भूखपीड़ा में जो स्वत्व तजते नहीं ,
बासनावेग में भोग भजते नहीं ।
कुछ नहीं चाहने की रखें चाह जो ,
ऐसे बीमार बीमार लगते नहीं॥
-डॉ.एस.एन.वाजपेयी 'शेष'
दूधिया साइकिल ले के सम्मुख पड़ा कह रहा हो कि बाबू बचा लीजिए !
उत पड़ोसी पड़ा हो रुदन कर रहा कह रहा हो कि मुझको उठा दीजिए !!
बासनावेग में भोग भजते नहीं ।
कुछ नहीं चाहने की रखें चाह जो ,
ऐसे बीमार बीमार लगते नहीं॥
-डॉ.एस.एन.वाजपेयी 'शेष'
दूधिया साइकिल ले के सम्मुख पड़ा कह रहा हो कि बाबू बचा लीजिए !
उत पड़ोसी पड़ा हो रुदन कर रहा कह रहा हो कि मुझको उठा दीजिए !!