Wednesday, 31 January 2018

सीलिंग जरूर होनी चाहिए यदि नियमानुसार है तो !सीलिंग का विरोध करने वाले नेताओं और दलों के विरुद्ध होनी चाहिए कठोर कार्यवाही ! जानिए क्यों ?

   सीलिंग पर सौदेबाजी अब कराएँगे नेतालोग !जिसे जो नहीं पहुँच रहा है उसे वो दिलवाएँगे और सीलिंग बंद करवाएँगे !कुलमिलाकर दलालों की भूमिका निभाएँगे नेतालोग इसी में खुद भी कमीशन कमाएँगे !बारे लोकतंत्र !बारे कानून सम्मत शासन के मसीहा लोगो !
     आम जनता को न ये पता है कि सीलिंग शुरू क्यों हुई और न ये पता है कि इसे बंद क्यों होना चाहिए !वस्तुतः ये सीलिंग नेताओं अफसरों एवं व्यापारियों के आपसी लेन देन से जुड़ा मामला हो सकता है नोटबंदी के कारण व्यापारी लोग अब उतना उनके पास नहीं पहुँचा पा  रहे होंगे जितना जिनसे वायदा किया गया था !जिन अधिकारियों या नेताओं ने जब अवैध निर्माण या अवैध कब्जे करवाए थे तब जो उनका आपस में महीना हफ़्ता आदि व्यापारियों के साथ तय हुआ होगा वो समय से नहीं पहुँच पा  रहा होगा तो वो लोग उपद्रव तो करेंगे ही !उन्हें क्या पता था कि नोटबांडी हो जाएगी !खैर अब तो अंदर अंदर सेटिंग चल रही होगी इनकी आपस में कोई ठीक सी डील हो जाएगी तो यही लोग रोकवा देंगे सीलिंग ! 
   व्यापारियों ने सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों को घूस दे देकर सारे विभाग निकम्मे बना दिए हैं जिसे घूस न दो वो काम नहीं करता व्यापारी घूस देते  इसलिए उनके गलत काम भी कर देते हैं लोग और जनता को कानून सम्मत काम करवाने के लिए भी लगाने  पड़ते हैं  महीनों चक्कर !
    इस मुद्दे पर घूस दे देकर सरकारी विभागों को बिगाड़ने वाले व्यापारियों का साथ देने वाले नेताओं एवं पार्टियों के विरुद्ध जनता  सँभाले कमान !भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध छेड़ा गया है तो छोड़ा न जाए !किंतु जिन अधिकारियों ने अपने कार्यकाल में अवैध काम या अवैध कब्जे करवाए हैं अवैध निर्माण करवाए हैं उन्हें इनके लिए पूर्णरूप से दोषी माना जाए और उनकी संपत्तियाँ जब्त करके उन्हें सैलरी के रूप में आज तक दिया गया धन उनसे वापस वसूला जाए !इसके बिना भ्रष्टाचार विरोधी ये लड़ाई अधूरी मानी जाएगी और माना जाएगा कि सरकार इस भ्रष्टाचार में सम्मिलित है और इससे ये बात प्रमाणित हो जाती है कि वास्तव में घूस का पैसा ऊपर तक जाता होगा तभी तो  सरकार इनके विरुद्ध कोई कठोर कार्यवाही करने में डरती है !राजनैतिक पार्टियों के भ्रष्टाचारी नेता लोग इसीलिए तो ऐसे भ्रष्टाचारियों का साथ देते हैं  आखिर व्यापारियों पर ऐसा कौन सा जुल्म हो रहा है जिससे व्यापारियों के समर्थन में उतरना राजनेताओं की मज़बूरी हो गई है !क्या सीलिंग की कार्यवाही  वास्तव में गैर कानूनी है यदि नहीं तो इसका विरोध क्यों ?
       वैसे भी नोटबंदी के बाद व्यापारी लोग नेताओं अधिकारियों को उतनी घूस नहीं दे प् रहे हैं जितना खून इन लोगों के दाँतों में पहले लग चुका है इसीलिए  अर्थात व्यापारियों पर धन देने के लिए दबाव बनाने हेतु ही संभवतः ये सीलिंग का सगूफा छोड़ा गया है !अब व्यापारियों और नेताओं में परदे के पीछे कोई डील चल रही होगी जिस दिन व्यापारी  नोटबंदी के पहले जैसे पैसे इन नेताओं अधिकारियों को देने के लिए तैयार हो गए उसी दिन बंद कर दी जाएगी सीलिंग के विरुद्ध की जा रही कार्यवाही !  
 अधिकारियों कर्मचारियों को व्यापारियों ने बर्बाद किया है !व्यापारियों ने हर काम में घूस दे देकर सरकारी मशीनरी को पूरी तरह चौपट कर दिया है !हर काम में सेटिंग के शौकीन है !जैसे लोग कुत्ते पालते हैं ऐसे इन लोगों ने अधिकारी कर्मचारी पाल रखे होते हैं !सबके महीना बाँध देते हैं ! बीटवाले निगमवाले  बिजली पानी की चोरी करवाने वाले यहाँ तक कि चिट्ठी बाँटने वाला डाकिया तक महीने पर चलता है सबको ये महीना देते हैं और वे बेशर्म आँखें झुकाकर हाथ फैलाकर ऐसे ले लेते हैं कि ऐसे निर्लज्जों को अब अधिकारी कर्मचारियों जैसा सम्मान देने का मन ही नहीं करता है !व्यापरियों ने घूस दे देकर सरकारी विभागों को इतना ज्यादा बर्बाद कर दिया है कि आम जनता की वे सुनते ही नहीं हैं लोग जैसे ही इनके पास अपने काम करवाने जाते हैं तो ये उस एप्लिकेशन में सौ कमियाँ बताकर कुत्तों की तरह उस व्यक्ति के हाथों की ओर देखने लगते है शायद कुछ दे दे इन भिखारियों को तो काम कर दें !
       देश का काम काज यदि ऐसे ही कंगालों के आधीन बना रहा तो ये घूस खोर लोग घूस के लालच में देश और समाज की कितनी भी बड़ी कुर्वानी देने को तैयार बने रहते हैं !सरकार इस खतरे को गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है ! स्थिति यदि यही बानी रही तो किसके बल पर विकास कर लेगी सरकार ! घूस देखते ही ये तो कभी भी देश के साथ जनता के साथ सरकार के साथ गद्दारी कर जाते हैं  ऐसे गद्दारों पर नकेल कसने के लिए सरकार को कोई सुदृढ़ प्रयत्न करने होंगे ! ऐसे लोग ईमानदार चरित्रवान अधिकारियों कर्मचारियों के प्रयत्नों पर भी न केवल पानी फेर देते हैं अपितु उनकी भी बेइज्जती करवाया करते हैं ! नोट बंदी में सरकार जिन कालेधन वालों के विरुद्ध इतने कठोर कदम उठा रही थी उन्हीं काले धन वालों के घर जा जा कर उनका कालाधन सफेद कर रहे थे बैंक कर्मचारी और जनता लाइनों में खड़ी मृत्यु से मुकाबला कर रही थी इसे गद्दारी नहीं तो क्या कहेंगे !       
    ऐसे स्थिति पैदा इसीलिए हुई क्योंकि  प्रायः सभी प्रकार के व्यापारियों ने अपने अपने जरूरी काम करवाने के लिए सरकारी महकमों के लोग पाल रखे हैं जिसे वे बड़े गर्व से सेटिंग कहते हैं !बताते हैं कि हर विभाग में अपनी सेटिंग चलती है !सरकारी विभागों में कोई काम करवाने जाओ तो वो जनता से भी पैसे माँगने लगे किंतु जनता घूस नहीं दे सकती इसलिए उसका काम नहीं होगा !वस्तुतः वे घूसखोर राक्षस लोग जनता को जीवित मानते ही नहीं हैं इतना गन्दा व्यवहार करते हैं क्योंकि व्यापारियों ने उन्हें जूठन डाल डालकर बर्बाद कर रखा है तभी तो ! 
         
          

Wednesday, 10 January 2018

प्रधानमंत्री जी !जनता यदि वोट न भी दे तो भी जीत लिया जाएगा 2019 चुनाव केवल मोदी जी के नाम पर !बारे आत्म विश्वास !!

  मान्यवर ! सरकार का पतझड़ प्रारम्भ हो चुका है रोक सकते हैं तो रोक लें !अब तो बसंत की कोपलें तो काँग्रेस में भी फूटने लगी हैं !
  महोदय !दिल्ली में कोई काम करने वाला जन प्रतिनिधि हो तो उसका पता हमें भी चाहिए और जब दिल्ली के ये स्थिति है तो बाकी देश की कल्पना की जा सकती है क्या ऐसी ही लापरवाही के साथ लड़ा जाएगा सन 2019  का चुनाव !
    पार्टी के जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण अब तो फिर से काँग्रेस में भी कोपलें फूटने लगी हैं बसंत का अनुभव करने लगी है काँगेस!अब तो उनका भोंपू भी बजने लगा है !इसलिए जो समय अवशेष बचा है उसमें जनता के लिए नहीं तो कम से कम 2019 जीतने के लिए ही कुछ कर लिया जाए !
    PM साहब !अधिकारी कर्मचारी ही आपकी भावनाओं का ध्यान क्यों रखें और क्यों मानें आपकी बात !जब आपकी अपनी पार्टी के सांसदों विधायकों निगम पार्षदों के चेहरों पर ही नहीं दिखाई पड़ रही है 2019 की चिंता !वो इतना अधिक आश्वस्त हैं कि जनता यदि वोट नहीं भी देगी तो भी 2019 चुनाव तो मोदी जी के नाम पर जीत ही लेंगे ! 
     पार्टी के जन प्रतिनिधि विल्ले बिजी हैं काम के न धाम के फिर भी व्यस्त !न घरों में मिलते हैं न फोन पर उनकी आफिसों में बैठे चम्पू जनता को लेटर पकड़ाए जा रहे हैं लेटर पाने वालों को लगता है कि जैसे वरदान मिल गया हो किंतु जब अधिकारी कर्मचारी छीछालेदर करते हैं तो भूल जाता है जन प्रतिनिधियों की चिट्ठियों का रौब !जवाबदेही किसी की  नहीं है मान्यवर ! 
      जनता के कामों की जवाबदेही जिनकी होनी चाहिए वो बिल्कुल नहीं निभा रहे हैं केवल जनता को मूर्ख बनाने में ही अपनी चालाकी समझते जा  रहे हैं ! ये परिस्थिति आत्मघातक है !उचित होगा कि अभी  ही  सुधर लिया जाए  !
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       माना कि काँग्रेस और केजरी वाल कमजोर हुए हैं लालू प्रसाद जी वहाँ पहुँच गए हैं जहाँ से 2019 में कॉमेडी करने शायद न आ पावें और उनकी स्थिति देखकर बहन जी बौद्ध बन जाएँ !नेता जी !मौन धारण कर लें फिर भी रामायण में कहा गया है कि "रिपु रोज पावक पाप यही जानिए न छोट कर !!"