     सादर बंदउँ पद कमल माते परम अनूप ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो.शुभ कामना प्रसाद मैं सादर धारउँ शीश । 
जुग जुग चलै सनेह यह कृपा करहिं जगदीश ॥

  

दो. नवरात्रों के नवम दिन  सिद्धिदात्री अंब ।
    कृपा करहु सब पर जननि सबकी तुम अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. साईं वालों पर कृपा होवै जननी तोर । 
भूतन्ह महुँ भटकैं जनि ताकहिं तुम्हरी ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
   दो.विजय दशहरा की मेरी  सबको सखा बधाइ ।
        मुक्ति मिली दसशीश को विजय पाइ रघुराइ ॥
    दो.द्वारपाल प्रिय प्रभु का शंभु भगत दसगात ।
        थोड़ी करनी बिगड़ गई अजहूँ कोसो जात ॥
            


  


दो. आश्विन शुक्ला प्रतिपदा शारदीय नवरात्र । 
स्वजन सखा सानंद हों निरुज होंहि शुचि गात्र ॥ 

दो. दूसर दिन नवरात्र का ब्रह्मचारिणी मात। 
       जननी बंदउँ पदकमल हृदय बसहु हरसात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. साईंहिं सेवहिं मूढ़ जे जननी तुम्हहिं बिसारि । 
    तिन्ह कहँ देहु दरिद्रता सबक सिखावहु झारि ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो.निर्मल बाबा टाइप के पापिन्ह कहँ लतियाव । 
       जहाँ तमाशाराम तहँ इन हूँ  को पहुँचाव ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.निर्मल बाबा कर रहा शास्त्र विमुख बकवास ।
    ऐसे पापिन्ह को जननि  सबक सिखाओ ख़ास ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो.जे ज्योतिष जानत नहीं वास्तु पढ़ी नहिं रंच । 
     ते भविष्य भाषत फिरहिं झुट्ठौ करत प्रपंच ॥
दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी सँग अठिलाँय।
 झूठ बतावहिं राशिफल झूठे बकहिं उपाय ॥

दो. व्यास कहाँ शुकदेव कहँ कहाँ भागवत 'शेष' । 
कथा कहत किन्नर फिरहिं धरि बहुरुपिया वेष ॥ 
  दो. नाम  भागवत  को रटैं करैं  "भोगवत " 'शेष '।
        हँसि हँसि हेरहिं औरतैं धरि भड़ुअन को वेष ॥ 
दो.लीन्हें घूमैं  भागवत जे भागवतिहा लोग ।
     करि सोलह श्रृंगार ये मँजनू माँगें भोग ॥ 
 दो.कथा भागवत  नाम पर बढ़ा सेक्स का रोग । 
  बने जिगोलो फिरि रहे  घर घर भोगत भोग ॥
 दो. कथा व्यास खुद को कहहिं करि सोलह श्रृंगार ।
     काम वेदना से विकल करत फिरहिं ब्यभिचार ॥
दो. भागवत जैसी दिव्यता शुकदेव जैसा ज्ञान ।
     भक्त परीक्षित के सदृश कहाँ जगत में आन ॥
दो. व्यापारी करते फिरहिं भागवत को बदनाम ।
     नाग नागिनें डसि रहे लै लै  भागवत नाम ॥

दो. 'भोगगुरु' बेचत फिरहिं  कामोत्तेजक कैप्सूल । 
     धिक् कलियुगी पतंजलि 'कामदेव' दुखमूल ॥
 दो. साधू चहैं सिक्योरिटी निर्भय फिरहिं गृहस्थ । 
      पाप पाई जे  छुवत नहिं ते बिना योग के स्वस्थ ॥ 
दो हाथ पैर भाँजत फिरहिं नई योग की रीति । 
        सबै दिखावैं साधुता मरिबे ते भयभीत ॥ 
दो.योग योग सब कोइ कहै किन्तु न जानत योग । 
        चित्तवृत्ति फैली फिरहिं हँसैं हहाहा लोग ॥ 
   दो.  जो खुद को योगी कहै करै सकल व्यापार ।
         भाषण में हो वीरता कर्मन्ह में सलवार ॥ 
दो.   धर्म कर्म में रूचि रहै चित  ध्यावै ब्रजराज
     बुरा न बोलो काहु को तौ का करिहैं यमराज ।

 दो.  निर्भय फिरत  किसान सब करत खेत खलिहान ।  
       बोझ बने बाबा फिरहिं लहे सिक्योरिटी शान ॥ 

     दो.बाबा बोलत  वीर रस रहे लगावत आग ।
         भयवश नारीवेष में प्रकटे अस वैराग ॥
        दो.  झूठ साँच भ्रम बोलत रहे कालेधन का जोक ।
          मिलत  सिक्योरिटी शांत भे बाबा अस डरपोक ॥

दो.राजनीति ने देश में किया बहुत उत्पात । 
करना धरनाकुछ नहीं ब्यर्थ बनावत बात ॥ 

दो.आज बृहस्पतिवार का होवे शुभद प्रभात।
  शुभ दिन बीते आपका  सुख पावहु दिन रात ॥ 

दो. जगतजननि की कृपा से सुधरे सब संसार ।
     कन्याओं पर बंद हो भीषण अत्याचार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. सरकारी अधिकारियों की होवे सद्बुद्धि । 
     कामचोर सुधरें जननि घूँस ने लें हो शुद्धि ॥ 
 दो भ्रष्ट अफसरों को जननि दीजै दारुण दंड । 
       भूल जाएँ बदमाशियाँ भुगतें पाप प्रचंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो.  बलात्कारियों को जननि दीजै  ऐसा रोग ।
      किसी काम के न रहें तरसें लखि लखि भोग॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.नेताओं की नियत पर है भारी संदेह । 
जनसेवा की बात कर भरते अपने गेह ॥ 

दो.साईं ठग्गू लाल का दिन कैसे गुरूवार ।  
      विष्णु दिवस महिमा अमित जानत सब संसार ॥
दो.साईं वाले दे रहे तुम्हें चुनौती मात । 
बुड्ढे के बलपर कहैं हम सब हैं कुशलात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html  

दो. साईं पत्थर पुज रहे देवी देव घमात ।
इन पापी पाखंडियों को सबक सिखाओ मात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पत्थर साईं नाम के पूजत अनपढ़ लोग । 
     प्राण गए यमराज घर तबहुँ लगावत भोग ॥ 

दो. किसी जन्म के पाप हैं भुगत रहे जो भोग ।
     दुर्गा माँ को छाँड़ि के साईंहिं पूजत लोग ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. जगत जननि जगदंब में कहा कमी अस लाग ।
     जे साइँहिं पूजत फिरहिं तिन्हके परम अभाग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

   
दो. साईं प्राणन्ह  खैंच कै  भागि गए यमदूत ।
      यहाँ शरीरहिं गाड़ि कै पुजत  साईं को भूत ॥ 

दो.प्राण गए यमराज घर देही दई सड़ाय । 
    अब साईं को का बचो जो शिरडी देखन जाय ॥ 


    तहाँ न साईं को कछू तहाँ न पूजा पाठ । 

दो.शिव दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥
दो.माँ दुर्गा की दया बिनु हिलत न एकौ पात । 
    राम कृष्ण में खोंट का जो साईं पूजन जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html   


दो. दैत्य दलन्ह को दलिमल्यो जगदम्बे बहुबार।
         धरम सुरक्षा के लिए अब करहु साईं संहार ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. शिक्षक जे न पढ़ावहिं बेतन लें हर बार ।
पढ़ें न तिनहूँ के शिशु जौं पढ़ें तो हों बेकार ॥ 

दो. डॉक्टर ठग लूटत फिरैं बड़े बड़े भ्रम डार ।
   तिन्ह कहँ होवे रोग अस कि दवा न हो संसार ॥ 

      दो. घूसखोर अधिकारियों पर हो बज्र प्रहार ।
     अपनी आँखिन देखहिं तड़फत निज परिवार ॥

दो.   औरत के पीछे फिरहिं पितुमाता न सोहात। 
       तिन्हैं बुढ़ापा देहु अस कि नौकर मारहिं लात ॥ 

दो. फैशन करने के लिए जे बने फिरहिं अधनंग ।       
      तिन्हहिं करहु अस जंगली घूमहिं नंगन  संग ॥ 

 दो. जे ब्याभिचारी नारि नर तिन्हहिं देहु अस रोग । 
       बुला बुला दें पप्पियाँ तहूँ न चूमैं लोग ॥ 

      दो. साधु संत को रूप धरि करत फिरहिं जे पाप ।
           तिन्हहिं देहु अस दंड प्रभु उगलत घूमें आप ॥ 

 दो. लिपटे प्रेमी प्रेमिका सबके देखत मात  । 
     कूकुर तिन्हैं बनाइए प्रेम करहिं दिन रात ॥

     दो. पैसे माँगन के लिए लोग लेत संन्यास। 
          करत फिरहिं ब्यापार फिर बाबा अस बदमास ॥ 

         दो. धिक् कलियुगी 'पतंजलि'अरबोंपति सब भोग 
               तहू बतावैं चैरिटी धिक् झूठे बाबा लोग । 
 
  दो. प्रेमी जोड़े नाम को व्यभिचारी समुदाय ।
       दूषित करत समाज सब तिन्हहिं सुधारहु माय ॥

 दो.      तीसर दिन नवरात्रि का चंद्रघंटिके अंब ।
     चरण शरण जगदम्बिके तुम्हहिं एक अवलंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो.  चौथा दिन नवरात्र का चहुँ दिशि हरष हिलोर ।
      कूष्मांडा माँ की कृपा सरस रही सब ओर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. स्कन्धमातु को ध्यावत पंचम दिन मन लाइ ।
     सुत सुख संपत्ति अमित यश देहिं कृपाकरि माइ ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
    
दो.राम,कृष्ण शिव की जननि  पूजा क्या पाखंड ।
    साईं वाले बक रहे क्यों जननी अँडबंड ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो.   देवी देवता सुनत नहिं साईं दें सब भोग ।
      पुण्यहीन भाषत अस मरन चाहत जे लोग ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. हमैं सोच नहिं आपनो कहउँ न अपने हेत ।
' साईं ' कसकै रात दिन माँ तुम्हें चुनौती देत ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. मधुकैटभ को बल दल्यो शुंभ निशुंभ को अंब । 
    साइँन्ह की बारी अब कृपा करहु जगदंब ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो. मंदिर में साईं पुजत देवी देव घमात ।
     पापिन्ह को पाखंड अब जननि सहो नहिं जात ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो.राम कृष्ण शिव के विमुख रचें साजिशें ढेर ।
      अपने को हिंदू कहैं देखौ तौ अंधेर ॥
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दो. खरदूषण रावण बध्यो हे रघुनंदन राम ।
     अबकी दशहरा साईं पर बीतै 'जय श्री राम' ॥
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दो. मंदिर में साईं घुसे देवी देव उदास ।
साईं वालों को जननि सबक  सिखावहु ख़ास
see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.htmlदो. साईं वालों को जननि दीजे दंड कठोर ।
    जगदंबे तुम्हरे  रहत ये साइँहिं पूजत चोर ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
 दो. साईं पूजा देश में सब पापों की मूल ।
     जग जननी कीजै कृपा तुम्हारे हाथ त्रिशूल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
दो . अकर्मण्य सुर  हो गए कहैं साईं के  शेर ।
       बुढ़ऊ पुरिहैं कामना अंबे  ये अंधेर ॥ see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html


दो. देवी देव दिखावटी बने  सजावट माल ।
साईं अब करिहैं कृपा  जगदंबे ये हाल ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html

दो. पाखंडी फैला रहे भ्रम अंबे दो ध्यान ।
     मंदिर मंदिर बिक रहे साईं धरे दुकान ॥see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_23.html
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दो. पाप पुण्य कुछ भी करे साईं  मंदिर जाय  ।
कृपा  वहाँ पर बिक रही पैसे  दे लै जाय ॥
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दो. पापकर्म खुब बढ़ गए रोज हो रहे  रेप ।
हत्या  भ्रष्टाचार सब साईं कृपा की खेप ॥
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ज्योतिषियों के पाखंड -

दो. रामायण के सीरियल में बन का गए राम । 
       अरुण गोबिल हो गए हैं तब से   बेकाम ॥
    दो.   खुद न रहे कछु काम के तौ पकरो 'कुमार ' ।
      'मंतर' 'मंतर' करि रहे संस्कृत ते लाचार ॥
    दो.    मंत्र कहे पावत नहीं सप्तशती लै हाथ । 
      पढ़ना निज बश को नहीं ठोंकि रहे हैं माथ ॥
     दो.  जेल तमाशाराम गए तब बाबा घबड़ान ।
         पढ़नो तौ बश को नहीं पकड़े फिरैं पुरान ॥

 दो.पैंट लसेटे फिर रहे ज्योतिष के लप्फाज ।
      बेटा बेटा कह रहे बापन्ह को तजि लाज ॥ 
     ज्योतिष के बकवासियों को मेरा  challenge । 
      बेहूदे बोलत फिरैं yes I can change ॥ 


दो. टीवी वाले ज्योतिषी झुट्ठी लीन्हें साथ ।
    कहैं मोर गुण गावहु पैसे पकड़ो   हाथ ॥
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   दो.   गुरू गुरू  झूट्ठी करै गढ़ि गढ़ि तानै तीर ।
     भाग्य भ्रष्ट जगदम्ब जे ते गढ़त फिरहिं तकदीर ॥
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 दो. झुट्ठी बोलै गुरू जी नाक नक्स की नीक ।
     भोंदू बक्सन्ह सों कहै तुम्हीं ज्योतिषी ठीक ॥
    दो. संस्कृत पढ़ी न ज्योतिष नहिं मन्त्रन्ह को ज्ञान ।
        तिन्ह कहँ व झुट्ठी कहै तुम सम को विद्वान !

   दो.   झूठ राशिफल नाम का कपट करहिं  भाँति ।
व्यस्त  कहहिं खुद को बहुत 'पर' खून पिअहिं दिनराति ॥
दो. ज्योतिष को ऐसो नशा तरह तरह  ढोंग ।
    बेटा बोलैं  बड़ेन्ह को ये पाखंडी   लोग  ॥
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      दो. जिद न जीत की ठीक है हार न हेरि हिराहिं ।
           मौत याद हर क्षण रहै तौ मन फिसलत नाहिं ॥ 


दो. हाथ पैर टोरत फिरै ब्यर्थ स्वास या हास ।
काम न अपनो करि सकें हर छिन रहत हताश ॥
दो.परिवारों में प्रेम हो तजो स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधे परिवारी सम्बन्ध ॥


 दो . आज कृष्ण  जन्माष्टमी का पावन त्यौहार । 
       कृष्ण कृपा भाजन बनो ध्यावत नंदकुमार ॥ 
दो. शंख चक्र कर गदा लै पद्म सुशोभित हाथ । 
     देवकि माँ सों प्रकट ह्वै राजहिंगे यदुनाथ ॥

 दो. हुई प्रतीक्षा वर्ष भर तब आया शुभ वार ।
         मंगलमय सबके लिए दीवाली त्यौहार ॥ 

दो. सुखी होय सारा जगत सब दुःख दर्द बिसार ।
      नित नूतन बढ़ता रहे सब लोगों में प्यार ॥

आज रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर आप सभी भाई बहनों को बहुत बहुत बधाई !    
  आप सभी स्नेहिल भाई बहनों के  स्नेहभाजन  होने से आनंदित हूँ !

 दो. सदा सुखी हो बंधुओ युग युग का त्यौहार ।
      नित नूतन बढ़ता रहे भाई बहन का प्यार ॥
दो.  क्षण भंगुर यह जिंदगी अस्थिर जग व्यवहार।
       घटने कभी न दीजिए भाई बहन का प्यार ॥


दो.  क्षण भंगुर यह जिंदगी अस्थिर जग व्यवहार।
       घटने कभी न दीजिए परिवारों में प्यार ॥

दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय । 
कहा पता अगले वरष मिलनो होय न होय ॥   

दो.सबकी भूलें भूलिये गलती सबसे होय । 
पता नहीं अगली सुबह मिलनो होय न होय ॥  

 दो. बच्चे तरसैं बात को घरै दिखावैं तैस । 
  औरन्ह संग हा हा हँसैं बाहर हो खुब  ऐस ॥ 

दो. आज जवानी आप  यदि रखि नहिं सके सँवारि ।
      कल वृद्धापन आइहै हँसिहैं सब दै तारि ॥


दो. सबसे मिलिए प्रेम से करो मधुर व्यवहार ।
     पता नहीं किससे कब मिलन आखिरी बार ॥


दो.अपनेपन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधे अपनो के सम्बन्ध ॥ 

दो.अपनेपन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधे भाई बहन  सम्बन्ध ॥ 
अपनों के        
दो.  परिवारों का प्रेम सब नशा हास परिहास। 
     स्वार्थ घमंडी भाव से घर भर फिरैं उदास ॥ 
दो. भाई बहनों प्राणप्रिय पावहु हर्ष अपार । 
मंगलमय सबके लिए हो दीवाली त्योहार ॥ 
दो. सारी धरती से मिटे घृणा कपट  अंधकार ।   
      सब सुख बरसैं बादल मधुर होंहिं व्यवहार ॥
दो. मीठी बोली के बिना बिखर रहे परिवार ।
       मीठा के डिब्बे लहे बाँटत फिरैं लबार ॥ 


दो.भाई बहन के प्रेम में हो न स्वार्थ की गंध ।
      कच्चे धागों  से बँधा भाई बहन सम्बन्ध ॥ 


दो.  परिवारों का प्रेम सब नशा हास परिहास। 
      पत्नीभक्ति प्रभाव से घर भर फिरैं उदास ॥ 
 दो.  महिलाओं का दोष नहिं दोषी पुरुष समाज । 
        मन पर संयम ही नहीं मथत फिरैं रतिराज ॥
दो. कामदेव को खुश करै रामदेव को योग ।
      औषधि बेचें काम की योग बहाने भोग ॥   
दो. कालगर्ल का दोष क्या कालर ब्यॉय उतान।
        सेक्सरैकटी छीनते महिलाओं का मान ॥
दो. पार्क पार्किंगों में मिलैं लिपटे चिपटे दोउ ।
      कुत्ते बिल्ली की तरह किन्तु न रोके कोउ ॥
दो. अपने मन के सेक्स को पापी बोलैं प्यार ।
      रावण को फूँकत फिरैं ऐसेन्ह को धिक्कार॥  


दो. पति पत्नी के बीच में बढ़ती रहती खाइ । 
    प्यार भरे छलकत फिरैं ताकत फिरैं लोगाइ ॥ 
दो. बच्चे दर दर भटकते जे जन करहिं तलाक । 
      ढूँढत  प्रेमी प्रेमिका ये प्यार करेंगे खाक ॥ 

दो. पति पत्नी के बीच में दिन दिन बढ़त दरार । 
      पर पत्नी के प्रेम में मारे फिरैं लबार ॥

ऐ दिल्लीनरेश ! जागो ये समय आत्मचिंतन का नहीं अपितु आत्ममंथन का है निजी स्वार्थों से ऊपर उठो !
हमारा आम आदमी पार्टी के वर्तमान एवं भूत पूर्व सभी सात्विक लोगों से निवेदन है इस विरक्त विचारधारा को बटने से बचा लीजिए !see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/04/blog-post_45.html
आमआदमीपार्टी से 'अ' अक्षर वाले अंजली ,अरविंद ,आशीष, आशुतोष आदि लोगों को लेनी होगी विदाई !-ज्योतिषseemore...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html

                हमारी माँ बहन को भी कोई गाली दे !ऐसा कोई भला आदमी क्यों चाहेगा !
     दूसरे को गाली हमेंशा वो लोग देते हैं  या फेस बुक पर लिखते हैं जिनका मन होता है कि काश ! हमारी माँ बहन को भी कोई गाली देता ! गाली देगा वही जिसके पास गालियाँ होंगी और होंगी नहीं तो देगा कहाँ से ! ऐसे लोगों की माताएँ  भी ऐसी ही होती होंगी !यह भी संभव है कि ऐसी माताओं ने इनको जन्म देने में ही संस्कारों की किस्तें पूरी न की हों या फिर गलत तरीके से की हों ! यह भी संभव है कि ऐसी माताओं के उनके अपने ही संस्कार न ठीक हों उन्हीं का परिचय दे रहे हों ये गाली देने वाले लोग !खैर !बाकी सभी अच्छे संस्कारों वाले माता पिता की संतानों से निवेदन है कि वो ऐसी माताओं को भी गाली न दें जिन्होंने गाली देने वाले इतने गंदे बच्चे पैदा किए हों !जो अपने माता पिता के कुसंस्कारों की भड़ास औरों पर निकालते फिरते हों !